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केरल: RSS और PFI की दुश्मनी के चलते पिछले 6 महीने में 5 लोगों ने गंवाई जान

केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने हत्याओं और राज्य में सामाजिक सौहार्द्र को खराब करने की कोशिशों की निंदा की है। उन्होंने जनता से उन ताकतों को "अलग-थलग करने की अपील की है, जिन्होंने सांप्रदायिक ज़हर फैलाकर राज्य में अशांति फैलाने की कोशिश की है।"
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केरल के पलक्कड जिले में इस हफ़्ते राजनीतिक वज़हों से प्रेरित दो हत्याएं हुईं, जिनसे इलाके में काफ़ी ख़तरनाक स्थिति बन गई है। सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ़ इंडिया (एसडीपीआई) और पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया (पीएफआई) के नेता सुबैर की एक मस्ज़िद के सामने 15 अप्रैल को पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। अगले दिन बदले की हिंसा में आरएसएस नेता श्रीनिवासन की हत्या कर दी गई।

सुबैर की हत्या के मामले में संदिग्ध तीन आरएसएस नेताओं को पुलिस ने गिरफ़्तार किया है। वहीं श्रीनिवासन के हत्यारों की सीसीटीवी से पहचान हो चुकी है कि वे पीएफआई के कार्यकर्ता हैं। 

राजनीतिक-सांप्रदायिक हिंसा का कुख्यात इतिहास लिए इन दोनों संगठनों द्वारा हालिया हिंसा को एक संवेदनशील क्षेत्र में सामाजिक सौहार्द को अशांत करने वाला माना जा रहा है। स्थिति को काबू में करने के लिए जिला कलेक्टर ने रविवार तक के लिए जिले में प्रतिबंधात्मक कानून लागू किए हैं। 

सुबैर की हत्या- महीनों की योजना के बाद वारदात को दिया गया अंजाम

15 अप्रैल को सुबैर अपने पिता के साथ मोटरसाइकिल से जा रहे थे, तभी कार सवार हमलावरों ने उन्हें टक्कर मारी। दो लोग कार से उतरे और उन्होंने सुबैर को मौत के घाट उतार दिया, फिर एक दूसरी कार से फरार हो गए। जिस कार ने सुबैर को टक्कर मारी थी, उसकी पहचान कर ली गई है। यह कार एक आरएसएस कार्यकर्ता संजीथ के नाम पर दर्ज है, जिसकी नवंबर, 2021 में पीएफआई-एसडीपीआई कार्यकर्ताओं ने हत्या कर दी थी।

सुबैर के मामले में तीन आरोपियों को गिरफ़्तार कर लिया गया है और उन्हें पलक्कड जिले में चित्तूर उपजेल के अलग कमरे में रखा गया है। रमेश, अरुमुघन और शरवणन नाम के यह तीन आरोपी आरएसएस-बीजेपी के सक्रिय कार्यकर्ता हैं, रिमांड रिपोर्ट भी इस हत्या को राजनीतिक विचारों से प्रेरित बता रही है। पुलिस ने चीफ ज्यूडीशियल मजिस्ट्रेट से गुरुवार को आरोपियों की पहचान परेड निकलवाने की अनुमति मांगी है।

मुख्य आरोपी रमेश (41) एक आरएसएस कार्यकर्ता है और पलक्कड में एलापुल्ली का रहने वाला है, वह संजीथ का करीब़ी दोस्त था, जिसकी पिछले नवंबर में हत्या कर दी गई थी। प्राथमिक जांच में संकेत मिलता है कि रमेश ने बदले की कार्रवाई के लिए सुबैर की हत्या की योजना बनाई और इसे अंजाम दिया। हालांकि आरोपी ने अपना गुनाह कबूल कर लिया है और किसी दूसरे व्यक्ति की संलिप्त्ता से इंकार किया है, लेकिन पुलिस इस मामले में ज़्यादा बड़े षड्यंत्र और आरएसएस के दूसरे लोगों की संलिप्त्ता की पुख़्ता जांच करना चाहती है।

दोस्त की हत्या से क्षुब्ध होकर की गई इस हत्या को सटीक तरीके से अंजाम दिया गया और इसकी अच्छे ढंग से योजना बनाई गई थी। ऊपर से आरोपी, जो एक आरएसएस कार्यकर्ता है, ऐसा नहीं हो सकता कि उसने अपने नेताओं की बिना जानकारी के यह योजना बनाई हो। मीडिया रिपोर्टों का दावा है कि इस चीज के चलते पुलिस ज़्यादा व्यापक दायरे की जांच करने को मजबूर हुई है।

