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गुजरात: पांच सालों में कांग्रेस छोड़कर जाने वाले विधायक और नेता

भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी इन दिनों गुजरात में अपने मोहरे सेट कर रही हैं, लेकिन दूसरी ओर कांग्रेस की टूट उसके लिए लगातार परेशानियां खड़ी कर रही है।
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फ़ोटो साभार: पीटीआई

साल 2017 में जब गुजरात विधानसभा चुनाव हुए तब ऐसा लगा जैसे इस बार तो कांग्रेस प्रदेश में अपने सियासी सूखे को खत्म कर लेगी, राहुल गांधी की ताबड़तोड़ रैलियां, कांग्रेस के बड़े-बड़े नेताओं के धुंआधार प्रचार और विपक्षियों की सक्रियता ने भाजपा को 100 सीटों के अंदर ही समेट दिया था, इन चुनावों में भाजपा जैसे-तैसे जीत तो गई लेकिन एक बड़े सियासी संदेश ने भी जन्म ले लिया था, कि आने वाले दिन प्रदेश में भाजपा के लिए आसान होने वाले नहीं हैं।

लेकिन हुआ इससे ठीक उलट... भाजपा की ‘तोड़ो नीति’ के आगे कांग्रेस पूरी तरह से घुटने पर आ गई, एक के बाद एक विधायक ख़ुद को पंजे छुड़ाकर भगवा ओढ़ने लगे... हालात ये आ गए कि कांग्रेस 77 सीटों से खिसकर 60 से कम पर पहुंच गई।

कांग्रेस का सियासी सिरदर्द यहीं खत्म नहीं होता, प्रदेश में आम आदमी पार्टी की धमाकेदार एंट्री ने उसे विपक्ष नंबर वन विपक्ष की लाइन में ला खड़ा किया, हालांकि पंजाब जीतने के बाद आत्मविश्वास से भरी आम आदमी पार्टी ये दावा करती है कि वो सबसे बड़ा विपक्ष नहीं बल्कि सबसे बड़ी पार्टी बनेगी और गुजरात में भाजपा के लंबे शासन को खत्म अपनी सरकार बनाएगी।

हालांकि इन सबके बीच अगर वाकई चिंता की लकीरें किसी दल के माथे पर हैं, तो वो कांग्रेस है, क्योंकि पिछली बार थोड़ी मज़बूत दिख रही कांग्रेस इस बार फिलहाल कहीं मैदान में नज़र नहीं आ रही है, जिसका सबसे कारण है, पार्टी में लगातार टूट होते रहना।

पिछले पांच सालों में हुई कांग्रेस की हालत की बात करें उससे पहले पार्टी के ताज़ा ज़ख्म पर एक बार नज़र डाल लेते हैं।

भगवानभाई धनाभाई बराड़

पिछले दिनों विधायक भगवानभाई धनाभाई बराड़ गिर ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया,  इसके बाद कुछ देर में भाजपा ज्वॉइन कर ली। भगवानभाई धनाभाई बराड़ दो बार से कांग्रेस के विधायक थे, भगवानभाई धनाभाई बराड़ के साथ उनके दो बेटे भी भाजपा में आ गए हैं।

भगवानभाई धनाभाई बराड़ अभी सोमनाथ जिले की तलाला विधानसभा सीट से विधायक हैं, वह सौराष्ट्र आहिर समुदस्य के नेता हैं, उनका परिवार सालों से कांग्रेस से जुड़ा हुआ है। शायद उनकी प्रसिद्धी के कारण ही भाजपा ने भी उन्हें तलाला विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में उतारा है।

आपको बता दें कि भगवानभाई धनाभाई बराड़ पूर्व सांसद स्वर्गीय जसाभाई बराड़ के भाई हैं और कांग्रेस के साथ उनका परिवार कई सालों से जुड़ा हुआ है. स्वर्गीय जसाभाई बारड और भगवानभाई बारड के पिता धानाभाई मांडाभाई बारड भी कांग्रेस के नेता थे।

मोहनसिंह राठवा

भगाभाई बारड से एक दिन पहले कांग्रेस के वरिष्ठ आदिवासी नेता मोहनसिंह राठवा कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गए थे, मोहनसिंह राठवा 11 बार यानी करीब 50 साल से ज्यादा वक्त से विधायक हैं।

आपको बता दें कि मोहन सिंह राठवा साल 1975 में तब अचानक चर्चा में आ गए थे जब उन्होंने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री चिमन भाई पटेल को शिकस्त दे दी थी, गुजरात विधानसभा में छोटा उदयपुर का प्रतिनिधित्व करने वाले मोहन सिंह राठवा की गिनती उन दिग्गजों में होती है जो किसी भी दल से चुनाव मैदान में उतरें, उन्हें हराना आसान नहीं है। मोहन सिंह राठवा का पार्टी छोड़ना कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। जिसका बड़ा कारण आदिवासी वोटरों में उनकी अच्छी पैठ है।

आपको बता दें कि मोहन सिंह रठावा 1965 में सतुन ग्रुप ग्राम पंचायत के सरपंच निर्वाचित हुए थे, सरपंच निर्वाचित होने के साथ शुरू हुआ मोहन सिंह राठवा का सियासी सफर गुजरात विधानसभा तक पहुंचा। साल 1972 में मानेक तड़वी को हराकर जनता पार्टी के टिकट पर जैतपुर विधानसभा सीट से वे पहली बार विधायक निर्वाचित हुए। रठावा पहली बार 1995 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते, फिर 1978, 2007, 2012 और 2017 में भी कांग्रेस के टिकट पर विधायकी जीती।

