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विवेचन: चीन की पार्टी कांग्रेस का संदेश

निस्संदेह, बीजिंग नए जोश के साथ अमेरिका को पीछे धकेलने की तैयारी कर रहा है। यदि अमेरिका चीन के मूल हितों को रौंदता है तो चीन का नया नेतृत्व टकराव से पीछे नहीं हटेगा।
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शी जिनपिंग (बाएं) पोलित ब्यूरो की स्थायी समिति के नए सदस्यों ली कियांग, झाओ लेजी, वांग हुनिंग, काई क्यूई, डिंग जुएक्सियांग और ली शी के साथ ग्रेट हॉल ऑफ पीपल, बीजिंग में 23 अक्टूबर, 2022 को मीडिया से मुखातिब होते हुए।

चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) की हाल में हुई 20वीं राष्ट्रीय कांग्रेस का मुख्य आकर्षण शी जिनपिंग का फिर से पांच साल के लिए महासचिव के रूप में चुना जाना रहा है। माओत्से तुंग के बाद के युग में, देंग शियाओपिंग द्वारा स्थापित परंपरा को यहां छोड़ दिया गया है। यह अप्रत्याशित नहीं है, और इसकी व्याख्या मौजूदा नेता द्वारा बड़े पैमाने पर राजनीतिक शक्ति हासिल करने के रूप में की गई है। यह आंशिक रूप से ऐसा लगता है, लेकिन पूरी तरह से सही नहीं है। इसके परिणाम व्यापक हैं।

मूल रूप से देखा जाए तो, चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) ने चीन के बाहरी वातावरण में मौजूद अभूतपूर्व चुनौतियों का सामना करने के लिए अपने रुख को मजबूत किया है। सीपीसी की केंद्रीय समिति की पोलित ब्यूरो स्थायी समिति (पीएससी) की संरचना इस बात को बेहतर ढंग से रेखांकित करती है। पीएससी में वे लोग शामिल हैं जिन्हें शी वर्षों से जानते हैं और उनके साथ काम करते रहे हैं और वे उन्हें विश्वसनीय और भरोसेमंद मानते हैं। शी और उनके बीच कोई अस्पष्टता संभव नहीं है। ली कियांग, जिन्हें पोलित ब्यूरो की स्थायी समिति में दूसरे स्थान पर रखा गया है और उनके चीन के अगले प्रधानमंत्री भी चुने जाने की उम्मीद है, उन्ही कियांग ने 2004 तक सीधे शी के अधीन काम किया है।

इसके अलावा, इस बात की पूरी संभावना है कि शी 2027 में समाप्त होने वाले मौजूदा कार्यकाल के बाद भी सत्ता में बने रह सकते हैं। चीन के विरोधी- मुख्य रूप से, संयुक्त राज्य अमेरिका- इस बात को लेकर खुद को ढांढस दे सकते हैं कि गुटबाजी और प्रतिद्वंद्विता का फायदा उठाना उनके लिए एक ख्वाब ही रहेगा।

वर्तमान संदर्भ में पार्टी एकता के जरिए की गई लामबंदी के महत्व को कम करके नहीं आंका जा सकता है। सिन्हुआ समाचार एजेंसी के अनुसार, शी ने नई सीपीसी केंद्रीय समिति के लिए उम्मीदवारों के चयन में प्रत्यक्ष भूमिका निभाई है, जो समिति किसी भी कम्युनिस्ट पार्टी का महत्वपूर्ण अंग होती है, जो दो कांग्रेस के बीच के समय अंतिम निर्णय लेने वाला सबसे बड़ा निकाय होता है, तब, जब जनवादी केंद्रीयता की प्रक्रिया किसी सहमत स्थिति पर पहुँच जाती है।

निस्संदेह, बीजिंग नए जोश के साथ अमेरिका को पीछे धकेलने की तैयारी कर रहा है। यदि अमेरिका चीन के मूल हितों को रौंदता है तो चीन का नया नेतृत्व टकराव से पीछे नहीं हटेगा। शत्रुता का यह चक्र तब बढ़ जाएगा जब चीन को पता चलेगा कि अमेरिका संघर्ष की तैयारी कर रहा है। एक संपादकीय टिप्पणी में, सीसीपी दैनिक ग्लोबल टाइम्स ने उल्लेख किया है कि "ऐसी 'शत्रुता' का स्रोत अमेरिका से आता है, और उस पर कोई भी चीन की प्रतिक्रिया या प्रतिवाद, स्वभाव में एक जायज़ बचाव होगा। बीजिंग के खिलाफ वाशिंगटन की विभिन्न कार्रवाइयां जानबूझकर राजमार्ग पर दूसरे की कार के सामने अपनी कार को गलत ढंग से काटने की तरह हैं।"

