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कोरोना से आजीविका का भी संकट : रोज़ कमाने-खाने वाले सबसे ज़्यादा मुश्किल में

मसूरी के होटल व्यवसायी कहते हैं कि कोरोना का कहर ज्यादा रहा तो उन्हें छंटनी करनी पड़ सकती है। यानी छोटे-छोटे वेतन पर काम कर रहे लोगों के सामने भी आजीविका का संकट है।
कोरोना से आजीविका का भी संकट

कोरोना वायरस जीवन के संकट के साथ-साथ आर्थिक संकट भी लेकर आया है। बड़े उद्योगपति इस संकट को झेल लेंगे लेकिन छोटे-छोटे कामगार, रोज़ कमाने-खाने वालों के लिए हर दिन मुश्किल है। उत्तराखंड में पर्यटन पर इसका सीधा असर पड़ा है। यहां आने वाले पर्यटक स्थानीय लोगों के आजीविका के साधन हैं। पर्यटकों की आवाजाही से जिनकी आर्थिकी जुड़ी होती है। राज्य के स्कूल-कॉलेज बंद होने से उसके ईर्दगिर्द खाने-पीने की चीजें बेचकर गुज़ारा करने वालों की बिक्री कम हो गई है तो ऑटो, रिक्शा, स्कूल वैन ड्राइवर भी इस मंदी के शिकार हो गए हैं।

कोरोना से छोटे कामगारों की बढ़ रही आर्थिक मुश्किलें

देहरादून के डालनवाला क्षेत्र में कई छोटे-बड़े स्कूल हैं। अमूमन ट्रैफिक जाम से जूझने वाले इस क्षेत्र की सड़कें सूनी थीं। स्कूलों के गेट पर आइसक्रीम-कैंडी बेचने वालों से लेकर आसपास की छोटी-छोटी दुकानें शांत थीं। स्कूल की छुट्टी का समय इनका पीक आवर होता है जो इस समय ढला हुआ है। दुकानदार कहते हैं कि इस समय बच्चों के खाने-पीने वाली चीजों की बिक्री कम हो गई है। स्कूलों के बाहर सन्नाटा पसरा है। इस सन्नाटे का असर उन निहायत छोटे-छोटे उद्यमियों  के जीवन पर पड़ रहा है।

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यहीं एक सड़क पर पेड़ की छांव में ई-रिक्शा चलाने वाली गुलिस्तां भी बैठी हुईं थी। बड़े फख्र से बताती हैं कि वो देहरादून में ई-रिक्शा चलानेवाली पहली महिला ड्राइवर हैं। अमूमन रोज़ की कमाई 500-600 रुपये होती है। वह बताती हैं कि सुबह और दोपहर के समय सवारी ढूंढ़नी नहीं पड़ती। लेकिन बीते कुछ रोज़ से उनके ई-रिक्शा के पहिए कुछ कम दूरी तय कर रहे हैं। स्कूलों के अलावा भी सड़क पर आने-जाने वालों की संख्या कम हो गई है। हमारी बातचीत को विराम देकर वह सवारी की तलाश में आगे बढ़ जाती हैं।

निजी स्कूल के लिए वैन चलाने वाले ड्राइवर नसीम बताते हैं कि स्कूल बंद होने की वजह से बच्चे स्कूल नहीं जा रहे और इस महीने के पैसे नहीं मिले। उनके भी छोटे बच्चे हैं। ये महीना उन पर भारी बीता। वह उम्मीद करते हैं कि अगले महीने स्कूल खुल जाएं।

कोरोना का कहर बढ़ा तो छंटनी की नौबत

अमेरिकी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट ने कंपनी में दैनिक वेतन पर काम करने वाले लोगों को आश्वस्त किया है कि कोरोना के चलते उनकी आजीविका प्रभावित नहीं होगी और उन्हें पूरा भुगतान किया जाएगा। जाहिर है कि माइक्रोसॉफ्ट बड़ी कंपनी है। लेकिन मसूरी के होटल व्यवसायी कहते हैं कि कोरोना का कहर ज्यादा रहा तो उन्हें छंटनी करनी पड़ सकती है। यानी छोटे-छोटे वेतन पर काम कर रहे लोगों के सामने भी आजीविका का संकट है।

