NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu
image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
अपराध
उत्पीड़न
कानून
भारत
राजनीति
यूपी में पत्रकार लगातार सरकार के निशाने पर, एक ख़बर को लेकर 3 मीडियाकर्मियों पर मुक़दमा
जहां एक टीवी एंकर की गिरफ़्तारी पर आधा दर्जन से ज़्यादा केंद्रीय मंत्री सोशल मीडिया पर निंदा कर उसे प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला बताते हैं। वहीं देश के सबसे बड़े प्रदेश में लगातार आलोचनात्मक ख़बरें करने वाले पत्रकारों को निशाना बनाया जा रहा है।
असद रिज़वी
27 Jan 2021
Uttar Pradesh

उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात में तीन मीडियाकर्मियों के विरुद्ध शासन-प्रशासन और बेसिक शिक्षा विभाग की छवि धूमिल करने के आरोप में मुक़दमा दर्ज किया गया है। इन पत्रकारों ने छोटे स्कूली बच्चों से सर्दी के मौसम में हाफ़ पैंट पहना कर, योग कराने की ख़बर प्रसारित की थी। पत्रकार संगठनों ने मीडिया कर्मियों के ख़िलाफ़ मुक़दमा लिखे जाने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है।

जहां एक टीवी एंकर की गिरफ़्तारी पर आधा दर्जन से ज़्यादा केंद्रीय मंत्री सोशल मीडिया पर निंदा कर उसे प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला बताते हैं। वहीं दूसरी ओर देश के सबसे बड़े प्रदेश में लगातार आलोचनात्मक ख़बरें करने वाले पत्रकारों को निशाना बनाया जा रहा है।

राजधानी लखनऊ से 170 किलोमीटर दूर कानपुर देहात में ज़िला बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) ने तीन स्थानीय पत्रकारों मोहित कश्यप, अमित सिंह और यासीन अली के ख़िलाफ़ भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 505 और 506 के अंतर्गत मुक़दमा दर्ज कराया है। बीएसए सुनील दत्त की तहरीर पर पत्रकारों के विरुद्ध कानपुर देहात के थाना अकबरपुर में 25 जनवरी की रात मुक़दमा दर्ज हुआ है।

इन मीडिया कर्मियों पर आरोप है कि उन्होंने उत्तर प्रदेश के स्थापना दिवस 24 जनवरी के अवसर पर कानपुर देहात के इको पार्क में हुए कार्यक्रम की रिपोर्ट को तोड़-मरोड़ कर प्रसारित किया। जिससे उत्तर प्रदेश सरकार, स्थानीय प्रशासन और बेसिक शिक्षा विभाग की छवि पर नकारात्मक असर पड़ा है।

ख़बर क्या प्रसारित हुई

प्रसारित ख़बर में एक प्रादेशिक न्यूज़ चैनल ने दिखाया कि एक कार्यक्रम के दौरान जन-प्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारी गर्म कपड़ों में बैठे हुए हैं। वहीं दूसरी ओर प्राथमिक स्कूल के बच्चे केवल हाफ़ पैंट-शर्ट बिना स्वेटर के दिखाई दे रहे हैं।

ख़बर में दावा किया गया है कि कार्यक्रम के आयोजन के रोज़ कानपुर देहात का तापमान 5 डिग्री था और इसके बावजूद बच्चों को गर्मी की ड्रेस में कार्यक्रम में बुलाए जाने का आदेश बीएसए द्वारा दिया गया। बता दें इस ख़बर का शीर्षक था “कानपुर देहात: बीएसए का तुग़लक़ी फ़रमान”

क्या कहते हैं आरोपित पत्रकार

हालांकि बीएसए द्वारा दर्ज कराई गई एफ़आईआर में तीनो आरोपित पत्रकारों को एक ही चैनल का कर्मी बताया गया है। लेकिन पत्रकारों का दावा है की वह अलग-अलग चैनलों में काम करते हैं। पत्रकार मोहित कश्यप ने न्यूज़क्लिक से फ़ोन पर बात की और कहा कि उनके द्वारा रिपोर्ट की गई ख़बर पूर्णतः सत्य पर आधारित है। उन्होंने कहा “सब कुछ तस्वीरों में भी साफ़ देखा जा सकता है कि, कैसे जन प्रतिनिधि और अधिकारी स्वयं गर्म कपड़ों में बैठे हैं और कैसे छोटे बच्चे कड़ाके की सर्दी में बिना स्वेटर हाफ़ पैंट में खड़े हैं।”