एडीजीपी विजय साखारे ने मीडिया को बताया कि हत्यारों ने कई महीनों तक हत्या की योजना बनाई थी। उन्होंने इस महीने की शुरुआत में 8 या 9 तारीख़ को हत्या को अंजाम देने की योजना बनाई थी, लेकिन पुलिस की उपस्थिति के चलते इसे आगे बढ़ा दिया था। ऐसी रिपोर्ट हैं कि सुबैर को मारने के इन पहले के प्रयासों में और भी लोग शामिल थे, इसलिए भी पुलिस स्थानीय आरएसएस और बीजेपी नेताओं की भूमिका की जांच कर रही है। आरोपियों से और पूछताछ के लिए उन्हें हिरासत में लिए जाने के बाद पुलिस को और जानकारी मिलने की उम्मीद है।

श्रीनिवासन की हत्या- तुरंत बदले की कार्रवाई

पुलिस के मुताबिक़, आरएसएस नेता श्रीनिवासन की हत्या की योजना पीएफआई- एसडीपीआई के कार्यकर्ताओं ने तुरत-फुरत में बनाई और उसे अंजाम दिया। 16 अप्रैल को 6 सदस्यों वाली एक गैंग तीन मोटरसाइकिलों पर एसकेएस ऑटो पहुंची, जिसका संचालन श्रीनिवासन करते थे। यह पलक्कड में मेलामुरी के पास स्थित है। इनमें से तीन लोग दुकान में घुसे और श्रीनिवासन को मौत के घाट उतार दिया। जब परिसर में लगे सीसीटीवी में इस अपराध की पहचान कर ली गई, तो यह सभी लोग फरार हो गए।

अब तक इस हत्या के मामले में चार एसडीपीआई-पीएफआई कार्यकर्ताओं को गिरफ़्तार किया गया है। मोहम्मद बिलाल (22), रियासुद्दीन (35), मोहम्मद रिजवान (20) और सहद (22) को साजिश रचने और हमलावरों की मदद करने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया है। ऐसा शक है कि बिलाल और रियासुद्दीन हत्या के वक़्त श्रीनिवासन की दुकान के पास मौजूद थे। एडीजीपी विजय सखारे ने मीडिया को बताया कि 16 आरोपियों की पहचान की गई है और उन सभी को जल्द ही गिरफ़्तार कर लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि आरोपियों ने श्रीनिवासन को डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के पीछे के मैदान में मारने की योजना बनाई थी, यह हत्या तब की जानी थी जब जुबैर के शव को वहां ऑटोप्सी के लिए लाया गया था। 

सरकार ने की शांति की अपील

सोमवार को पलक्कड में एक सर्वदलीय बैठक बुलाई गई, जिसमें मौजूदा तनाव से निपटने के लिए सभी राजनीतिक पक्षों से समर्थन की मंशा रखी गई। इस बैठक की अध्यक्षता मंत्री के कृष्णनकुट्टी ने की, उन्होंने क्षेत्र में शांति और सौहार्द्र को बनाए रखने के लिए सामाजिक एकता का आह्वान किया। सर्वदलीय बैठक द्वारा जो प्रस्ताव पारित किया गया उसमें कहा गया कि अवांछित घटनाओं का लाभ उठाते हुए हाशिए के कट्टरपंथी तत्व समाज में सांप्रदायिक विभाजन की कोशिश कर रहे हैं।

सांसद, विधायक और अलग-अलग राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि, कलेक्टर मृणमयी जोशी और एडीएम के मनिकांदन ने इस बैठक में हिस्सा लिया। वहीं बीजेपी प्रतिनिधियों ने सर्वदलीय बैठक का बहिष्कार किया।

सर्वदलीय बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए मंत्री कृष्णनकुट्टी ने कहा कि सभी राजनीतिक दलों ने हिंसा के दोहराव को रोकने के लिए पूरे सहयोग का भरोसा दिया है। बैठक में हिस्सा लेने के लिए जो बीजेपी प्रतिनिधि आए थे, वे पहले से ही इसकी बहिष्कार की मंशा के साथ आए थे। सरकार इसके बारे में कुछ नहीं कर सकती, क्योंकि बैठक को बॉयकॉट करने के लिए बीजेपी ने जो आरोप लगाए हैं, वे आधारहीन हैं।

केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने हत्याओं और सामाजिक सौहार्द्र को खराब करने की कोशिशों की निंदा की है। उन्होंने जनता से "उन ताकतों को अलग-थलग करने की अपील की है, जो सांप्रदायिक ज़हर का इस्तेमाल कर राज्य में अशांति फैलाना चाहती हैं।" विजयन के पास गृह मंत्रालय भी है, उन्होंने कहा कि पुलिस को दोषियों के खिलाफ़ सख़्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है।

शांति की अपील करते हुए केरल विधानसभा के स्पीकर एमबी राजेश ने जनता से पंथनिरपेक्षता और लोकतंत्र की बुनियाद पर मजबूती से खड़े रहते हुए, उन ताकतों को हराने का आह्वान किया, जो राज्य के शांतिपूर्ण वातावरण को खराब करना चाहती हैं। एम बी राजेश पलक्कड जिले से ही विधायक भी हैं। राजेश ने फ़ेसबुक पर लिखा, "यह व्यापक स्तर का विवाद फैलाने का कदम है। कट्टरपंथी प्रवृत्ति की सांप्रदायिक ताकतें इसके पीछे हैं। उनका लक्ष्य केरल में सांप्रदायिक विभाजन को बढ़ाकर राजनीतिक फायदा लेना है। क्योंकि उनकी सारी दूसरी कोशिशें असफल हो चुकी हैं। वह दोनों ही एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। उन्होंने ऐसी गिरोहों को प्रशिक्षित किया है, जो मारने और मरने के लिए तैयार रहते हैं।

एक बड़ी साजिश का हिस्सा?

