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झारखंड :  हेमंत सोरेन को ईडी का समन, झामुमो ने भी खोला ईडी, भाजपा के ख़िलाफ़ मोर्चा

सोरेन ने मीडिया संबोधन में ईडी व भाजपा पर निशाना साधते हुए कह दिया कि हम लोग चोर-उचक्के या हत्यारे नहीं हैं कि कल नोटिस दिया और बुला लिया, क्या हमारी कोई व्यस्तता नहीं है?
hemant soren

झारखंड प्रदेश की सत्ता सियासत में इन दिनों मानो सियासी घमासान मचा हुआ है। प्रदेश के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ईडी द्वारा पूछताछ का समन भेजे जाने की परिघटना ने काफी उबाल ला दिया है।

सत्ताधारी दल झामुमो समेत गठबंधन के सभी घटक दल और भाजपा आमने-सामने के आरोप-प्रत्यारोप में उतरे हुए हैं। भाजपा ने पूरे राज्य में सरकार के खिलाफ धरना-प्रदर्शन की घोषणा कर रखी है तो झामुमो ने भी ‘सड़क से लेकर सदन’ तक के विरोध का ऐलान कर दिया है।

3 नवम्बर को राजधानी के मोरहाबादी मैदान में भारी संख्या में जुटे झामुमो कार्यकर्ताओं ने भाजपा द्वारा हेमंत सोरेन सरकार को गिराने व अस्थिर किये जाने के खिलाफ तीखा रोष प्रकट करते हुए कहा कि अगर हमने जेल भरो अभियान शुरू कर दिया तो वहाँ भी जगह कम पड़ जायेगी। ये लोग हमारी सरकार का बाल भी बांका नहीं कर सकेंगे, पूरे पांच साल तक सरकार चलेगी। इस विरोध प्रदर्शन अभियान का नेतृत्व करते हुए झामुमो की राज्यसभा सांसद महुवा माजी समेत कई वरिष्ठ नेताओं ने भी भाजपा पर खुलकर आरोप लगाया कि उसी के इशारे पर ईडी का समन भेजा गया है।
 
इसी दिन अपने आवास पर पहुंचे हजारों प्रदर्शनकारी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए हेमंत सोरेन ने भी ईडी के समन को सीधी चुनौती देकर कहा कि अगर हमने कोई अपराध किया है तो समन भेजकर पूछ्ताछ का नाटक क्यों करते हो, सीधे गिरफ्तार करके दिखाओ। फिर इस राज्य की जनता जवाब देगी। उन्होंने भाजपा पर यह भी आरोप लगाया कि 3 नवम्बर को वे छत्तीसगढ़ में आयोजित आदिवासी नृत्य महोत्सव में शामिल होने जा रहे थे। साज़िश के तहत इसी दिन ईडी की ओर से हाज़री लगाने का समन आ गया। अपने कार्यकर्ताओं से यह भी कहा कि विपक्ष (भाजपा) के राजनितिक षड्यंत्र का जवाब देने का समय आ गया है। झारखंड विरोधियों के हथकंडों को हम कभी कामयाब नहीं होने देंगे। आपलोग तैयार रहें और आनेवाले समय में इनको राजनीतिक रूप से ऐसा जवाब दें कि ये दोबारा सर उठाने की हिम्मत नहीं कर सकें।

रायपुर पहुंचकर भी सोरेन ने मीडिया संबोधन में ईडी व भाजपा पर निशाना साधते हुए कह दिया कि हम लोग चोर उचक्के या हत्यारे नहीं हैं कि कल नोटिस दिया और बुला लिया, क्या हमारी कोई व्यस्तता नहीं है?

इस प्रकरण में राज्य के कद्दावर राजनेता और भाजपा के पूर्व वरिष्ठ नेता सरयू राय द्वारा गुरुवार को जमशेदपुर में मीडिया को दिये गए बयान ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर भाजपा द्वारा लगाए गए कथित भ्रष्टाचार” को लेकर उसके दोहरा चरित्र का सवाल खड़ा कर रहा है। इसमें वे भाजपा पर खुलकर आरोप लगाते हुए कहते हैं कि, “‘एक आँख में काजल और एक आँख में सुरमा’ की नीति से ईडी की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह लग रहा है। यदि ईडी 1000 करोड़ के गिट्टी घोटाला (2020-21 से 2021-22 के बीच) में पंकज मिश्रा पर हुए चार्जशीट के आधार पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पूछताछ के लिए बुला रही है, तो इसी चार्जशीट में अंकित 2015-16 से 2019-20 तक तक हुए गिट्टी घोटाला के बारे में पूछताछ के लिए पूर्व भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री रघुवर दास को क्यों नहीं बुला रही है? जबकि रघुवर दास शासन काल में हुआ गिट्टी घोटाला हेमंत सोरेन शासनकाल में हुए गिट्टी घोटाला से दो तिहाई से भी अधिक है। उसी शासन काल में हुए मनरेगा घोटाला में प्रदेश की कुख्यात आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल को क्लीन चिट देने और कथित शराब घोटाला कांड का मामला अलग है। इसलिए ईडी रघुवार दास से भी पूछताछ करे तभी उसे विश्वसनीय माना जाएगा।”

