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किसान आंदोलन:  महाराष्ट्र के किसान शाहजहांपुर बॉर्डर पर डटे, दिल्ली-जयपुर नेशनल हाइवे बंद

महाराष्ट्र के किसानों ने साफ किया कि वो इतना लंबा रास्ता तय कर दिल्ली में बैठी केंद्र सरकार को बताने आए हैं कि यह सिर्फ पंजाब और हरियाणा के किसानों का आंदोलन नहीं है बल्कि यह पूरे देश के किसान इन तीन कृषि कानूनों के ख़िलाफ़ हैं।
किसान आंदोलन

शाहजहांपुर: 21 दिसंबर को महाराष्ट्र के नासिक से दिल्ली कूच के लिए निकला किसानों का व्हीकल (गाड़ियों) जत्था राजस्थान-हरियाणा के बॉर्डर पर 25 दिसंबर को पहुँच गया। यह जत्था कई सौ किलोमीटर की यात्रा और तीन राज्यों महाराष्ट्र,मध्य प्रदेश और राजस्थान की सीमा पार कर यहाँ पहुंचा। महाराष्ट्र के किसान पिछले 13 दिनों से राजस्थान-हरियणा बॉर्डर पर डेरा डाले किसानों के आंदोलन में शामिल हुए। जब महाराष्ट्र के किसान धरना स्थल से कुछ दूर ही शाहजहांपुर टोल प्लाज पहुंचे तो उनका स्वागत करने के लिए पहले से ही राजस्थान के बड़े किसान नेता और पूर्व माकपा विधायक अमराराम अपने सहयोगियों के साथ मौजूद थे।

इन किसानों ने साफ किया कि वो इतना लंबा रास्ता तय कर दिल्ली में बैठी केंद्र सरकार को बताने आए हैं कि यह सिर्फ पंजाब और हरियाणा के किसानों का आंदोलन नहीं है बल्कि यह तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पूरे देश के किसानों का आंदोलन है।

विरोध स्थल पर किसानों को संबोधित करते हुए, अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) के अध्यक्ष अशोक धवले ने कहा: “केंद्र एक बात को दोहरा रही है कि कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध केवल कुछ राज्यों तक ही सीमित है। उन्हें यहां आना होगा और देखना होगा ... देश के कोने-कोने से आए किसान इस ऐतिहासिक आंदोलन का हिस्सा बन गए हैं। अब यह अंदोलन केवल किसानों का नहीं बल्कि देश का आंदोलन बन गया है।''

उन्होंने सरकार से कहा कि देश भर के किसानों की बड़ी भागीदारी को दिखाने के लिए पांच सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं। जो एक महीना से चल रहा है, उसमें हजारों किसान दिल्ली - सिंघु, टिकरी, गाजीपुर और चिल्ला के प्रवेश-निकास बिंदुओं पर घेरा डेरा डाले हुए हैं।

नासिक से आए सैकड़ों किसानों ने जैसे बॉर्डर से आगे चलने के लिए कुछ दूर आगे बढे उन्हें हरियाणा पुलिस द्वारा रोका गया। वो वहीं रुक गए लेकिन किसानों की बढ़ती संख्या ने दिल्ली को जयपुर को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग 8 को पूर्ण रूप से बंद कर दिया। महाराष्ट्र से आए कुछ किसानों ने कहा कि किसान लॉन्ग मार्च 2018 की याद आ गई,जिसमें लगभग 50 हज़ार किसानों ने नासिक से मुंबई के लिए ऐतिहासिक पैदल मार्च किया था। नासिक के 55 वर्षीय भिकाजी ने कहा, '' हम तब भी दृढ़ थे, हम अब भी पीछे नहीं हटेंगे।”

नांदेड़ के 41 वर्षीय जनार्दन काले ने कहा, "हमारी यात्रा के दौरान, हमें कई स्थानों, पर लोगों ने रजाईयों और यहां तक कि हमारे वाहनों के लिए मुफ्त डीजल के साथ भोजन भी दिया है।"

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उन्होंने कहा “पिछले कुछ दिनों में रास्ते में कई सार्वजनिक बैठकें हुईं। मैं विभिन्न राज्यों के लोगों से मिला। मैं एक बात कह सकता हूं कि सरकार के खिलाफ क्रोध हर जगह गूंज रहा है ... लेकिन मीडिया यह नहीं बताएगा।"

एआईकेएस-महाराष्ट्र के राज्य सचिव डॉ. अजीत नवले अपने साथ बड़ी संख्या में किसानों के लिए दवाई का स्टॉक लेकर आए हैं। उन्होंने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि हमने एआईकेएस के नेतृत्व में महाराष्ट्र में फसल के लगत के डेढ़ गुना दाम की मांग को लेकर 2018  में बड़ा आंदोलन किया। उसके बाद हमने ऐतिहसिक लॉन्ग मार्च किया था। उसमें भी हमें ऐसे ही भारी जनसमर्थन मिला था और इस आंदोलन में भी भारी जनसमर्थन मिल रहा है। ये आंदोलन उस आंदोलन से भी काफी विराट है। जैसे उस समय हमने सरकार को झुकाया था इस बार भी हम अपनी मांग मनवा कर ही जाएंगे।

