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क्या एलडीएफ अपने 2016 के चुनावी वायदे ‘नव केरल’ को पूरा कर पाने में सफल रही है?

2016 विधानसभा चुनावों से पहले पिनाराई विजयन ने एक यात्रा का नेतृत्व किया था, जिसे नव केरल नाम दिया गया था। इसने एक ऐसे वक्त में लोगों में  उम्मीद व भरोसा जगाया था, जब कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा सरकार भ्रष्टाचार के कीचड़ में डूबी हुई थी।
क्या एलडीएफ अपने 2016 के चुनावी वायदे ‘नव केरल’ को पूरा कर पाने में सफल रही है?

केरल विधानसभा के चुनाव जहाँ इस साल अप्रैल में होने तय हैं, मौजूदा वाम लोकतान्त्रिक मोर्चे (एलडीएफ) की सरकार के द्वारा अपने चुनावी अभियान के केंद्र में अपनी विकासात्मक गतिविधियों को रखा है। मई 2016 में सत्ता में आई इस सरकार ने नव केरल (नए केरल) ने  वादा किया था, और उन नीतियों पर अपना ध्यान केंद्रित रखा, जिसने राज्य के चेहरे को बदलकर रख दिया है।

2016 चुनावों से पूर्व, भावी मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने ‘नव केरल यात्रा’ नामक यात्रा  का नेतृत्व किया था। इस यात्रा ने एक ऐसे वक्त में उम्मीद का वादा किया था जब कांग्रेस के नेतृत्ववाली संयुक्त लोकतान्त्रिक मोर्चे की सरकार भ्रष्टाचार में आकंठ डूबी हुई थी।

उस दौरान विजयन ने वादा किया था कि “नव केरल यात्रा विकास के लिए एक नई राह को प्रशस्त करने का काम करेगा।” इसके साथ ही उनका कहना था कि केरल को धर्मनिरपेक्ष बने रहना होगा और सिर्फ तभी वह प्रगति की राह पर आगे बढ़ सकता है। जैसा कि वादा किया गया था, एलडीएफ सरकार ने अपने ‘नव केरल कर्मा पद्धति’ का शुभारंभ किया था, जिसे नव केरल मिशन के तौर पर भी जाना जाता है।

इस विस्तृत परियोजना में आवास, स्वास्थ्य, शिक्षा और कृषि क्षेत्र में चतुर्दिक विकास का कार्य शामिल था। 10 नवंबर, 2016 के दिन इस मिशन की शुरुआत तत्कालीन केरल के राज्यपाल और विजयन द्वारा की गई थी, जिन्होंने राज्य के विकास को मानचित्र के पटल पर लाने का लक्ष्य रखा था।

नव केरल परियोजना के तहत हरित केरल, आरद्रम, जीवन एवं सार्वजनिक शिक्षा कायाकल्प मिशन जैसे चार लक्ष्य निर्धारित किये गए थे।

जीवन मिशन 

एक सकुशल एवं सुरक्षित घर के वादे को, खासकर बेघर-बार लोगों के लिए, लाइफ (आजीविका, समावेशन, वित्तीय, सशक्तिकरण) मिशन के चलते संभव हो सका है। इस योजना के तहत 2.5 लाख से अधिक नए घरों का निर्माण हुआ है। इस मिशन में सिर्फ इस बात की परिकल्पना नहीं की गई थी कि राज्य में रहने वाले सभी बेघरों के सिरों के ऊपर एक अदद छत की व्यवस्था मुहैया की जा सके, बल्कि एक पूर्ण पुनर्वास पैकेज को भी प्रदान किया गया।

1 फरवरी, 2021 तक इस मिशन के तहत कुल-मिलाकर 2,51,684 घरों का निर्माण किया गया था। सरकार ने इस वर्ष के लिए 1.5 लाख अतिरिक्त नए घरों के निर्माण की भी योजना बना रखी है, जिससे कि राज्य अपने जीरो-बेघर केरल के लक्ष्य के करीब पहुँच जाए।

