NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
शिक्षा
भारत
राजनीति
गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया
मोदी सरकार पिछले 8 साल से भारतीय राज और समाज में जिन बड़े और ख़तरनाक बदलावों के रास्ते पर चल रही है, उसके आईने में ही NEP-2020 की बड़ी बड़ी घोषणाओं के पीछे छुपे सच को decode किया जाना चाहिए।
लाल बहादुर सिंह
03 Jun 2022
nep

प्रख्यात कन्नड़ साहित्यकार राम कृष्णा ने सरकार से कहा है, " बच्चों की शिक्षा को अपनी विघटनकारी राजनीति का लक्ष्य बनाना और उनके कोमल मस्तिष्कों में ज़हर भरना, एक अक्षम्य अपराध है। इस पृष्ठ भूमि के मद्देनज़र मेरा कहना है कि कर्नाटक सरकार द्वारा मेरी किसी भी रचना को स्कूल पाठ्यक्रम में शामिल न किया जाए।”

ज्ञातव्य है कि श्री राम कृष्णा की कई कहानियां कर्नाटक के स्कूल पाठ्यक्रम में पढाई जाती हैं।

दरअसल, कर्नाटक से पिछले दिनों यह खबर आई थी कि तमाम प्रतिष्ठित लेखकों की रचनाओं को तथा ब्रिटिश साम्राज्यवाद के ख़िलाफ़ शहादत का वरण करने वाले भगत सिंह और टीपू सुल्तान को पाठ्यक्रम से बाहर कर दिया गया और RSS के संस्थापक हेडगेवार पर अध्याय शामिल कर लिया गया है।

उसी के बाद से वहां के स्थापित साहित्यकारों ने पाठ्यक्रम से प्रगतिशील content हटाकर अवैज्ञानिक, विषाक्त सोच को बढ़ावा देने वाली विषयवस्तु शामिल किए जाने के खिलाफ अभियान छेड़ दिया है।

पाठ्यक्रमों में बदलाव और इसी तरह के अनेक और कारनामे केंद्रीय स्तर पर तथा भाजपा शासित राज्यों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के नाम पर अथवा उसकी दिशा के अनुरूप किये जा रहे हैं। जाहिर है यह सब शिक्षा के क्षेत्र में मोदी सरकार द्वारा प्रस्तावित 'युगान्तकारी' बदलावों की झांकी भर है।

दरअसल, शिक्षानीति का क्षेत्र कोई island नहीं है, बल्कि सरकार की जो समग्र दिशा है, शिक्षा उसी की सेवा के लिये है और उसी का हिस्सा है। मोदी सरकार पिछले 8 साल से भारतीय राज और समाज में जिन बड़े और खतरनाक बदलावों के रास्ते पर चल रही है, उसके आईने में ही NEP की बड़ी बड़ी घोषणाओं के पीछे छुपे सच को decode किया जाना चाहिए।

प्रो. प्रभात पटनायक ने बिल्कुल सटीक ढंग से नोट किया है, " NEP भारत की शिक्षा व्यवस्था में एक बेहद प्रतिगामी और घातक paradigm shift है। शिक्षा को राष्ट्रनिर्माण का माध्यम समझने की जगह, यह शिक्षानीति जिसमें हिन्दू अंधराष्ट्रवाद की छौंक होगी, छात्रों को नवउदारवादी पूंजीवाद के चारे में तब्दील करेगी। इस तरह NEP सत्तारूढ़ कारपोरेट-हिंदुत्व की पूर्ण संगति में है।"

यही NEP का सार है। बाकी सब इस बुनियादी सच को छिपाने और आंख में धूल झोंकने के लिए शब्द-जाल है।

इस NEP की मूल बात है exclusion, बड़े पैमाने पर सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित पृष्ठभूमि के छात्रों को अच्छी शिक्षा की पहुंच से बाहर कर देना, इन अर्ध-शिक्षितों के लिए so-called स्किल विकास का झुनझुना और दूसरी ओर नवउदारवादी वैश्विक पूंजीवाद की सेवा के लिए privileged तबकों के छात्रों के बीच से शिक्षित officials और professionals तैयार करना जो हिंदुत्व के रंग में रंगे होंगे। छोटे से तबके को जो " क्वालिटी एजुकेशन " दी जायेगी वह अमेरिका, यूरोप की universities के पैटर्न पर होगी और global capital की जरूरतों से निर्देशित है। प्रो. पटनायक कहते हैं कि ऐसी शिक्षा में जाहिर है उपनिवेशों से आर्थिक दोहन ( drain of surplus ) और deindustrialization जैसे विषय नहीं होंगे क्योंकि वे विकसित देशों के लिए मौजूं विषय नहीं हैं। लेकिन इनको समझे बिना भारत को कैसे समझा जा सकता है ?