मोहित कश्यप के अनुसार ख़बर प्रसारित होने के बात से स्थानीय प्रशासन और बीएसए की बच्चों के प्रति दिखाई गई असंवेदनशीलता की निंदा हो रही है। इसी लिए वह ख़बर दिखाने वालों को क़ानूनी जाल में फ़साने की कोसिश कर रहे हैं। न्यूज़क्लिक से बात करते हुए उन्होंने बताया की एफ़आईआर में तीनों पत्रकारों को एक ही चैनल का कर्मचारी बताया गया है। जबकि तीनों अलग-अलग संस्थाओ में काम करते हैं।
 
पत्रकार यासीन अली के अनुसार वह 15 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय हैं। लेकिन उनके विरुद्ध पहली बार कोई क़ानूनी कार्रवाई हुई है। विभिन समाचार पत्रों और टीवी चैनलों में काम करने का दावा करने वाले यासीन अली कहते हैं, उनके विरुद्ध किया गया मुक़दमा निराधार है। क्योंकि उनके चैनल ने वह ख़बर दिखाई ही नहीं है, जिस को सरकार की छवि ख़राब करने वाला बताकर, उनके विरुद्ध मुक़दमा लिखा गया है। उन्होंने बताया कि इसकी जानकारी उन्होंने बीएसए को दी थी, फिर भी उनका नाम एफ़आईआर से नहीं हटाया गया।

प्रशासन का बयान

हालांकि स्थानीय पुलिस का बयान आया है कि मामले की जांच चल रही है। अपर पुलिस अधीक्षक, घनश्याम चौरसिया के अनुसार दोषियों के विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई की जायेगी। लेकिन किसी बेक़सूर की नहीं फंसाया जायेगा। कार्यक्रम को लेकर ज़िलाधिकारी दिनेश चंद्रा सिंह ने कहा कि केवल योग करने के लिये बच्चों ने स्वेटर, पैंट और कोट आदि उतारा था, क्योंकि इन कपड़ों में योग करना सम्भव नहीं होता है।

कौन लोग कार्यक्रम में मौजूद थे

बीएसए सुनील दत्त ने पुलिस को दी अपनी तहरीर में बताया है की उस कार्यक्रम जिसमें बच्चों को सर्दी में गर्मी की ड्रेस पहनाने की ख़बर दिखाई गई है, उसमें प्रदेश के एक राज्यमंत्री के अलावा तीन अन्य विधायक और प्रशासनिक अधिकारी मौजूद थे। बीएसए के शिकायती पत्र के अनुसार कार्यक्रम के दौरान सूचना प्रौद्योगिकी और इलेक्ट्रॉनिक राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अजीत पाल सिंह, अकबरपुर रनिया की विधायक प्रतिभा शुक्ला, रसूलाबाद से विधायक निर्मिला संखवार, भोगनीपुर के विधायक विनोद कुमार कटियार के अलावा ज़िलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक और  मुख्य विकास अधिकारी (कानपुर देहात) आदि  मौजूद थे।
 
प्रेस के विरुद्ध लगातार कार्रवाई

उत्तर प्रदेश में लगातार प्रेस के विरुद्ध करवाई की खबरें सामने आ रही हैं। हाल में ही उत्तर प्रदेश में 11 पत्रकारों के विरुद्ध कार्रवाई की बात कही जा रही है। जिनपर ख़बर लिखने से लेकर सोशल मीडिया पर की गईं पोस्ट को लेकर कार्रवाई की गईं हैं।

