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मध्य प्रदेश: चकरायपुर में कथित गौकशी की घटना पर माकपा ने उठाए गंभीर सवाल

महाराजपुरा पुलिस ने गाेमांस बेचने के शक में तीन लोगों को गिरफ़्तार कर जेल भेज दिया है। विपक्षी वाम दल ने एक जांच दल वहां भेजा और एक विस्तृत रिपोर्ट जारी की जिसमें उन्होंने पुलिस की कार्रवाई पर कई गंभीर सवाल उठाए।
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मध्य प्रदेश के ग्वलियर के ग्राम चकरायपुर में गौकशी की कथित घटना सामने आई है। जिसके बाद एक बार फिर प्राकृतिक न्याय के ख़िलाफ़ जाकर बुलडोज़र न्याय दिया गया। 24 सितंबर को कथित गौकशी के मामले में तनाव बढ़ने और दक्षिणपंथी संगठनों के धमकी के बाद प्रशासन इस मामले में जेल गए आरोपितों के रिश्तेदार और साथियों के शस्त्र लाइसेंस कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने रद्द कर दिया है। वहीं महाराजपुरा पुलिस ने गाेमांस बेचने के शक में तीन लोगों को गिरफ़्तार कर जेल भेज दिया है। विपक्षी वाम दल ने एक जांच दल भेजा और एक विस्तृत रिपोर्ट जारी की जिसमें उन्होंने पुलिस की कार्रवाई पर कई गंभीर सवाल उठाए और कहा मनगढंत कहानी पुलिस ने किसी राजनीतिक दबाव में बनाई है।

क्या है पूरा मामला ?

ग्वलियर शहर के महाराजपुरा थाना स्थित चकरायपुरा गांव से 24 सितंबर को किसी ने सूचना दी थी कि गांव के ही सईद ख़ान, मुरादी खा़न, पप्पू ख़ान व बटूरी ख़ान ने कथित तौर गौ हत्या की है।पुलिस ने यह भी दावा किया की उनके घर पर गाय का मांस मिला है। इसके बाद यहां पर हिंदूवादी संगठन बजरंग दल सहित अन्य हिंदू संगठन के कार्यकर्ता इकट्ठा हुए थे। यहां पर हंगामा बढ़ा तब तक पुलिस ने मोर्चा संभाल लिया था। तनाव के चलते पुलिस फोर्स तैनात कर दी गई थी। इसके अलावा सोमवार को 20 शस्त्र लाइसेंस को रद्द कर दिया गया है। जबकि 29 सितंबर को आरोपी के घर अवैध निर्माण बता कर तोड़ दिया गया।

बीजेपी नेता की खुलेआम क़ानून हाथ मे लेने की दी धमकी

कई मीडिया रिपोर्ट में छपी ख़बर के मुताबिक़ वरिष्ठ बीजेपी नेता और पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया ने ट्वीट करते हुए लिखा था कि गाे- रक्त की एक बूंद गिरना भी दुःखद है और असहनीय भी...। सर्वपितृ अमावस्या की पूर्व संध्या पर गाे- भक्त की सूचना पर ग्वालियर के महाराजपुरा थानांतर्गत चकरायपुर में गाय का कटा हुआ शरीर और मांस पकड़ा गया, मांस बेचने वाले तो पकड़े, लेकिन हत्यारे नदारद हैं। जानकारी मिली है कि इस इलाक़े में असहाय गायों की अनवरत हत्या करके कुछ ढाबों पर बेचने का पाप किया जा रहा है और यह आश्चर्यजनक कि कसाईयों के पास 30 शस्त्र लाइसेंस हैं, अवैध निर्माण इन राक्षसों के ऐश-गाह बने हुए हैं। इस रैकेट की तह तक जाने के लिए त्वरित और कठोरतम कार्रवाई होना ज़रूरी है। मध्य प्रदेश संपूर्ण गाेवध बंदी कानून वाला राज्य है, फिर कौन हैं वे लोग, जिनके संरक्षण में हिंदू संवेदनाओं से खेला जा रहा है। अगर देर हुई तो कसाईयों के अड्डे पर मैं स्वयं कूच करने के लिए बाध्य हो जाऊंगा।

इसके बाद प्रशासन ने लगातार कारवाई की। हालांकि उन्होंने ये ट्वीट डिलीट कर दिया है क्योंकि अब ये उनके ट्वीटर हैंडल पर नहीं दिख रहा है।

