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बढ़ती चिंता: ख़तरे में इलाज करने वाले स्वास्थ्यकर्मी, देश में 548 डॉक्टर-नर्स कोराना संक्रमित

देश में कोविड-19 से संक्रमित पाए गए कई डॉक्टरों की मौत भी हो चुकी है। हालांकि अभी उनकी सटीक संख्या का पता नहीं चला है। अभी तक अकेले राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 69 डॉक्टर कोविड-19 से संक्रमित पाए गए हैं।
कोरोना वायरस
Image courtesy: The Better India

दिल्ली: केंद्र के पास उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक कोरोना वायरस से अब तक देशभर में करीब 548 डॉक्टर, नर्स और पाराचिकित्सक संक्रमित हो चुके हैं। आधिकारिक सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी।

इन आंकड़ों में फील्ड में काम करने वाले कर्मचारी, वार्ड ब्वॉय, सफाई कर्मचारी, सुरक्षा गार्ड, लैब अटेंडेंट्स, चपरासी, लॉन्ड्री और रसोईघर के कर्मचारी शामिल नहीं हैं। इन आंकड़ों में राज्य तथा केंद्र शासित प्रदेशों में केंद्र तथा राज्य सरकार के अस्पतालों में काम करने वाले डॉक्टर, नर्स तथा पाराचिकित्सक शामिल हैं। पाराचिकित्सक या पैरामेडिकल स्टाफ उपचार के दौरान मेडिकल टीम को सपोर्मेंट करता है। इसमें डायग्नोसिस, फिजियोथेरेपी, एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड, मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी आदि का काम करने वाले प्रोफेशनल्स शामिल होते हैं। आधिकारिक सूत्र के अनुसार, यह पता नहीं चला है कि ये डॉक्टर, नर्स और पाराचिकित्सा कर्मी कहां से संक्रमण की चपेट में आए।

आधिकारिक सूत्रों ने कहा, ‘मामलों की महामारी विज्ञान संबंधी कोई जांच नहीं हुई तो इस बात की कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है कि कितने लोग कार्यस्थल पर बीमारी की चपेट में आए और कितने सामुदायिक रूप से इसकी चपेट में आए।’ देश में कोविड-19 से संक्रमित पाए गए कई डॉक्टरों की मौत भी हो चुकी है। हालांकि अभी उनकी सटीक संख्या का पता नहीं चला है।

अधिकारियों ने बताया कि अभी तक राष्ट्रीय राजधानी में 69 डॉक्टर कोविड-19 से संक्रमित पाए गए हैं। इसके अलावा अभी तक 274 नर्स और पाराचिकित्सक इस जानलेवा विषाणु से संक्रमित पाए गए हैं।

सूत्रों ने बताया कि सफ़दरजंग अस्पताल में पिछले दो महीने से अधिक समय में सात रेजिडेंट डॉक्टरों और एक प्रोफेसर समेत 13 स्वास्थ्य देखभाल कर्मी कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए हैं। एम्स में अभी तक एक रेजिडेंट डॉक्टर और पांच नर्सों समेत करीब 10 स्वास्थ्य देखभाल कर्मी संक्रमित पाए गए हैं। इसके अलावा इस अस्पताल में कुछ सुरक्षागार्ड भी संक्रमित पाए गए हैं।

आंकड़ों के अनुसार इसके अलावा केंद्र और दिल्ली सरकार के विभिन्न अस्पतालों एवं निजी अस्पतालों में काम कर रहे कई स्वास्थ्यकर्मी भी इस जानलेवा बीमारी से संक्रमित पाए गए हैं। इसमें आरएमएल और अपोला हॉस्पिटल शामिल है। आंकड़ों के मुताबिक आरएमएल में कोरोना पॉजिटिव स्वास्थ्यकर्मियों की तादाद बढ़कर 8 और अपोलो में 11 हो गई है।

