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गिग वर्कर्स के कामकाज की स्थिति चिंताजनक, ऊबर-ओला-अमेज़न का स्कोर शून्य रहा

ऑक्सफ़़ोर्ड यूनिवर्सिटी के सहयोग से सेंटर फॉर आईटी एंड पब्लिक पॉलिसी के नेतृत्व में किए गए इस रिसर्च प्रोजेक्ट में कहा गया है कि उक्त कंपनियों ने गिग वर्कर्स को उचित वेतन, ठेके, प्रबंधन, प्रतिनिधित्व और बेहतर कार्य सुविधाएं नहीं दी।
Gig workers

दिल्ली : रिसर्च फ़र्म फेयरवर्क इंडिया ने एक चौंकाने वाला ख़ुलासा किया है। गिग वर्कर्स की स्थिति के आंकलन में ओला, ऊबर, दुन्जो, फार्मइजी, अमेज़न फ्लेक्स जैसे प्रमुख प्लेटफ़ॉर्मों का स्कोर शून्य रहा है।

ऑक्सफ़़ोर्ड यूनिवर्सिटी के सहयोग से सेंटर फॉर आईटी एंड पब्लिक पॉलिसी के नेतृत्व में किए गए इस रिसर्च प्रोजेक्ट में कहा गया है कि उक्त कंपनियों ने गिग वर्कर्स को उचित वेतन, ठेके, प्रबंधन, प्रतिनिधित्व और बेहतर कार्य सुविधाएं नहीं दी।

यह उजागर किया गया कि ये प्लेटफ़ॉर्म जितने लचीले होने का प्रचार-प्रसार करते हैं वास्तविकता में इनके लिए काम करने वाले वर्कर्स (कर्मचारियों) को उसका लाभ नहीं मिलता।

रिपोर्ट बताती है कि बिगबास्केट, फ्लिपकार्ट और अर्बन कंपनी के अलावा कोई अन्य प्लेटफ़ॉर्म ऐसी प्रतिबद्धता या समुचित प्रमाण प्रदान नहीं करते जिनसे कर्मचारियों की आमदनी उनके द्वारा किये गए काम के घंटो से अनुरूप उनके लिए न्यूनतम मज़दूरी सुनिश्चित करते हों।

दूसरी प्रमुख बात ये कि जब कर्मचारी इन प्लेटफ़ॉर्म पर सामूहिक रूप से अपनी चिंता ज़ाहिर करते हैं तो ये प्लेटफ़ॉर्म उन कर्मचारियों के संगठन की बातों को स्वीकार करने में या उनसे बातचीत करने में कोई रूचि नहीं दिखाते।

रिपोर्ट के अनुसार “यहां तक कि ये कर्मचारी और उनके समूह स्थिर या स्थायी आय के महत्व पर ज़ोर देते हैं तो न्यूनतम वेतन नीति के संचालन पर ये प्लेटफ़ॉर्म सार्वजनिक रूप से टिप्पणी करने में अनिच्छुक होते हैं या बचते हैं।

रिसर्च प्रोजेक्ट ने 12 कंपनियों का अध्ययन किया और अर्बन कंपनी को 10 में से 7 स्कोर, ऑनलाइन ग्रोसर बिगबास्केट को 6, फ्लिपकार्ट और स्विगी को 5, जोमेटो को 4, ग्रोसरी डिलीवरी प्लेटफ़ॉर्म जेप्टो को 2 और ग्लोबल-बेक्ड फ़र्म पोर्टर को 1 नंबर दिया।

फेयरवर्क इंडिया ने अपनी चौथी वार्षिक रिपोर्ट में लिखा है,“ घंटे के हिसाब से स्थानीय न्यूनतम मज़दूरी देने की अपनी सार्वजनिक प्रतिबद्धता के लिए सिर्फ़ बिगबास्केट, फ्लिपकार्ट और अर्बन कंपनी को पहला स्थान दिया गया है।

