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नहीं थम रहा बेलसोनिका प्रबंधन और मज़दूरों का विवाद, 10 और मज़दूर निलंबित

"यूनियन और श्रमिकों के बीच वर्तमान यथास्थिति बनाए रखने के लिए श्रम विभाग के निर्देश के बावजूद, यूनियन नेताओं का निलंबन दर्शाता है कि प्रबंधन को संवैधानिक रूप से परिभाषित श्रम क़ानूनों का कोई सम्मान नहीं है।"
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फ़ोटो साभार: फेसबुक

ऑटो मैन्युफैक्चरिंग कंपनी बेलसोनिका के मानेसर स्थित प्लांट में मज़दूर यूनियन-प्रबंधन विवाद ने नया मोड़ ले लिया है, क्योंकि मैनेजमेंट ने यूनियन के तीन सदस्यों को अनिश्चितकाल के लिए सस्पेंड कर दिया है। यूनियन ने कहा कि ये तीन सदस्य स्थायी कार्यबल का हिस्सा थे और आरोप लगाया कि प्रबंधन ने ग़लत तरीके से उन्हें संयंत्र में "बाधा" डालने के रूप में ज़िम्मेदार ठहराया है।

हरियाणा मानेसर स्थित ऑटो मैन्युफैक्चरिंग कंपनी बेलसोनिका के प्लांट में मज़दूर यूनियन-प्रबंधन विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है। प्रबंधन ने 30 मार्च को 10 और मज़दूरों को निलंबित कर दिया जबकि मज़दूर यूनियन पहले ही अपने 3 मज़दूर नेताओं के निलंबन और कुछ कर्मचारियों के ख़िलाफ़ आरोप-पत्र से गुस्से में है। यूनियन का कहना है कि प्रबंधन द्वारा लगातार मज़दूरों पर कार्रवाई के ख़िलाफ़ 30 मार्च को मज़दूरों ने दो घंटे का टूल-डाउन किया जिससे बेलसोनिका प्रबंधन इतना बौखलाया गया कि 10 मज़दूरों को अगामी आदेश तक निलंबित कर दिया है।

आपको बता दें बीते 1 मार्च को यूनियन ने सुबह की शिफ्ट में टूल-डाउन किया था। ऐसा इसलिए किया गया था क्योंकि बेलसोनिका प्रबंधन द्वारा तीन स्थाई मज़दूरों को नौकरी से बर्ख़ास्त कर दिया गया था।

यूनियन ने दावा किया कि, "लगातार उकसावे पूर्ण कार्रवाई के चलते 28 मार्च को दो श्रमिकों को आरोप-पत्र व 29 मार्च को दो यूनियन पदाधिकारियों को आरोप-पत्र जारी किए गए। जबकि इससे पहले 17 मार्च को मज़दूर यूनियन के तीन नेताओ को निलंबित कर दिया गया था। इसके अलावा लगातार कंपनी परिसर के अंदर अराजक तत्व और बाउंसरो को प्रबंधन के द्वारा तैनात कर अशांति का माहौल पैदा किया जा रहा है। यूनियन द्वारा इन अराजक तत्वों की लिखित शिकायत करने व लगातार इसकी जानकारी देने के बावजूद भी इनको कंपनी से अभी तक भी बाहर नहीं किया गया है। इन सबके चलते 30 मार्च को सुबह 07 बजे से काम रोक दिया गया था। हालांकि ये केवल सांकेतिक था और दो घंटे बाद ही काम शुरू कर दिया गया था।”

यूनियन का आरोप है, "गुरुवार सुबह उत्पादन पट्टी (कनवेयर बेल्ट) पर 15 साल पुराने मज़दूरों को ज़बरदस्ती हटाने का विरोध करने पर बाउंसरों द्वारा मारपीट की धमकी दी गई जिसके ख़िलाफ़ मज़दूरों ने 2 घंटे के लिए टूल-डाउन कर दिया था। इसकी प्रतिक्रिया में प्रबंधन ने 10 और मज़दूरों को अगले आदेश आने तक निलंबित (सस्पेंड) करके अपनी मंशा ज़ाहिर कर दी है।"

क्या है पूरा मामला?

