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फेक्ट चेक : शाहीन बाग़ की एक हज़ार से ज़्यादा गर्भवती औरतों वाली ख़बर का सच

ये पहली बार नहीं जब शाहीन बाग़ की महिलाओं को लेकर झूठी ख़बर प्रकाशित की गई है। बल्कि ऐसा पहले भी काफी किया गया है। फ़ेक फ़ोटो और झूठे दावों के साथ इन महिलाओं के चरित्र-हनन की कई बार कोशिश की गई है।
फेक्ट चेक

शाहीन बाग़ के आंदोलन को स्थगित हुए तीन महीने से भी ज़्यादा बीत गये हैं। देश में इस दौरान कोरोना महामारी और चीन सीमा विवाद जैसी बड़ी घटनाएं भी चल रही हैं। लेकिन शाहीन बाग़ के नाम पर ख़बरें रूकने का नाम नहीं ले रही। अभी कुछ न्यूज़ पोर्टल पर आर्टिकल तैर रहे हैं कि शाहीन बाग़ में 1300 से ज्यादा महिलाएं गर्भवती हो गई हैं। आइये इन ख़बरों की ज़रा विस्तार से पड़ताल करते हैं।

2 जुलाई 2020 को संपूर्ण खबर नाम के न्यूज़ पोर्टल (ब्लॉग) ने लिखा है "शाहीन बाग में धरना प्रदशर्न के दौरान 1300 महलिएं हुई गर्भवती? सोशल मीडिया पर ट्विटर यूज़र ने किया दावा।" इस खबर को आप इस लिंक पर पढ़ सकते हैं(आर्काइवल लिंक)। संपूर्ण खबर अपने About us सेक्शन में खुद के बारे में लिखता है कि हम झूठी अफवाह और गलत ख़बरों को नहीं लिखते।

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08 जुलाई 2020 को हमलोग वेब पोर्टल की हेडलाइन है “शाहीन बाग में CAA के विरुद्ध धरना प्रदर्शन के दौरान 1000 से भी ज्यादा महिलाएं हो गई गर्भवती.?” पूरी ख़बर आप इस लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं। (आर्काइवल लिंक)। इसे अब तक दस हज़ार से ज्यादा लोग देख चुके हैं।

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08 जुलाई 2020 को ही इंडिया वायरल पर ये ख़बर पब्लिश हुई। हेडलाइन है “शाहीन बाग के दौरान 1000 से भी ज्यादा महिला हो गई गर्भवती.?” पूरी ख़बर आप इस लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं (आर्काइवल लिंक)। इसे अब तक 33 हज़ार से ज्यादा लोगों ने देखा है और 16 हज़ार से ज्यादा लोग सांझा कर चुके हैं। 

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09 जुलाई 2020 को Doon Horizon न्यूज़ वेबसाइट पर यही ख़बर पब्लिश हुई। हेडलाइन है “शाहीन बाग वायरल न्यूज़ः धरना प्रदर्शन के दौरान 1300 महिलाएं हुई थी गर्भवती?” पूरी ख़बर आप इस लिंक पर पढ़ सकते हैं (आर्काइव लिंक)।

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क्या है सच्चाई?

आइये इन ख़बरों की पड़ताल करते हैं। अगर आप इन ख़बरों को पढ़ेंगे तो पाएंगे कि हर वेबसाइट पर लगभग शब्दशः लिखा गया है। यानी ऐसा लगेगा जैसे कॉपी-पेस्ट है। बस थोड़ा फॉन्ट का फर्क है और किसी ने अलग-अलग फोटो लगाए हैं। अन्यथा हर जगह पूरी ख़बर शब्दशः लगभग एक जैसी है।

खुद को सच्ची ख़बरों, झूठ और अफवाहों से दूर, खोजी पत्रकारिता का दावा करने वाले इन पोर्टल के न्यूज़ सोर्स पर भी गौर करने की ज़रूरत है। सभी वेबसाइट ने दो ट्विटर यूजर्स को सोर्स के तौर पर रेखांकित किया हैं। चंद्र प्रकाश सिंह और सौरभ शर्मा नाम के ट्विटर अकाउंट से 22 फरवरी 2020 को एक ट्विट किया गया था। दोनों ट्वीट शब्दशः और हूबहू हैं। इसी ट्वीट को आधार बनाकर ये ख़बरें छापी गई। चंद्र प्रकाश सिंह का ट्वीट आप इस लिंक पर और सौरभ शर्मा का ट्वीट इस लिंक पर देख सकते हैं।

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ये ख़बर फ़र्ज़ी है। चार महीने पहले के ट्वीट को आधार बनाकर लिखी गई है।

क्या है ख़बर के सूत्रों की सच्चाई?

उपरोक्त सभी न्यूज़ पोर्टल ने इन सूत्रों की पड़ताल तक नहीं की। क्या ये सचमुच भरोसेमंद हैं? जिनके आधार पर इस तरह की ख़बर लिखी जा सकती है। सौरभ शर्मा और चंद्र प्रकाश सिंह क्या करते हैं, कुछ पता नहीं। सौरभ शर्मा ने अपने ट्विटर अकाउंट प्रोफाइल में सिर्फ "जय जवान, जय किसान” लिखा है और अमित शाह और नरेंद्र मोदी की फोटो को कवर पर लगा रखा है। इसी तरह चंद्र प्रकाश ने अपने प्रोफाइल में लिखा है “राष्ट्रहित सर्वोपरि है। सिर्फ राष्ट्रभक्त ही फोलो करें, चमचें दूर रहें।”

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इन दोनों अकाउंट को देखने से साफ पता चलता है कि ये कोई भरोसेमंद सूत्र नहीं है। ये दोनों न ही कोई अधिकारिक सूत्र हैं और न ही किसी स्थापित मीडिया के पत्रकार आदि हैं। इनकी प्रोफाइल से साफ पता चलता है कि ये दक्षिणपंथी सोशल मीडिया प्रोपगेंडा अकाउंट हैं।

क्या ये ट्वीट सचमुच वायरल हुए थे?

इन ट्वीट के वायरल होने का दावा भी किया जा रहा है। सभी पोर्टल ने इसे वायरल ख़बर लिखा है। क्या ये दोनों ट्वीट सचमुच वायरल हुए थे? ऐसा बिल्कुल नहीं है। गौरतलब है कि ये दोनों ट्वीट 22 फरवरी को पोस्ट किए गये थे। तब से लेकर अब तक सौरभ शर्मा के ट्वीट पर मात्र 5 रिट्वीट और 8 लाइक हैं और चंद्र प्रकाश सिंह के ट्विट पर मात्र 1 रिट्वीट और 2 लाइक हैं। मतलब साफ है कि ये वायरल नहीं थे। बल्कि अब इन दो ट्वीट का सहारा लेकर दोबारा से इसे रिवाइव किया जा रहा है और वायरल किया जा रहा है।

शाहीन बाग़ की औरतों के चरित्र को लेकर प्रोपगेंडा

गौरतलब है कि ये पहली बार नहीं जब शाहीन बाग़ की महिलाओं को लेकर झूठी ख़बर पब्लिश की गई है। बल्कि ऐसा पहले भी काफी किया गया है। पुरानी कंडोम की फोटो के साथ महिलाओं के चरित्र-हनन की कोशिश भी की गई थी। जिसका फेक्ट चेक आल्ट न्यूज़ ने किया था। जिसे आप इस लिंक पर पढ़ सकते हैं। सफ़ूरा ज़रगर को लेकर एक वाहियात, अश्लील और मर्दवादी प्रोपगेंडा चलाया गया था। एक बार फिर से इसी तरह की एक घटिया और नाकाम कोशिश की गई है।

(लेखक राज कुमार स्वतंत्र पत्रकार एवं ट्रेनर हैं। आप सरकारी योजनाओं से संबंधित दावों और वायरल संदेशों की पड़ताल भी करते रहते हैं।)

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