Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

हरियाणा : सरकार की वादाख़िलाफ़ी से नाराज़ ग्रामीण सफ़ाई कर्मचारियों का 26 को  विधानसभा मार्च

सफाई कर्मचारी यूनियन का कहना है कि वे अपनी समस्याओं तथा मांगो से पंचायत मंत्री को अवगत करा चुके हैं और 20 अगस्त को उनके विधानसभा क्षेत्र में हजारों ग्रामीण सफाई कर्मियों द्वारा आयोजित महापड़ाव के अवसर पर यूनियन के प्रतिनिधिमण्डल के साथ विस्तारित वार्ता हुई थी। 
workers
फाइल फ़ोटो।

हरियाणा प्रदेश के ग्रामीण सफाई कर्मियों ने एकबार फिर से आंदोलन का बिगुल फूँक दिया। प्रदेश के लगभग 11 हजार सफाई कर्मचारी अपनी  समस्याओं तथा उनकी मांगो  को लेकर 26 दिसम्बर  को विधान सभा मार्च का ऐलान किया है। इससे पहले ये कर्मचारी पंचायती राज मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक को अपनी मांगो से अवगत  करा चुके हैं। इन्हें सरकार और मंत्री ने कई बार आश्वासन दिया, लेकिन इनकी मांगें आज भी अनसुनी हैं। इसी वादाखिलाफी के विरोध में ग्रामीण सफाई कर्मचारियों ने आंदोलन शुरू किया है।

सफाई कर्मचारी यूनियन का कहना है कि वे अपनी समस्याओं तथा मांगो से पंचायत मंत्री को अवगत कर चुके हैं और 20 अगस्त को उनके विधानसभा क्षेत्र में हजारों ग्रामीण सफाई कर्मियों द्वारा आयोजित महापड़ाव के अवसर पर यूनियन के प्रतिनिधिमण्डल के साथ विस्तारित वार्ता हुई थी। उस वार्ता में उन्होंने हमें आश्वासन दिया था कि एक सप्ताह में मुख्यमंत्री से बात करके मैं जल्द ही हमारी  मांगो का समाधान करके  अवगत करवा देंगे। 

इसके साथ ही 20 अगस्त की वार्ता में रेगूलर करने के अलावा वेतन बढ़ोतरी महंगाई के मुताबिक भत्ता और वेतन में वार्षिक बढ़ोतरी, कर्मचारी की नियुक्ति के लिए निर्धारित 2000 की आबादी पर एक कर्मचारी के नीति में संशोधन, वेतन में असमानता को खत्म करने, वर्दी धुलाई भत्ता तय करने बीडीपीओ कार्यालय से काम के औजार वितरण करवाने, एक्सोसिया नीति लागू करने कर्मचारी की मौत पर मिलने वाली 5 लाख बीमा राशि की शर्तों को आसान करने, पंचायत की बजाए बीडीपीओ के पेरोल पर लेने सभी कर्मचारियों का ईएसआई कार्ड बनने और पीएफ जमा करवाने में अनियमितताओं को दूर करने समय पर वेतन भुगतान करने और एक माह  वेतन देरी पर मुख्यमंत्री द्वारा घोषित 500 रु अतिरिक्त देने आदि मसलों पर मंत्री के  आश्वासन  पर हमने इस सारी प्रक्रिया के लिए मंत्री  द्वारा मांगे गये समय से 3 दिन अधिक यानी 30 अगस्त तक का समय आपको देते हुए अपना महापड़ाव स्थगित किया था।

इसके  बाद हम ने मंत्री के  पीए और कार्यालय में बार-बार फोन करते रहे लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। ऐसे में हम 9 सितम्बर को आपके गाँव में मंत्री से  फिर मिले और  हमें फिर वही आश्वासन ही मिला। लेकिन   100 दिन बीत जाने के बाद भी  न तो महानिदेशक के साथ मीटिंग करवाई और ना ही समस्याओं के समाधान पर कोई उचित कार्यवाही हमें नजर आई। जबकि कर्मचारियों की समस्याएं ज्यों की त्यों  खड़ी है। ऐसी स्थिति में प्रदेश के ग्रामीण सफाई कर्मियों में आपके द्वारा किये गये वादे / आश्वासन पर प्रश्न चिन्ह खड़ा होता जा रहा है और सरकार व विभाग के प्रति रोष है। इसलिए हम 26 दिसम्बर  को प्रदेश भर के हजारों ग्रामीण सफाई कर्मचारी विधानसभा मार्च करने को मजबूर होंगे।

यूनियन के नेता देवीराम ने न्यूजक्लिक से बात करते हुए बताया कि राज्य की भाजपा सरकार ग्रामीण कर्मचारियों की मांगो एवं समस्याओं की अनदेखी करके उनका शोषण कर रही है। 2013 ग्रामीण सफाई कर्मचारियों और शहर में कार्यरत सफाई कर्मचारियों को 8100 रुपये एक समान वेतन मिलता था लेकिन आज भाजपा की सरकार ने वेतन में भारी भेदभाव करते हुए शहरी सफाई कर्मचारियों को 18000 रुपये और गांव के सफाई कर्मियों को 14 हजार रुपये मासिक वेतन दिया जा रहा है। जबकि शहरी कर्मचारियों के मुकाबले गांव के सफाई कर्मचारियों से कम 5 गुणा ज्यादा लिया जाता है। जो ग्रामीण सफाई कर्मचारियों के साथ अन्याय है। कर्मचारियों ने कहा कि आज की महंगाई में कम से कम 18000 वेतन होना चाहिए।

