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हरियाणा: तिरंगा नहीं तो राशन नहीं, लोग बोले- राशन के पैसे नहीं तो कहां से खरीदें झंडा?

हरियाणा के करनाल जिले में गरीब लोगों को इस माह राशन लेना मंहगा पड़ रहा है। राशन कार्ड धारक अगर राशन लेने डिपो होल्डर के पास जाते हैं तो पहले उन्हें 20 रुपए का तिरंगा झंडा दिया जा रहा है। उसके बाद ही उन्हें राशन मिल रहा है।
ration distribution
प्रतीकात्मक तस्वीर।

ऐसे कई मामले सोमवार शाम को सीएम सिटी करनाल के हेमदा गांव सहित कई जगहों पर देखने को मिले। कई जगह पर इसका विरोध भी हुआ, लेकिन उसके बाद भी कई डिपो संचालकों द्वारा बिना तिरंगा के गरीब लोगों को राशन नहीं दिया गया। विरोध कर रहे लोगों ने कहा कि एक तरफ तो सरकार गरीब हितैषी होने का ढोंग कर रही है। वहीं दूसरी तरफ गरीबों को लूटा जा रहा है। सरकार व अधिकारी गरीबों पर अत्याचार कर रहे हैं। अगर सरकार को हर घर तिरंगा लगवाना है तो गरीब लोगों को तिरंगा भी फ्री में देना चाहिए।

अब जब आजादी के 75 साल पूरा होने पर देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। भारत सरकार ने इसके लिए हर घर तिरंगा अभियान चलाया है। इस मुहिम में हरियाणा में पोस्ट ऑफिस और डिपो होल्डर पर भी तिरंगा बेचा जा रहा है। हैरानी की बात ये है कि आजादी का अमृत महोत्सव के नाम पर कुछ डिपो धारक तिरंगे का सौदा कर रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, करनाल में राशन डिपो पर गरीब लोगों को जबरदस्ती तिरंगा बेचा जा रहा है। डिपो होल्डर कह रहे हैं कि उनके पास ऊपर से इसका आदेश आया है। केवल करनाल जिले में 17 लाख से ज्यादा के झंडे राशन डिपो पर दिये गये हैं।

करनाल, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का गृह जिला है। यहां के हेमदा गांव में तिरंगे के नाम पर लूट मची है। आलम ये है कि हर घर तिरंगा के नाम पर यहां राशन डिपो होल्डर जबरदस्ती झंडा बेच रहे हैं। झंडे की बिक्री तक बात फिर भी ठीक लगती है, लेकिन करनाल के डिपो होल्डर इससे दस कदम आगे निकल गये। जो लोग तिरंगा नहीं खरीद रहे हैं उन्हें राशन भी नहीं दिया जा रहा है। या फिर राशन में 5 किलो तक कटौती कर ली जा रही है।

हेमदा गांव के लोगों को इस महीने का राशन महंगा पड़ गया है। बीपीएल कार्ड धारक राशन लेने डिपो होल्डर के पास जा रहे हैं तो पहले उन्हें 20 रुपये का तिरंगा झंडा दिया जा रहा है। उसके बाद ही उन्हें राशन मिल रहा है। कई जगह पर लोग इसका विरोध भी कर रहे हैं। उसके बावजूद डिपो संचालकों द्वारा बिना तिरंगा के गरीब लोगों को राशन नहीं दिया गया। इस मामले में जब करनाल जिले के हेमदा गांव में राशन डिपो चला रहे दिनेश कुमार से बात की गई तो उसका कहना है कि उसके पास ऊपर से आदेश आया है तिरंगा बेचने का। फूड इंस्पेक्टर ने उसे कहा है कि राशन के साथ झंडा देना जरूरी है। जो झंडा नहीं खरीदेगा उसे राशन नहीं देना है। दिनेश कुमार के मुताबिक वो तो बस ऊपर के अधिकारियों के आदेश का पालन कर रहा है। विभाग ने पहले ही उनसे झंडे का एडवांस पैसा ले लिया है। कहा कि हर डिपो को बेचने के लिए 168 तिरंगे झंडे दिए गए हैं।

