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गुजरात पेपर लीक: निराश युवा सड़कों पर उतरने को मजबूर

गुजरात में पहले भी कई बार प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक होने की खबरें आ चुकी है, जिसके चलते ज्यादातर भर्ती परीक्षाएं टल जाती हैं और हर बार लाखों की संख्या में युवा इससे प्रभावित होते हैं।
Gujarat paper leak

गुजरात में एक बार फिर पेपर लीक का मामला सुर्खियों में है। रविवार, 29 जनवरी को होने वाली पंचायत जूनियर क्लर्क की परीक्षा, पेपर लीक होने के चलते उसी दिन रद्द कर दी गई। अब ये परीक्षा दोबारा कब होगी फिलहाल अभी इस पर कोई जानकारी सामने नहीं आई है। फिलहाल, एग्जाम कैंसिल होने के बाद अब गुजरात के कई शहरों में छात्र सड़कों पर उतर आए है और राज्य सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।

बता दें कि कोरोना काल और गुजरात विधानसभा चुनाव के बाद राज्य में ये अब तक की सबसे बड़ी भर्ती परीक्षा होनी थी, जो लीक की भेंट चढ़ गई। वैसे गुजरात में पहले भी कई बार प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक होने की खबरें आ चुकी है, जिसके चलते ज्यादातर भर्ती परीक्षाएं टल जाती हैं और हर बार लाखों की संख्या में युवा इससे प्रभावित होते हैं। बीते साल दिसंबर 2022 में हुए गुजरात विधानसभा चुनावों में ये एक बड़ा मुद्दा भी था। विपक्ष ने पेपर लीक और सरकारी भर्तियों में विलंब का मुद्दा जोर-शोर से चुनावी रैलियों में उठाया था, लेकिन इसका कोई खास फायदा हुआ नहीं और एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी की सत्ता में वापसी हुई। हालांकि इन सब के बीच आज भी गुजरात का युवा जो व्यापार से अलग सरकारी नौकरी की चाह रखता है, वो निराश और हताश होकर सड़क पर उतरने को मजबूर है।

जामनगर के प्रदर्शन में शामिल रहे एक युवक राहुल ने न्यूज़क्लिक को बताया कि जूनियर क्लर्क के कुल 1 हजार 185 पदों पर भर्ती परीक्षा आयोजित की जानी थी। इसके लिए प्रदेश भर में लगभग 10 लाख परीक्षार्थियों को परीक्षा देनी थी। यह परीक्षा 3 हज़ार परीक्षा केंद्रों पर होनी थी, लेकिन आयोजन के ठीक पहले ही इसे रद्द घोषित कर दिया गया।

राहुल बताते हैं कि वो ओखा, द्वारका से पेपर देने जामनगर आए थे, लेकिन परीक्षा ही रद्द हो गई और उन्हें अब बिना परीक्षा दिए ही खाली हाथ घर लौटना पड़ रहा है। राहुल कहते हैं कि उनके सेंटर पर भारी भीड़ जमा थी, उन बच्चों की जो पेपर देने दूर-दूर से आए थे। इसलिए लड़कों में गुस्सा भी था और वो इस करप्ट सिस्टम को लेकर नारेबाजी करने लगे। लेकिन फिर पुलिस ने सबको शांत करवाकर वापस घर भेज दिया।

ध्यान रहे कि इस परीक्षा में मात्र 1 हजार 185 पदों के लिए 9 लाख 53 हज़ार से अधिक अभ्यार्थियों ने अप्लाई किया था, जो प्रदेश में बेरोजगारी की कहानी बताने के लिए काफी है। बाते साल मेहसाणा में फॉरेस्ट विभाग का पेपर हो या गुजरात अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड में हेड क्लर्क का, हर परीक्षा में कुछ हज़ार पदों के लिए लाखों की संख्या में उम्मीदवार अप्लाई करते हैं और फिर लीक हो जाने पर निराश लौट जाते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पेपर लीक की खबर के बाद गोधरा और जामनगर सहित कई शहरों में उम्मीदवारों का प्रदर्शन देखने को भी मिला।

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क्या है पूरा मामला?

प्राप्त जानकारी के मुताबिक गुजरात पंचायत सेवा चयन बोर्ड की तरफ से जूनियर क्लर्क के कुल 1 हजार 185 पदों पर भर्ती परीक्षा आयोजित की जानी थी। इसके लिए प्रदेश भर में 9 लाख 53 हजार से अधिक परीक्षार्थियों को परीक्षा देनी थी। यह परीक्षा 2 हजार 995 परीक्षा केंद्रों पर होनी थी। लेकिन रविवार ही सुबह मिली जानकारी के अनुसार पुलिस ने एक संदिग्ध को गिरफ्तार कर उसके पास से इसी एग्जाम के प्रश्नपत्र की कॉपी बरामद की। जिसके बाद यह परीक्षा रद्द कर दी गई। गुजरात एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड, जो इस मामले की जांच कर रहा है, उसने इस पेपर लीक मामले में अब तक 15 से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया है। इनमें से 5 आरोपी गुजरात के हैं और 10 से ज्यादा आरोपी गुजरात के बाहर के बताए जा रहे हैं।

