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त्रिपुरा में चुनावी सरगर्मी तेज़ : भाजपा को हटाने के लिए माकपा-कांग्रेस हाथ मिलाने को तैयार

माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि "सीट बंटवारे" के फॉर्मूले पर जल्द ही काम किया जाएगा। साथ ही उन्होंने आगे कहा कि माकपा की त्रिपुरा राज्य कमेटी टिपरा मोथा के साथ चुनाव से पहले गठबंधन के भी पक्ष में है।
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नई दिल्ली: पूर्वोत्तर के छोटे से राज्य त्रिपुरा में इस साल फरवरी में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सियासत गरमा गई है। जहां सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) जिसने अपने शासन के पांच वर्षों के दौरान दो मुख्यमंत्रियों को देखा है वो अपनी सत्ता बनाए रखने के लिए अपने सभी शीर्ष नेताओं और संसाधनों को आगे बढ़ा रही है। वहीं विपक्ष भी आक्रामक मोड में दिख रहा है और बीजेपी को सत्ता से दूर रखने के लिए गठबंधन भी कर रहा है।

भाजपा, अलगाववादी इंडिजिनस पीपल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) के साथ गठबंधन करके 25 साल से शासन कर रही वाम सरकार को हराकर राज्य में पहली बार सत्ता में आई थी।

हालांकि, इस बार विपक्ष बीजेपी को सत्ता से बेदखल करने के लिए एकजुट होकर काम करता दिख रहा है। बुधवार को, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के महासचिव सीताराम येचुरी ने कांग्रेस के साथ एक "सेक्युलर" चुनावी गठबंधन की पुष्टि की और उन्होंने कांग्रेस के पूर्व नेता और त्रिपुरा के शाही वंशज प्रद्योत किशोर माणिक्य देबबर्मन द्वारा 2019 में गठित लोकप्रिय टिपरा मोथा  के साथ प्री-पोल गठबंधन करने की अपनी पार्टी की इच्छा ज़ाहिर की।

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, येचुरी ने कहा कि इस हफ्ते के अंत में कांग्रेस के साथ औपचारिक गठबंधन की घोषणा की जाएगी। येचुरी, अगरतला में पत्रकारों से बात कर रहे थे। त्रिपुरा चुनाव के लिए कांग्रेस पर्यवेक्षक मुकुल वासनिक भी अगरतला में ही थे।

येचुरी ने कथित तौर पर कहा कि "सीट बंटवारे" के फॉर्मूले पर जल्द ही काम किया जाएगा, इसके साथ ही आगे उन्होंने कहा कि सीपीआई(एम) की त्रिपुरा राज्य कमेटी टिपरा मोथा के साथ प्री-पोल गठबंधन के भी पक्ष में है।

उन्होंने कहा, "हम आने वाले चुनावों को न केवल त्रिपुरा के लिए, बल्कि लोकतंत्र, कानून के शासन और संविधान के लिए भी महत्वपूर्ण मानते हैं", आगे उन्होंने कहा कि ये पूर्वोत्तर, भारत और देश के विकास के संदर्भ में महत्वपूर्ण मुद्दे हैं।

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह पूछे जाने पर कि क्या वामपंथी पार्टी त्रिपुरा मोथा द्वारा ग्रेटर टिप्रालैंड की मांग का समर्थन करती है, पार्टी के त्रिपुरा राज्य सचिव, जितेंद्र चौधरी जो आदिवासी समुदाय के एक नेता भी हैं उन्होंने कहा कि टिपरा मोथा की मांग संविधान के "ढांचे के भीतर" हैं।

उन्होंने कहा, "हमने उनके साथ बातचीत की है... हम त्रिपुरा के लोगों को आतंक के शासन से मुक्त कराने के लिए सम्मानजनक समझ की तलाश कर रहे हैं।"

लेकिन दिलचस्प बात यह है कि रविवार को टिपरा मोथा के नेता देबबर्मन ने बीजेपी की सहयोगी आईपीएफटी(IPFT) को उसके साथ एकजुट होने और एक ही चुनाव निशान पर चुनाव लड़ने के लिए संकेत दिए थे।

आईपीएफटी(IPFT) के शीर्ष अधिकारियों को फेसबुक पर एक वीडियो संदेश में, शाही वंशज ने कहा, “हमारी, आदिवासी समुदाय के सशक्तिकरण और स्वायत्तता के लिए समान राजनीतिक मांगें हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि एकीकरण के बाद नई राजनीतिक इकाई का नाम क्या होगा।” आगे उन्होंने कहा कि वे त्रिपुरा के स्वदेशी समुदाय के बड़े हितों के लिए "अपनी पार्टी का नाम छोड़ने के लिए भी तैयार" हैं।

आईपीएफटी(IPFT) को लेकर देबबर्मन के विचार ऐसे समय में आए हैं जब भाजपा के 'आदिवासी सहयोगी' के तीन विधायकों ने विधानसभा चुनाव से पहले सत्तारूढ़ गठबंधन सरकार छोड़ दी है। वास्तव में, कुल सात विधायक (जिनमें भाजपा विधायक भी शामिल हैं), अब तक सत्तारूढ़ सरकार छोड़ चुके हैं।

जबकि बीजेपी ने कहा कि वह आईपीएफटी(IPFT), टिपरा मोथा जो 2021 से त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद में सत्ता में है, के साथ अपने गठबंधन की पुष्टि करेगी। यह पेशकश ऐसे समय में की गई है जब आईपीएफटी(IPFT), हाल ही में अपने नेता एनसी देबबर्मा की मृत्यु के बाद से नेतृत्व संकट से गुज़र रहा है। आपको बता दें एनसी देबबर्मा, टिपरा मोथा के साथ गठबंधन के इच्छुक थे।

आईपीएफटी के प्रवक्ता अमित देबबर्मा ने प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया देते हुए इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “हमारी पार्टी के वरिष्ठ नेता इस प्रस्ताव पर विचार करेंगे। हम जल्द ही अपने फैसले के बारे में सभी को बता देंगे।"

त्रिपुरा में कुल 60 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें से 20 सीटें आदिवासी बहुल इलाकों में हैं। चुनावी कड़ाही में उबाल आने के साथ, बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि ये महत्वपूर्ण सीटें किस ओर जाती हैं। जैसा कि विपक्ष (लेफ्ट और कांग्रेस) एक साथ हो जाते हैं तो राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि सभी की निगाहें टिपरा मोथा पर होंगी, जो पिछले कुछ सालों में काफी मजबूत हुई हैं।

मूल रूप से अंग्रेज़ी में प्रकाशित लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें :

Tripura: Poll Pot Heats up; CPI-M, Cong Set to Join Hands to Oust BJP; Tipra Motha Feelers to IPFT

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