बिगबास्केट और अर्बन कंपनी ने यह प्रतिबद्धता जताई है कि कर्मचारी की प्रति घंटे की कमाई और स्थानीय न्यूनतम मज़दूरी में जो अंतर होगा उसको अदा किया जाएगा।

रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि लागत के बाद फ्लिपकार्ट और अर्बन कंपनी ने अपने कर्मचारियों के लिए स्थानीय घंटो के हिसाब से न्यूनतम मज़दूरी का बुनियादी ढांचा तैयार करने के लिए प्रतिबद्धता दिखाई है। फ्लिपकार्ट ने थर्ड-पार्टी प्रदाता के लिए भी यही प्रतिबद्धता ज़ाहिर की है।

हालांकि रिपोर्ट में यह बताया गया कि न्यूनतम मज़दूरी के विपरीत वेतन पर आधारित किसी भी प्लेटफ़ॉर्म ने न्यायोचित भुगतान का दूसरा स्थान प्राप्त नहीं किया।

ग्राफ फेयरवर्क इंडिया,2022

गिग और प्लेटफ़ॉर्म अर्थव्यवस्था पर आई नीति आयोग की रिपोर्ट पर फेयरवर्क की रिपोर्ट भारी पड़ी। इस रिपोर्ट में नीति आयोग की आलोचना करते हुए कहा गया है,“कर्मचारियों को जो प्लेटफ़ॉर्म वेतन भुगतान करते हैं उनकी न तो अनुमानित राशि साझा की गई है और न कर्मचारियों की बढ़ती आय के समर्थन में कोई सबूत दिया गया है।“

गिग कर्मचारी, जो कि भारतीय कार्यबल को बढ़ाने में सहयोग कर रहे हैं, उनके लिए बुनियादी कर्मचारी लाभ जैसे स्वास्थ्य बीमा, स्वास्थ्य इमर्जेंसी आदि में वित्तीय सुरक्षा बढ़ाई नहीं जा रही।

ये संस्थाएं जो गिग कर्मचारियों से सेवाएं ले रही हैं न केवल उनके शोषण की ज़िम्मेदार हैं बल्कि कॉर्पोरेट दायित्वों को भी सीमित कर रहे हैं। फिर भी सरकार ने ऐसे कर्मचारियों के शोषण से सुरक्षा के लिए अभी तक कोई पहल नहीं की है।

इस वर्ष गिग कर्मचारियों के साथ बदसलूकी और भेदभाव के कई उदाहरण देखने को मिले फिर भी भारत में प्लेटफ़ॉर्म अर्थव्यवस्था में कोई बड़ा बदलाव नहीं आया। ये बदलाव आने अभी शेष हैं।

फेयरवर्क की रिपोर्ट के अनुसार इसमें सुधार के लिए सांसदों का ध्यान आकर्षित किया गया, फिर भी सामाजिक सुरक्षा कोड और मोटर वाहन एग्रीगेटर दिशानिर्देश 2020 जो प्लेटफ़ॉर्म वर्कर्स की स्थिति को नियंत्रित करते हैं, उनके लागू होने का अभी भी इंतज़ार है। रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि डिजिटल डेटा प्रोटेक्शन बिल, 2022 जिसका प्लेटफ़ॉर्म कर्मचारियों से एकत्र किए गए डेटा पर असर पड़ने की संभावना है उसे अभी तक संसद में पारित नहीं किया गया है।

इंडियन फ़ैडरेशन ऑफ़़ ऐप-बेस्ड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स (IFAT) द्वारा सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की गई जिसमे प्लेटफ़ॉर्म वर्कर्स को असंगठित क्षेत्र के वर्कर्स या कर्मचारी के रूप में पुनः वर्गीकृत किए जाने की मांग की गई है। यह अभी विचाराधीन है।

मूल रूप में अंग्रेज़ी में प्रकाशित रिपोर्ट के पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करेंः

Report Highlights Poor Working Conditions for Gig Workers; Uber, Ola, Amazon Score Zero

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