माकपा की ग्राम चकरायपुर की घटना पर जांच रिपोर्ट

28 सितंबर को भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के जांच दल ने ग्राम चकरायपुर का दौरा किया और 24 सितंबर की घटना के संबंध में चर्चा कर जानकारी हासिल की। जांच दल में माकपा के राज्य सचिव जसविंदर सिंह, मध्यप्रदेश किसान सभा के राज्य महासचिव अखिलेश यादव, दलित शोषण मुक्ति मंच के रामबाबू जाटव, मुस्लिम अधिकर मंच के युसूफ अब्बास, माकपा के नगर सचिव श्रीकृष्ण बघेल और राजेंद्र सविता शामिल थे। पार्टी ने यह भी कहा कि जांच रिपोर्ट वरिष्ठ अधिकारियों को भी सौंपी जाएगी और उचित कर कार्यवाही की मांग की जाएगी।

जांच दल की रिपोर्ट इस प्रकार है:

माकपा की जांच रिपोर्ट के मुताबिक़ ग्राम चकरायपुर की आबादी क़रीब 450 से 500 घर की है। गांव में दलित समुदाय और अल्पसंख्यक समुदाय के लोग रहते हैं। दोनों ही समुदायों के घर क़रीब क़रीब बराबर हैं। दोनों समुदाय पीढ़ियों से साथ-साथ रह रहे हैं। दोनों ही समुदाय दुख और सुख में साथ होते हैं। कभी भी किसी प्रकार का तनाव या अविश्वास की भावना भी नहीं पनपी।

जांच दल ने 24 सितंबर की घटना के संबंध में भी दोनों ही समुदायों से चर्चा की। दोनों समुदायों से मिली जानकारी के आधार पर माकपा की जांच टीम ने बताया कि अल्पसंख्यक समुदाय के दो व्यक्ति सईद ख़ान और अलीम मिस्त्री हैं। सईद जहां मेहनत कर परिवार की ज़िम्मेदारी निभाता है, वहीं अलीम अपनी पूरी कमाई शराब पीने में ही ख़त्म कर देता है। दोनों ने कुछ दिनों तक साथ साथ मज़दूरी की। 24 सितंबर की सुबह अलीम सईद ख़ान के मज़दूरी के पैसे मांगने गया। सईद ने कहा कि अभी ठेकेदार ने ही पैसे नहीं दिये हैं। इस बात को लेकर दोनों में विवाद हुआ और फिर हाथापाई भी हुई।

जांच दल का कहना है कि उस समय सईद ख़ान के घर मांस बन रहा था। अलीम यह कहते हुए चला गया कि अब मैं तुम्हें सबक सिखाता हूं। उसने पुलिस और बजरंग दल वालों को फोन किया कि सईद खान के घर गाय का मांस बन रहा है। इसके बाद पुलिस ने आकर बन रहे मांस को ज़ब्त कर लिया और जांच के लिए हैदराबाद भेज दिया।

पार्टी का कहना है कि सईद खान ने यह भी बताने की कोशिश की कि यह गाय का मांस नहीं है। वह मांस वे कहां से और किस दुकान से ख़रीद कर लाया है, उसके बारे में भी जानकारी दी, मगर पुलिस ने उसकी बात सुनने और जांच करने और हैदराबाद से रिपोर्ट आने से पहले ही उसके ख़िलाफ़ गाय का मांस पाये जाने और गाय के काटे जाने का मामला दर्ज कर लिया। सईद ख़ान के साथ ही तीन और युवकों मुरादी पुत्र गंगे ख़ान, बटरी पुत्र टैनी ख़ान और पप्पू ख़ान पुत्र सबल ख़ान को भी गिरफ़्तार कर लिया, जबकि इनके घरों से तो किसी भी तरह का मांस नहीं पाया गया है।

जांच दल के अनुसार पुलिस ने यह भी कहा है कि उसने गाय काटे जाने के अवशेष पाए हैं, मगर कुछ भी ज़ब्त नहीं किया है। हमारी समझ से यह मनगढंत कहानी पुलिस ने किसी राजनीतिक दबाव में बनाई है। क्योंकि पहला ये कि यदि गाय को काटा जाता है तो उसे किसी पेड़, या खंबे के साथ बांधना पड़ेगा। फिर काटते समय वह इतने जोर से चिल्लायेगी कि उसकी आवाज़ पूरे गांव में सुनाई देगी। और यदि रात के सुनसान और शांत वातावरण में गाय काटी जाएगी तो आवाज़ आसपास के गांवों तक भी पहुंचेगी। ऐसी आवाज़ किसी ने नहीं सुनी। न ही गांव में कोई ऐसी जगह मिली जहां गाय काटी गई हो।

दूसरा ये कि गाय काटे जाने के बाद गाय की खाल, सींग, पूंछ, खुर जैसे अवशेष भी वहां नहीं मिले। जिससे साबित हो कि गाय काटी गई है।

तीसरा यह कि गाय जैसे जानवर के काटे जाने पर भारी मात्रा में ख़ून निकलता है। यदि गाय काटी गई होती तो उसके खून की धार दूर तक गई होती। यदि गाय घर के अंदर काटी जाती तो ख़ून की यह धार पूरी गली में बहती। ऐसा कुछ भी गांव में न तो हमने देखा और न ही गांव वालों में ऐसा होना बताया।

चौथा ये कि गाय जैसे जानवर के काटे जाने पर भारी मात्रा वेस्ट मैटरियल भी निकलता है। वह भी गांव के आस पास न जांच दल को देखने को मिला और न ही गांव वालों ने देखा पांचवा यह कि गाय कटने से कम से कम एक क्विंटल मांस निकलता है। ऐसे में या तो हर घर से मांस निकलता या फिर किसी एक जगह इतना मांस पाया जाता। पुलिस को एक ही घर में सिर्फ़ डेढ़ किलो मांस पाये जाने का अर्थ है कि न तो गाय का मांस था और न ही गाय काटी गई है।

माकपा ने जांच में पाया कि यह घटना ग़ैर ज़िम्मेदाराना है और उस व्यक्ति की ग़ैर ज़िम्मेदाराना और आपराधिक हरकत का परिणाम है जिसके बुरे कृत्य रहे हैं।

दल ने पाया कि पुलिस की इस कार्यवाही के बाद जब गांव का अल्पसंख्यक समुदाय दहशत में था तब पास के कुंवरपुर गांव के अपराधी तत्वों ने अल्पसंख्यक बस्ती पर हमला कर सईद सहित तीन घरों में तोड़ फोड़ और लूटपाट की। लूटपाट और तोड़फोड़ करते हुए इनके वीडियो भी उपलब्ध हैं। इसके बाद भी इन तत्वों के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं हुई है। अल्पसंख्यक समुदाय इतनी दहशत में है कि पुलिस थाने में रिपोर्ट लिखाने की हिम्मत नहीं कर पा रहा है।

जांच दल ने ये भी कहा कि जिन तीन घरों में लूटपाट और तोड़फोड़ हुई है। उसमें सईद खान के घर पर टीवी, फ्रिज, एलसीडी सहित क़रीब डेढ़ लाख का नुकसान हुआ है। एक अन्य व्यक्ति धवले ख़ान के घर पर भी इतना ही नुक़सान हुआ है। जबकि वह दो महीने से गुजरात में मज़दूरी कर रहा है। उसकी पत्नी भय के कारण अपने दोनो बच्चों को लेकर मायके चली गई है। वहीं घर में चार लाख रुपये के सोना चांदी के ज़ेवरात लूट लिए गए हैं। जबकि कुछ नक़दी लूटने के अलावा तोड़ फोड़ भी की गई है।

वहीं माकपा की टीम ने कहा कि इस पूरे घटनाक्रम का दुखद पहलू यह भी है कि कोई भी ज़िम्मेदार अधिकारी कलेक्टर या पुलिस अधीक्षक गांव का दौरा करने और गांव वालों से बात करने नहीं पहुंचा। किसी जनप्रतिनिधि ने भी गांव का दौरा नहीं किया।

साथ ही प्रशासन ने एक निंदनीय हरकत और की है। गांव में सार्वजनिक वितरण की दुकान, जो पिछले बीस साल से गांव में थी, उसे अब सेंथरी गांव पहुंचा दिया गया है। जिससे गांव वालों विशेष कर अल्पसंख्यकों को राशन मिलने में असुविधा हो रही है।

वहीं जांच दल को यह जानकारी भी मिली है कि कुंअरपुरा गांव के जिन तत्वों ने चकरायपुर में लूटपाट की है, वे कुवरपुरा में भी रात के समय अल्पसंख्यक बस्ती में घूमते और आपत्तिजनक नारे लगाते हैं। जिससे वहां पूरे क्षेत्र के अल्पसंख्यकों में भय का माहौल बन गया है।

माकपा ने कहा कि इस घटनाक्रम का सुखद पहलू यह है कि गांव के दलित और अल्पसंख्यक समुदाय के बीच सदभाव बरक़रार है।

माकपा ने मांग की है कि सईद ख़ान सहित जिन चार लोगों को बिना ठोस सबूत के जेल में डाला गया है, उन्हें रिहा किया जाए। जिन तीन घरों में तोड़फोड़ हुई है, उनका सर्वे कर पूरा मुआवज़ा दिया जाए। साथ ही जिन अपराधिक तत्वों ने लूटपाट की है उनके ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज किया जाए और गांव में सौहार्दपूर्ण और भयमुक्त वातावरण बनाने की पहल की जाए। पार्टी ने मांग करते हुए कहा है कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकान को फिर से चकरायपुर में वापस लाया जाए। वहीं उसने कहा कि पुलिस द्वारा अल्पसंख्यक समुदाय के 17 लाइसेंसी हथियारों के लाइसेंस रद्द करना भी एकतरफा कार्यवाही है। जबकि लूटपाट करने वाले पड़ोसी गांव के लोगों के न तो हथियार ज़ब्त किए हैं और न ही उन पर कार्रवाई हुई है।

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