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हरियाणा में मनरेगा के तहत मिला महज़ 34 दिन का रोज़गार, परेशान मज़दूर प्रदर्शन को मजबूर

हरियाणा में मनरेगा के तहत काम न मिलने से श्रमिक परेशान हैं। काम की मांग को लेकर वे राज्य के विभिन्न हिस्सों में सरकारी कार्यालयों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। हरियाणा सरकार कोरोना काल के समय 2021-22 में मनरेगा के जरिए औसतन महज 34 दिन का ही रोज़गार दे पाई थी।

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साभार: द इंडियन एक्स्प्रेस

बीजेपी शासित राज्य हरियाणा में मनरेगा के तहत काम न मिलने के कारण मज़दूर लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। काम और बेरोज़गारी भत्ते की मांग को लेकर कल राज्य के कलायत में जहां मज़दूरों ने प्रदर्शन किया वहीं कुछ दिन पहले इन्हीं मांगों को लेकर करनाल में श्रमिकों ने धरना प्रदर्शन किया। इस तरह राज्य भर के मनरेगा श्रमिक काम और भत्ते की मांग को लेकर प्रदर्शन करते नज़र आ रहे हैं। इस तरह अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि राज्य में मनरेगा के तहत मिलने वाले काम को लेकर स्थिति कुछ अच्छी नहीं है।

क्रांतिकारी मनरेगा मज़दूर यूनियन के बैनर तले मंगलवार को चौशाला, रामगढ़, बाह्मणीवाला समेत दूसरे गांव के मनरेगा मज़दूरों ने कलायत उपमंडल कार्यालय के सामने अपनी मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन किया और डीसी के नाम अपनी मांगों का ज्ञापन एसडीएम सुशील कुमार को सौंपा।

यूनियन सदस्य रमन व मीना ने दैनिक ट्रिब्यून को बताया कि कलायत ब्लॉक के बीडीपीओ कार्यालय में प्राशासनिक कार्यों की कोई जवाबदेही तय नहीं है। मनरेगा एक्ट के तहत 100 दिन के रोजगार की गारंटी दी गई है, लेकिन कलायत ब्लॉक के मज़दूर परिवारों को मुश्किल से 30-40 दिन ही काम मिल पाता है। मनरेगा क़ानून के तहत काम के आवदेन के 15 दिनों के भीतर अगर काम नहीं मिलता है तो आवदेक मज़दूरों को बेरोज़गारी भत्ता देने का प्रावधान है।

उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार में रोज़गार के अधिकार को भी शामिल किया गया है, लेकिन कलायत कार्यालय में मौजूद अधिकारियों द्वारा न तो समय पर काम दिया गया और न ही बेरोज़गारी भत्ता दिया जा रहा है। क्रांतिकारी मनरेगा मज़दूर यूनियन ने विभाग द्वारा 16 दिवसीय काम का मस्टररोल निकाल कर मनरेगा का काम सुचारु रूप से चालू करवाने, सभी गांव के मेटों के लंबित भुगतान करने, नये जॉब कार्ड तय समय सीमा में बनाये जाने व ब्लॉक स्तर पर तीन दिवसीय कैंप लगाकर जॉब कार्ड की समस्याओं का समाधान किया जाने आदि की मांग की है।

बता दें कि पांच दिन पहले अखिल भारतीय मनरेगा सहयोग मंच हरियाणा के बैनर तले बृहस्पतिवार को प्रदेश भर से हजारों मनरेगा श्रमिक व मेट रेलवे स्टेशन पर पहुंचे और वहां से जुलूस की शक्ल में सीएम आवास के लिए रवाना हुए थे। इन श्रमिकों को सीएम आवास पहुंचने से पहले ही रोक दिया गया था। इस दौरान पुलिस कर्मियों व श्रमिकों के बीच थोड़ी झड़प होने की बात सामने आई थी। जब पुलिस ने उन्हें आगे नहीं जाने दिया तो यहीं पर श्रमिकों ने धरना दे दिया और नारेबाजी की। बाद में सीईओ (मनरेगा) को मुख्यमंत्री को संबोधित एक ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन सौंपने के बाद बाद श्रमिक लौट गए।

इन श्रमिकों ने अपनी मांग को दोहराते हुए कहा कि मनरेगा मज़दूरों की 600 रुपये प्रतिदिन दिहाड़ी दी जाए और पूरे वर्ष काम दिया जाए। साथ ही मेट को मनरेगा पॉलिसी में जोड़कर पक्का कर्मचारी बना जाए और तब तक डीसी रेट दिया जाए एवं मेट को रोज़गार कौशल निगम में जोड़ा जाए। इन श्रमिकों ने बीडीपीओ कार्यालय में मेट के लिए अलग से बैठने के लिए कमरा दिए जाने की मांग की और साथ ही मेटो की मज़दूरी का भुगतान मज़दूरों के साथ किए जाने की बात कही। उन्होंने कहा कि मेटो तथा मज़दूरों की बकाया मज़दूरी तुरंत दिलवाया जाए और मनरेगा मज़दूरों के साथ मेटो को भी पांच किलोमीटर की दूरी पर किराया दिया जाए।

श्रमिकों ने मनरेगा के काम के औज़ार (कस्सी-तसले, गैती, फित्ता तथा पीने के साफ पानी के लिए कैंपर) दिए जाने की मांग की। वहीं नई भर्ती के बजाय सही कार्य करने वाले काम से हटाए गए मेटो को वापस लाए जाने की भी मांग की तथा मनरेगा से जुड़े सभी कर्मचारियों-मज़दूरों को आयुष्मान योजना में जोड़ने की भी बात की गई है। साथ ही दुर्घटना होने पर घायलों को पांच लाख रुपये और मृत्यु होने की स्थिति में 25 लाख रुपये पीड़ित परिवार को सहायता देने की मांग की। श्रमिकों ने बीपीएल सूची से वंचित मनरेगा मज़दूरों को 100-100 वर्ग के रिहायशी प्लॉट देने की भी मांग की।

एक रिपोर्ट के मुताबिक़ कोरोना काल के समय 2021-22 में मनरेगा के जरिए औसतन महज 34 दिन का ही रोज़गार हरियाणा सरकार दे पाई थी।

बता दें कि क़रीब दो सप्ताह पहले राज्य के झज्जर में प्रदर्शन के दौरान मनरेगा श्रमिक श्यानो देवी ने कहा था कि साल के 9 माह बीत चुके है लेकिन अभी तक मात्र 5 दिन का रोज़गार देकर उनके साथ मज़ाक किया गया है। महात्मा गांधी रोज़गार गारंटी में सरकार द्वारा ज्यादातर श्रमिकों को रोज़गार देने का दावा किया जा रहा है लेकिन काम नहीं मिल रहा है।। वहीं सरकार मनरेगा श्रमिकों को 100 दिन रोज़गार देने की गारंटी दे रही है।

ज्ञात हो कि इसी महीने आई सीएमआईई की रिपोर्ट के मुताबिक़ हरियाणा 37.3 प्रतिशत की बेरोज़गार दर के साथ देश में सबसे खराब स्थिति में हैं। इसी साल जनवरी महीन में सीएमआईई द्वारा जारी किए गए पिछले साल के दिसंबर महीने की रिपोर्ट के मुताबिक़ देश भर में हरियाणा में सबसे ज़्यादा बेरोज़गारी दर रहा था। यहां बेरोज़गारी दर 34.1 फीसदी रिकार्ड की गई। सीएमआईई की रिपोर्ट के मुताबिक़ हरियाणा पूरे देश के राज्यों में पहले स्थान पर रहा था।

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