गौरतलब है कि कोरोना संकट से निपटने के लिए डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ को जहां पर्याप्त मात्रा में मास्क और पीपीई किट उपलब्ध कराने की सरकार प्रतिबद्धता जता रही है, तो वहीं दूसरी ओर वास्तविकता में दिल्ली के अस्पतालों में हालात बुरे हैं।

दैनिक भास्कर की एक ख़बर के मुताबिक कोरोना वायरस से सीधे जंग लड़ रहे कोरोना योद्धाओं को मास्क तक नसीब नहीं हो रहे हैं। दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में कोरोना से लड़ रहे डॉक्टर पूरे सप्ताह एक ही मास्क और पीपीई किट पहन रहे हैं। सिंगल टाइम यूज पीपीई को लगातार पहनने से भी संक्रमण फैल रहा है। ‘एन-95 मास्क नॉट अवेलेबल इन स्टोर’ का नोटिस सफदरजंग अस्पताल में चस्पा है।

गौरतलब है कि मास्क की कमी डॉक्टरों के लिए जान का खतरा होने के साथ-साथ सरकारी सिस्टम और कोरोना महामारी से निपटने के लिए की गई सरकारी तैयारियों की भी पोल खोल रही है। आपको बता दें कि यह दिल्ली के सबसे बेहतरीन अस्पतालों में शुमार सफ़दरजंग का हाल है। देश के बाकी हिस्सों में आप सिर्फ अंदाजा लगा सकते हैं।

आपको बता दें कि दुनिया भर में स्वास्थ्यकर्मी इस महामारी से लड़ाई में बड़ी कीमत चुका रहे हैं। पूरी दुनिया में हजारों की संख्या में डॉक्टर, नर्स और स्वास्थ्यकर्मी इस संक्रमण के शिकार हैं।

बताया जा रहा है कि सुरक्षित कपड़े, मास्क और ग्लव्स पहनने के बावजूद डॉक्टर, नर्स और अन्य स्वास्थ्यकर्मी बाकी लोगों के मुकाबले संक्रमण के ज़्यादा शिकार हो रहे हैं। भारत में तो डॉक्टरों को ऐसी सुविधाएं अब तक ठीक तरीके से मिल भी नहीं पाई हैं।  

बीबीसी के मुताबिक डब्ल्यूएचओ के अनुसार 2002-03 में फैले सार्स संक्रमण के दौरान 21 फीसदी संक्रमित लोग स्वास्थ्यकर्मी थे।

कुछ ऐसा ही हाल कोविड-19 के मरीज़ों का इलाज करने वाले स्वास्थ्यकर्मियों का भी है। इटली में 6,200 से ज़्यादा कोरोना संक्रमित लोग स्वास्थ्यकर्मी हैं। स्पेन में लगभग 6,500 (लगभग 12%) संक्रमित लोग भी स्वास्थ्यकर्मी ही हैं।

मार्च की शुरुआत में चीन ने बताया था कि 3,300 के करीब स्वास्थ्यकर्मी कोरोना वायरस संक्रमण का शिकार हुए थे। इसका मतलब है कि 4-12% के लगभग संक्रमित लोग हेल्थकेयर स्टाफ हैं।

गौरतलब है कि ये स्वास्थ्यकर्मी ही कोरोना से लड़ने वाले असली योद्धा हैं। इस महामारी से हमारी लड़ाई का अंतिम नतीजा उनके मनोबल और कौशल से ही निकलेगा। लेकिन भारत जैसे देश में उन्हें कोरोना के साथ साथ जरूरी सुरक्षा उपकरणों से भी लड़ाई लड़नी पड़ रही है। इलाज से ज्यादा मीडिया में उनकी ख़बर सुरक्षा उपकरणों की मांग, वेतन और बर्खास्तगी को लेकर चल रही है। ऐसे में इस कठिन माहौल में उनपर पुष्पवर्षा के बजाय जरूरी सुरक्षा किट मुहैया कराया जाय ताकि वो अपनी जान बचा सकें। 

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