जैसे कभी मैकाले ने भारत में आधुनिक शिक्षा का उद्देश्य बताया था, " ऐसे भारतीय पैदा करना जो रंग-रूप में तो भारतीय होंगे लेकिन विचार और नैतिकता में अंग्रेज होंगे."

वैसे ही आज NEP का उद्देश्य लगता है ऐसे भारतीय पैदा करना जो रंग-रूप में तो भारतीय होंगे, लेकिन जो भारत की सच्चाई से अनजान वैश्विक पूँजी के वफादार सेवक होंगे और हिंदुत्व की फ़ासिस्ट विचारधारा के रंग में रंगे होंगे।

NEP कारपोरेट-साम्प्रदायिक फासीवाद की परियोजना के अनुरूप शिक्षा व्यवस्था को अति-केंद्रीकृत नौकरशाही ढांचे में जकड़ देगी। Higher Education Commission of India ( HECI ) जैसे मैकेनिज्म के माध्यम से जो यूजीसी और Council of Technical Education जैसी संस्थाओं को replace कर देगा, शिक्षा पर कठोर नियंत्रण शिक्षानीति का प्रमुख तत्व लगता है।

जाहिर है शिक्षण संस्थाओं की बची खुची स्वायत्तता ( Autonomy ) भी खत्म हो जाएगी। Academic Freedom का पूरा तरह गला घोंट दिया जाएगा। ये दोनों पूरी दुनिया में academic excellence तथा वस्तुगत, सत्यनिष्ठ ज्ञान-विज्ञान के विकास के दो सर्वस्वीकृत आधारभूत सिद्धांत हैं। लेकिन आज उसकी न वित्तीय पूँजी के धकुबेरों को कोई जरूरत है, न हिंदुत्व के पैरोकारों को। बल्कि वह उनके रास्ते में बाधक है।

इस सब का शिक्षा की गुणवत्ता, उदार, मुक्तिकामी मूल्यों के पोषक के बतौर उसकी भूमिका, स्वतंत्रचेता गम्भीर शोध कार्य जैसे उच्चशिक्षा के बुनियादी लक्ष्यों पर सांघातिक असर पड़ेगा।

यह अनायास नहीं है कि शिक्षा का जो विषय राज्य और केंद्र दोनों की समवर्ती सूची में है, उसकी राष्ट्रीय नीति के निर्माण में राज्यों की कोई राय नहीं ली गयी है,जो संविधान के federal ढांचे की भावना का पूरी तरह निषेध है। न ही शिक्षकों व छात्रों की कोई राय ली गयी जो इसमें सीधे stake-holder हैं। यह बिल्कुल वैसे ही है जैसे बिना विचार विमर्श किये गैर-लोकतांत्रिक ढंग से किसानों पर तीन कृषि कानून या मजदूरों पर चार लेबर कोड थोप दिए गए।

जहां तक शिक्षा पर कुल खर्च को GDP के 6% तक पहुंचाने की बात है, तो यह लक्ष्य तो 60 के दशक में बने कोठारी आयोग के समय से ही दुहराया जा रहा है। लेकिन वास्तविक व्यवहार में मोदी राज में शिक्षा पर सरकारी निवेश साल दर साल घटता गया है। विशेषज्ञ यह भी पूछ रहे हैं कि क्या इसमें प्राइवेट investment भी शामिल है या यह सरकार के बजट से होने वाले खर्च के बारे में है ?

विशेषज्ञों का मानना है कि NEP 2020 का अंजाम राज्य और शिक्षा की संस्थागत decoupling होगी और graded autonomy और HECI के माध्यम से शिक्षा के निजीकरण के रास्ते पूरी तरह खोल दिए जाएंगे।

सरकार भले यह दावा करे कि NEP का उद्देश्य ड्राप-आउट दर कम करना है, वास्तविक जीवन में शिक्षा के बढ़ते निजीकरण तथा multiple exit point आदि का सीधा परिणाम ड्राप आउट रेट में वृद्धि होगी। नयी शिक्षानीति के ड्राफ्ट के अनुसार आज की तारीख में पूरे देश में लगभग 50000 महाविद्यालय और विश्वविद्यालय हैं, जिनकी संख्या 2032 तक घटाकर 12300 करने की योजना है, लेकिन छात्रों की संख्या दोगुना करने का लक्ष्य है !

