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झारखंड और बिहार में वाम दलों की अगुवाई में कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए जारी है दमदार संघर्ष!

काले कृषि क़ानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर 21 जनवरी को झारखंड की राजधानी रांची में भाकपा माले व अन्य वामपंथी दल, किसान संगठन व सामाजिक जन संगठनों द्वारा राजभवन के समक्ष 10 दिवसीय प्रतिवाद विशाल धरना शुरू किया गया।
झारखंड और बिहार में वाम दलों की अगुवाई में कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए जारी है दमदार संघर्ष!

आंदोलनकारी किसानों की नज़र में भले ही सरकार वार्ता नाटक के जरिये काले कृषि क़ानूनों को कुछ दिनों तक स्थगित रखने का आश्वासन भरा सुनियोजित झांसा दे रही है । लेकिन किसान ‘ कानून वापसी तो घर वापसी ’ और एमएसपी कानून की गारंटी की मांग को लेकर कड़कड़ाती ठंढ में भी राजधानी की सीमाओं के साथ - साथ देश के विभिन्न हिस्सों में आंदोलन पर डटे हुए हैं। वहीं आंदोलनकारी किसानों के कदम से कदम मिलाते हुए देश के विभिन्न हिस्सों समेत झारखंड,बिहार में भी जन अभियान लगातार जारी हैं।

किसान आंदोलन के समर्थन काले कृषि क़ानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर 21 जनवरी को झारखंड की राजधानी रांची में भाकपा माले व अन्य वामपंथी दल, किसान संगठन व सामाजिक जन संगठनों द्वारा राजभवन के समक्ष 10 दिवसीय प्रतिवाद विशाल धरना शुरू किया गया।

इसके पूर्व राजधानी स्थित ज़िला स्कूल परिसर से किसान आंदोलन के समर्थन में जोशपूर्ण नारे लगाते हुए ‘ किसान एकता ’ मार्च निकाला गया। धरना को संबोधित करते हुए वामदलों के नेताओं के आलवे झारखंड माले विधायक विनोद सिंह ने कहा कि देश के इतिहास में सबसे शर्मनाक समय है जब पिछले कई हफ्तों से देश भर के किसान अपनी शहादतें देकर भी लगातार आंदोलन कर रहें हैं।

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लेकिन देश की सरकार पूरी बेशर्मी के साथ अडानी अंबानी कॉर्पोरेट कंपनियों के पक्ष में ही अड़ी हुई है । अपनी गोदी मीडिया से दुष्प्रचार करा रही है कि ये सिर्फ पंजाब, हरियाणा के कुछ किसानों का आंदोलन है । लेकिन कोलकात, पटना, भुवनेश्वर, रांची से लेकर देश के अनेक हिस्सों में किसान आंदोलन के समर्थन में जारी जन अभियान उन्हें करारा जवाब दे रहा है। इसी का प्रमाण आज यहाँ पहुंचे झारखंड प्रदेश के विभिन्न इलाकों से आए किसान,महिलाएं, छात्र युवा और नागरिक समाज के प्रतिनिधि दे रहें हैं । जो अगले 30 जनवरी तक झारखंड राजभवन के समक्ष अनवरत धरना देंगे । समाज के अन्य सभी समुदाय के लोगों से किसानों के पक्ष में खड़ा होने की अपील करते हुए कहा कि यह सिर्फ किसानों से जुड़ा मामला मात्र नहीं है । इन काले कृषि कानूनों के लागू होने से देश का सारा अनाज निजी और कॉर्पोरेट कंपनियों के गोदामों में भर दिया जाएगा । जिससे देश नए सिरे से भुखमरी और अन्न संकट झेलने को मजबूर हो जाएगा । मोदी सरकार ने एक सुनियोजित साजिश के तहत पूरी तैयारी के साथ लॉकडाउन की बंदी का सहारा लेकर संविधान और लोकतन्त्र का गला घोंटते हुए इन काले कृषि क़ानूनों को देश पर थोप दिया है । इसीलिए जब आंदोलनकारी किसान 26 जनवरी गणतन्त्र दिवस के दिन देश के संविधान और गणतन्त्र बचाने के संकल्प का अभियान चलायेंगे तो हम सारे लोग भी उनके समर्थन में अपने गाँव,मुहल्ले,कस्बे और शहरों में पूरी सक्रियता से सड़कों पर उतरेंगे।

