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भारत एशिया का सबसे भ्रष्ट देश: ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल

रिपोर्ट के अनुसार भारत घूसख़ोरी के मामले में एशिया में टॉप पर है। अपने देश में घूसख़ोरी की दर 39% बताई गई है।
भ्रष्टाचार
प्रतीकात्मक तस्वीर

भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने चुनाव अभियान में ‘ना खाऊंगा ना खाने दूंगा' का नारा दिया था। कांग्रेस के खिलाफ भ्रष्टाचार उनका सबसे अहम मुद्दा था। हालांकि अब तमाम दावों और वादों के बीच सत्ता पर काबिज़ मोदी सरकार में भी भ्रष्टाचार बदस्तूर जारी है। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की हालिया जारी रिपोर्ट के अनुसार भारत को एशिया का सबसे भ्रष्ट देश बताया गया है।

बता दें कि ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है, जो भ्रष्टाचार खत्म करने का मकसद लेकर 100 से अधिक देशों में काम कर रही है। संस्था ने इसी साल जून-सितंबर के बीच एशिया के 17 देशों में 20,000 लोगों के बीच भ्रष्टाचार और घूसखोरी को लेकर एक सर्वे किया था। जिसकी रिपोर्ट बुधवार, 25 नवंबर को जारी हुई है। सर्वे में भारत के संदर्भ में कुछ निष्कर्ष निकाले गए हैं, जो भ्रष्टाचार को लेकर चिंताजनक हैं।

ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल हर साल इस तरह का सर्वे करवाती है। अबकी बार का सर्वे इनका ‘दसवां संस्करण’ था। 'ग्लोबल करप्शन बैरोमीटर- एशिया' नाम से जारी ये सर्वेक्षण रिपोर्ट, सर्वे किए गए लोगों से पिछले 12 महीनों में भ्रष्टाचार के बारे में उनकी धारणा और अनुभव पर आधारित है। इस सर्वे में पुलिस, अदालतें, सार्वजनिक अस्पताल, पहचान दस्तावेज़ की प्राप्ती और उपयोगी सुविधाओं सहित छह प्रमुख सार्वजनिक सेवाएँ शामिल की गई थीं।

सर्वे रिपोर्ट में आखिर क्या है?

इस रिपोर्ट के मुताबिक एशिया में हर पांच में से एक व्यक्ति ने रिश्‍वत दी है। रिपोर्ट के अनुसार भारत घूसख़ोरी के मामले में एशिया में टॉप पर है। अपने देश में घूसख़ोरी की दर 39% बताई गई है। मतलब सर्वे में औसतन 100 लोगों में से 39 ने भारत में घूसख़ोरी की बात मानी। घूस देने की बात स्वीकार करने वालों में से आधे लोगों का कहना था कि उन्होंने घूस इसलिए दी, क्योंकि उनसे मांगी गई थी।

इंटरनेशनल ट्रांसपेरेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, देश के ज्यादातर लोगों का मानना है कि पुलिस और स्थानीय अफसर रिश्वत लेने के मामले में सबसे आगे है। 46 प्रतिशत भारतीय मानते हैं कि पुलिस सबसे ज्यादा भ्रष्ट है। 46 प्रतिशत मानते हैं कि स्थानीय अफसर भ्रष्ट हैं। 42 प्रतिशत का मानना है कि सांसद भ्रष्ट हैं। 41 प्रतिशत लोगों को लगता है कि सरकारी विभाग में भ्रष्टाचार है। वहीं 20 प्रतिशत लोगों ने कहा कि जज और मजिस्ट्रेट भी भ्रष्ट हैं।

सरकारी भ्रष्टाचार सबसे बड़ी समस्या

इस रिपोर्ट में देश में व्याप्त भ्रष्टाचार को अलग-अलग कैटेगरी में रखा गया है। 89 प्रतिशत भारतीयों के लिए सरकारी भ्रष्टाचार सबसे बड़ी समस्या है। 39 प्रतिशत लोगों को सरकारी काम में रिश्वतखोरी बड़ी समस्या लगती है तो वहीं 46 प्रतिशत लोग सिफारिश को बड़ा भ्रष्टाचार मानते हैं। 18 प्रतिशत ने वोट के लिए नोट को भ्रष्टाचार बताया और 11 प्रतिशत लोगों ने माना कि काम के बदले शारीरिक शोषण सबसे बड़ा भ्रष्टाचार है।

भ्रष्टाचार को लेकर ज्यादातर भारतीयों की आम राय है कि बीते एक वर्ष में ये बढ़ा है। ऐसी सोच रखने वालों में 47 फीसद लोग शामिल हैं। वहीं, 27 फीसद मानते हैं कि ये कम हुआ है, जबकि 23 फीसद मानते हैं कि बीते वर्ष से अब में कोई फर्क नहीं आया है। वहीं, 3 फीसद इस बारे में कोई राय नहीं रखते हैं।

मालदीव और जापान सबसे ईमानदार देश

अगर एशिया के सबसे ईमानदार देशों की बात करें तो इसमें मालदीव और जापान संयुक्‍त रूप से पहले नंबर पर हैं। यहां पर महज दो फीसद लोगों ने ही माना कि उन्‍हें कभी किसी काम के लिए रिश्‍वत देनी पड़ी। इसके बाद दक्षिण कोरिया का नंबर है, जहां पर करीब 10 फीसद लोग मानते हैं कि उन्‍हें काम निकलवाने के लिए रिश्‍वत का सहारा लेना पड़ा था।

सर्वे में शामिल सभी देशों के 20,000 लोगों में से 74% लोगों ने माना कि सरकारी तंत्र में अंदर तक भ्रष्टाचार पैठ कर गया है, उनके देश की ये एक बड़ी समस्या है। तो वहीं 20% के क़रीब लोगों ने माना कि उन्होंने अपना काम निकलवाने के लिए अपने कॉन्टेक्ट्स का इस्तेमाल किया।

पर्सनल कॉन्टेक्ट्स के जरिए काम निकलवाने में भारत टॉप पर

‘पर्सनल कॉन्टेक्ट्स का इस्तेमाल’ कर अपना काम निकलवाने के मामले में भी भारत ने टॉप किया है। भारत में इसकी दर और देशों के मुक़ाबले कहीं ज़्यादा, यानी 46% है। काम निकलवाने के लिए संपर्कों की बात स्वीकारने वालों में से 32% लोगों का कहना था कि अगर वो ऐसा नहीं करते, तो उनका काम क़भी नहीं होता। चीन में यह दर 32 प्रतिशत है और जापान में चार प्रतिशत।

जिन लोगों ने पिछले एक वर्ष के दौरन सार्वजनिक सेवाओं का इस्तेमाल किया था, उसमें से लगभग 20% लोगों ने माना कि उन्होंने घूस दी। सरकारी भ्रष्टाचार के मामले में इंडोनेशिया ने टॉप किया है। भारत का इसमें चौथा नम्बर है। सर्वे के अनुसार सबसे कम सरकारी भ्रष्टाचार कंबोडिया में है।

नोट के बदले वोट मामले में भारत चौथे नंबर पर

एशिया में बड़ी मात्रा में रिश्वत ले कर वोट देने की बात भी लोगों ने मानी है। सर्वे में शामिल लोगों में से क़रीब 14% लोगों ने दावा किया कि पिछले 5 साल के दौरान हुए चुनावों में उन्हें किसी ख़ास उम्मीदवार को वोट डालने के लिए पैसे दिए गए थे। 18 प्रतिशत की दर के साथ भारत इसमें चौथे नंबर पर है। सबसे ऊपर हैं थाईलैंड और फिलीपींस, 28 प्रतिशत दर के साथ। 26 प्रतिशत की दर के साथ इंडोनेशिया तीसरे नंबर पर है।

सर्वे में भाग लेने वाले लोगों में से 76% प्रतिशत लोगों स्वीकार किया कि उन्हें अपने देश की भ्रष्टाचार निरोधक संस्था के बारे में जानकारी है। 63% लोगों ने माना कि भ्रष्टाचार से लड़ने के मामले में ये संस्थाएं अच्छा काम कर रही हैं।

सेक्सटोर्शन में इंडोनेशिया सबसे आगे

सेक्सटोर्शन यानी अपनी पावर अपने रुतबे का इस्तेमाल यौन लाभ लेने के लिए करना। पहली बार सर्वेक्षण में सरकारी अधिकारियों द्वारा सेवा के बदले सेक्स मांगने को भी शामिल किया है। भारत में इसकी दर 11 प्रतिशत है। 18 प्रतिशत की दर के साथ इंडोनेशिया सबसे ऊपर है। श्रीलंका में यह दर 17 प्रतिशत है पाई गई और थाईलैंड में 15 प्रतिशत। जिस देश में सबसे कम लोगों ने सेक्सटोर्शन की बात स्वीकारी, वो था 1% के साथ मालदीव।

पुलिस सबसे अधिक भ्रष्ट

एशियाई देशों में करप्शन रेटिंग की बात करें तो इस पूरे क्षेत्र के 23 फीसदी लोग पुलिस को सबसे अधिक भ्रष्ट मानते हैं। दूसरे नाम पर 17 फीसदी वो लोग हैं जो मानते हैं कि कोर्ट सबसे अधिक भ्रष्ट है। 14 फीसदी एशियाई मानते हैं कि ऐसी जगह जहां पर पहचान पत्र बनते हैं वहां पर सबसे अधिक भ्रष्टाचार व्याप्त है।

पहचान पत्र जैसे आधिकारिक कागज़ात प्राप्त करने के लिए रिश्वत बड़े पैमाने पर (41%) माँगी गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि पुलिस में काम कराने के लिए व्यक्तिगत संबंधों से काम कराने के 39% मामले आए। पहचान दस्तावेज़ पाने के लिए 42% लोगों को रिश्वत देनी पड़ी।

भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाने पर डर

भारत में 63 प्रतिशत लोगों को लगता है कि अगर उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ मुंह खोला तो उन्हें इसका ख़ामियाज़ा भुगतना पड़ सकता है। बांग्लादेश में भी 63 प्रतिशत लोग ऐसा ही महसूस करते हैं।

गौरतलब है कि वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में जनवरी में दावोस में ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल द्वारा जारी एक रिपोर्ट में भारत को भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक में 180 देशों में 80वें स्थान पर रखा गया था। इससे पहले फोर्ब्स द्वारा किए गए 18 महीने लंबे सर्वे में भारत को एशिया महाद्वीप के टॉप 5 भ्रष्ट देशों में पहला स्थान दिया गया था।

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