यूनियन नेताओं ने कहा कि एक जैसा काम करने वाले सरकार के कर्मियों को दो प्रकार का वेतन देती है। एक 4000 ज्यादा और दूसरे को कम, ये न केवल नाइंसाफी है बल्कि सुप्रीम कोर्ट के समान काम-समान वेतन लागू करने के निर्णय का भी हरियाणा सरकार ने मजाक उड़ाया है जिसको बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।

 देवीराम ने कहा कि इसके लावा नगर निगम/पालिकाओं में कार्यरत सफाई कर्मियों को पीएफ और ईएसआई की सुविधा दी जाती है लेकिन बार-बार बात होने के बाद भी आज तक ग्रामीण सफाई कर्मचारियों को पी.एफ ई.एस.आई के दायरे में नहीं लिया गया है। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार के पंचायत मंत्री    से कई बार यूनियन के नेताओं की वार्ता हो चुकी है लेकिन उसके बाद भी आज तक सफाई कर्मचारियों की मांगो एवं समस्याओं का कोई समाधान नहीं किया गया जिसके चलते सफाई कर्मियों में सरकार के खिलाफ भारी गुस्सा है।

ग्रामीण सफाई कर्मचारियों का मांग पत्र :-

1. विधान सभा में नई नीति (बिल) बनाकर कर ग्रामीण सफाई कर्मचारियों को रेगूलर कर्मचारी का दर्जा दिया जाये तथा जब तक कर्मचारी का दर्जा नहीं मिलता तब तक मानदेय की बजाए पेरोल रखा जाए।

2. 2000 की बजाय नगर पालिका की तर्ज पर 400 की आबादी पर एक कर्मचारी की स्थाई भर्ती की जाये तथा ठेकेदारी प्रथा के तहत डोर टू डोर के लिए लगाए गये कर्मचारियों को विभाग के पेरोल पर लिया जाए और उनके लिए ग्रामीण सफाई कर्मियों के बराबर वेतन और भत्ते लागू किए जाए।

3. अब तक अलग-अलग जिला और ब्लॉकों में जिन कर्मियों की मौत हो चुकी उनके परिजनों को घोषित मुआवजा दिया जाए तथा मृतक कर्मचारी के परिवार के सदस्य को एक्सग्रेसिया नीति के तहत नौकरी पर रखा जाये।

4. जब तक रेगुलर कर्मचारी ना हो तब तक न्यूनतम 24000 रु मासिक वेतन तय किया जाये तथा वेतन में मौजूद गैर बराबरी खत्म की जाए।

5. वार्षिक वेतन बढ़ोतरी लागू की जाए तथा वेतन को महंगाई के आंकड़ो के साथ जोड़ा जाये।
 
6. प्रत्येक माह की 7 तारीख तक वेतन दिया जाए, वेतन एक माह देरी से मिलने पर 16 जुलाई 2021 के पत्र अनुसार 500 रू0 अतिरिक्त भुगतान हो तथा 3 माह की बजाए 12 माह का बजट जारी किया जाए ताकि वेतन भुगतान में देरी ना हो।

7. पंचायतों के रहमोकरम पर छोड़ने की बजाये रेहडी ब्लॉक कार्यालय से खरीदकर दें तथा रेहडी मरम्मत झाडू कस्सी, तसला, फावडा समेत काम के औजार तथा मास्क व दस्तानों सहित सुरक्षा उपकरण के लिये।  500 रु मासिक या 6000 रु वार्षिक भत्ता कर्मचारियों को उनके बैंक खातों के माध्यम से भुगतान किया जाये।

8. कर्मचारी के बच्चों की ब्याह-शादी के लिए को विभाग की गारन्टी पर बैंक से न्यूनतम 2 लाख रू0 लोन की व्यवस्था की जाए।

9. ग्रामीण सफाई कर्मचारियों के बच्चों की पढ़ाई के लिए न्यूनतम 1125 रु मासिक शिक्षा भत्ता दिया जाए।

10.  ग्रामीण सफाई कर्मियों के लिये साल में कम से कम 4 वर्दी, 2 जोड़ी जूतों के लिये 8000 रु वार्षिक वर्दी भत्ता तथा 500 रु मासिक धुलाई भत्ता निर्धारित किया जाये।

11.  शहरों की तर्ज पर ग्रामीण सफाई कर्मियों में से ही पढ़े लिखे कर्मचारियों को सफाई सुपरवाईजर लगाकर बेगार प्रथा पर स्थाई रोक लगाई जाए।

12.  ग्रामीण सफाई कर्मियों को अन्य सरकारी कर्मचारियों की तरह सरकारी अवकाश व बीमार होने पर वेतन सहित अवकाश प्रदान किया जाये तथा साल में न्यूनतम 20 अवकाश प्रदान दिए जाये।

13. ग्रामीण सफाई कर्मियों को विशेष कैटेगरी मानकर आवास की गारन्टी की जाये। कर्मचारियों के लिये गाँवों में 100 गज के प्लाट तथा मकान निर्माण के लिये उचित अनुदान का प्रबंध किया जाये।

14. सफाई कर्मचारियों को दिवाली पर कानूनी बोनस और अनाज के लिए 10 हजार रु अग्रिम भुगतान किया जाए।

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest