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गुजरात दंगे : 'बलात्कारियों' की आज़ादी से बिलक़ीस बानो स्तब्ध 

परिवार का कहना है कि वे राज्य में अपनी सुरक्षा को लेकर काफी चिंतित हैं क्योंकि जिस तरह से दोषियों का स्वागत किया जा रहा है और मालाएं पहनाई जा रही हैं वह उनके भीतर भय पैदा कर रहा है। 
bilkis bano

नई दिल्ली/अहमदाबाद: बिलकिस बानो, जो अब 40 साल की हो चुकी है, सदमे से पूरी तरह हिल गई है और टूट कर बिखर गई है। उसके बलात्कारियों और उसकी तीन साल की बेटी सालेहा सहित उसके परिवार के 14 सदस्यों के हत्यारों को 15 अगस्त को गुजरात की छूट नीति के तहत रिहा किए जाने से वह सुन्न हो गई हैं और अपने को "ठगा" महसूस कर रही हैं।

"कहने के लिये कुछ नहीं बचा है; मुझे अकेला छोड़ दो” वह गुस्से से इस बात का इज़हार करती है और उनकी आवाज घुटने लगती है। उनके पति याकूब रसूल ने न्यूज़क्लिक को बताया: "हमें विश्वास नहीं हो रहा है कि सरकार ने इतने जघन्य अपराध के दोषियों को रिहा कर दिया है। इन लोगों ने मेरे परिवार के 14 लोगों की बेरहमी से हत्या की थी।”

उन्होंने भयावह घटना सुनाते हुए बताया कि, “हत्यारों ने मेरी तीन साल की बेटी पर भी दया नहीं की, जिसे उसकी माँ की गोद से छीन कर जमीन पर पटक दिया गया था। मेरी पत्नी और उसकी बहनों के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया। जबकि मेरे परिवार के 14 सदस्य मार दिए गए थे, बिलकिस जानलेवा हमले से बच गई क्योंकि वह बेहोश हो गई थी।” 

भयानक घटना

यह घटना 3 मार्च, 2002 को लिमखेड़ा तालुका में तब हुई थी, जब बिलकिस और उसके परिवार के सदस्य, पिछले दिन गोधरा में हुई घटना के बाद गुजरात में फैले सांप्रदायिक दंगों के मद्देनजर अपनी जान बचाने के लिए दाहोद जिले के राधिकपुर गांव से भागने की कोशिश कर रहे थे। गोधरा रेलवे स्टेशन जहां साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन में आग लगा दी गई थी - जिसके परिणामस्वरूप अयोध्या से लौट रहे दर्जनों तीर्थयात्रियों और कार सेवकों (स्वयंसेवकों) की मौत हो गई थी।

"मारे गए लोगों में से एक मेरे चाचा की बेटी थी, जिसने दंगाइयों से बचने के दौरान हमले से ठीक आठ घंटे पहले एक बच्ची को जन्म दिया था - नवजात और मां दोनों का कत्ल कर दिया गया था। दंगाइयों से जान बचाते समय, लड़की का जन्म रास्ते में हुआ था”, उन्होंने उस भयावह घटना को याद किया और आरोप लगाया कि पुलिस ने 14 मौतों में से केवल सात मौतों को स्वीकार किया था क्योंकि अन्य सात शव कभी मिले ही नहीं। 

बिलकिस के राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) से संपर्क करने के बाद ही, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को मामले की जांच का आदेश दिया था। शीर्ष अदालत ने 2004 में बिलकिस द्वारा कथित तौर पर आरोपियों से जान से मारने की धमकी मिलने के बाद मामले की सुनवाई को गुजरात से महाराष्ट्र स्थानांतरित कर दिया था। 

21 जनवरी, 2008 को मुंबई की एक विशेष सीबीआई अदालत ने सामूहिक बलात्कार और हत्या के आरोप में 13 आरोपियों को दोषी ठहराया था – जिसमें 11 को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। बाद में बॉम्बे हाईकोर्ट ने सजा को बरकरार रखा था।

न्याय को पलटना 

“न्याय के लिए लंबे समय से चली आ रही लड़ाई एक ही पल में पलट गई, और आजीवन कारावास की सजा काट रहे दोषियों को आज़ाद छोड़ दिया है। यह सब न्याय वितरण प्रणाली के मजाक के अलावा और कुछ नहीं है” रसूल ने कहा कि उन्हें “धोखा” दिया गया है। 

मामले के 13 दोषियों में से एक ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, जिसमें गुजरात सरकार को 9 जुलाई, 1992 की राज्य की छूट नीति के तहत समय से पहले रिहाई के उनके आवेदन पर विचार करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।