लौह नागरी कहे जानेवाले जमशेदपुर में भी ‘ किसान आंदोलन एकजुटता मंच ’ के बैनर तले सीटू व वामपंथी दलों समेत कई मजदूर, आदिवासी व सामाजिक जन संगठनों तथा नागरिक समाज के लोगों ने विशाल मार्च निकालकर किसानों के आंदोलन से एकजुटता का प्रदर्शन किया । जन अभियान में शामिल कई आदिवासी नेताओं ने अपना समर्थन देते हुए कहा कि हमलोग तो पिछले 2014 से ही मोदी सरकार द्वारा झारखंड प्रदेश को निजी कॉर्पोरेट कंपनियों की लूट का चरागाह बनाए जाने के खिलाफ लगातार लड़ रहें हैं। इसलिए निजी कंपनियों और कॉर्पोरेटपरस्त काले कृषि क़ानून जो देश के किसानों पर थोपा जा रहा है , उसका दर्द अच्छी तरह से समझते हैं । 

झारखंड के मुख्यमंत्री ने भी फिर से बयान जारी कर आंदोलनकारी किसानों के समर्थन करते हुए काले कृषि क़ानूनों को रद्द करने की मांग दुहराई है । दो दिन पूर्व दिल्ली में जारी किसानों के आंदोलन में शामिल होने जा रहे ओड़ीसा के सैकड़ों किसानों के जत्थे के झारखंड पहुँचने पर रांची में जोशपूर्ण स्वागत किया गया । बाद में प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री ने खुद झण्डा दिखाकर उक्त जत्थे को दिल्ली के लिए रवाना किया ।

बिहार में भी विभिन्न किसान संगठनों तथा वामपंथी दलों का किसान आंदोलन के समर्थन में राजधानी पटना के साथ अनेक जिलों में हर दिन कोई न कोई जन अभियान चलाया जा रह है। जगह जगह किसानों की सभाएं , धरना और जुलूस आयोजित कर किसान आंदोलन के साथ एकजुटता का प्रदर्शन करते हुए मोदी सरकार के पुतले जलाए जा रहें हैं । उक्त अभियानों के माध्यम से प्रदेश की नितीश कुमार सरकार से राज्य में एमएसपी से धान खरीद की गारंटी तथा मंडी व्यवस्था पुनः शुरू करने की मांग की जा रही है । इन्हीं मांगों को लेकर अखिल भारतीय किसान महासभा द्वारा पटना में 10 दिनों का नियमित धरना दिया गया । जिसमें क्रमवार कई जिलों के किसानों ने भागीदारी निभाई।

19 जनवरी से ऑल इंडिया पीपुल्स फोरम द्वारा पटना,पटनासिटी के विभिन्न चौक चौराहों पर किसान आंदोलन के समर्थन में नागरिक जन अभियान चलाया जा रहा है । जिसमें किसान आंदोलन केन्द्रित कविता पाठ , जनगीत गायन के साथ किसान नेताओं के वक्तव्यों से आम लोगों को काले कृषि क़ानूनों और इसके खिलाफ किसानों के आंदोलन पूरी की जानकारी दी जा रही है । साथ ही खेती किसानी को निजी कॉर्पोरेट के पक्ष में लगातार अड़ी हुई मोदी सरकार द्वारा किसानों से किया जा रहा वार्ता नाटक की असलियत भी समझाई जा रही है । लोगों को यह भी बताया जा रहा है कि किस तरह से अब मोदी शासन आंदोलनकारी किसान नेताओं , आंदोलन को सहयोग दे रहे सामाजिक संगठनों तथा उसकी खबरें देनवाले पत्रकारों पर NIA से सम्मन जारी करवा कर डराना चाह रही है । खबरों के अनुसार आगामी 30 जनवरी को बिहार के सभी वामपंथी दलों के साथ साथ महागठबंधन द्वारा पूरे राज्य में किसानों के आंदोलन के समर्थन में विशाल मानव श्रंखला बनाई जाएगी ।

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