इस योजना के तहत 2.5 लाख घरों के काम को पूरा किये जाने की घोषणा करते हुए विजयन का कहना था “खुद का अपना घर... किसी भी इंसान का एक सपना होता है। यह इस सरकार के सर्वप्रमुख लक्ष्यों में से एक था, और इस सपने को हकीकत में तब्दील करने के लिए लोगों के साथ मजबूती से खड़े रहना।” लाइफ मिशन को एक “अनूठी आवास विकास परियोजना” बताते हुए सीएम ने कहा कि यह सरकार की दृष्टि का ही एक उदाहरण है कि विकास को कैसे किया जाना चाहिए।”

समूचे राज्य भर में लाइफ मिशन को तीन चरणों में लागू किया जा रहा है। पहले चरण में उन घरों को पूरा करने पर ध्यान केंद्रित किया गया था, जिन्हें 2000-01 से लेकर 2015-16 के के बीच विभिन्न योजनाओं के तहत अधूरा छोड़ दिया गया था। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक़ इस वर्ष 1 फरवरी तक इस चरण में शामिल कुल 54,173 घरों में से 52,613 घरों के अधूरे काम को पूरा कर लिया गया था, जिसमें सरकार को 670 करोड़ रूपये से अधिक की रकम खर्च करनी पड़ी थी। दूसरे चरण में उन परिवारों के लिए घरों के निर्माण पर ध्यान केन्द्रित किया गया, जिनके पास अपनी खुद की जमीन थी। जिन 92,213 परिवारों ने सरकारी सहायता के लिए आवेदन किया था उनमें से 87,819 घर पहले ही बन चुके हैं।  

मिशन के तीसरे चरण में उन भूमिहीन परिवारों हेतु घरों के निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिन्हें अपेक्षा थी कि सरकार उनके लिए भूमि तलाशे और अपार्टमेंट का निर्माण करे। इस चरण के लिए कुल 1,35,769 लाभार्थियों की शिनाख्त की गई, और 1 फरवरी तक 3,382 परिवारों को मकान आवंटित किये जा चुके हैं।

इसके साथ ही साथ प्रधान मंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) शहरी योजना के तहत भी 64,250 घरों का निर्माण हुआ है, और पीएमएवाई ग्रामीण योजना के तहत 17,149 घरों का निर्माण हुआ है। इस वर्ष 1 फरवरी को जारी किये गए लाइफ मिशन की रिपोर्ट के मुताबिक, इस योजना के लिए केंद्र के साथ राज्य ने भी अपने हिस्से का योगदान किया है, और अनुसूचित जाति विभाग के तहत 19,987 घर, अनुसूचित जनजाति के तहत 2,095 घरों और मत्स्य विभाग के तहत 4,389 घरों के निर्माण कार्य को भी पूरा कर लिया गया है। 

आर्द्रम मिशन 

फरवरी 2017 में आर्द्रम मिशन को इस उद्देश्य के साथ शुरू किया गया था, ताकि संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) 2030 की पृष्ठभूमि में सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र में पूर्ण-रूपेण कायाकल्प के लक्ष्य को हासिल किया जा सके। इस मिशन का प्राथमिक केंद्र-बिंदु ‘बेहतर स्वास्थ्य और कल्याण’ को लेकर था।

मिशन के उद्द्येशों में जन-हितकारी बहिरंग-रोगी सेवाओं, ई-इंजीनियरिंग प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसीज) को परिवार स्वास्थ्य केन्द्रों (एफएचसीज) में परिवर्तित करना, हाशिये पर पड़ी/वंचित आबादी तक व्यापक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच को विकसित करना और सेवाओं के मानकीकरण को प्राथमिक उपचार संयोजन से तृतीयक संयोजन तक करने के लक्ष्य शामिल थे।

स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक मुख्य ध्यान “मिशन आर्द्रम में पीएचसी के एफएचसी में रूपांतरण के पहलू पर था, जो कि ढांचागत एवं प्रशासनिक बदलावों की एक चरणबद्ध श्रृंखला है। प्राथमिक उपचार को सशक्त बनाने और सेवा प्रावधानों की गुणवत्ता में सुधार करना मुख्य रूप से आधारभूत ढांचे में सुधार करने, मानव संसाधन के प्रशिक्षण, ई-स्वास्थ्य प्रणाली के जरिये रिकॉर्ड के प्रबंधन, बेहतर प्रयोगशाला सुविधाओं एवं स्वास्थ्य सेवा प्रावधानों में उपचारात्मक दृष्टिकोण के बजाय ज्यादा जोर निवारक स्वास्थ्य सेवाओं पर केंद्रित करने पर है। 

केरल में पीएचसी, पंचायती राज अधिनियम 1994 के अनुसार स्थानीय स्वंय-शासित निकायों के अंतर्गत आती हैं। इसमें कहा गया है “परिवार स्वास्थ्य केंद्र के लिए सामुदायिक भागीदारी का होना एक महत्वपूर्ण विशेषता है, विशेष तौर पर अधिकाधिक ग्रामीण एफएचसी के सन्दर्भ में। क्योंकि इसके माध्यम से वे विभिन्न मंचों के जरिये क्षेत्र में रह रहे लोगों के जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए समुदायों को एक साथ लाने की दिशा में काम करते हैं।

सार्वजनिक शिक्षा के जीर्णोद्धार का मिशन 

सार्वजनिक शिक्षा जीर्णोद्धार मिशन का उद्देश्य सभी कक्षाओं को एक अंतर्राष्ट्रीय मानक के तौर पर उन्नत करना और हाई-टेक आईटी लैब्स स्थापित करने का है। केरल इंफ्रास्ट्रक्चर एंड टेक्नोलॉजी फॉर एजुकेशन (केआईटीई) को यह कार्यभार सौंपा गया था, जिसमें केरल इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट फण्ड बोर्ड (केआईआईएफबी) के जरिये वित्तपोषण का कार्य किया गया। इस मिशन का मकसद आम लोगों के बीच में सरकारी एवं सरकारी-सहायता प्राप्त स्कूलों पर खो चुके लोगों के विश्वास को फिर से वापस लाने और केरल के समूचे छात्र बिरादरी को मुफ्त शिक्षा प्रदान करने का है।

मिशन के एक हिस्से के तौर पर कक्षा 8 से लेकर 12 तक के लिए कुल 42,000 कक्षाओं को लैपटॉप, प्रोजेक्टर्स, स्क्रीन और स्कूल स्टूडियोज के साथ नेटवर्किंग से सुसज्जित किया जा चुका है। सभी लोअर प्राइमरी एवं उच्चतर प्राथमिक विद्यालयों में कम से कम एक स्मार्ट क्लासरूम में कंप्यूटर लैब की स्थापना को सुनिश्चित किया गया है।

2016 में एलडीएफ के चुनावी वादों में व्यापक शैक्षणिक सुधारों के तहत एक लक्ष्य यह भी था कि 1,000 सरकारी स्कूलों को अंतर्राष्ट्रीय मानकों तक उन्नत किया जायेगा। इन सुधारों का उद्देश्य बुनियादी सुविधाओं में सुधार पर ध्यान केंद्रित करने का था, लेकिन इसके साथ ही साथ अध्यापन एवं सीखने, सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी)-सक्षम शिक्षण और स्मार्ट कक्षाओं को विकसित करने का भी था। विशिष्ट-क्षमता वाले छात्रों के लिए शैक्षिणक कार्यक्रमों को तैयार करने पर भी विशेष ध्यान दिया गया। 

मिशन के तहत 1,000 से अधिक छात्रों की संख्या वाले प्रत्येक स्कूल को बुनियादी ढाँचे के विकास के लिए तीन करोड़ रूपये मिलेंगे। राज्य-सहायता प्राप्त स्कूलों को सरकार की ओर एक करोड़ रूपये तक की समर्थन राशि हासिल होगी, और उसी समानुपात में प्रबंधन द्वारा धन जुटाना होगा।