हालांकि, नासिक जिले की 55 वर्षीय मीरा बाई पवार जो एक महिला किसान है उन्होंने कहा कि 2018 में दिए गए आश्वासनों के बावजूद, उनकी समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं। मीरा एक आदिवासी किसान हैं, वे जंगल की ज़मीन पर खेती करती हैं। उस समय की सरकार ने कहा था कि वो इन किसानों को पांच एकड़ के ज़मीन का मालिकाना हक़ देगी लेकिन इस दौरान सरकार भी बदल गई लेकिन उन्हें ज़मीन का हक नहीं मिला। अभी वो प्याज, बाजरा और गेहूं उगाती है परन्तु उनका भी उचित दाम नहीं मिलता है। उन्होंने कहा कि इसके परिणामस्वरूप, उनके 20 वर्षीय बेटे को जिंदगी चलने के लिए दैनिक मजदूरी का काम करने के लिए मजबूर है।

मीरा बाई अपनी माँगों को लेकर पूरी तरह स्पष्ट थीं और वे बेहद जागरूक थी। उन्होंने कहा सरकार हमें हमारी जोत नहीं दे रही है, हमें बता रही है ये वन अधिनियम के खिलाफ है परन्तु वो वही ज़मीन पूंजीपतियों को दे रही है। उनके साथ ही कई अन्य महिलाए भी इस आंदोलन में कई सौ किलोमीटर की यात्रा कर यहां पहुंची हैं। लगभग सभी इस तरह की समस्या से जूझ रहे हैं। सभी ने एक साथ कहा कि अभी जब मंडी भी है फिर भी हमें फसल का दाम नहीं मिल रहा है तो जब यह ख़त्म हो जाएगा तब क्या होगा? सभी महिला बार बार यह कह रही थी यह सरकार बड़े लोगो की है।

मीरा ने कहा "अब जब हम यहां आए हैं, तो हम तब तक वापस नहीं जाएंगे जब तक कि हमारे मुद्दों का हल नहीं हो जाता है।"

महाराष्ट्र के सांगली जिले से आए नौजवान किसान दिगंबर कामले ने कहा कि महाराष्ट्र में किसानों की हालत पहले से ही ख़राब है, क्योंकि हमे भाव (उचित दाम) नहीं मिलता है। मंडी में भी कई दिक्कतें हैं, उसे ठीक करने की जरूरत थी परन्तु सरकार मंडी ही खत्म कर रही है। उससे वहां किसानों की आत्महत्या की संख्या बढ़ेगी क्योंकि जैसे की मैंने मक्का उगाया उसकी लागत भी हमें बाजार में नहीं मिलेगी, ऐसे में किसानों पर कर्ज और बढ़ेगा, इससे परेशान किसान आत्महत्या कर लेगा।

इस बीच, हरियाणा पुलिस द्वारा सुरक्षा बढ़ा दी गई, पुलिस अनुमान लगा रही थी कि किसान राष्ट्रीय राजधानी की तरफ कूच कर सकते थे। इसलिए पुलिस ने एहतियातन ही कई जगहों पर बैरिकेडिंग की हुई थी। जिसके कारण राजमार्ग पर दिन भर गाड़ियों की रफ़्तार थमी रही। शाम तक, ट्रैफिक जाम से बचने के लिए हरियाणा के नजदीकी बावल शहर से पुलिस ने एक डाइवर्जन बनाया लेकिन वो भी नाकाफी लग रहा था।

किसानों को रोकने के लिए शिपिंग कंटेनरों, बड़े-बड़े पत्थरों की बैरिकेडिंग, दंगा नियंत्रण वाहन और वाटर कैनन के साथ आरएएफ, सीआईएसएफ, सीआरपीएफ की कई कंपनियों को विरोध स्थल पर तैनात किया गया था।

कुछ युवाओं ने शुक्रवार दोपहर में बैरिकेड्स को तोड़ने की कोशिश की, लेकिन वहां मौजूद किसान नेताओं ने उन्हें शांत किया, जिन्होंने उन्हें अंतिम निर्णय के लिए इंतजार करने के लिए कहा। उन्होंने कहा आगे जाने या यहाँ रहने के लिए निर्णय संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा लिया जाएगा, जो इस आंदोलन की अगुआई कर रहा है।

राजस्थान के नौजवान किसान राजेंद्र जाखड़ जो जयपुर से इस आंदोलन में शमिल हुए हैं, उन्होंने ख़ुशी जताई की जिस तरह से महाराष्ट्र के किसान यहाँ पहुंचे वो बेहद महत्वपूर्ण है। उन्होंने सरकार को भी चेतवानी दी कि इसबार मोदी का पाला किसानों से पड़ा है अब यहां से किसान वापस नहीं जाएगा बल्कि तीनों कृषि क़ानून ही वापस होंगे।

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महाराष्ट्र के बड़े किसान नेता और पूर्व सीपीएम विधायक जे पी गावित ने न्यूज़क्लिक को बताया कि यह आंदोलन अभी और बढ़ेगा क्योंकि अभी तो महाराष्ट्र से किसानों का एक जत्था आया है, अभी लाखों किसान दिल्ली आने की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वो वापस महाराष्ट्र जल्द जाएंगे और बाकी किसानों को इकठा कर दिल्ली के बड़ा मार्च करेंगे।  

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