उधर, राशन कार्डधारकों ने इसका विरोध करते हुए कहा कि वह मेहनत मजदूरी करके अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं। अब घर का राशन खत्म हो गया था तो सोमवार से राशन मिलना शुरू हुआ। किसी से राशन के पैसे उधार लेकर आए हैं। उसके बाद डिपो होल्डर कहता है कि पहले 20 रुपए तिरंगे झंडे के देने होंगे, उसके बाद ही उन्हें राशन मिलेगा। विरोध कर रहे लोगों ने कहा कि एक तरफ तो सरकार गरीबों की हितैषी बनने का ढोंग कर रही है दूसरी तरफ गरीबों को लूटा जा रहा है। अगर झंडा देने ही है तो फ्री में दें। हमारे दिल में तिरंगे के लिए सम्मान है लेकिन इसके लिए गरीब आदमी पैसे कहां से लाये?।

उधर, डिपो धारकों द्वारा तिरंगा नहीं तो राशन नहीं का मैसेज व्हाट्सएप पर वायरल हुआ। जिसमें डिपो धारक ने लिखा है कि डिपो से जुड़े सभी राशन कार्ड धारक 20 रुपये लेकर डिपो पर झंडा लेने पहुंचे। झंडा न लेने वालों को अगस्त माह का गेहूं नहीं दिया जाएगा। वहीं, सूत्रों की मानें तो खाद्य आपूर्ति विभाग की ओर से हर डिपो को 168 झंडे बांटने के लिए दिए गए हैं। ये भी उन्होंने 3200 रूपये देकर खरीदे हैं। यानि डिपो होल्डर को ये झंडा 19 रुपये में मिला। एक रुपये मुनाफे के साथ वो राशन लेने वालों को देना है।

हालांकि जब डिपो पर जबरदस्ती तिरंगा बेचने की खबर सामने आई तो करनाल उपायुक्त अनीश यादव ने निसिंग खंड के हेमदा गांव के डिपो धारक दिनेश कुमार का लाइसेंस निलंबित कर दिया। उपायुक्त के मुताबिक जनता की सहूलियत के लिए डिपो होल्डरों को प्रशासन की ओर से 88 हजार 400 झंडे उपलब्ध करवाए गए हैं। कोई भी व्यक्ति इसे स्वेच्छा से 20 देकर खरीद सकता है। 

जानकारी के अनुसार, जिले में करीब 400 से ज्यादा राशन डिपो हैं। सरकार द्वारा इन सभी को झंडा वितरण केंद्र बनाया गया है। करनाल जिले में सभी डिपो पर 88 हजार 400 झंडे उपलब्ध कराये गये हैं। प्रति झंडा 20 रुपये के हिसाब से जोड़ें तो 88,400 झंडे का 17 लाख 68 हजार रुपये होते हैं। यानि अगर एक जिले ये सभी तिरंगे बेच दिये जाते हैं तो 17 लाख से ज्यादा के तिरंगे की बिक्री हो जायेगी। पूरे प्रदेश में ये रकम करोड़ों में होती है।

हालांकि बुधवार को केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो मैसेज की हकीकत बताते हुए कहा कि राशन दुकान मालिकों को राष्ट्रीय ध्वज नहीं खरीदने पर लोगों को राशन नहीं देने का कोई निर्देश नहीं दिया गया है। इस मामले में एक राशन दुकान मालिक पर कार्रवाई भी की गई है।  

