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दोहरी लड़ाई : कोरोना संकट के बीच फ़र्ज़ी ख़बरों का आतंक

1.  लॉकडाउन बढ़ाने और आपातकाल लगाने की झूठी ख़बर

2.  पीएम केयर्स फंड के नाम पर भी ठगी!

3.  इलाज को लेकर भी भ्रामक दावे

4.  धार्मिक वैमनस्य फैलाने वाले पोस्ट भी
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प्रतीकात्मक तस्वीर

पूरी दुनिया कोरोना महामारी से लड़ने में लगी हुई है। लाखों लोग इस बीमारी की चपेट में हैं। हजारों लोगों की मौत हो चुकी है। भारत में भी इसके रोकथाम के लिए लॉकडाउन जारी है और हर दिन संक्रमित लोगों की संख्या में इज़ाफ़ा भी हो रहा है। बावजूद इसके कुछ ऐसे लोग हैं जो सोशल मीडिया का गलत इस्तेमाल फ़र्ज़ी ख़बरों के लिए कर रहे हैं।

व्हाट्सएप, फेसबुक, टि्वटर और अन्य सोशल मीडिया मंचों पर घूम रहीं फ़र्ज़ी ख़बरें समस्या उत्पन्न कर रही हैं। ऐसी ही कुछ ख़बरों में देश में आपातकाल की घोषणा और लॉकडाउन की अवधि बढ़ाने जैसे दावे भी किए जा रहे हैं।

हालांकि, आधिकारिक और तथ्यों की जांच करनेवाली निजी एजेंसियों ने तत्काल ऐसी ख़बरों का खंडन कर इन्हें फ़र्ज़ी और अफवाह करार दिया है। इतना ही नहीं धोखाधड़ी के कार्यों में लिप्त कुछ लोग सरकार के राहत कोष में दान के लिए फ़र्ज़ी बैंक खाता देकर लोगों को चूना लगाने की कोशिशों में भी लगे हैं।

लॉकडाउन बढ़ाने और आपातकाल लगाने की झूठी ख़बर

इन ख़बरों के चलते अनेक लोग एक अप्रैल से पहले ही सोमवार को ‘अप्रैल फूल’ बन गए। सोशल मीडिया पर एक फ़र्ज़ी दस्तावेज को सरकारी दस्तावेज के रूप में पेश कर सरकार द्वारा 21 दिन के लॉकडाउन की अवधि को बढ़ाने की बात कही गई।

भारतीय सेना को भी इस फ़र्ज़ी ख़बर का खंडन करना पड़ा कि अप्रैल में देश में आपातकाल लगाने की घोषणा की जाने वाली है। सेना के अधिकारियों ने कहा कि कोरोना वायरस के मद्देनजर सेवानिवृत कर्मियों, नेशनल कैडेट कोर और राष्ट्रीय सेवा योजना के तहत पंजीकृत स्वंयसेवकों की मदद लेने का कोई प्रयास नहीं किया गया है।

सेना के जन सूचना विभाग के अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजीपीआई) ने ट्वीट किया, 'सोशल मीडिया पर अप्रैल के मध्य में देश में आपातकाल लगाने और नागरिक प्रशासन की मदद के लिए भारतीय सेना के सेवानिवृत्त कर्मियों, एनसीसी और एनएसएस की सहायता लेने के फ़र्ज़ी और दुर्भावनापूर्ण संदेश फैलाए जा रहे हैं।'

एडीजीपीआई ने ट्वीट किया, 'स्पष्ट किया जाता है कि यह पूरी तरह फ़र्ज़ी हैं।' सरकार ने भी इन अफवाहों को खारिज किया कि 21 दिन के लॉकडाउन की अवधि को बढ़ाने की उसकी कोई योजना है। मंत्रिमंडल सचिव राजीव गौबा का स्पष्टीकरण ऐसे समय आया जब पिछले पांच दिनों में हजारों मज़दूर लॉकडाउन के चलते रोजगार छिन जाने के कारण सैकड़ों किलोमीटर दूर अपने घरों के लिए पैदल ही यात्रा करते देखे गए।

सरकार के पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) ने ट्वीट किया, ‘ऐसी अफवाह हैं और मीडिया में ख़बर हैं जिनमें दावा किया जा रहा है कि सरकार 21 दिन के बाद लॉकडाउन की अवधि बढ़ा देगी। मंत्रिमंडल सचिव ने इन ख़बरों को खारिज किया है और इन्हें निराधार बताया है।’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी समाज कल्याण के लिए काम करनेवाले संगठनों के साथ चर्चा में उनसे कोरोना वायरस पर गलत जानकारी और अंधविश्वास का मुकाबला करने को कहा।  

पीएम केयर्स फंड के नाम पर भी ठगी!

पीआईबी के फैक्ट चेक टि्वटर हैंडल पर कहा गया कि लोग पीएम केयर्स फंड के नाम पर सोशल मीडिया पर फैले फ़र्ज़ी बैंक खातों को लेकर सतर्क रहें।

दिल्ली पुलिस की साइबर अपराध इकाई ने रविवार को पीएम केयर्स फंड के नाम पर दानदाताओं को ठगने के लिए बनाई गई फ़र्ज़ी यूनीफाइड पेमेंट्स इंटरफेस आईडी का पता लगाया था।        

इलाज को लेकर भी भ्रामक दावे

इसी तरह कोरोना वायरस के उपचार को लेकर भी सोशल मीडिया पर कई तरह की गलत जानकारियां दी जा रही हैं। पीआईबी फैक्ट चेक ने ट्वीट किया, ‘इस बात का कोई वैज्ञानिक साक्ष्य नहीं है कि गरम पानी की भाप लेने से कोरोना वायरस मर जाता है। श्वसन संबंधी स्वास्थ्य, भौतिक दूरी बनाए रखने और हाथ धोना कोविड-19 के प्रसार को रोकने का प्रभावी तरीका है।’

