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झारखंड : विवादित विधानसभा भवन में लगी आग

झारखंड के कथित तौर पर जल्दबाज़ी में बने विधानसभा भवन में आग लग गई है। काफ़ी सामान जल कर राख हो गया है, हालांकि किसी इंसान को हुए नुक़सान की कोई ख़बर नहीं है।
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इन दिनों जब झारखंड विधान सभा के गठन और उसके नए माननीय सदस्यों के निर्वाचन के लिए पूरे प्रदेश में चुनावी प्रक्रिया सरगर्म है, 4 दिसंबर को राजधानी के हटिया क्षेत्र स्थित विधान सभा के नवनिर्मित भवन में अचानक से लगी आग ने चुनावी तपिश को और बढ़ा दिया है। 

सूत्रों के अनुसार 465 करोड़ की लागत से बने विधान सभा के जिस नए भवन को देश में सबसे भव्य, सुरक्षित और दर्शनीय प्रचारित किया गया था, 4 दिसंबर की रात उसमें आग लग गयी। लगभग 7:50 बजे वहाँ कार्यरत कर्मचारियों ने उसके पहले तल्ले से धुंआ उठते देखा तो आनन फानन में स्थानीय पुलिस व फ़ायर ब्रिगेड को बुलाया गया। कई घंटों की कड़ी मशक़्क़त के बाद आग पर क़ाबू पाया जा सका लेकिन तब तक कई क़ीमती सामान जलकर राख़ हो चुके थ। इस घटना में किसी इंसान को कोई नुक़सान नहीं हुआ है।

ख़बरों के अनुसार यह नवनिर्मित भवन अभी तक विधान सभा का सारा काम काज संभालने वाले विधान सभा सचिवालय को हैंडओवर नहीं किया गया था। सो राज्य के भवन निर्माण सचिव ने दस्तूर के मुताबिक़ तीन सदस्यीय जांच कमेटी बैठा दी है। फ़िलहाल वहाँ सख़्त पहरा है और मीडिया के भी जाने पर मनाही है। वहाँ काम करने वालों के अलावा किसी अन्य को प्रवेश की अनुमति नहीं है।

हमारे देश के सरकारी भवनों में आग लगना कोई अनहोनी घटना नहीं मानी जाती है लेकिन चूंकि इस भव्य भवन का भव्य उदघाटन पिछले 12 सितंबर को ख़ुद देश के प्रधानमंत्री ने किया था, इसलिए इसकी गंभीरता थोड़ी बढ़ जाती है।

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उदघाटन के अवसर पर वर्तमान विधानसभा के पक्ष और विपक्ष के सभी विधायकों को विशेष सत्र बुलाकर आमंत्रित किया गया था। जिन्हें संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री जी ने भव्य भवन के निर्माण के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री को विशेष बधाई देते हुए कहा था कि सिर्फ़ उनकी ही पार्टी की सरकार में ये माद्दा है कि वह नियत समय पर किसी भी काम को अंजाम देकर राष्ट्र व राज्य का विकास कर सकती है। बाक़ी विपक्ष की सरकारें सिर्फ़ विकास का दिखावा करती हैं।

बहरहाल, विधानसभा के नवनिर्मित भवन में लगी आग ने कई सवालों की चिंगारियाँ फैला दी हैं। मसलन, जिस भवन को अब तक का सबसे फ़ायरप्रूफ़ प्रचारित किया गया था वहाँ इस तरह से आग कैसे लगी? मीडिया के माध्यम से पहले ख़बर दी गयी कि शॉर्ट शर्किट हो गया था। फिर बाद में जब वहाँ हो रहे वेल्डिंग कार्य को आग लगने की वजह बताई गयी तो वहाँ काम कर रहे इंजीनियरों–कर्मचारियों ने इसे ग़लत ठहराते हुए कहा कि जहां काम नहीं हो रहा था आग वहाँ लगी है। दूसरी ओर, निर्माणकर्त्ता कंपनी के प्रतिनिधि ने जब इसे साज़िश बताया है और एसएसपी ने कहा है कि आंतरिक जांच में किसी बाहरी व्यक्ति के प्रवेश के सबूत नहीं मिले हैं।

सनद हो कि विधानसभा का यह नया भवन निर्माण शुरू से ही विवादों में रहा है। एक ओर, जिस ज़मीन पर यह विशाल इमारत खड़ी की गयी है वह स्थानीय आदिवासियों की है। जिसे पाने के लिए वे आज भी संघर्ष कर रहें हैं। आग लगमे की घटना को सोशल मीडिया में उन्होंने आदिवासियों की हाय लगना कहा है। जबकि रघुवर सरकार का कहना है कि यह ज़मीन उन्होंने एचईसी से ली है।

विपक्ष का खुला आरोप है कि राजनीतिक माइलेज लेने के लिए आनन फ़ानन में आध-अधूरे भवन का प्रधानमंत्री उदघाटन कराया गया। सबसे महंगा विधानसभा भवन खुलने से पहले ही जल गया। रघुवर शासन में हो रही राज्य के खजाने में की जा रही लूट का ही नमूना है कि कहीं करोड़ों से बना डैम चूहे कुतर जाते हैं , तो करोड़ों करोड़ के भवन में रहस्यमयी आग लग जा रही है। मुख्यमंत्री को चुनावी चुनौती दे रहे इनकी ही सरकार के पूर्व मंत्री और कद्दावर भाजपा नेता सरयू राय ने भी बयान जारी कर कहा, "विधान सभा भवन निर्माण में गड़बड़ी की शिकायत शुरू से ही रही है। मैंने ख़ुद प्रधानमंत्री को कैबिनेट मंत्री की हैसियत से पत्र लिखा था कि वे अभी उदघाटन करने नहीं आएँ।"

सबसे बड़ी विडम्बना है कि जिस भवन को प्रदेश की सरकार ने सबसे अनूठा कहकर प्रचारित और प्रधानमंत्री से उदघाटन करवाया, सही तरीक़े से उसका नक़्शा तक नहीं पास हुआ है। सूत्रों के अनुसार उदघाटन कराने की जल्दबाज़ी में नगरनिगम के भवन निर्माण विशेषज्ञों से पूरा मुआयना भी नहीं कराया गया और दबाव देकर स्वीकृति ले ली गयी।

निश्चय ही इस पूरे प्रकरण से प्रदेश में आगे होने वाले मतदान के मतदाताओं के समक्ष सोचने का एक बेहद गंभीर विषय आ गया है कि क्या चुने गए माननीय जनप्रतिनिधि व सरकार द्वारा जिस विधानसभा भवन में पूरे प्रदेश व जनता की बेहतरी के फ़ैसले लिए जाते हैं, वहाँ निहित–क्षुद्र स्वार्थों के लिए नियुक्तियों–प्रोन्नति की धांधलियों से लेकर वर्तमान की आग जैसी घटनाओं पर कब विराम लगेगा? इन्हीं दुरावस्थाओं से क्षुब्ध होकर पहली व दूसरी विधानसभा के सम्मानित नेता महेंद्र सिंह ने लिखा था– 'अब ज़रूरी हो गई हैं नए चरित्र की प्रतिनिधि सभा के गठन की तैयारियां!'

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