बेलसोनिका का मज़दूर और प्रबंधन विवाद नया नहीं है। पिछले कुछ सालों से ये टकराव चल रहा है। बेलसोनिका, ऑटो मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र की बड़ी और प्रथम श्रेणी की कंपनी मारुति सुजुकी के लिए उत्पादन का कार्य करती है। ये एक तरह से मारुति की वेंडर कंपनी है। जैसा कि न्यूज़क्लिक की रिपोर्ट मे पहले बताया गया था कि 2021 की शुरुआत से बेलसोनिका के मानेसर प्लांट में श्रमिकों और प्रबंधन के बीच संघर्ष के कई उदाहरण सामने आए हैं। ऐसा ही एक उदाहरण तब देखने को मिला जब प्रबंधन ने 34 श्रमिकों के ख़िलाफ़ आरोप-पत्र दायर किया, जिन पर फ़र्ज़ी दस्तावेज़ो का उपयोग करने का आरोप लगाया गया।

इसके बाद बड़ा विवाद तब हुआ जब यूनियन ने एक ठेका कर्मचारी को यूनियन की सदस्यता दे दी। यूनियन का कहना है कि प्रबंधन को यह बर्दाश्त नहीं हुआ और उसने इसे पूरी तरह अवैध करार दिया। इसी मामले में प्रबंधन ने हरियाणा श्रम विभाग को एक पत्र भी लिखा, जिसमें यूनियन की स्थिति को अयोग्य घोषित करने का आग्रह किया। मामला अभी प्रक्रिया में है।

न्यूज़क्लिक से बात करते हुए बेलसोनिका कर्मचारी संघ के अध्यक्ष मोहिंदर कपूर, जिन्हें निलंबित कर दिया गया था, उन्होंने कहा कि कंपनी शुरुआत से ही यूनियन नेताओ को हटाना चाहती थी और वो वही कर रही है।

कपूर कहते हैं, "प्रबंधन लगातार उकसावे की कार्रवाईयां कर रहा है। एक तरफ श्रम विभाग, मज़दूर यूनियन और प्रबंधन के बीच समझौते के लिए वार्ता कर रहा है। वहीं दूसरी तरफ इस तरह से निलंबन की कारवाई करना यह दिखाता है कि प्रबंधन समस्या का हल नहीं चाहता है। श्रम विभाग के अधिकारियों ने दोनों पक्षों से 20 मार्च की अंतिम वार्ता मे शांति बनाए रखने को कहा था लेकिन इसके बाद भी प्रबंधन ने 28 और 29 मार्च को मज़दूरों को चार्जशीट किया है। इसके अलावा कंपनी ने परिसर मे अराजक तत्व और पुलिस बल तैनात किया हुआ है। कंपनी ने बाउंसर्स रखे हैं जो मज़दूरों को धमकाने का काम कर रहे हैं।”

कपूर ने आरोप लगाया, "प्रबंधन, मारुति जैसी ही रणनीति का पालन कर रहा है, वह कर्मचारियों को अनावश्यक कार्रवाई करने के लिए उकसा रहा है।”

न्यूज़क्लिक ने बेलसोनिका के उपाध्यक्ष और एचआर मृत्युंजय नाथ साहू से संपर्क कर पूरे मामले पर उनका पक्ष जानने की कोशिश की लेकिन उन्होंने फोन पर कोई बात करने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि उन्हें मीडिया से कोई बात नहीं करनी है। हमने उनसे कहा कि वो बस अपना पक्ष रख दें लेकिन उन्होंने कहा कि वो अभी कुछ नहीं कहना चाहते है। इसपर हमने उनसे ये भी कहा कि अगर आप हमसे बात नहीं करते तो ऐसे में फिर हमें सिर्फ़ मज़दूरों का पक्ष लिखना होगा, इस पर वो कहते हैं - आप लिखिए।

