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लखनऊ विवि: छात्रावास को बना दिया छावनी!, छात्र संगठनों का प्रदर्शन

यूपी विधानसभा के शीतकालीन सत्र के नाम पर लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्रावास में सुरक्षाबलों को ठहरा दिया गया है, जिसके ख़िलाफ़ छात्रों ने मोर्चा खोल दिया है।
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लखनऊ विश्वविद्यालय परिसर में पुलिस के शिविर लगाने को लेकर छात्र संगठनों ने विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ़ मोर्चा खोल दिया है। छात्र संगठनों का आरोप है कि उनके छात्रावास को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया है, और छात्रावास के कमरों में पुलिस के कैंप स्थापित कर दिए गए हैं।

विश्वविद्यालय के कला (फाइन आर्ट) के छात्रावास में अचानक पुलिस शिविर लगता देख छात्र संगठन बिफर गये। छात्रों का कहना था कि अत्यधिक पुलिस बल की मौजूदगी का उपदेश छात्रों के लोकतांत्रिक अधिकारों को बल पूर्वक कुचलना है।

रणबीर सिंह बिष्ट छात्रावास (कला संकाय) में करीब 150 पुलिसकर्मियों की मौजूदगी से नाराज़ छात्र संगठन अब विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। छात्र संगठन ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन, नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया और समाजवादी छात्र सभा ने 6, दिसंबर को कला संकाय में पुलिस शिविर लगाने के विरोध में एक जुलूस निकाला।

पुलिस शिविर हटाने के नारे लगाते हुए छात्र विश्वविद्यालय के गेट नंबर 1 से प्रॉक्टर ऑफिस तक गए। स्थानीय पुलिस ने छात्रों को रोकने का प्रयास किया, लेकिन छात्रों की संख्या अधिक होने के कारण पुलिस का प्रयास विफल हो गया।

छात्रों के अनुसार प्रॉक्टर ऑफिस से भी कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। वामपंथी छात्र नेता शिविर, कहते हैं कि विश्वविद्यालय प्रशासन के मुताबिक परिसर में पुलिस को विधानसभा के शीतकालीन सत्र के चलते ठहराया है। जिसपर छात्र संगठन सवाल करते हैं कि विश्वविद्यालय परिसर और विधानसभा में 3.3 किलोमीटर का फासला है, तो पुलिस को इतनी दूर रोकने का क्या अर्थ है।

जबकि छात्र नेता विशाल सिंह का कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन यह साफ़ नहीं बता रहा है कि छात्रावास में पुलिस को शिविर का उपदेश क्या है। एनएसयूआई के नेता विशाल सिंह कहते हैं कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने उनसे कहा कि परिसर में छात्रों के बीच होने वाली झड़पों के मद्देनज़र पुलिस बुलाई गई है।

जबकि छात्र नेताओं को अंदेशा है कि छात्र आंदोलन को कुचलने के लिए परिसर में पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। लखनऊ विश्वविद्यालय में करीब 15 साल से छात्र संघ चुनाव नहीं हुआ है। छात्र संगठन लगातार चुनाव की माँग कर रहे हैं।

हालांकि छात्र संघ न होने के बावजूद छात्र अधिकारों के लेकर छात्र संगठन सक्रिय हैं। हाल में ही परास्नातक(एम ए) में प्रयोगशाला फीस के नाम पर 1000 रुपये अतिरिक्त लिए जाने के खिलाफ़ छात्र संगठन लामबंद हुए थे।

विभिन्न छात्र संगठनों ने एक स्वर में फीस वृद्धि को तत्काल प्रभाव से वापस लिए जाने और केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा तानाशाही तरीके से थोपी गई नई "शिक्षा नीति 2020" को रद्द करने की मांग की थी।

छात्र नेता विशाल सिंह ने बताया कि सामाजिक शास्त्र के विषयों में प्रयोगशाला का कोई प्रावधान ही नहीं है। जब इस मुद्दे को लेकर छात्र संगठनों का प्रतिनिधि मंडल विश्वविद्यालय प्रशासन से बात करने पहुंचा, तो प्रशासन के पास इसका कोई जवाब नहीं था।

इसके अलावा हाल में ही एमए उर्दू थर्ड सेमेस्टर "इंटर डिपार्टमेंटल" के लिए भटक रहे छात्रों ने आंदोलन किया था। छात्र नेता निखिल के अनुसार एमए उर्दू को कोई एक विषय "इंटर डिपार्टमेंटल" के तहत चयनित करके, उसकी भी पढ़ाई करनी है।

इसकी विभागीय औपचारिकता पूरी कर छात्रों की सूची संबंधित सभी विभागों को भेज दी गई। निखिल के अनुसार छात्र जब इसके लिए हिंदी, राजनीति विज्ञान, समाजशास्त्र आदि विभागों में गए तो उन्हें यह कहकर वापस कर दिया गया कि विभाग में सीटें फुल हो गई हैं। छात्र संगठन आरोप लगाते हैं कि जिन विषयों में छात्रों को रूचि नहीं है, उन्हें उसे लेने के लिए दबाव बनाया जा रहा था।

छात्रों को अंदेशा है कि समय-समय पर लखनऊ विश्वविद्यालय प्रशासन के मनमाने रवैये के खिलाफ़ उठने वाली आवाजों को दबाने के लिए अत्यधिक पुलिस बल परिसर में तैनात किया गया है।

बता दें कि लखनऊ विश्वविद्यालय के करीब 17 छात्रावास हैं। जिसमें दूसरे शहरों, प्रदेशों और देशों से पढ़ाई करने वाले छात्र रुकते है। अक्सर देखा गया है कि छात्रावास के आवंटन को लेकर छात्रों और विश्वविद्यालय प्रशासन में गतिरोध बना रहता है।

छात्र नेता निखिल और विशाल सिंह एक स्वर में परिसर में पुलिस शिविर लगने का विरोध करते हुए आरोप लगाते हैं कि सैकड़ों छात्रों को मौजूदा शैक्षिक सत्र 2002-23 में छात्रावास का आवंटन नहीं हुआ है। छात्र परिसर के बाहर रहकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं।

विशाल सिंह कहते हैं कि छात्रों के लिए छात्रावास का "भोजनालय" अभी बंद था, लेकिन पुलिसकर्मियों के लिए इसे खोल दिया गया। छात्रावास के बाहर मैदान केवल लाठी और बंदूक दिखाई देते हैं। वही निखिल का कहना है कि छात्रावास में पुलिसकर्मियों की मौजूदगी से छात्रों की पढ़ाई व चित्रकारी पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रहे हैं।

जब (फाइन आर्ट) संकाय के डीन,  डॉ रत्न कुमार, से संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि पुलिसकर्मियों को छात्रावास परिसर में विश्वविद्यालय प्रशासन के आदेश पर शिविर करने की अनुमति दी गई है। हालांकि डॉ रत्न कुमार का कहना है कि बात 10-15 पुलिसकर्मियों की चल रही थी, लेकिन क़रीब 150 पुलिसकर्मी छात्रावास के कमरों और मैदान में शिविर लगाकर रह रहे हैं।

डॉ रत्न के अनुसार छात्रों के विरोध के बाद पुलिसकर्मियों के शिविर परिसर से हटाने पर विचार किया जा रहा है, जिस पर अगले दो-तीन दिनों में अंतिम निर्णय लिया जायेगा।

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