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मध्यप्रदेश : 50 लाख से अधिक युवा बेरोज़गार...बिगड़ सकता है भाजपा का चुनावी खेल?

"मध्यप्रदेश में 50 लाख बेरोज़गार युवा और 33 लाख से अधिक पंजीकृत बेरोज़गार हैं। वहीं 30 लाख नए युवा मतदाता बने हैं जो भाजपा का चुनावी खेल बिगाड़ने के लिए काफी हैं।"
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प्रतीकात्मक तस्वीर। 

72 साल के रामस्वरूप त्रिपाठी हर दिन इसी उम्मीद से जी रहे हैं कि शायद कहीं से बेटों को नौकरी मिलने की सूचना आ जाए। रामस्वरूप को मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के माध्यमिक स्कूल से हेडमास्टर के पद से रिटायर हुए 12 साल से अधिक हो गए। नौकरी के दौरान उन्होंने अपने चार बेटों को खूब पढ़ाया, एक बेटा सत्यप्रकाश एमएससी, एमए, बीएड, एम फिल, पीएचडी करने के बाद भी बेरोज़गार है।

यही हाल दूसरे बेटे आदित्य का है, उसने पीएचडी के बाद पीएससी मेंस भी क्वालीफाई कर लिया, लेकिन परीक्षा निरस्त कर दी गई। इसके बाद 2020, 2021 व 2022 में परीक्षा हुई ही नही। मजबूरी के चलते एक स्कूल में गेस्ट स्कॉलर की नौकरी करने लगे, जहां उन्हें 1800 रुपये प्रति महीना तनख्वाह मिलती थी लेकिन दो महीने बाद वह भी नहीं रही।

तीसरा बेटा ओमप्रकाश एम फार्मा कर चुका है। ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत 12 हज़ार की संख्या में संविदा नियुक्त हुए। परंतु उनकी पोस्टिंग घर से 150 किलोमीटर दूर हुई। उन्होंने आरोप लगाया कि घर के पास पोस्टिंग के लिए उनसे 20 हज़ार रुपये घूस मांगी गई जो उनके पास नहीं थी। अब वह नौकरी भी उनके पास नहीं है।

पिता इस उम्मीद में बेटों को इतना पढ़ा रहे थे ताकि वे अफसर बनें, क्योंकि उस समय हेडमास्टर की तनख्वाह बहुत कम थी। हमेशा हांथ तंग रहता था। यह अकेले त्रिपाठी परिवार की कहानी नहीं है। मध्यप्रदेश में इस वक्त 50 लाख से अधिक युवा बेरोज़गार हैं। करीब-करीब हर परिवार की यही कहानी है। एक अखबार में छपी ख़बर के मुताबिक आने वाले दिनों में मध्यप्रदेश में होने वाली परीक्षाओं में कम से कम 50 लाख युवा शामिल होंगे। मध्य प्रदेश रोज़गार पोर्टल में नवीन पंजीकरण 2 लाख 40 हज़ार के करीब हैं। यह तब है, जबकि शिक्षित युवा रोज़गार कार्यालय में पंजीकरण कराने जाते ही नही हैं।

कर्ज़ लेकर ब्रांडिंग करने में लगी मध्यप्रदेश सरकार?

एमएससी, पीजीडीसीए और बीएड करने के बाद भी खुशबू शुक्ला को नौकरी नहीं मिली। खुशबू कहती हैं, " शायद जब मैं पैदा ही नहीं हुई थी तभी रोज़गार कार्यालय के ज़रिए नौकरी मिलती होगी। उसके बाद तो हमने नहीं सुना कि किसी युवा को रोज़गार कार्यालय के ज़रिए नौकरी मिली हो। इसलिए वहां पंजीकरण कराने का सवाल ही नहीं।"