इसी तरह कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए पहले हुए एक दिन हुए जनता कर्फ्यू को लेकर तमाम सोशल मीडिया पोस्ट में बताया गया था कि इस दिन हवाई मार्ग से दवा का छिड़काव किया जाएगा। साथ ही यह दावा किया गया कि 14 घंटे में वायरस मर जाएगा। जबकि यह दोनों ख़बरें ही झूठी थीं।

प्रधानमंत्री द्वारा संक्रमण रोकने में लगे डॉक्टरों और अन्य कर्मचारियों के आभार व्यक्त करने के लिए ताली बजाने के अनुरोध को भी फ़र्ज़ी ख़बर में बदल दिया गया। इसमें दावा किया गया कि ताली, थाली और शंख से शोर से कोरोना वायरस मर जाएगा। इस फ़र्ज़ी ख़बर की चपेट में सुपर स्टार अमिताभ बच्चन समेत तमाम गणमान्य लोग भी आ गए थे। यह ख़बर भी झूठी ही थी।

इसी तरह कभी कहा जा रहा है कि शराब, गांजे, हल्‍दी से कोरोना को हराया जा सकता है तो कभी मॉक ड्रिल के वीडियो को कोरोना मरीज के नाम पर वायरल किया जा रहा है। इसी तरह यह भी दावा किया गया कि मख्खियों से कोरोना फैल रहा है या फिर अजमेर की बकरा मंडी में कोरोना वायरस के कारण बकरे/बकरियां बीमार हो गए हैं। जबकि ये सारी ख़बरें झूठी हैं।

धार्मिक वैमनस्य फैलाने वाले पोस्ट भी

कोरोना वायरस की भीषण त्रासदी के बीच में लोग धार्मिक वैमनस्य फैलाने वाले पोस्ट से बाज़ नहीं आ रहे हैं। इसमें कुछ नेताओं को भी निशाने पर लिया जा रहा है।

यूपी के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ की एक पुरानी तस्‍वीर के साथ छेड़छाड़ करके उसे सोशल मीडिया में फ़र्ज़ी दावे के साथ वायरल किया जा रहा है। यूजर्स दावा कर रहे हैं कि मुख्‍यमंत्री ने कोरोना वायरस से बचने के लिए गायों को भी मास्‍क बांट दिया। जबकि यह ख़बर झूठी थी। योगी आदित्यनाथ की यह तस्वीर बहुत पुरानी थी।

इसी तरह सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें विदेश मूल के कई नागरिकों को बाहर निकलते हुए देखा जा सकता है। दावा किया जा रहा है कि यह सभी चीनी नागरिक हैं, जिन्हें पटना पुलिस ने एक मस्जिद से पकड़ा है। हालांकि बाद में फैक्ट चेक करने वाली वेबसाइटों ने इसे झूठा दावा बताया।

इसके अलावा अलग अलग समुदाय के नेताओं, अभिनेताओं द्वारा राहत कार्यों को लेकर तमाम फ़र्ज़ी दावे सोशल मीडिया पर तैर रहे हैं। साथ ही यूनीसेफ के नाम का इस्तेमाल करके तमाम फ़र्ज़ी दावे भी किए जा रहे हैं।

फ़र्ज़ी ख़बरों से लड़नी होगी लंबी लड़ाई

फिलहाल कोरोना वायरस से देश और दुनिया के डॉक्टर देर सबेर निपट ही लेंगे। लेकिन फ़र्ज़ी ख़बरों का जो ख़तरा पूरे दुनिया में दिख रहा है उससे मुक्ति पाना इतना आसान नहीं दिख रहा है। हालात इस कदर खराब हैं कि सरकार और सामाजिक संस्थाओं को जब अपनी पूरी ताकत से कोरोना से लड़ना चाहिए था तब उन्हें अपनी एनर्जी बेबुनियाद ख़बरों के खंडन में खर्च करनी पड़ रही है।

अभी पिछले दिनों ही पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाथ जोड़कर कहा था कोरोना को लेकर फेक न्यूज न फैलाएं। ऐसा करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। बावजूद इसके पश्चिम बंगाल में भी फेक न्यूज फैलाने वाले नहीं रुके, मजबूरन पुलिस को कुछ लोगों को गिरफ्तार करना पड़ा। वैसे यह सिर्फ पश्चिम बंगाल की कहानी नहीं है पूरे देश में लोगों को गिरफ्तार किया जा रहा है लेकिन इस खतरे से छुटकारा नहीं मिल पा रहा है।

हालात इस कदर बिगड़ गए हैं कि सोशल मीडिया तो इस तरह की ख़बरों से भरा पड़ा है लेकिन इसमें से कुछ ख़बरें कभी कभार मुख्यधारा के मीडिया तक में पहुंच जाती हैं। जिससे लोगों को यकीन पुख्ता होने लगता है। इसे लॉकडाउन बढ़ाने की फ़र्ज़ी ख़बर से समझा जा सकता है। सोशल मीडिया की यह अफवाह कुछ मुख्यधारा के संस्थानों में जब सुर्खी बनने लगी तब सरकार को सामने आकर सफाई देनी पड़ी।

फिलहाल इस समय जो हालात हैं उसमें एक दूसरे की मदद जरूरी है। और जो लोग बीमारी के नाम पर अफवाह फैलाकर लोगों को आतंकित करने और भय पैदा करने का काम कर रहे हैं। उन पर कड़ी कार्रवाई की ज़रूरत है।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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