जिन पत्रकारों के ख़िलाफ़ कार्रवाई हुई उन में सुप्रिया शर्मा, प्रशांत कनौजिया, अजय भदौरिया, पंकज जायसवाल, सिद्धार्थ वरदराजन, सिद्दीक़ कप्पन, आशीष तोमर, लाखन सिंह, शकील अहमद, आमिर खान, मोईन अहमद, रवींद्रा सक्सेना,विजय विनीत और मनीष मिश्रा आदि के नाम शामिल हैं। 
 
मीडिया में प्रकाशित ख़बरों के अनुसार राइटर एंड रिस्क एनालिसिस ग्रुप ने 2020 में बताया कि देश में 55 पत्रकारों को आलोचनात्मक ख़बर (दिखाने-लिखने) या ज़मीनी हक़ीक़त प्रकाशित या प्रसारित करने कि वजह से क़ानूनी कार्रवाइयों का सामना करना पड़ा है। जिसमें सर्वाधिक 11 मामले उत्तर प्रदेश से थे। इसके अलवा 6 मामले जम्मू-कश्मीर और 5 हिमाचल से हैं।

एडिटर गिल्ड ने भी जताई चिन्ता

देश के सबसे बड़े राज्य में पत्रकारों पर हो रही क़ानूनी कार्रवाई पर एडिटर गिल्ड ऑफ़ इंडिया ने भी अपनी चिन्ता जताई थी। गिल्ड द्वारा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को 9 नवम्बर, 2020 को, एक चिट्ठी भेज कर प्रदेश में पत्रकारों के विरुद्ध हो रही कार्रवाई को प्रेस की आज़ादी के विरुद्ध बताया था। गिल्ड ने मुख्यमंत्री से मिलने का समय भी मांगा था, लेकिन गिल्ड के महामंत्री संजय कपूर ने बताया की मुख्यमंत्री ने अभी तक समय नहीं दिया है।

पत्रकार, नेताओं की नाराज़गी

पत्रकारों और नेताओ ने कानपुर देहात में पत्रकारों के विरुद्ध हुए मुक़दमे कि निंदा की है और इसके ख़िलाफ़ आंदोलन की बात कही है। कानपुर जर्नलिस्ट क्लब के महामंत्री अभय त्रिपाठी ने कहा है की तीनों पत्रकारों पर झूठा मुक़दमा किया गया है। जो प्रशासन की तानाशाही को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि सरकार को आईना दिखाने वाली ख़बर पर लिखे गये मुक़दमे को अगर वापस नहीं लिया गया तो, पत्रकार संगठन आंदोलन करेंगे।

वरिष्ठ पत्रकार और उत्तर प्रदेश मान्यता-पत्रकार समिति के पूर्व अध्यक्ष रामदत्त त्रिपाठी के अनुसार सरकार पत्रकारों पर सीधे अपराधी होने का आरोप लगा रही है। जो बिल्कुल ग़लत है। अगर किसी ख़बर पर आपत्ति है तो उसकी शिकायत, संपादक से की जाती है, न की सीधा मुक़दमा लिखा जाता है। रामदत्त त्रिपाठी ने कहा कि आलोचनात्मक ख़बरों के लिए पत्रकारो पर क़ानूनी कार्रवाई करना लोकतंत्र के लिए शुभ नहीं है।

Uttar pradesh
Yogi Adityanath
yogi government
freedom of expression
Freedom of Press

Trending

#MeToo​: 'प्रतिष्ठा का अधिकार गरिमा के आधिकार से ऊपर नहीं'
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस: महिला किसानों के नाम
100 दिनः अब राजनीतिक मार करेंगे किसान
अक्षर-अश्विन की फिरकी में फंसी इंग्लैंड टीम, भारत श्रृंखला जीतकर विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप फाइनल में
तापसी पन्नू, कश्यप ने छापेमारी के बाद पहली बार अपनी बात रखी, ‘दोबारा’ की शूटिंग फिर से शुरू की
लखनऊ में महिला दिवस पर कोई रैली या सार्वजनिक सभा करने की इजाज़त नहीं!

