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जम्मू-कश्मीर डीडीसी चुनाव : दूसरे चरण की वोटिंग से पहले ज़मीनी मुद्दों पर एक नज़र

जम्मू-कश्मीर डीडीसी चुनाव के पहले चरण की वोटिंग के बाद अब सात चरणों की वोटिंग बाक़ी है। इस क्षेत्र में अगस्त 2019 के बाद से पहली बार डीडीसी चुनावों के माध्यम से प्रमुख चुनावी कवायद चल रही है, क्योंकि केंद्र सरकार ने पिछले साल धारा 370 को निरस्त कर देने के साथ तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित क्षेत्रों में विभाजित करने का काम किया था।
जम्मू-कश्मीर डीडीसी चुनाव
तस्वीर: कामरान यूसुफ़ 

शोपियां/पुलवामा: जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित क्षेत्र में जिला विकास परिषद (डीडीसी) के पहले चरण के चुनाव शनिवार, 28 नवंबर के दिन संपन्न हो चुके हैं। रियासी में जहाँ 74.62% मतदान के साथ सबसे अधिक मतदान हुआ है, वहीँ दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले में 6.70% के साथ सबसे कम मतदान प्रतिशत दर्ज किया गया है।

इस क्षेत्र में लम्बे राजनीतिक उथल-पुथल के बाद जाकर कहीं पहली बार डीडीसी चुनावों के माध्यम से प्रमुख चुनावी कवायद चल रही है, क्योंकि केंद्र सरकार ने पिछले साल धारा 370 को निरस्त कर देने के साथ तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित क्षेत्रों में विभाजित करने का काम किया था। 

केंद्र शासित क्षेत्र के कुल 280 निर्वाचन क्षेत्रों में इस मतदान की प्रक्रिया को आठ चरणों में संपन्न किया जा रहा है, जिसमें 1,400 से अधिक उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमाने के लिए मैदान में हैं। मतदान की प्रक्रिया यहाँ कड़कड़ाती ठण्ड के बीच सुबह के 7 बजे से शुरू हो चुकी थी, लेकिन दिन चढ़ने के साथ-साथ इसमें तेजी दिखनी शुरू हुई।

दक्षिण कश्मीर के अस्थिर क्षेत्रों में जहाँ पहले से ही कम मतदाताओं से अपेक्षाकृत कम मतदान की आशंका जताई जा रही थी, उनमें पुलवामा में पहले चरण के मतदान में 7% से भी कम निराशाजनक मत प्रतिशत देखने को मिला है। जबकि शोपियां के चुनावी इलाकों में जहाँ सबसे अधिक उग्रवाद-विरोधी अभियानों को चलाया गया था, वहां हालाँकि 42.58% तक मतदान हुआ है। 

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तस्वीर: कामरान यूसुफ़ 

सोपियां के एक गाँव नारापोरा में, जहाँ मतदाताओं की संख्या 1,200 से भी अधिक है, के 65 वर्षीय मतदाता अली मोहम्मद भट्टी ने कहा कि गाँव के उत्थान के लिए उनका डीडीसी के चुनावों में शामिल होना “अहम” था। उनका कहना है कि “जमीनी स्तर पर कोई भी काम करने के लिए इच्छुक नहीं है। डीडीसी के तहत हम इसमें बदलाव की उम्मीद कर रहे हैं।”

किसी भी कानून-व्यवस्था की स्थिति की चुनौती को विफल करने के लिए मतदान केन्द्रों पर एवं उसके आसपास एक विस्तृत सुरक्षा घेरे का इंतजाम किया गया था। हालाँकि मतदान प्रक्रिया, बिना किसी बड़ी हिंसा की घटना या विरोध प्रदर्शन के संपन्न हो गई। एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी ने न्यूज़क्लिक को बताया कि पुलिस और अर्धसैनिक बालों के कम से कम 100 जवानों को प्रत्येक मतदान केंद्र और उसके आसपास में इस प्रक्रिया को शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराने हेतु तैनात किया गया था। अधिकारी का कहना था कि “हमने प्रत्येक चुनाव केंद्र पर एक चार-स्तरीय सुरक्षा घेरे को सुनिश्चित कर रखा था।” 

वहीँ श्रीनगर में, जम्म-कश्मीर पुलिस ने मतदान क्षेत्रों में हवाई निगरानी के लिए कम से कम 30 ड्रोन को इस्तेमाल में लाया था।

इस बीच शोपियां के एक दूर-दराज के एक गाँव में जो कि श्रीनगर से 50 किमी से भी अधिक दूरी पर स्थित है, वहाँ पर मोहम्मद इल्यास कुम्हार छठी दफा चुनाव लड़ रहे हैं। 1990 के दशक में पाँच वर्षों तक अल-जेहाद नामक गुट से जुड़े एक पूर्व उग्रवादी, इल्यास स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं। इल्यास ने कहा “मैं सिर्फ लोकतंत्र को बढ़ावा देने के लिए चुनाव लड़ रहा हूँ और उनके इरादों को विफल कर रहा हूँ जिन्होंने बहिष्कार का आह्वान किया है।”

बटपोरा के सरपंच के तौर पर इल्यास, जिन्होंने साल 2009 में संसदीय चुनावों को लड़ा था, का कहना है कि राजनीति में नए चेहरों को आगे लाये जाने की जरूरत है।

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फोटो: कामरान यूसुफ़ 

इस क्षेत्र में मुख्यधारा में शुमार तमाम राजनीतिक दलों ने केंद्र की सत्ताधारी पार्टी बीजेपी और इस क्षेत्र में उसके अपनी पार्टी जैसे सहयोगियों के खिलाफ पीएजीडी गठबंधन का गठन किया है। नारपोरा गाँव के एक अन्य मतदाता ने कहा कि पीपल्स अलायन्स फॉर गुपकर डिक्लेरेशन (पीएजीडी) को समर्थन दिए जाने की जरूरत है। न्यूज़क्लिक से बात करते हुए उनका कहना था कि “हम अवसाद की स्थिति से गुजर रहे हैं, और इससे उबरने में गठबंधन शायद हमारी मदद कर सकता है। जिस प्रकार से हमने अमेरिकी चुनावों में देखा है कि कोविड-19 की चुनौती से निपटने में जिस प्रकार से राष्ट्रपति ट्रम्प विफल रहे, और उनका क्या हश्र हुआ है। इसी प्रकार हम भी जल्द ही इस प्रकार के बदलाव को देखने में सक्षम हो सकते हैं।”

हालाँकि मशवारा गाँव के 65 वर्षीय अब्दुल कबीर शाह ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए बताया कि उनके लिए सभी पार्टियाँ “एक जैसी” ही हैं। शाह उम्मीद जताते हुए कहते हैं “मैं इस उम्मीद में वोट कर रहा हूँ कि शायद हमें कुछ राहत हासिल हो जाए, क्योंकि हमारे गाँव में पानी और बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं की किल्लत बनी हुई है।”

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

J&K DDC Polls: Overall Polling 51.76% in First Phase, Valley Records 39.3%

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