पार्टी कांग्रेस की रिपोर्ट ने इस बात को रेखांकित किया कि चीन "सभी रूपों के आधिपत्यवाद और सत्ता की राजनीति" के साथ-साथ "एकतरफावाद, संरक्षणवाद और किसी भी तरह की बदमाशी" का अटूट विरोध करता है। देश "शीत युद्ध की मानसिकता, अन्य देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप और दोहरे मानकों" का भी विरोध करता है। हालांकि इस संदर्भ में किसी देश का विशेष रूप से उल्लेख नहीं किया गया था, फिर भी यह संदर्भ निश्चित रूप से अमेरिका के बारे में है। औपचारिक खाली शब्दों से अब चीन शांत नहीं होगा।

स्पष्ट रूप से, व्हाइट हाउस द्वारा जारी नवीनतम राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति, जिसमें केवल चीन को वाशिंगटन का एकमात्र वैश्विक प्रतिद्वंद्वी करार दिया गया है, वह शत्रुता को ही बढ़ावा देगा, और जो अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को नए सिरे से आकार देने का इरादा रखता है और इस उद्देश्य को पाने के लिए वह अपनी आर्थिक, राजनयिक, सैन्य और तकनीकी शक्ति को बढ़ाना चाहता है।

शी ने इसका तब जवाब दिया, जब उन्होंने 26 अक्टूबर को संयुक्त राज्य अमरीका और चीन के संबंधों पर राष्ट्रीय समिति के वार्षिक पर्व रात्रिभोज के लिए बधाई संदेश भेजा था। शी ने कहा था कि, "दुनिया आज न तो शांत है और न ही स्थिर है। चीन और अमेरिका दो प्रमुख देश हैं। दोनों देशों के बीच घनिष्ठ संबंध/संचार और सहयोग से दुनिया में अधिक स्थिरता और निश्चितता आएगी और विश्व शांति और विकास को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। चीन आपसी सम्मान, शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और परस्पर जीत-जीत के सहयोग के आधार पर नए युग में एक-दूसरे का साथ पाने का सही रास्ता खोजने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ काम करने के लिए तैयार है, जिससे न केवल दोनों देशों को बल्कि पूरी दुनिया को भी फायदा होगा।'

वास्तव में, चीन के प्रति अमेरिकी नीति का रास्ता वर्तमान में चीन को नई पीढ़ी के सेमीकंडक्टर तक पहुंच हासिल करना और अमेरिकी रक्षा प्रौद्योगिकियों के साथ तालमेल बिठाने के प्रयास से रोकने पर आधारित है। लेकिन यह सोचना न केवल व्यर्थ है, बल्कि बेवकूफी भी लगती है, कि आप किसी भी तकनीक को किसी भी देश के संरक्षण में, कितने समय तक रोक कर रख सकते हैं? या कि किसी देश का नेतृत्व निर्यात पर प्रतिबंध लागाकर कब तक इसे सुरक्षित रख सकता है। और यह बात तो तय है कि, चीनी हमेशा अपना रास्ता खोज लेते हैं।

जलवायु परिवर्तन के साथ भी कुछ ऐसा ही है। राष्ट्रपति बाइडेन के जलवायु दूत जॉन केरी ने हाल ही में इस तथ्य को स्वीकार किया था कि चीन के सक्रिय सहयोग के बिना कोई प्रभावी वैश्विक जलवायु परिवर्तन एजेंडा नहीं हो सकता है। लेकिन फिर उन्होंने जलवायु परिवर्तन के एजेंडे को भू-राजनीतिक चिंताओं से अलग रखने के बारी में विचित्र विचार पेश किया, जैसा कि उन्होंने कहा था। यह काम नहीं करेगा।