यह दो हत्याएं आरएसएस और पीएफआई के हिंसा के इतिहास में इकलौती घटनाएं नहीं हैं। पिछले 6 महीनों में आरएसएस-पीएफआई ने एक-दूसरे के 5 लोगों की हत्या की है। हत्याओं की यह श्रंखला 15 नवंबर को तब शुरू हुई थी, जब पलक्कड के एला्पुल्ली से 20 किलोमीटर दूर आरएसएस कार्यकर्ता संजीथ की हत्या कर दी गई थी। जब यह हमला हुआ, तब संजीथ अपनी पत्नी के साथ जा रहा था। इस मामले में आरोपी एसडीपीआई-पीएफआई कार्यकर्ता थे।

दिसंबर 2021 में अलप्पुझा जिले में इसी तरह की दो हत्याएं, 12 घंटे के अंतराल में हुईं, जिनसे पूरा राज्य हैरान रह गया। एसडीपीआई के राज्य सचिव के एस शान और बीजेपी राज्य समिति के सदस्य रंजीथ श्रीनिवास की 18 दिसंबर और 19 दिसंबर की सुबह हत्या कर दी गई। दोनों ही मामलों में आरएसएस और पीएफआई के सक्रिय सदस्यों को आरोपी बनाया गया।

चार महीने बाद पलक्कड जिले में इन्हीं दो दुश्मन संगठनों के लोगों की संलिप्त्ता वाला दोहरा हत्याकांड हुआ। इसमें भी एक साजिशन हत्या थी, दूसरी हत्या फौरी बदले के तौर पर की गई। कई लोगों को शक है कि यह राज्य में सामाजिक सौहार्द्र को खराब करने की साजिश है। क्योंकि आरएसएस और पीएफआई दोनों ही ध्रुवीकरण के एजेंडे को लेकर चलते हैं। दोनों संगठनों द्वारा भयावह स्तर की राजनीतिक-सांप्रदायिक हिंसा किया जाना बेहद चेतावनी भरा है।

सत्ताधारी लेफ़्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट ने 25 से लेकर 30 अप्रैल के बीच पलक्कड जिले में अहम केंद्रों पर आरएसएस और पीएफआई के सांप्रदायिक एजेंडे के खिलाफ़ अभियान चलाने के लिए रैलियां निकालने का ऐलान किया है। एलडीएफ के जिला स्तरीय नेताओं ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि इन रैलियों में धर्मनिरपेक्षता के नारे लगाए जाएंगे, जो महज़ राजनीतिक मुनाफ़े के लिए समाज को सांप्रदायिक आधार पर ध्रुवीकृत करने की कोशिशों का विरोध करेंगे।

आरएसएस और पीएफआई दोनों ने ही एक दूसरे के राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ़ हिंसा का चक्र चला रखा है। इसमें इनका शिकार खासतौर पर लेफ़्ट को बनाने की कोशिश की जा रही है। निश्चित तौर पर पीएफआई की तुलना में लेफ़्ट कार्यकर्ताओं की ज़्यादा हत्याएं आरएसएस के कार्यकर्ताओं ने की हैं। कई हत्याएं तो अकेले कन्नूर जिले में की गई हैँ। फरवरी में ऐसी ही एक हत्या के पीड़ित पुन्नोलिल हरिदास बने थे, जो एक मछुआरे और सीपीआई (एम) के कार्यकर्ता थे, वे थालासरी के पास पुन्नोल के रहने वाले थे। 2018 में एर्नाकुलम में महाराजास कॉलेज के एसएफआई कार्यकर्ता अभिमन्यु की हत्या के बाद पॉपुलर फ्रंट और कैंपस फ्रंट के खिलाफ़ बड़े स्तर पर जनाक्रोश फैला था।

पीएफआई के इतिहास में 2010 में थोडुपुझा में प्रोफ़ेसर टी जे जोसेफ़ के ऊपर किया गया हमला एक और कुख्यात घटना है। एक हिंसक समूह ने ईशनिंदा के आरोप में जोसेफ़ का दाहिना हाथ काट दिया था, जिसके बाद पूरे देश में पीएफआई की बदनामी हुई थी।

इस लेख को मूल अंग्रेजी में पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें: 

Kerala: RSS-Popular Front Rivalry Claims Five Lives in Six Months

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