यूनियन के एक अन्य बर्ख़ास्त सदस्य अजीत सिंह ने श्रमिकों की दुर्दशा पर बात करते हुए आरोप लगाया कि बेलसोनिका प्रबंधन "विशेष रूप से स्थायी कार्यबल को पूरी तरह से ख़त्म करने का टारगेट कर रहा था।"

सिंह ने न्यूज़क्लिक को बताया, "यूनियन और श्रमिकों के बीच वर्तमान यथास्थिति बनाए रखने के लिए श्रम विभाग के निर्देश के बावजूद, यूनियन नेताओं का निलंबन दर्शाता है कि प्रबंधन को संवैधानिक रूप से परिभाषित श्रम क़ानूनों का कोई सम्मान नहीं है।"

बेलसोनिका मज़दूरों को मिला दूसरी यूनियन का भी समर्थन

बेलसोनिका के इस लंबे संघर्ष को बाक़ी यूनियन भी अलग-अलग समय पर समर्थन करती रही हैं। इनके आंदोलनों को कई सेंट्रल ट्रेड यूनियन और स्वतंत्र यूनियनों का समर्थन मिलता रहा है। इस बीच हालिया घटनाक्रम पर ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन (AICWU) ने मज़दूरों के समर्थन में बयान जारी कर कहा, "मज़दूरों के हितों को केंद्र में रखते हुए व वर्गीय एकता पर भरोसा करते हुए बेलसोनिका यूनियन को अविलंब आपातकाल बैठक का आयोजन करना चाहिए। बिना इसकी परवाह किए कि कितनी यूनियनें, संगठन और लोग इस साझा संघर्ष के लिए साथ आयेंगे, उन्हें तुरंत इसके लिए आह्वान करना चाहिए। एक बेहतर छोटी शुरूआत भी संघर्ष को आगे बढ़ा सकती है।”

उन्होंने कहा कि इस इलाक़े में ऐसे कई आंदोलनों के उदाहरण हैं जब प्रबंधन से लेकर शासन-प्रशासन को पीछे हटना पड़ा था। चाहे 2005 को हौंडा के ख़िलाफ़ आंदोलन हो या 2009 में रिको के ख़िलाफ़, जब एक लाख से ज़्यादा मज़दूर सड़कों पर आ गए थे। या 2011-2012 मारूति का आंदोलन हो।

आगे वो कहते हैं, "यह संघर्ष महज़ बेलसोनिका का नहीं है। यही सब मुद्दे मदर से लेकर वेंडर कंपनी और बड़ी से लेकर छोटी कंपनियों के हैं। अतः आज इन समस्याओं पर एकजुट होकर ही संघर्ष किया जा सकता है।”

ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन (AICWU) की ओर से निम्न मांगें की गईं :

* यूनियन के निलंबित व बर्ख़ास्त सभी कर्मचारियों को तत्काल पुनः बहाल व काम पर वापस लिया जाए।
* बाउंसरों और असामाजिक तत्वों को फैक्ट्री परिसर से बाहर किया जाए।

* बदले की भावना से यूनियन सदस्यों व पदाधिकारियों को दिए गए सभी आरोप पत्रों को तुरंत रद्द किया जाए।
* बेलसोनिका प्रबंधन की शह पर श्रम विभाग द्वारा यूनियन को जारी किया गया 'कारण-बताओ नोटिस’ तुरंत रद्द किया जाए।
* कंपनी परिसर में स्थायी प्रकृति पर ग़़ैर-क़ानूनी ठेका प्रथा को बंद किया जाए।
* स्थायी काम पर स्थायी रोज़गार, समान काम के लिए समान वेतन लागू किया जाए।
* वीआरएस, फ़र्ज़ी दस्तावेज़, तथाकथित अनुशासनहीनता आदि के नाम पर छंटनी करना बंद किया जाए।
* कंपनी परिसर में सभी श्रम क़ानूनों को सख़्ती से लागू किया जाए।

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