Related Stories

लखनऊ में महिला दिवस पर कोई रैली या सार्वजनिक सभा करने की इजाज़त नहीं!
असद रिज़वी
लखनऊ में महिला दिवस पर कोई रैली या सार्वजनिक सभा करने की इजाज़त नहीं!
07 March 2021
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस, 8 मार्च को कोई भी कार्यक्रम या रैली आदि सड़क पर करने की अनुमति नहीं है। महिला संगठनों क
आख़िर दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र अब ‘आंशिक रूप से स्वतंत्र’ कैसे हो गया?
सोनिया यादव
आख़िर दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र अब ‘आंशिक रूप से स्वतंत्र’ कैसे हो गया?
05 March 2021
‘सबका साथ-सबका विकास’ की बात करने वाली केंद्र की मोदी सरकार एक बार फिर अपने ‘नेगेटीव विकास’ को लेकर चर्चा में है। अमेरिका के प्रतिष्ठित थिंक टैंक फ
माघ मेले में आए नाविकों की व्यथा: न लाइफ जैकेट मिली, न अन्य सुविधाएं
सरोजिनी बिष्ट
माघ मेले में आए नाविकों की व्यथा: न लाइफ जैकेट मिली, न अन्य सुविधाएं
27 February 2021
प्रयागराज: धीरे-धीरे दिन ढलान की ओर है, समय खत्म होने से पहले हर नाविक की यह कोशिश है कि उनके नाव में अंतिम सवारियां बैठ जाएं। एक

Pagination

  • Next page ››

बाकी खबरें

  • #MeToo​: 'प्रतिष्ठा का अधिकार गरिमा के आधिकार से ऊपर नहीं'
    न्यूज़क्लिक टीम
    #MeToo​: 'प्रतिष्ठा का अधिकार गरिमा के आधिकार से ऊपर नहीं'
    07 Mar 2021
    प्रिया रमानी ने #मीटू​ अभियान के तहत एमजे अकबर पर जो आरोप लगाए थे उनके बारे मेंI इसके बाद कई महिलाओं ने एमजे अकबर पर यौन शोषण के आरोप लगाएI अकबर ने प्रिया रमानी पर मानहानि का केस किया और हाल ही में…
  • अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस: महिला किसानों के नाम
    न्यूज़क्लिक टीम
    अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस: महिला किसानों के नाम
    07 Mar 2021
    इस 8 मार्च यानी अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर कृषि क़ानून विरोधी आंदोलन में महिला किसानों की जुझारू भूमिका को एक बार फिर से देखते हैंI
  • kisan protest
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता: “काश कभी वो वक़्त ना आए/ जब ये दहक़ां लौट के जाएँ/ गाँव की हदबंदी कर लें…”
    07 Mar 2021
    दिल्ली की सरहद पर किसान आंदोलन अपने सौ दिन पूरे कर चुका है। इन सौ दिनों में किसानों ने क्या कुछ नहीं झेला। ‘इतवार की कविता’ में पढ़ते और सुनते हैं इन्हीं सब हालात को बयान करती शायर और वैज्ञानिक गौहर…
  • तिरछी नज़र : सरकार की कोशिश है कि ग़रीब ईश्वर के नज़दीक रहें
    डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र : सरकार की कोशिश है कि ग़रीब ईश्वर के नज़दीक रहें
    07 Mar 2021
    ये पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस के बढ़ते दाम, ये खाने पीने की चीजों के बढ़ते दाम, बढ़ता हुआ रेल भाड़ा, ये सब देश की जनता को आध्यात्मिक ऊंचाई पर पहुंचाने का, ईश्वर के नज़दीक ले जाने का सरकारी प्रयास है।
  • लखनऊ में महिला दिवस पर कोई रैली या सार्वजनिक सभा करने की इजाज़त नहीं!
    असद रिज़वी
    लखनऊ में महिला दिवस पर कोई रैली या सार्वजनिक सभा करने की इजाज़त नहीं!
    07 Mar 2021
    कोविड-19 के नाम पर राजधानी में 5 अप्रैल तक धारा-144 लागू है। महिला संगठनों का कहना है कि ऐसा पहली बार होगा कि महिला दिवस का आयोजन केवल सभागारों की चारदीवारी तक सीमित रह जायेगा।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें