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फ़ैक्ट चेकः महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध में यूपी नंबर वन, है या नहीं?

उत्तर प्रदेश में महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध के मामलों में कमी नहीं बल्कि वृद्धि हुई है। रेप के मामलों में कुछ कमी दर्ज की गई है। लेकिन महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध के मामले में उत्तर प्रदेश अब भी देश में शीर्ष स्थान पर है।
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बीजेपी के चुनावी विज्ञापन का स्क्रीन शॉट

बीजेपी उत्तर प्रदेश के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से एक वीडियो ट्वीट किया गया है जिसमें उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराध को लेकर कई तरह के दावे किए जा रहे हैं। वीडियो में सपा सरकार और भाजपा सरकार की तुलना की गई है। दावा किया गया है कि सपा सरकार में महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में उत्तर प्रदेश देश में शीर्ष पर था। योगी के शासनकाल में शीर्ष पर है या नहीं, ये नहीं बताया गया।

लेकिन कहा गया है कि महिलाओं की तकदीर और तस्वीर दोनों ही बदल गई हैं। योगी सरकार में उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराध में कमी आई है और महिलाएं सुरक्षित महसूस कर रही हैं।

क्या सचमुच महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में कोई कमी आई है? क्या उत्तर प्रदेश अब महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में शीर्ष पर नहीं है?

उत्तर प्रदेश में महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध के मामले

वीडियो में दावा किया जा रहा है कि सपा शासनकाल में उत्तर प्रदेश महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में शीर्ष पर था। तो क्या भाजपा के शासनकाल में उत्तर प्रदेश इस शीर्ष स्थान से कुछ नीचे आया है? इसके लिए हमें महिलाओं के खिलाफ अपराध के आंकड़ों पर नज़र डालनी होगी।

एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश वर्ष 2013 से लेकर 2016 तक महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में शीर्ष पर रहा है। सपा शासनकाल के इन चार सालों में कुल 1,55,802 मामले दर्ज़ हुए थे।

 वर्ष 2017 से 2020 तक भी चारों सालों में उत्तर प्रदेश महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में देश में शीर्ष पर ही है। भाजपा शासनकाल के इन चार सालों में महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में कमी नहीं बल्कि वृद्धि हुई है।

2017 से लेकर 2020 तक इन चार सालों में महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल 2,24,694 मामले दर्ज हुए हैं। सपा शासनकाल में ये आंकड़ा 1,55,802 था। यानी कुल मामलों में23% की वृद्धि हुई है।

 उत्तर प्रदेश में रेप के मामले

 वीडियो में 2013 से लेकर 2016  के रेप के मामलों का आंकड़ा दिया गया है। लेकिन योगी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार  बनने के बाद के आंकड़े नहीं दिये गये हैं। यानी 2017 के बाद के आंकड़े नहीं बताए गए हैं।

 अगर दोनों सरकारों की तुलना करनी है तो कायदे से दोनों के शासनकाल के आंकड़ों की तुलना करनी होगी और देखना होगी कि क्या सचमुच भाजपा के शासनकाल में कोई कमी आई है।

 वीडियो में बताया गया है कि वर्ष 2013 में 3,050, वर्ष 2014 में 3,467, वर्ष 2015 में 3,025 और 2016 में 4,816 रेप के मामले दर्ज़ किए गए थे। 2013 से 2016 तक रेप के कुल 14,358 मामले दर्ज हुए थे।

 अगर हम भाजपा शासनकाल के आंकड़ों पर नज़र डालें तो पाएंगे कि कोई खास कमी नहीं आई है।

 वर्ष 2017 में 4,246, वर्ष 2018 में 3,946, वर्ष 2019 में 3,065 और वर्ष 2020 में 2,769 रेप के मामले उत्तर प्रदेश में दर्ज हुए हैं। सभी आंकड़ें एनसीआरबी की रिपोर्ट से लिए गए हैं।

 इस प्रकार 2017 से 2020 तक भाजपा शासनकाल में रेप के कुल 14,026 मामले दर्ज़ हुए हैं। ये संख्या सपा शासनकाल में 14,358 थी। यानी मामलों में बेहद मामूली कमी दर्ज की गई है।

 निष्कर्ष

उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में कमी नहीं बल्कि वृद्धि हुई है। रेप के मामलों में कुछ कमी दर्ज की गई है। लेकिन महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में उत्तर प्रदेश अब भी देश में शीर्ष स्थान पर है। उत्तर प्रदेश में महिलाओं की तकदीर और तस्वीर दोनों बदल गई हैं, ये दावा गलत है। भाजपा उत्तर प्रदेश द्वारा ट्वीट किया गया वीडियो भ्रामक है।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार एवं ट्रेनर हैं। आप सरकारी योजनाओं से संबंधित दावों और वायरल संदेशों की पड़ताल भी करते हैं। )

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