Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

हिमाचल में बदलाव:  0.9 फ़ीसद नहीं बल्कि 3 लाख से ज़्यादा वोटों का जादू!

कांग्रेस के सामने हिमाचल में अपनी हार को बैलेंस करने के लिए भाजपा की ओर से कई बार ‘सिर्फ़ 0.9 प्रतिशत’ से हार की बात कही जा रही है, हालांकि इसके पीछे की सच्चाई समझनी बेहद ज़रूरी है।
Sukhwinder Singh Sukhu

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि हिमाचल प्रदेश में जनता ने बीजेपी को जिताने की भरपूर कोशिश की। हालांकि एक प्रतिशत से भी कम वोटों का फासला यही बताता है कि बात सत्य होकर भी संपूर्ण सत्य नहीं है। बीजेपी और कांग्रेस के बीच वोटों का अंतर जरूर महज 0.9 फीसदी दिखता है। मगर, वास्तव में बीते चुनाव के मुकाबले 8.38 प्रतिशत वोट इधर-उधर हुए हैं। हर सीट पर औसतन साढ़े चार हजार वोटरों का मूड बदला है, और यही हिमाचल प्रदेश में सत्ता परिवर्तन की वजह है। आईए इसकी सच्चाई को समझते हैं।

अगर वास्तव में सत्ता परिवर्तन के पीछे वोटों की भूमिका को समझना है तो 2017 विधानसभा चुनाव नतीजों से ताजा चुनाव नतीजों की तुलना करना जरूरी होगी। पिछले चुनाव के मुकाबले जहां कांग्रेस के वोट बढ़े हैं वही बीजेपी के घटे हैं। कांग्रेस के खाते में 2017 में जो वोट थे उसमें 2,75, 054 वोटों की बढ़ोतरी हुई है। जबकि, बीजेपी के खाते से 31,902 वोट कम हो गये हैं, जो है 0.9% का अंतर या 3 लाख से ज्यादा वोटों का जादू!

जाहिर है 2022 में कांग्रेस और बीजेपी के बीच 0.9 फीसदी वोटों के फर्क का मतलब दोनों दलों के बीच 37,974 वोटों का अंतर मात्र नहीं है। 2017 में बीजेपी के हक में जो अंतर था उसे पाटते हुए कांग्रेस ने इस अंतर को अपने अनुकूल बनाया और बढ़त ली। कुल 3,06,956 वोटों ने (कांग्रेस के बढ़े हुए 2,75,054 वोट और बीजेपी के घटे हुए 31,902 वोटों का योग) यह जादू कर दिखलाया।

अगर 2017 में बीजेपी और कांग्रेस को मिले वोटों के कुल योग 36,60,962 से तुलना करें तो 3,06,956 वोटों के इधर-उधर होने का मतलब 8.38 प्रतिशत वोटों इधर-उधर होना है।

कितना घटा है बीजेपी का वोट?

बीजेपी को 2017 में 18,46,432 वोट मिले थे। 2022 में 18,14,530 वोट मिले हैं। पिछले विधानसभा चुनाव के मुकाबले 31,902 वोट कम। जाहिर है बीजेपी को पांच साल पहले मिले वोटों के मुकाबले 1.72 प्रतिशत वोट कम मिले। चूकि ताजा विधानसभा चुनाव में मतदान अधिक हुआ है। इसलिए 2017 और 2022 में बीजेपी को मिले मत प्रतिशत की तुलना करके वास्तविक अंतर को जाना जा सकता है। 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 48.79 प्रतिशत वोट मिले थे। 2022 के विधानसभा चुनाव में 43 प्रतिशत वोट मिले। इसका मतलब साफ है कि बीजेपी के 5.79 प्रतिशत वोट घट गये।

कांग्रेस के कितने वोट बढ़ गये?

कांग्रेस को 2017 के विधानसभा चुनाव में 15,77,450 वोट मिले थे। 2022 में 18,52,504 वोट मिले हैं। इसका मतलब यह है कि कांग्रेस को 2,75,054 वोट पिछले चुनाव के मुकाबले बढ़ गये हैं। जाहिर है कांग्रेस को पांच साल पहले मिले वोटों के मुकाबले 17.43 प्रतिशत वोट अधिक मिले हैं। चूकि मतदाताओं ने पांच साल पहले की तुलना में अधिक मतदान किया है। इसलिए कुल मतदाताओं के परिपेक्ष्य में भी वोटों के प्रतिशत वृद्धि को समझना जरूरी होगा। 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 41.68 फीसदी वोट मिले थे। ताजा विधानसभा चुनाव में उसे 43.9 फीसदी वोट मिले हैं। इसका मतलब यह है कि कांग्रेस को 2.22 प्रतिशत वोट अधिक मिले हैं। औसतन हर सीट पर 4544 वोटों का आया फर्क!

