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मध्य प्रदेशः पिछले पांच साल में 29 हज़ार सरकारी स्कूल बंद

आइये भाजपा सरकार का सरकारी स्कूलों के संदर्भ में रिपोर्ट कार्ड देखते हैं। देखते हैं कि क्या भाजपा शासनकाल में सरकारी स्कूलों की स्थिति में कोई सुधार हुआ है?
madhya pradesh

मध्य प्रदेश में इस साल चुनाव होने हैं। जिसके चलते विकास का सरकारी प्रोपगेंडा शुरू हो चुका है। दावों और वादों की बाढ़ आ गई हैं। इसी सिलसिले में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने मध्य प्रदेश के स्कूलों के बारे में कहा है कि “मेरी कोशिश है कि सरकारी स्कूलों को ऐसा बना दूं कि हर ग़रीब का बेटा-बेटी बेहतर शिक्षा प्राप्त कर पाएं”। कायदे से शिवराज सिंह चौहान को ये भी बताना चाहिये कि वो ये कोशिश कबसे कर रहे हैं और पिछले लगभग 18 साल में भाजपा ने क्या किया है?

जनता को बताएं कि फिलहाल मध्य प्रदेश के सरकारी स्कूलों की स्थिति क्या है और भाजपा शासनकाल में क्या बदलाव आया है? क्योंकि अगर कुछ समय को छोड़ दें तो पिछले चार टर्म से भाजपा की ही सरकार है और ज्यादातर आप ही (शिवराज सिंह) मुख्यमंत्री रहे है। लेकिन सरकार जवाबदेही के साथ जनता के सामने रिपोर्ट कार्ड नहीं रख रही बल्कि प्रोपगेंडा परोस रही है।

तो आइये भाजपा सरकार का सरकारी स्कूलों के संदर्भ में रिपोर्ट कार्ड देखते हैं। देखते हैं कि क्या भाजपा शासनकाल में सरकारी स्कूलों की स्थिति में कोई सुधार हुआ है? हम स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग, भारत सरकार के वर्ष 2015-16 और वर्ष 2021-22 के आंकड़ों पर नज़र डालते हैं और देखते हैं कि क्या पिछले पांच सालों में कुछ बदलाव आया है?

क्या सरकारी स्कूलों की संख्या, एनरोलमेंट और शिक्षकों में वृद्धि हुई है?

स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग, भारत सरकार की वेबसाइट के अनुसार वर्ष 2015-16 में मध्य प्रदेश में सरकारी स्कूलों की संख्या 1,21,976 थी जो वर्ष 2021-22 में घटकर 92,695 रह गई। यानी पिछले पांच सालों में 29,281 सरकारी स्कूल बंद हो गये।

वर्ष 2015-16 में मध्य प्रदेश में सरकारी स्कूलों में 1,03,60,550 विद्यार्थी एनरोल थे। ये आंकड़ा वर्ष 2021-22 में घटकर 94,29,734 रह गया। स्पष्ट है कि सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की एनरोलमेंट में 9,30,816 की कमी आई है।

वर्ष 2015-16 में सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की संख्या 3,44,372 थी जो वर्ष 2021-22 में घटकर 3,03,935 रह गई। यानी 40,437 शिक्षकों की कमी हुई है।

इस प्रकार हम देख सकते हैं कि पिछले पांच सालों में सरकारी स्कूलों की संख्या, विद्यार्थियों के एनरोलमेंट और शिक्षकों की संख्या में भारी कमी हुई है। आंकड़े बता रहे हैं कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भाजपा सरकारी स्कूलों में बेहतर शिक्षा मुहैया कराने के मामले में फेल साबित हुई है।

सरकारी स्कूलों में सुविधाओं की स्थिति

अब आइये, एक बार मध्य प्रदेश के सरकारी स्कूलों में उपलब्ध सुविधाओं की स्थिति देखते हैं।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2015-16 में मध्य प्रदेश के 4% सरकारी स्कूलों में लड़कियों के लिए शौचालय की सुविधा नहीं थी। वर्ष 2021-22 तक इसमें मात्र 1% की बढ़ोतरी हुई है। अभी भी मध्य प्रदेश के 1,770 स्कूलों में लड़कियों के लिए शौचालय नहीं है।

वर्ष 2015-16 में 10% स्कूलों में पुस्तकालय नहीं थे जो आंकड़ा वर्ष 2021-22 में बढ़कर 36% हो गया। यानी 26% की बढ़ोतरी हुई है। मध्य प्रदेश के 33,623 स्कूलों में पुस्तकालय नहीं है।

आप ये ना माने कि जहां पुस्ताकलय हैं वहां पुस्तकें भी होंगी ही। मध्य प्रदेश के 35,451 सरकारी स्कूल ऐसे हैं जहां किताबों वाली लाइब्रेरी नहीं है। वर्ष 2021-22 में ये संख्या 17,466 थी।

वर्ष 2015-16 में मध्य प्रदेश के 84% सरकारी स्कूलों में बिजली की सुविधा नहीं थी। वर्ष 2021-22 में इसमें थोड़ा सुधार हुआ और ये आंकड़ा 84% से घटकर 57% पर आ गया। लेकिन अभी भी मध्य प्रदेश के 52,888 स्कूलों में बिजली नहीं है।

2015-16 में मात्र 3% सरकारी स्कूलों में पीने के पानी की सुविधा नहीं थी ये आंकड़ा वर्ष 2021-22 में बढ़कर 34% हो गया। मध्य प्रदेश के 31,426 सरकारी स्कूलों में पीने के पानी की सुविधा नहीं है।

2015-16 में 56% स्कूलों में हाथ धोने की सुविधा नहीं थी। वर्ष 2021-22 में इसमें थोड़ा सुधार हुआ लेकिन अभी भी 39% स्कूलों में हाथ धोने की सुविधा नहीं है।

वर्ष 2015-16 में 23% स्कूलों में मेडिकल सुविधा नहीं थी जो आंकड़ा वर्ष 2021-22 में बढ़कर 39% हो गया। मध्य प्रदेश के 35,822 सरकारी स्कूलों में मेडिकल सुविधा नहीं है।

निष्कर्ष

ऊपर दिए गए तमाम आंकड़े बता रहे हैं कि मध्य प्रदेश के सरकारी स्कूलों की स्थिति बदहाल है। बहुत सारे स्कूल आज भी पुस्तकालय, पीने का पानी, बिजली और हाथ थोने तक की बुनियादी सुविधाओं की कमी से जूझ रहे हैं। पिछले पांच सालों में शिक्षकों की संख्या में कमी आई है, विद्यार्थियों की एनरोलमेंट में कमी आई है और हज़ारों सरकारी स्कूल बंद कर दिए गए हैं। ये सब स्पष्ट करता है कि मध्य प्रदेश के सरकारी स्कूलों की स्थिति को सुधारने में भाजपा सरकार बुरी तरह फेल हुई है और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की बेहतर शिक्षा की कोशिश एक जुमला है।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार एवं ट्रेनर हैं। आप सरकारी योजनाओं से संबंधित दावों और वायरल संदेशों की पड़ताल भी करते हैं।)

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