उत्तराखंड होटल एसोसिएशन के संदीप साहनी बताते हैं कि ये समय वित्त वर्ष के समापन का है। कॉर्पोरेट्स के समूह यहां ग्रुप कॉन्फ्रेंस के लिए इकट्ठा होते हैं। पूरे प्रदेश को इससे पर्यटन का एक बड़ा चंक मिलता है। लेकिन इस बार ग्रुप कॉन्फ्रेंस 90-100 फीसदी तक प्रभावित है। इसी तरह मार्च के दूसरे हफ्ते में आने वाले पर्यटकों ने 30 प्रतिशत तक बुकिंग कैंसिल की जो तीसरे हफ्ते में बढ़कर 70 प्रतिशत हो गई। इसके साथ ही गर्मियों के लिए आने वाली फोन इन्क्वायरी भी बंद है। तो कोरोना राज्य के पर्यटन कारोबार को भी प्रभावित कर रहा है।

पर्यटन पर भारी कोरोना, बुकिंग हो रही कैंसिल

तो जब पर्यटकों की आमद कम है, तो सड़क पर दुकान लगाने वाले छोटे-छोटे उद्यमियों से लेकर मैगी प्वाइंट्स तक चाय-मैगी बेचकर गुज़ारा करने वालों को भी इसका नुकसान उठाना पड़ रहा है। दुकानों पर कुछ ज्यादा ही शांति पसरी है। संदीप कहते हैं कि वर्ष 2013 की केदारनाथ आपदा के बाद राज्य में अब तक का ये सबसे बड़ा स्लो डाउन है।

औली में स्कीइंग और ट्रैकिंग का कारोबार से जुड़े विवेक पंवार कहते हैं कि इस वर्ष बर्फ़बारी बहुत अच्छी रही। इससे जनवरी, फरवरी में स्कीइंग के लिए खूब पर्यटक आए। मार्च का महीना भी स्कीइंग के लिए अच्छा जाता। लेकिन कोरोना के डर से बुकिंग कैंसिल हो रही हैं। स्कीइंग के लिए 80 फीसदी तक भारतीय आते हैं और करीब 20 प्रतिशत तक विदेशी सैलानी। जबकि ट्रैकिंग ज्यादातर विदेशी पर्यटकों पर निर्भर करती है। विवेक कहते हैं कि मई महीने में लॉर्ड कर्जन और क्वारीपास ट्रैक की उनकी दो बुकिंग कैंसिल हो गई। दोनों बुकिंग अमेरिका की थी। एक ने रिफंड मांगा है तो दूसरे ने अगले वर्ष के लिए टोकन मनी की तरह दे दिया है।

चारधाम यात्रा पर भी कोरोना का साया!

विवेक को भी केदारनाथ आपदा का डर सता रहा है जब दो साल तक पर्यटन ठप रहा। आने वाले 10-15 दिनों पर उनकी निगाहें टिकी हैं। इससे स्थिति स्पष्ट हो जाएगी कि ये पर्यटन सीजन कैसा जाएगा। यही नहीं, अप्रैल के आखिर में राज्य में चारधाम यात्रा भी शुरू होनी है। जो बहुत से परिवारों के साल भर के लिए आजीविका का साधन है। वे उम्मीद कर रहे हैं कि जल्द ही कोरोना को दूर करने में कामयाबी मिलेगी।

उत्तराखंड में कोरोना का एक पॉजीटिव केस, कई भर्ती

उत्तराखंड में भी कोरोना का एक पॉजीटिव केस सामने आ चुका है। कोरोना जैस लक्षण की आशंका में राज्य में कई जगह लोग अलग-अलग जगह अस्पताल में भर्ती किए गए हैं। सरकार ने कोरोना को फैलने से रोकने के लिए उत्तराखण्ड एपिडेमिक डिजीज कोविड-19 रेग्यूलेशन एक्ट-2020 लागू कर दिया है। शादी हो या पार्टी, एक जगह 50 से अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर पाबंदी लगाई है। स्कूल, कॉलेज, सिनेमाघर, जिम, क्लब, स्वीमिंग पूल जैसे संस्थान 31 मार्च तक के लिए बंद हैं।

सेहत के मोर्चे पर पिछड़े, खस्ताहाल अस्पतालों, डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ की कमी वाले राज्य में कोरोना और अधिक घातक साबित होगा। अभी सिर्फ हल्द्वानी में ही कोरोना के नमूने जांच के लिए भेजे जा रहे हैं, देहरादून में इसकी व्यवस्था नहीं हो सकी है।

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