हाल ही में मोदी सरकार की राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर राजधानी में दो महत्वपूर्ण कार्यक्रम हुए। 27 मई को AIFRTE की ओर से दिल्ली में उच्च शिक्षा पर राष्ट्रीय कन्वेंशन हुआ और 31 मई को जंतरमंतर पर NEP 2020 के खिलाफ छात्र-संसद का आयोजन।

जहां GPF में दिन भर चले मैराथन सम्मेलन में तमाम शिक्षकों एवम शिक्षाविदों ने NEP के दुष्प्रभावों पर गम्भीर चर्चा की, वहीं 31 मई की छात्र संसद में पूरे देश से आये छात्र-युवाओं ने NEP 2020 को वापस लेने की मांग उठाई। संसद मार्ग पर आयोजित इस समानान्तर संसद को बड़ी संख्या में शिक्षकों व अन्य महत्वपूर्ण वक्ताओं ने भी संबोधित किया। छात्रों का युद्धघोष था, "NEP हटाओ - देश का भविष्य बचाओ"।

कर्नाटक के बुद्धिजीवियों और साहित्यकारों ने रास्ता दिखाया है। उम्मीद है आने वाले दिनों में युवा-पीढ़ी और हमारे लोकतन्त्र दोनों के भविष्य को दांव पर लगाने वाली NEP -2020 के खिलाफ पूरे देश के प्रबुद्ध नागरिक छात्रों तथा शिक्षकों के साथ खड़े होंगे।

(लेखक इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

NEP
New Education Policy 2020
education
Education Sector
education system
Narendra modi
Modi government

Related Stories

मोदी सरकार की नीतियों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर मनाया भारत छोड़ो दिवस

रोज़गार बनता व्यापक सामाजिक-राजनीतिक एजेंडा, संयुक्त आंदोलन की आहट

मार्च और नारेबाज़ी ही नहीं, कांग्रेस नेताओं ने काले कपड़ों से भी जताया विरोध

दिल्ली : महंगाई, बेरोज़गारी, जीएसटी के ख़िलाफ़ कांग्रेस का प्रदर्शन शुरू, पुलिस ने नहीं दी अनुमति

आज़ादी के 75 साल: एक अगस्त से सरकार की नीतियों के ख़िलाफ़ किसानों-मज़दूरों का देशव्यापी अभियान

कांवड़ियों पर फूल और रोज़गार की मांग पर लाठी... वाह रे पुलिस

दिल्ली: सरकारी बैंकों के निजीकरण के खिलाफ बैंक कर्मियों का प्रदर्शन

21 जुलाई को बैंक कर्मचारी संसद के समक्ष करेंगे विरोध प्रदर्शन, ट्रेड यूनियनों ने भी दिया समर्थन

वन संरक्षण क़ानून में बदलाव का किसानों के साथ विपक्ष ने किया विरोध

तीस्ता सेतलवाड़ की रिहाई की मांग को लेकर माकपा ने कोलकाता में निकाला विरोध मार्च


बाकी खबरें

  • भाषा
    मुफ़्त की सौगातें और कल्याणकारी योजनाएं भिन्न चीज़ें : न्यायालय
    11 Aug 2022
    इसके साथ ही न्यायालय ने मुफ्त सौगात देने का वादा करने के लिए राजनीतिक दलों की मान्यता रद्द करने के अनुरोध वाली याचिका पर विचार करने की संभावना से भी इनकार किया। न्यायालय ने विभिन्न पक्षों को 17 अगस्त…
  • रश्मि सहगल
    'सख़्त क़ानून का विरोधियों के ख़िलाफ़ चुनिंदा रूप से इस्तेमाल सिर्फ़ निरंकुशता है' : संजय हेगड़े
    11 Aug 2022
    वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े ने मनी लॉन्ड्रिंग  रोकथाम अधिनियम (PMLA), 2002 पर सुप्रीम कोर्ट के हालिया फ़ैसले पर न्यूज़क्लिक से बातचीत की।
  • भाषा
    देश में कोरोना वायरस संक्रमण के उपचाराधीन मामले घटकर 1,25,076 हुए
    11 Aug 2022
    केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से बृहस्पतिवार सुबह आठ बजे जारी अद्यतन आंकड़ों के अनुसार, देश में संक्रमण से 53 और लोगों की मौत होने के बाद मृतक संख्या बढ़कर 5,26,879 हो गई। इन 53 मामलों में वे चार…
  • arundhati
    न्यूज़क्लिक टीम
    सारा सिस्टम जनविरोधी है, लड़कर ही बचा सकते हैं देशः अरुंधति राय
    10 Aug 2022
    खास पेशकश में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने बात की अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त लेखिका अरुंधति राय से लोकतंत्र पर गहराते फासीवादी खतरे, न्याय प्रणाली के जनविरोधी रवैये पर बातचीत की।
  • bihar
    रवि शंकर दुबे
    बिहार: महागठबंधन के सीएम बने नीतीश, तेजस्वी डिप्टी सीएम...
    10 Aug 2022
    नीतीश कुमार ने आठवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है, जबकि तेजस्वी यादव डिप्टी सीएम बने हैं। शपथ के बाद तेजस्वी ने नीतीश के पैर छूकर बड़ा सियासी संदेश दिया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें