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शर्मनाक : नकली तस्वीरों के खेल से सरकार की नाकामी छिपाने की कोशिश!

मोदी सरकार की जन विरोधी नीतियों और कोरोना संकट से निपट पाने में उसकी नाकामी के विरोध में हुए प्रदर्शन की तस्वीरों को फोटोशॉप कर भारतीय सेना विरोधी नारे दिखाए जा रहे हैं।
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फ़ेक न्यूज़ यानी झूठी ख़बरें भाजपा शासन में आम बात हो गयी हैंI अमूमन यह झूठ सत्ताधारियों के साथ खड़े लोगों की और से ही फैलाया जाता दिखता हैI इसी कड़ी में नई झूठी ख़बर 16 जून को मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर मोदी सरकार की जनता विरोधी नीतियों और कोरोना संकट से निपट पाने में उसकी नाकामी के विरोध में हुए एक प्रदर्शन से जुड़ी हैI इस विरोध प्रदर्शन के दौरान दिल्ली में पार्टी मुख्यालय पर पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सीताराम येचुरी और अन्य पोलितब्यूरो सदस्यों की तस्वीरों को फोटोशॉप कर उनके हाथों में भारतीय सेना विरोधी नारे दिखाए जा रहे हैंI

इन तस्वीरों का झूठ खुद पार्टी के फेसबुक पेज और ट्विटर हैंडल पर उजागर किया गयाI

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इसके बावजूद ये नकली तस्वीरें व्हाट्सऐप और अन्य सोशल मीडिया माध्यमों से लगातार फैलाई जा रही हैंI यहाँ तक की बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के डीन प्रोफेसर कौशल मिश्रा ने भी अपने फेसबुक अकाउंट पर इन तस्वीरों को साझा कर जनता के बीच माकपा नेताओं की छवि खराब करने और उनके ख़िलाफ़ लोगों को भड़काने का काम कियाI उन्होंने फिलहाल अपना वह पोस्ट फेसबुक से हटा दिया हैI  

दिल्ली विश्वविद्यालय के दयाल सिंह कॉलेज में प्राध्यापक राजीव कुँवर ने बीएचयू के प्रोफेसर के पोस्ट और अपने कॉलेज के शिक्षकों के व्हाट्सऐप ग्रुप में साझा किए गए इसी तरह के एक संदेश को फेसबुक पर साझा कर झूठ फ़ैलाने की इस कोशिश का पर्दाफाश किया

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न्यूज़क्लिक से इस विषय पर बात करते हुए राजीव कुँवर ने कहा की, “यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण हैI जब देश एक और कोरोना संकट से जूझ रहा है और दूसरी और हमारे सैनिकों की दर्दनाक मौत हुई हैI ऐसे में भाजपा सरकार को देश में एकजुटता कायम करनी चाहिएI एक तरफ तो सरकार सर्व-दलीय बैठक की बात कर रही है और दूसरी और भाजपा अपने आईटी सेल इस तरह का प्रचार करवा रही है, यह तो सरासर देश को तोड़ने का काम हैI और इस सब में विश्वविद्यालयों के प्रोफेसरों का भी शामिल होना निहायती शर्मनाक बात हैI इसकी भरसक निंदा की जानी चाहिए और इन पर तुरंत कार्रवाई होनी चाहिएI”

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माकपा ने मोदी सरकार की घोर जन-विरोधी नीतियों के खिलाफ 16 जून 2020 को एक देशव्यापी विरोध प्रदर्शन कियाजिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने भागीदारी कीI इस विरोध के द्वारा कोविड-19 के फैलाव को रोकने के लिए लागू किए गए बेतरतीब लॉकडाउन और उससे भी बेतरतीब तरह से इसे हटाकर मोदी सरकार देश की जनता की ज़िंदगी से किस तरह खेल रही है, उसे सबके सामने रखा गयाI लॉकडाउन की वजह से इन तीन महीनों में करोड़ों लोगों की नौकरियाँ गयीं हैं और प्रवासी मज़दूरों को किस तरह हज़ारों किलोमीटर का सफ़र तय कर अपने घरों तक पहुँचना पड़ा वो तो सारी दुनिया ने देखाI लॉकडाउन से पहले ही भारतीय अर्थव्यवस्था बुरे हाल में थी और इसके बाद तो यह और जर्जर हो गयी हैI साथ ही देश में कोविड-19 के मामले लगातार तेज़ी से बढ़ रहे हैंI इन सबसे ज़ाहिर होता है कि सरकार हर फ्रंट पर नाकाम रही हैI ऐसे में मज़दूरों के बारे में सोचने की बजाय मोदी सरकार और भाजपा की राज्य सरकारें श्रम क़ानूनों में मज़दूर-विरोधी बदलाव कर रही हैंI प्रधानमंत्री ने बड़े ज़ोर-शोर से आत्मनिर्भर भारत बनाने की बात की लेकिन इसके साथ ही सार्वजनिक क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोला जा रहा हैI इसका उदाहरण है कि देश में कोयला की खुदाई को निजी क्षेत्र के लिए खोल दिया गयाI

माकपा का विरोध इन तमाम क़दमों के खिलाफ थाI पार्टी ने चार प्रमुख माँगे रखीं – (1) कर सीमा से बाहर जो लोग हैं उन्हें अगले 6 महीने तक 7,500 रूपये प्रति माह दिया जाए (2) अगले 6 महीने तक सभी को 10 किलोग्राम अनाज मुफ्त बाँटा जाए (3) मनरेगा के तहत कम-से-कम 200 दिन का रोज़गार सुनिश्चित किया जाये (4) राष्ट्रीय धरोहरों को निजी क्षेत्र के लिए खोलकर उनकी लूट बंद की जायेI

राजीव कुँवर सहित अन्य लोगों का भी कहना है कि संकट के समय जो भी जनता की बात कर रहा है, उसे दबाने के लिए आईटी सेल द्वारा इसी तरह बदनाम करने की साज़िश रच रही है।

 इसे पढ़ें :  ग़रीब जनता के लिए राशनकाम और नक़दी की मांग को लेकर सीपीएम का देशव्यापी प्रदर्शन 

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