ग्लोबल टाइम्स ने लिखा कि, "केरी जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में चीन-अमेरिका सहयोग को फिर से शुरू करने की अपनी इच्छा में ईमानदार हो सकते हैं, लेकिन उन्हें शायद पहले अमेरिकी सरकार को बाधाओं को दूर करने के लिए राजी करना चाहिए, उदाहरण के लिए, झिंजियांग के फोटोवोल्टिक उद्योग पर प्रतिबंध हटाना और क्षेत्र में चीन पर अनुचित कार्रवाई रोकना सही कदम होगा।"

मुद्दा यह है कि शी ने कभी भी नए शीत युद्ध को शुरू करने की कोशिश नहीं की। न ही उन्होंने मौजूदा टकराव को भड़काया है। चीन वैश्विक नेतृत्व की तलाश नहीं कर रहा है, बल्कि अपने विकास और बाहरी हस्तक्षेप के बिना एक समृद्ध समाज बनने की राष्ट्रीय आकांक्षाओं पर केंद्रित है। यह अमेरिका है जो वैश्विक आधिपत्य का प्रयोग करना चाहता है जबकि चीन के पास अपनी इच्छा थोपने का कोई अनुभव या इच्छा नहीं है।

गेंद वाशिंगटन के पाले में है लेकिन निकट भविष्य में किसी महत्वपूर्ण बदलाव की उम्मीद नहीं है। पार्टी कांग्रेस ने एक स्पष्ट संकेत दिया है कि चीन ताइवान के एकीकरण पर समझौता नहीं करेगा। शी ने शांतिपूर्ण पुनर्मिलन की बात की, लेकिन जरूरत पड़ने पर बल प्रयोग से इंकार नहीं किया है।

शी ने कहा, "हम सबसे बड़ी ईमानदारी और अत्यधिक प्रयास के साथ शांतिपूर्ण पुनर्मिलन के लिए प्रयास करना जारी रखेंगे, लेकिन ऐसा भी नहीं कि वक़्त आने पर हम बल का नहीं करेंगे, और हम सभी आवश्यक उपाय करने का विकल्प सुरक्षित रखते हैं। चीन का यह नज़रिया, पूरी तरह से बाहरी ताकतों और 'ताइवान स्वतंत्रता' की मांग करने वाले कुछ अलगाववादियों और उनकी अलगाववादी गतिविधियों के हस्तक्षेप पर केन्द्रित है।"

सीसीपी संविधान में ताइवान की स्वतंत्रता की घोषणा करने वालों को शामिल करते हुए चीनी पुनर्मिलन की मांग करने की प्रतिबद्धता को सबसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए। बीजिंग पर दबाव बढ़ रहा है। पहले की धारणा यह थी कि समय बीतने के साथ, शांतिपूर्ण पुनर्मिलन के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ केवल मजबूत होंगी क्योंकि चीन आगे बढ़ रहा है। यह अनुमान अब अच्छा नहीं है, बाइडेन प्रशासन की रणनीति इस स्थिति के लिए जिम्मेदार है। इस मामले की जड़ यह है कि निर्णायक कार्रवाई करने के मामले में बीजिंग की किसे भी किस्म की हिचकिचाहट, ताइवान की स्वतंत्रता का समर्थन करने वाली ताकतों को ही मजबूती देगी। बीजिंग के लिए समय निकल रहा है।

इसलिए, 2024 में ताइवान का चुनाव एक मुख्य समय होगा। बीजिंग, ताइपेई में सत्तारूढ़ डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी के एक और कार्यकाल को बर्दाश्त नहीं कर सकता है। दूसरी ओर, अमेरिका के लिए भी समय समाप्त होता जा रहा है क्योंकि समय बीतने के साथ चीन आर्थिक, सैन्य और वैचारिक रूप से बड़ी चुनौतियों का सामना कर पाएगा।

यदि चीन के लिए, एक समृद्ध समाज बनाने में एक शांतिपूर्ण बाहरी वातावरण अनिवार्य है, तो अमेरिका सामने अपनी गति को धीमा करने का यह अंतिम अवसर है। चीन को कमजोर करने और उसकी प्रगति को धीमा करने के विलक्षण उद्देश्य के साथ, ताइवान द्वारा चिप की आपूर्ति आदि को काटना एक ही टूलबॉक्स का काम है। पार्टी कांग्रेस ने संदेश दिया है कि सीसीपी परस्पर क्रिया के प्रति सचेत है। नेतृत्व के सुदृढ़ीकरण को तरक्की के रूप में देखने के बजाय इसे ठीक से समझने की जरूरत है।

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

The Message from China’s Party Congress

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