खुशबू कहती हैं, "साल 2018 में एमपी टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट की परीक्षा संपन्न हुई थी। लेकिन आज तक उसकी नियुक्ति नहीं हुई। 2023 में विधानसभा चुनाव को देखते हुए शिवराज सरकार ने ग्रेड 1 व 2 में काउंसलिंग शुरू की है। अब पता नहीं कितने युवाओं की नियुक्ति होगी। ग्रेड-3 के लिए अभी प्रक्रिया शुरू ही नहीं हुई। इस बीच कई नियम भी बदल दिए गए। मध्यप्रदेश सरकार इस समय पूरी तरह से, कर्ज़ लेकर ब्रांडिंग करने में लगी है।

बहरहाल चुनावी साल में भाजपा ने युवाओं को साधने के लिए अगस्त 2023 तक एक लाख पदों पर भर्ती करने का ऐलान किया है। प्रदेश सरकार यूथ इंटर्नशिप स्कीम के ज़रिए युवाओं को जोड़ने का काम कर रही है। मुख्यमंत्री इंटर्नशिप स्कीम के अंतर्गत प्रत्येक विकासखंड में 15 इंटर्न रखे जाएंगे जो विकासखंड स्तर पर सरकार की विकास योजनाओं का प्रचार-प्रसार करने का काम करेंगे। बदले में चयनित अभ्यर्थियों को 8000 रुपये प्रतिमाह दिया जाएगा। शर्त यह भी है कि अभ्यर्थी को ग्रेजुएट होना चाहिए।

बेरोज़गार सेना के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, राज प्रकाश मिश्र बताते हैं, "इसमें भी गुप-चुप तरीके से नियुक्ति की जा रही है जिससे इसकी भनक प्रदेश के लाखों बेरोज़गार युवाओं को न लगने पाए। क्योंकि उन्हें अपने कार्यकर्ताओं को ही एडजस्ट करना है। अभी तक 4,695 युवाओं का चयन किया गया है और मध्यप्रदेश में लाखों बेरोज़गारों को इस स्कीम की जानकारी ही नहीं है। दरअसल इस स्कीम के तहत सरकारी खर्चे पर चुनाव प्रचार करवाना है।"

यह इसलिए भी हो रहा है क्योंकि संघ ने सत्ता और संगठन को जो फीडबैक दिया, उसमें कहा गया है कि मध्यप्रदेश में 50 लाख बेरोज़गार युवा और 33 लाख से अधिक पंजीकृत बेरोज़गार हैं। वहीं 30 लाख नए युवा मतदाता बने हैं जो भाजपा का चुनावी खेल बिगाड़ने के लिए काफी हैं। युवाओं को रोज़ी-रोटी की चिंता और परिवार के भरण-पोषण की चिंता खाए जा रही है। विधानसभा चुनाव 2023 में बेरोज़गारी एक बड़ा मुद्दा बन कर राजनीतिक दलों के सामने खड़ा है। प्रदेश में बेरोज़गारों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।

एक लाख से अधिक पद खाली?

जानकार बताते हैं कि राज्य संवर्ग के खाली पदों की संख्या 1,01,958 है। स्कूली शिक्षा विभाग में राज्य संवर्ग के सबसे ज़्यादा 45 हज़ार 767 पद खाली हैं। सामान्य प्रशासन विभाग के राज्य संवर्ग के पदों के संबंध में सरकारी सूत्र बताते हैं कि प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय श्रेणी के लिए कुल चार लाख 59 हज़ार 552 पद स्वीकृत किए गए हैं। इनमें से तीन लाख 57 हज़ार 726 पदों पर नियुक्ति हुई हैं। जबकि 1 लाख 1 हज़ार 958 पद अभी भी खाली हैं।

रोज़गार के नाम पर कर्ज़ का बोझ

शिवराज सरकार युवाओं को लुभाने के लिए हर महीने एक दिन को रोज़गार दिवस के रूप में मना रही है। परंतु इसमें स्वरोज़गार के लिए ही प्रयास किए जा रहे है। प्रदेश सरकार के मुताबिक अब तक 13 लाख 63 हज़ार युवाओं को विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत बैंकों के माध्यम से रोज़गार के लिए लोन एवं अनुदान उपलब्ध कराया गया है। लेकिन इससे युवा कर्ज़ के बोझ तले दबते जा रहे हैं। एक बैंककर्मी ने बताया कि अब बैंक की नौकरी में बहुत तनाव है। कर्ज़ लेकर जहां बड़े पूंजीपति विदेश भाग जाते हैं वहीं छोटे पूंजीपति शहर छोड़कर भाग जाते हैं। उनका पता बदल जाता है। संबंधित बैंक कर्मी का सारा समय वसूली के लिए कर्ज़दार का पीछा करने में चला जाता है।