कुंवरजी बवालिया

गुजरात की जदसण सीट से कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुनकर आए कुंवरजी बवालिया ने 2018 में कांग्रेस का साथ छोड़ दिया था, और भाजपा में शामिल हो गए थे, इसके तुंरत बाद वो तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की ओलचना कर चर्चा में आ गए और बोले कि उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की विकास नीति से प्रभावित होकर भाजपा का साथ थामा है।

अब एक बार फिर भाजपा ने कुंवरजी बवालियो को उसी जदसण सीट से ही विधायक बनाया है, जहां से वो कांग्रेस के टिकट पर जीत कर आए थे।

हार्दिक पटेल  

कुछ दिनों पहले जब हार्दिक पटेल और कन्हैया कुमार जैसे युवाओं ने कांग्रेस का हाथ पकड़ा था, तब लगा पार्टी उबरने की कोशिश कर रही है, लेकिन चुनावों से करीब एक साल पहले ही पाटीदार आंदोलन के बड़े युवा नेता हार्दिक ने कांग्रेस का साथ छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया। भाजपा ने हार्दिक की लोकप्रियता को देखते हुए उन्हें कांग्रेस के गढ़ विरमगाम से टिकट दिया है, जहां पिछले 10 सालों से कांग्रेस का ही कब्ज़ा है। 2017 के विधानसभा चुनावों में यहां से लाखाभाई भीखाभाई भरवाड़ ने चुनाव जीत लिया था।

अल्पेश ठाकोर

अल्पेश ठाकोर ने 2017 में कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में राधनपुर निर्वाचन क्षेत्र से अपनी पहली विधायक सीट जीती थी, हालांकि 2019 में  उन्होंने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया था और भाजपा में शामिल हो गए थे। भाजपा के उम्मीदवार के रूप में उसी सीट से उपचुनाव लड़े थे लेकिन कांग्रेस के रघु देसाई ने जीत हासिल की थी। अब भाजपा ने अल्पेश को गांधीनगर जिले की गांधीनगर दक्षिण सीट से मैदान में उतारा है। हालांकि उन्होंने पिछले दो मौकों पर राधनपुर से विधानसभा चुनाव लड़ा था। गांधीनगर दक्षिण सीट पर ठाकोर समुदाय का अच्छा प्रभाव है। आपको बता दें कि अल्पेश दलितों के बड़े नेता माने जाते हैं।

भावेश कटारा

गुजरात की झालोड़ विधानसभा सीट से कांग्रेस के विधायक भावेश कटारा ने कुछ दिनों पहले इस्तीफा दे दिया, और ज्यादा देर नहीं करते हुए भाजपा में शामिल हो गए। कटारा पहले भाजपा में ही थे लेकिन 2017 के चुनावों से पहले कांग्रेस में शामिल हो गए थे। उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर झालोद से चुनाव जीता था। वह उस समय राज्य के सबसे युवा विधायकों में से एक थे।

खेडब्रह्मा विधायक अश्विन कोटवाल

कांग्रेस विधायक अश्विन कोटवाल ने पार्टी छोड़ते ही भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया था, इस दौरान कोटवाल ने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा, उन्होंने कहा कि वह कांग्रेस से तीन बार विधायक चुने गए, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मेरे दिल में थे। वहीं, राजनीतिक जानकार कोटवाल के बीजेपी में शामिल होने को कांग्रेस के लिए बड़ा नुकसान मान रहे हैं। आपको बता दें कि कोटवाल एक वरिष्ठ आदिवासी नेता हैं। फिलहाल आदिवासी नेता अश्विन कोटवाल को भाजपा ने खेडब्रह्मा सीट से पार्टी ने उतारा है।

कांग्रेस के इन बड़े नेताओं के अलावा पिछले पांच सालों में जिन नेताओं और विधायकों ने कांग्रेस का दामन छोड़ दिया है, उनमें धारी से विधायक जे.वी.काकडिया,  माणावदर से विधायक जवाहर चावड़ा,  डांग विधायक मंगल गावित,  कपराडा विधायक जीतु चौधरी, धांगध्रा विधायक परसोतम साबरिया, राधनपुर विधायक अल्पेश ठाकोर, बायड विधायक धवलसिंह झाला, गढडा विधायक प्रवीण मारु, मोरबी विधायक ब्रिजेश मेरजा, लींमडी विधायक सोमा पटेल, उंजा विधायक आशा पटेल, अबडासा विधायक प्रद्युमसिंह जाडेजा, करजण विधायक अक्षय पटेल, जामनगर शहर विधायक धरमेन्द्रसिंह जाडेजा, खेडब्रह्मा विधायक अश्विन कोटवाल, विसावदर विधायक हर्षद रीबडिया, छोटा उद्देपुर विधायक मोहनसिंह राठावा और तलाला विधायक भगा बारड कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो चुके हैं…

फिलहाल ये कहा जा सकता है कि कहीं न कहीं कांग्रेस को इन विधायकों का पार्टी छोड़ने का नुकसान तो उठाना ही पड़ेगा। 

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