मई 2022 में, न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने कहा कि चूंकि अपराध गुजरात में हुआ था और मुकदमा समाप्त होने के बाद, दोषसिद्धि का निर्णय पारित हुआ था, इसलिए नीति के तहत छूट या समय से पहले रिहाई सहित आगे की कार्यवाही पर गुजरात को विचार करना चाहिए। 

शीर्ष अदालत के आदेश पर दो महीने के भीतर आवेदन पर फैसला करने के निर्देश के बाद, राज्य सरकार ने तदनुसार पंचमहल जिला मजिस्ट्रेट और कलेक्टर सुजल मायात्रा की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया।

अंत में, जेल सलाहकार समिति (JAC) ने सभी 11 दोषियों को रिहा करने की सिफारिश की - जिसके बाद गुजरात सरकार द्वारा छूट नीति का लाभ दिया गया।

मायात्रा ने न्यूज़क्लिक को बताया कि "यह समिति का एक सर्वसम्मत निर्णय था। दोषियों के व्यवहार, जेल में उनके कार्यकाल (14 वर्ष) और मामले के अन्य गुणों को ध्यान में रखते हुए, समिति ने सरकार को सिफारिश की थी। सरकार ने सोमवार (15 अगस्त) को उनकी रिहाई का आदेश दिया।” 

उन्होंने कहा, जेएसी में आठ सदस्य थे - जिला मजिस्ट्रेट (अध्यक्ष के रूप में), जेल अधीक्षक, सदस्य सचिव, जिला सत्र न्यायाधीश, पुलिस अधीक्षक, जिला समाज कल्याण अधिकारी, और दो स्थानीय (निर्वाचित) सदस्य, सुमन चौहान जो कलोल से भाजपा विधायक, और गोधरा से  बीजेपी विधायक सीके राउलजी इसके सदस्य थे।  

सूत्रों ने बताया कि इन 11 लोगों समेत कुल 26 कैदियों को सोमवार को राज्य में रिहा किया गया है।

घावों को फिर से खोलना

रसूल ने कहा कि यह घटना अकल्पनीय तौर पर भयावह थी।

“मेरी पत्नी को न केवल एक महिला के रूप में क्रूरता और बलात्कार झेलना पड़ा, बल्कि उसकी आँखों के सामने हमारी तीन साल की बेटी की हत्या कर दी गई थी। उसने पूछा कि, इससे बुरा और क्या हो सकता है?" "इस तथ्य के बावजूद कि उन्हें पहले ही रिहा कर दिया गया है, हम अभी भी समाचार को पचा नहीं पा रहे हैं - जिसके बारे में हमें सोशल मीडिया के माध्यम से पता चला। उन्हें पहले कई बार पैरोल दी गई थी, और आखिरकार, उन्हें अब रिहा कर दिया गया है। हमने ऐसा होने की उम्मीद नहीं की थी," उन्होंने कहा, "हमारे साथ जो हुआ था उसे भूलने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन इस खबर ने घाव को ताजा कर दिया है।"

उन्होंने कहा, "जिस तरह से उनका स्वागत किया जा रहा है और मालाएं पहनाई जा रही है, उससे अब अब हमें हमारी सुरक्षा का खतरा पैदा हो गया है।"

सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस को 2019 में 50 लाख रुपये का मुआवजा दिलवाया था, और गुजरात सरकार से उसे सरकारी नौकरी और आवास प्रदान करने के लिए भी कहा था।

रसूल ने पुष्टि की कि उसे मुआवजा दिया गया था। नौकरी के संबंध में, उन्हें देवगढ़ बरिया में एक चपरासी के पद की पेशकश की गई थी, लेकिन उन्होंने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था और इसके बजाय अपने पति के लिए रोजगार की मांग की थी।

उन्होंने कहा  कि, “सरकार को अभी आवेदन पर विचार करना है। हमें प्रशासन से आवास के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है।”  

दोषियों की रिहाई "न्याय का उपहास" है और "नारी शक्ति" की प्रतिज्ञा के साथ विश्वासघात है।

लाल किले की प्राचीर से इस वर्ष के स्वतंत्रता दिवस के भाषण में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूछा, "क्या हम अपने व्यवहार, संस्कृति और रोजमर्रा की जिंदगी में हर उस चीज से छुटकारा पाने की प्रतिज्ञा नहीं कर सकते हैं जो महिलाओं को अपमानित करती है?"

इस साल जून में केंद्र ने कैदियों की रिहाई नीति पर राज्यों को दिशा-निर्देश जारी किए थे। विशेष रिहाई के मामले में जो श्रेणियां पात्र नहीं थीं उनमें बलात्कार के दोषी और आजीवन कारावास की सजा वाले व्यक्ति भी शामिल हैं।

Bilkis Bano's Statement-April17-2002.pdf (159.46 KB)

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करेंः

Gujarat Riots: Her 'Rapists' Set Free to Prowl Around, Bilkis Bano is Shocked, Shaken, Shattered

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