कांग्रेस प्रवक्ता भूपेंद्र गुप्ता बताते हैं, "पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने डेढ़ साल के कार्यकाल में करीब एक लाख 40 हज़ार युवाओं को 6 महीने के लिए 4000 हज़ार रुपए भत्ता देकर विभिन्न संस्थानों में काम करवाया जिससे वह अपनी योग्यता के अनुसार अपना भविष्य तय कर सकें। पर आलम ये है कि अभी वे सारे युवा बेरोज़गार हैं। यह संख्या खुद शिवराज सरकार ने विधानसभा में बताई है।"

आगे वे कहते हैं, "मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अब तक कितने युवाओं को रोज़गार दिया है? बेरोज़गार युवा आत्महत्या कर रहे हैं। अब सरकार चुनावी साल में, मेला लगाकर युवाओं को रोज़गार के नाम पर धोखा दे रही है। मुख्यमंत्री ने हर साल दो लाख युवाओं को रोज़गार देने का दावा किया था। मुख्यमंत्री अभी कुछ दिन पूर्व ही युवाओं को सरकारी नौकरी छोड़ स्वरोज़गार अपनाने की सलाह दे चुके हैं। आज प्रदेश का युवा रोज़गार के नाम पर भटक रहा है और मौत को गले लगा रहा है। युवा रोज़गार के मामले में प्रदेश की स्थिति भयावह है।"

हर दिन बढ़ रहे बेरोज़गार

रिपोर्ट्स के मुताबिक मध्यप्रदेश में बीते एक साल के आंकड़े बताते हैं कि यहां 5 लाख 46 हज़ार बेरोज़गारों की संख्या बढ़ गई है। यह आंकड़ा चौकाने वाला है। यह भी हक़ीक़त है कि राज्य में प्रतिदिन 1500 युवा बेरोज़गारों की संख्या बढ़ रही है। इतनी बड़ी संख्या में सरकार की ओर से रोज़गार उपलब्ध कराया जाना बेहद मुश्किल है।

मध्य प्रदेश में बेरोज़गारों की संख्या

मध्यप्रदेश में युवा बेरोज़गारों की संख्या की बात करें तो करीब 30 लाख से अधिक सूचीबद्ध हैं। वहीं प्रदेश में 2023 के विधानसभा चुनाव में 18 से 21 साल के 30 लाख युवा वोटर पहली बार वोट करेंगे। यह पहला मौका है जब मतदाता सूची अपडेट किए जाने के लिए चलाई गई मुहिम के तहत 18 लाख 25 हज़ार नए युवा मतदाता बने। प्रदेश में हर साल 4 लाख युवा 18 साल की उम्र पार करते हैं। ऐसे में चुनावी वर्ष में करीब 50 से 60 लाख युवा मतदाता सरकार के लिए परेशानी का सबब बन सकते हैं। दूसरी तरफ बेरोज़गारों की संख्या बढ़ने से असंतोष के साथ-साथ विकास पर भी इसका प्रतिकूल असर पड़ रहा है।

किसी भी प्रदेश के विकास की गणना वहां उपलब्ध रोज़गार के साधनों और बेरोज़गारी के आंकड़ों से पता लगाई जा सकती है। मध्यप्रदेश सरकार भले ही कई दावे कर रही हो मगर बेरोज़गारी की समस्या ने युवाओं की चिंता बढ़ा दी है। कोरोना काल ने तो रोज़गार के साधनों में और भी कमी कर दी है। निजी संस्थाओं में जमकर शोषण हो रहा है, वहां सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है। ऐसे में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को इवेंट मैनेजमेंट से अलग हटकर युवाओं के लिए सोचना होगा।

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