दरअसल कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को आरोप लगाया कि गरीबों को राशन देने के बदले तिरंगे के नाम 20 रुपये की जबरन वसूली की जा रही है। उन्होंने एक वीडियो भी शेयर किया जिसमें कुछ राशनकार्ड धारकों को यह शिकायत करते हुए देखा जा सकता है कि उन्हें 20 रुपये में तिरंगा खरीदने को मजबूर किया जा रहा है। यही नहीं, वायरल वीडियो में लोग खुले आरोप लगा रहे हैं कि बिना झंडा खरीदे राशन नहीं दिया जा रहा है। एक महिला ने आरोप लगाया कि उसके पास 20 रूपये नहीं थे तो उसका पांच किलो राशन कम कर दिया गया है। राशन की कटौती कर ली गई है।

वायरल वीडियो शेयर कर राहुल गांधी ने लगाए आरोप

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सरकार के एक प्रवक्ता ने कहा कि वीडियो की पुष्टि करने के बाद केंद्रीय खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने राज्य सरकार के माध्यम से पाया कि राशन कार्ड धारक हरियाणा के करनाल जिले के दादूपुर गांव से था। संबंधित राशन की दुकान के मालिक ने तथ्यों को गलत तरीके से पेश किया।

राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि गरीबों को राशन देने के बदले तिरंगे के नाम 20 रुपये की जबरन वसूली की जा रही है जो राष्ट्रीय ध्वज और गरीबों के आत्मसम्मान पर भाजपा सरकार का प्रहार है। उन्होंने एक वीडियो साझा करते हुए फेसबुक पोस्ट में कहा, ‘‘तिरंगा हमारा अभिमान है, ये हर दिल में बसता है। राष्ट्रवाद कभी बेचा नहीं जा सकता, ये बहुत ही शर्मनाक है कि राशन देने के बदले गरीबों से तिरंगे के नाम पर जबरन 20 रुपये की वसूली की जा रही है।’’

राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार तिरंगे के साथ-साथ हमारे देश के गरीबों के आत्मसम्मान पर भी प्रहार कर रही है। उन्होंने जो वीडियो साझा किया उसमें कुछ राशनकार्ड धारकों को यह शिकायत करते हुए देखा जा सकता है कि उन्हें 20 रुपये में तिरंगा खरीदने को मजबूर किया जा रहा है।

वरुण गांधी ने भी साझा किया वीडियो

भाजपा सांसद वरुण गांधी ने भी बुधवार को यह वीडियो साझा किया और आरोप लगाया कि सरकार राशनकार्ड धारकों को तिरंगा खरीदने के लिए मजबूर कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘‘हर घर तिरंगा’’ अभियान के तहत देशवासियों से अपने घरों में 13 अगस्त से 15 अगस्त के बीच तिरंगा लगाने का आग्रह किया है। पीलीभीत से सांसद गांधी ने एक वीडियो साझा करते हुए ट्वीट किया, ‘‘आजादी की 75वीं वर्षगांठ का उत्सव गरीबों पर ही बोझ बन जाए तो यह दुर्भाग्यपूर्ण होगा। राशनकार्ड धारकों को या तो तिरंगा खरीदने पर मजबूर किया जा रहा है या उसके बदले में उनके हिस्से का राशन काटा जा रहा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हर भारतीय के हृदय में बसने वाले तिरंगे की कीमत गरीब का निवाला छीन कर वसूलना शर्मनाक है।’’

"तिरंगा नहीं तो राशन नहीं", के लिए लोगों से जबरन वसूली के साथ, बड़ा सवाल झंडे के रखरखाव को लेकर भी उठ रहा है कि क्या राशन लेने वाले यह सभी ग्रामीण सम्मान और शान के साथ तिरंगे झंडे का रखरखाव कर सकेंगे? दरअसल वायरल वीडियो में कई महिलाएं झंडा उल्टा पकड़े हुए दिखाई दीं। दूसरा झंडे को शान के साथ लहराना और 15 अगस्त तथा उसके बाद भी झंडे के समुचित रखरखाव की आवश्यकता होती है। क्या ये सभी लोग राष्ट्रीय झंडे के समुचित मान-सम्मान को सुनिश्चित करते हुए रखरखाव कर सकेंगे, पर भी विचार किया जाना जरूरी है।

 

साभार : सबरंग 

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