दूसरी ओर, सरकार के गठबंधन दलों ने भी ईडी के समन को भाजपा प्रयोजित करार देते हुए विरोध प्रकट कर रहें हैं, जिसे लेकर गठबंधन के सभी दलों ने हेमंत सोरेन की उपस्थिति में त्वरित बैठक कर आगे की रणनीति भी तैयार की है।
 
राजधानी में छिड़ी राजनीतिक कयासों में एक बड़ी चर्चा यह भी है कि चंद दिन पहले जब प्रदेश के राज्यपाल महोदय ने मीडिया को दिए इंटरव्यू में साफ़ कहा था कि- एकाध एटम बम फट सकता है... ईडी समन प्रकरण कहीं उसी का उदाहरण तो नहीं है!
 
उधर प्रदेश के सभी वाम दल भी लोकतान्त्रिक ढंग से चुनी गयी हेमंत सोरेन सरकार को अस्थिर करने की कवायदों का लगातार विरोध कर रहें हैं। केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा ‘विधायकों की खरीद-फ़रोख्त’ और ई.डी-सीबीआई जैसी संविधानिक संस्थानों का इस्तेमाल कर गिराने की साजिशों का कड़ा प्रतिवाद कर रहें हैं।
   
प्रदेश के जन आन्दोलनकारियों और ऐक्टिविस्टों की जमात व उनके सामाजिक संगठन, जिनमें से कई जो हेमंत सरकार के कार्यों की मुखर आलोचक और सड़कों पर सरकार विरोधी अभियान भी चलाते रहें हैं, वे सब भी भाजपा की अलोकतांत्रिक भूमिका व उनकी केंद्र सरकार के झारखंड की वर्तमान सरकार विरोधी रवैये को लेकर गहरी प्रतिक्रिया में हैं।

प्रदेश के जन आन्दोलनकारियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं  और सड़कों पर सरकार विरोधी अभियान भी चलाते रहें हैं। प्रदेश भाजपा की अलोकतांत्रिक भूमिका व उनकी केंद्र सरकार के झारखंड की वर्तमान सरकार विरोधी रवैये को लेकर गहरी प्रतिक्रिया में हैं।
 
चर्चित आदिवासी ऐक्टिविस्ट रतन तिर्की ने कहा कि, ईडी का हमला हेमंत सोरेन पर नहीं, हम खतियानी झारखंडियों पर हुआ है। अपने सोशल मीडिया पोस्ट में भी उन्होंने भाजपा पर टिपण्णी करते  हुए लिखा है कि हमें ईडी/सीबीआई से हमें तो मत ही डराओ, हम सिद्धो-कानू ,बिरसा मुंडा और वीर बुधु भगत के सपूत हैं।
वैसे, इसमें कोई दो राय नहीं है कि झारखंड प्रदेश के राजनितिक हालात अच्छे नहीं हैं। वर्तमान हेमंत सोरेन की सरकार गठन के बाद से ही इस सरकार को अस्थिर करने की एक के बाद एक करके जितनी भी घटनाएं सामने आयीं हैं, सभी में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से भाजपा की संलिप्तता के आरोप लगे हैं, जिसे लेकर भाजपा की ओर से भी कभी संतोषजनक उत्तर नहीं आ पाया है।

यह भी सनद रहे कि राज्य गठन के समय से ही यहाँ होने वाली राजनीतिक अस्थिरताओं को लेकर सबसे अधिक आरोप भाजपा पर ही लगते रहें हैं कि राज्य में सरकार बनाने-गिराने के लिए विधायकों की “खरीद-फरोख्त की संस्कृति” को उसने ही स्थापित की है। ज्ञात हो कि 2005 के विधान सभा चुनाव में जब किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिली थी तो यह खुलकर सामने आया कि जब कई निर्दलीय विधायकों को रातों रात प्लेन से जयपुर ले जाकर उनसे डील करके भाजपा ने सरकार बना ली थी। उस समय राजस्थान में भाजपा की ही सरकार थी।
 
बहरहाल, ताज़ा राजनीतिक संकेत यही बता रहे हैं कि इस बार परस्पर राजनीतिक प्रतिस्पर्धा एक खुली लड़ाई का स्वरूप लेती जा रही है। जिसमें हेमंत सोरेन भी भाजपा के केन्द्रीय प्राधिकार के सामने ताल ठोकने के मूड में नज़र आ रहें हैं। इसकी शुरुआत ईडी को पत्र भेजकर 15 नवम्बर तक उपस्थित होने में असमर्थता जताने के रूप में की गई है।                                                                

प्राप्त ख़बरों के अनुसार झारखंड ईडी कार्यालय द्वारा पुलिस हाई कमान से विशेष सुरक्षा की मांग करने के बाद से वहाँ भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिए गए हैं। ईडी के अधिकारी मुख्यमंत्री द्वारा भेजे गए पत्र पर विचार कर रहें हैं। देखने वाली बात होगी कि स्थिति क्या करवट लेती है !

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