मिशन का उद्देश्य मौजूदा क्लासरूम में सीखने की प्रक्रिया को पुनर्परिभाषित करना है, जिसमें एक ‘जनकीय विद्याभ्यास मथरुका’ को विकसित किया गया है, जिसका मोटे तौर पर आशय ‘जन शिक्षा मॉडल’ से है। सरकार ने अपने पूर्व बयान में कहा था कि, विभिन्न कार्यक्रमों के जरिये मिशन ने राज्य भर में माता-पिताओं, राजनीतिज्ञों और आम जनता को सार्वजनिक शैक्षणिक संस्थानों का विकास करने के लिए एक मंच पर लाने का काम किया है। 

सरकारी आंकड़ों के अनुसार राज्य के सभी 16,030 सरकारी स्कूल अब 1,19,055 लैपटॉप, 69,944 मल्टीमीडिया प्रोजेक्टर्स, 23,098 प्रोजेक्टर्स स्क्रीन, 4,545 एलईडी टीवी, 4,578 डीएसएलआर कैमरों, 4,720 फुल एचडी वेबकैम और 4,611 मल्टी-फंक्शन प्रिंटर्स के साथ-साथ 12,678 स्कूलों में हाई-स्पीड, ब्रॉडबैंड इन्टरनेट कनेक्टिविटी से लैस कर दिए गए हैं।

हरित केरल मिशन 

जन-केन्द्रित हरित केरल मिशन के अंतर्गत बहु-केन्द्रीय रणनीति को अपनाया गया था, जिसमें जैविक खेती पर विशेष जोर देते हुए प्रभावी कचरा निस्तारण, मिट्टी एवं जल संरक्षण, और कृषि क्षेत्र में विकास के लिए स्वास्थ्यकर अपशिष्ट प्रबंधन शामिल था। इस मिशन को स्थानीय स्वशासी निकायों के नेतृत्व के तहत जिसमें स्वयंसेवी संगठनों, एनजीओ, सामाजिक कार्यकर्ताओं, पर्यावरणविदों, छात्रों, युवाओं और अन्य विवेकी व्यक्तियों एवं समूह शामिल हैं, के नेतृत्व में लागू करने के लिए निर्धारित किया गया था। 

इस मिशन के तहत प्रदूषित, सूख चुके, अनुपयोगी, और गाद से भरे जलकुम्भियों को बहाल एवं पुनर्जीवित करने का काम किया गया। उनके रख-रखाव, संरक्षण एवं वितरण की जिम्मेदारी पीपल्स फोरम के हाथों सौंपी गई है। स्वास्थ्यकर कचरे के प्रबन्धन, कृषि एवं जल संसाधनों के दायरे में एजेंसियों एवं विभागों की गतिविधियों और प्रदर्शन को भी स्थानीय स्व-शासी संस्थाओं के साथ समन्वित किया गया है, जो काम को बड़े क्षेत्रों तक विस्तारित करते हैं। 

हालाँकि ये मिशन कई बार विवादों के केंद्र में भी रहे। तिरुवनंतपुरम गोल्ड स्मगलिंग मामले में केन्द्रीय जाँच एजेंसियों ने प्रारंभिक जांच के दौरान त्रिशूर के वाडक्कांचरी में लाइफ मिशन की चल रही फ्लैट परियोजना को अपना निशाना बनाया।

इसके बाद से ही विपक्षी दलों में कांग्रेस और भाजपा ने लाइफ मिशन को अपने निशाने पर लिया हुआ था। बाद में यूडीएफ नेतृत्व के संयोजक और कांग्रेस नेता, एम.एम. हासन ने घोषणा की थी कि यदि वे सत्ता में आये, तो उनकी पार्टी लाइफ मिशन को रद्द कर देगी। हालाँकि बाद में आम लोगों के आक्रोश को देखते हुए, यूडीएफ को स्पष्ट करना पड़ा कि यदि वे सत्ता में आये, तो वे भी इस मिशन के साथ आगे बढ़ेंगे।

इन परियोजनाओं से केरल के लोग किस हद तक प्रसन्न हैं? 6 अप्रैल का जनादेश ही इस बारे में बतायेगा।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

Did the LDF Fulfill its 2016 Election Promise of a ‘Nava Kerala’?

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