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अफगानिस्तान में दोषों को उजागर करता चुनावी परिणाम

50.06% वोट हासिल करने वाले अशरफ गनी को फिर से राष्ट्रपति के रूप में नियुक्त किया गया है। इनके मुख्य प्रतिद्वंद्वी अब्दुल्लाह अब्दुल्लाह ने इस परिणाम पर संदेह जाहिर किया है और दावा किया है कि वह एक समानांतर सरकार बनाएंगे।
Election results expose fault lines in Afghanistan

राष्ट्रपति चुनाव की घोषणा के बाद अफगानिस्तान में फिर बड़ा राजनीतिक उठा पटक तेज हो गया है। पिछले साल सितंबर में हुए चुनाव में चुनाव आयोग ने 18 फरवरी को सत्तासीन राष्ट्रपति को विजेता घोषित किया और अशरफ गनी को 50.64% वोटों के साथ फिर से राष्ट्रपति चुना गया है।

हालांकि, उनके मुख्य प्रतिद्वंद्वी अब्दुल्लाह अब्दुल्लाह जिन्होंने 39.5% मत हासिल किया है, उन्होंने इस परिणाम पर संदेह जाहिर करते हुए देश में समानांतर सरकार बनाने का शपथ लिया है। मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में अफगानिस्तान सरकार की सेवा करने वाले अब्दुल्लाह ने कहा, “पारदर्शी और बायोमेट्रिक वोटों के आधार पर हम चुनाव के विजेता हैं। विवादित वोटों पर निर्णय अवैध था और तख्तापलट जैसा था। यह राष्ट्रीय राजद्रोह जैसा है और हमारे प्रतिद्वंद्वी दल के पक्ष में है। हम इस कपटपूर्ण परिणामों को स्वीकार नहीं करते हैं। हम अपनी जीत की घोषणा कर रहे हैं। अब हम एक समावेशी सरकार बनाएंगे ...।"

शुरू में इन परिणामों को अक्टूबर 2019 में घोषित किया जाना था लेकिन धोखाधड़ी और वोटों के धांधली के आरोपों के कारण चुनाव आयोग ने कम से कम पांच महीनों के लिए वोटों की गिनती की अवधि में देर कर दी। इसके अलावा, चुनाव आयोग ने तकनीकी मुद्दों और उम्मीदवारों के विरोध को मतगणना प्रक्रिया में रुकावट की वजह बताया था।

चुनाव आयोग के प्रमुख हवा आलम नुरिस्तानी ने काबुल में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान परिणामों की घोषणा करते हुए कहा कि एक विशेष ऑडिट में आयोग ने पाया कि लगभग "137000 वोट संदिग्ध" थे और कम से कम "12012 वोट" मतदान के समय की अवधि पूरी होने के बाद डाले गए थे जिसे वैध पाया गया"।

तालिबान विद्रोही समूह ने "अफगान सरकार को अमेरिका की कठपुतली" बताते हुए इन चुनावों को "धोखा" बताया था।

विरोध का सामना करने के बावजूद अशरफ गनी ने इस आरोप को खारिज कर दिया है और काबुल में अपने समर्थकों के सामने हाजिर हुए जिसमें उन्होंने तालिबान के साथ शांति वार्ता जारी रखने और देश में शांति लाने में उनकी सरकार की भूमिका पर जोर दिया है।

अफगानिस्तान में कुल 37 मिलियन आबादी है और उनमें से 9.6 मिलियन पंजीकृत मतदाता थे, चुनाव के आखिरी दौर में राष्ट्रपति चुनावों में 1.8 मिलियन लोगों ने हिस्सा लिया जो काफी कम है। चुनाव आयोग ने अनियमितताओं के कारण लगभग एक मिलियन वोटों को हटा दिया है। इस चुनाव प्रक्रिया के दौरान विद्रोही हमले और हिंसा की आशंका ने बड़ी संख्या में लोगों को मतदान करने से दूर रहने क मजबूर किया है।

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