अगर हम कहें कि औसतन हर सीट पर 4544 वोटों का फर्क आया और इसी से विपक्ष में रही कांग्रेस सत्ता में आ गयी, तो आप इस गणित को समझने के लिए जरूर बेचैन होंगे।

2022 में हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस और बीजेपी के बीच वोटों का फासला सिर्फ 37,974 है। इसका मतलब यह है कि 68 विधानसभा सीटों वाले इस प्रदेश में औसतन हर सीट पर 588.44 वोट कांग्रेस को बीजेपी से अधिक मिले हैं।

2017 के आंकड़ों को देखें, तो बीजेपी और कांग्रेस के बीच वोटों का अंतर (18,46,432-15,77,450) 2,68,982 था। तब औसतन हर सीट पर 3955.6 वोटों का अंतर बीजेपी के हक में था। अगर इन तथ्यों की तुलना करें तो हर सीट पर कांग्रेस ने उस अंतर को पाटा जो 2017 में बीजेपी की बढ़त थी। इसके अलावा हर सीट पर 588.44 वोट अपने पक्ष में जोड़े। इस तरह औसतन हर सीट पर (588.44+3955.6) 4544 वोटों का फर्क कांग्रेस ने अपने लिए पैदा किया। निश्चित रूप से अब बात समझ में आ रही होगी कि हिमाचल प्रदेश का जो नतीजा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 0.9 फीसदी वोटों के अंतर का बता रहे हैं, वह सिर्फ उतना ही नहीं है। यह तो अंतिम परिणाम है। वास्तव में हर सीट पर साढ़े चार हजार से ज्यादा वोटरों के बदले मिजाज ने सत्ता बदली है।

काम नहीं आते हारी हुई सीटों पर मिले वोट

आपको एक बात और समझनी होगी कि जब हम किसी चुनाव में दलों को मिले वोट प्रतिशत की बात करते हैं तो उसमें जीती हुई और हारी हुई सीटों के सभी वोट शामिल होते हैं। लेकिन सदन का निर्माण तो केवल जीती हुई सीटों पर मिले वोट ही करते हैं। उससे ही सत्ता या विपक्ष का निर्माण होता है। हारी हुई सीटों के वोटर तो विपक्ष भी तय नहीं करते। यानी ये कहा जा सकता है, कि यह लोकतंत्र की बहुत बड़ी खामी है जिस पर विचार करना जरूरी है। जब एक-एक वोट कीमती माना जाता है तो हारी हुई सीट के वोट व्यर्थ क्यों चले जाते हैं?

इस महत्वपूर्ण सवाल के बीच बेशकीमती बात यह है कि किस दल को सबसे ज्यादा सीटें मिलीं? सीटों का अंतर सिर्फ संख्या नहीं होता। यह वोटरों के रुझान की अभिव्यक्ति भी होती है। हिमाचल प्रदेश में बीजेपी को 25 सीटें मिली हैं और कांग्रेस के मुकाबले कम रह गयीं 15 सीटें। यह फासला बड़ा है। सही मायने में कांग्रेस की बराबरी करने के लिए बीजेपी को 25 सीटों में 60 फीसदी सीटें और जोड़नी होती। हिमाचल प्रदेश विधानसभा की 68 सीटों की ताकत के मुकाबले कांग्रेस और बीजेपी के बीच 15 सीटों के अंतर को देखें तो यह 22 फीसदी होता है। इसका मतलब यह हुआ कि बीजेपी को कांग्रेस से सदन में 22 फीसदी कम सीटें हासिल हुईं। इसे ऐसे भी कह सकते हैं कि कांग्रेस को 68 में 40 यानी 58.8 फीसदी सीटें हासिल हुईं। जबकि, बीजेपी को 36.76 फीसदी सीटें मिली हैं।

चाहे वोटों के प्रतिशत के हिसाब से देख लें या फिर सीटों के हिसाब से- हिमाचल की जनता ने 2017 के मुकाबले कांग्रेस को स्पष्ट रूप से वरीयता दी है और बीजेपी को विपक्ष में बैठने का आदेश सुनाया है। यानी साफ है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिमाचल के जनादेश को गलत पढ़ रहे हैं।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं। विचार-विश्लेषण व्यक्तिगत है।)

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest