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किसान लॉन्ग मार्च: फ़िलहाल मार्च पर विराम लेकिन लंबी लड़ाई के लिए तैयार किसान!

"अगर हमें लगा कि हमारी मांगों की पूर्ति हो रही है, तो ये लाल सैलाब घर वापस लौट जाएगा, नहीं तो ईदगाह मैदान पर पर्याप्त आराम करने के बाद, किसानों की यह लाल सेना नए जोश के साथ मुंबई की ओर कूच करेगी।"
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महाराष्ट्र में सरकार के आश्वासन के बाद किसानों और आदिवासियों ने अपना मार्च फिलहाल रोक दिया है, लेकिन उनके प्रतिनिधियों ने शुक्रवार को कहा कि अगर उनके मुद्दों के समाधान के लिए सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो वे मुंबई की तरफ कूच करेंगे।

अखिल भारतीय किसान सभा के नेतृत्व में अपनी मांगों को पूरा करने के लिए नासिक के डिंडोरी से 250 किमी पैदल मार्च कर रहे किसानों के हौसले को देखते हुए राज्य सरकार ने कल यानी गुरुवार किसान नेताओं के साथ चर्चा की और उनकी अधिकांश मांगे मान ली हैं और मुख्यमंत्री विधानसभा में आज इस पर बयान भी देंगे।

लेकिन किसानों का कहना है कि वे 2018 के लॉन्ग मार्च के दौरान विश्वासघात का सबक सीख चुके हैं इसलिए किसान पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। उनका कहना है कि जब तक कृषि संबंधित मुद्दों की मांगों को लेकर सरकार का फैसला नहीं आता और इसपर प्रशासनिक अमल नहीं होता तब तक वो धरने पर बैठे रहेंगे।

वर्तमान में मुंबई की सीमा पर वाशिंद के ईदगाह मैदान में किसान जमे हुए हैं। दिल्ली के ऐतिहासिक आंदोलन की तर्ज पर तंबू बनने लगे हैं, अब तक कुछ तंबू बन चुके हैं इसके अलावा और भी तंबू लगने की संभावना है। साथ ही संस्कृति टीम जन गीतों को गाकर जनजागृति करते नज़र आ रहे हैं, नेता अपने भाषणों के माध्यम से किसानों को संबोधित कर उनमें नई ऊर्जा का संचार कर रहे हैं।

दिल्ली आंदोलन से सरकार को भी सबक मिला है, अगर किसानों के ख़िलाफ़ दमन और पुलिस कार्रवाई के विकल्प का इस्तेमाल भी किया जाए तो भी किसान फिर उठ खड़े होते हैं, इसलिए सरकार भी मायूस है। बिना कार्रवाई के सरकारी तंत्र बेहाल नज़र आ रहा है और किसानों को सुविधाएं प्रदान कर रहा है और किसानों के बीच अपना सकारात्मक पक्ष प्रस्तुत करने का प्रयास कर रहा है।

किसान नेताओं ने कहा कि, "अगर हमें लगा कि हमारी मांगों की पूर्ति हो रही है, तो ये लाल सैलाब घर वापस लौट जाएगा, नहीं तो ईदगाह मैदान पर पर्याप्त आराम करने के बाद, किसानों की यह लाल सेना नए जोश के साथ मुंबई की ओर कूच करेगी और मुंबई को बंद कर देगी।"

माकपा नेता एवं पूर्व विधायक जेपी गावित इस मार्च की अगुवाई कर रहे हैं। उन्होंने नासिक से अपनी पदयात्रा शुरू की थी। गावित ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि जब तक सरकार अधिकारियों को आदेश जारी नहीं करती, वे डटे रहेंगे।

किसानों की कुछ प्रमुख मांगें इस प्रकार हैं :

* वन अधिनियम 2005 के तहत आदिवासी किसानों को जंगल की ज़मीन पर मालिकाना हक़ मिले
* प्याज उत्पादकों को तत्काल 600 रुपये प्रति क्विंटल की वित्तीय राहत दी जाए
* लगातार 12 घंटे बिजली आपूर्ति सुनिश्चित की जाए
* कृषि ऋण माफा करना किया जाए

किसान मार्च वर्तमान में मुंबई से करीब 80 किलोमीटर दूर वासिंद में है।

फ़ोटो साभार मोहित सौदा 

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