ग्रुप तीन परीक्षा की तैयारी करने वाली पाटन की गरिमा न्यूज़क्लिक से कहती हैं कि जब 2018 में कांस्टेबल परीक्षा का पेपर लीक हुआ था, तब भी पुलिस ने कई लोगों को गिरफ्तार कर कड़ी कार्रवाई की बात की थी। हर बार यही होता है और फिर हर बार पेपर लीक हो जाते हैं। 27 साल से यहां बीजेपी की सरकार है, विकास का वादा है लेकिन इस मामले में कुछ नहीं हो रहा।

गरिमा के मुताबिक छात्र ट्यूशन, किराए और खाने पर सालाना कम से कम डेढ़ से दो लाख रुपये खर्च करते हैं। और इन परीक्षाओं की तैयारी ज्यादातर निम्न मध्यम वर्गीय परिवारों के बच्चे करते हैं। इसलिए ऐसे छात्रों पर घर का दबाव भी होता है, बहुत कुछ दांव पर लगा होता है। अब यहां बार-बार पेपर लीक सभी बच्चों के लिए मानसिक प्रताड़ना बन चुका है।

सरकारी नौकरी की तैयारी करने वाले अभिषेक भी कहते हैं कि चुनाव से ठीक पहले सरकार ने युवाओं से कई वादे किए थे, कई लाख नौकरियों और भर्तियों का मैनिफेस्टो बनाया था। लेकिन जब परीक्षा ही नहीं होगी तो नौकरी का सवाल ही दूर है। ये सभी युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। हर बार का यही हो गया है कि पेपर लीक होते हैं, फिर कार्रवाई होती है और फिर एक और पेपर लीक हो जाता है। अब तो राज्य के सभी युवाओं का सवाल है कि क्या सरकार वाकई इन परीक्षाओं के लिए गंभीर भी है या सिर्फ दिखावा ही कर रही है?

वैसे भर्ती परीक्षा के अलावा गुजरात के वीर नर्मदा दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय के बीकॉम और बीए परीक्षा के पेपर भी लीक के कारण रद्द हुए थे। इसके अलावा स्कूल की दसवीं के परीक्षा पेपर भी यहां लीक हो चुके हैं। कुल मिलाकर देखें, तो गुजरात में पेपर लीक की समस्या विकराल बन चुकी है।

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पेपर लीक को लेकर बीजेपी सरकार से सवाल

पेपर लीक का मामला तूल पकड़ने के बाद विपक्ष ने इस पूरे मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए तीखा हमला बोला है। आम आदमी पार्टी के गुजरात विधायक दल के नेता चैतर वसावा ने मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल से इस्तीफा मांगते हुए कहा कि आठ साल बाद यह परीक्षा ली जा रही थी, लेकिन पेपर लीक होने के कारण फिर एक बार परीक्षा रद्द हो गई।

कांग्रेस पार्टी के नेता और बडगाम से विधायक विधायक जिग्नेश मेवानी ने भी एक वीडियो जारी कर कहा, "गुजरात में फिर एक परीक्षा का पेपर लीक हुआ है। यह गुजरात के युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ है और 156 सीटों का घमंड। यह 20वां पेपर लीक हुआ है। भाजपा विद्यार्थियों से कहना चाह रही है कि हमें सत्ता में रहना आता है तुम्हें जो करना है करो। ये सिर्फ पेपर लीक नहीं हुआ बल्कि गुजरात के युवाओं की किस्मत फूटी है।"

इस मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि गुजरात के लगभग हर एग्जाम में पेपर लीक हो जाता है। क्यों? करोड़ों युवाओं का भविष्य बर्बाद हो रहा है।

गौरतलब है कि अभी दिसंबर 2022 में हुए गुजरात विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को बंपर जीत मिली है। पार्टी ने सभी पुराने रिकॉर्ड ध्वस्त करते हुए जीत के नए रिकॉर्ड कायम किए। हालांकि उनके पूरे कार्यकाल में युवा असंतुष्ट ही दिखे थे। पिछले पांच वर्षों में गैर-सचिवालय क्लर्क, प्रधान क्लर्क, कांस्टेबल, तलाठी, ग्राम राजस्व अधिकारी और वन रक्षक के तमाम पदों के लिए परीक्षाओं को पेपर लीक या प्रशासनिक गड़बड़ियों के चलते रद्द कर दिया गया था। बीजेपी का दावा रहा है कि सरकारी भर्ती प्रक्रिया पारदर्शी हुई हैं। यही कारण है कि कहीं भी कुछ गलत होने की आशंका होते ही परीक्षा रद्द कर दी जाती है। जो परीक्षाएं होती हैं, उसपर कोई दाग नहीं लगा सकता है।

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हालांकि ये सिर्फ गुजरात का हाल नहीं बल्कि देश के कई अन्य हिस्सों की भी सच्चाई है। लेकिन एक सच्चाई ये भी है कि युवाओं के भविष्य को लेकर बीजेपी जिस तरह बड़े-बड़े दावे करती है वो ज़मीन पर कहीं दिखाई नहीं देते। अगर परीक्षाओं की गोपनीयता पर करोड़ों खर्च होने के बावजूद पेपर लीक हो जाता है तो ऐसे में सरकार पर सवाल उठना लाजमी है।

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फ़ोटो साभार : ट्विटर 

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