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मध्य प्रदेश : आशा ऊषा कार्यकर्ताओं के प्रदर्शन से पहले पुलिस ने किया यूनियन नेताओं को गिरफ़्तार

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने शिवराज सरकार की बढ़ती 'तानाशाही' की निंदा करते हुए कहा, "शिवराज सरकार मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय राजनितिक दल के कार्यालय में ही पुलिस को बिना आदेश ही नहीं घुसा रही है, बल्कि आम नागरिकों के जनतांत्रिक अधिकारों का भी हनन कर रही है।"
Asha Usha workers

मध्य प्रदेश भर से आशा कार्यकर्ताओं को ₹10000 महीने और आशा सहयोगिनी को ₹15000 वेतन देने की मांग को लेकर  सोमवार को विधानसभा का घेराव करने का आव्हान किया था। परन्तु पुलिस ने इन्हें प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं दी और सुबह से ही यूनियन के नेताओं की गिरफ़्तारी शुरू  कर दी। जिसको लेकर विपक्षी दल और यूनियन बीजेपी सरकार पर हमलावर है। इन सबके बाद भी प्रदेश से सैकड़ों आशा-ऊषा कार्यकर्ता भोपाल में जुटीं। हालांकि, बहुतों  को शहर में पहुंचने से पहले ही बैरागढ़ (संत हिरदाराम नगर) में रोक लिया गया।  

इन कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन शाहजहांनी पार्क में होना था परन्तु अनुमति नहीं मिलने के कारण आशा-ऊषा कार्यकर्ताओं और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का कोई कार्यक्रम आयोजित नहीं हुआ। पुलिस ने पार्क में किसी भी व्यक्ति को प्रवेश नहीं दिया और वहां मौजूद कार्यकर्ताओं को हटा दिया।

जबकि सोमवार सुबह भारी पुलिस बल ने कथित तौर पर बिना सर्च वारंट के भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मर्क्सवादी) यानी माकपा के प्रदेश कार्यालय बीटीआर भवन में घुस कर माकपा के राज्य समिति के वरिष्ठ सदस्य और आशा उषा कर्मियों के प्रदेश अध्यक्ष  ए टी पद्मनाभन क़ो गिरफ्तार कर लिया। पुलिस बल यहीं नहीं रुका, उन्होंने माकपा राज्य सचिव मंडल के सदस्य और सीटू के प्रदेश अध्यक्ष रामविलास गोस्वामी से मोबाइल छीन कर उनके बहुत सारे फोटो और दस्तावेज डिलीट कर दिए।

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मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने शिवराज सरकार की बढ़ती 'तानाशाही' की निंदा करते हुए कहा, "शिवराज सरकार मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय राजनितिक दल के कार्यालय में ही पुलिस को बिना आदेश ही नहीं घुसा रही है, बल्कि आम नागरिकों के जनतांत्रिक अधिकारों का भी हनन कर रही है। आशा ऊषा कर्मियों को प्रदर्शन के लिए अनुमति न देना और उनके नेता श्री ए टी पद्मनाभन को बिना किसी कारण और वारंट के बार बार गिरफ्तार करना भाजपा सरकार की जनविरोधी मानसिकता को ही उजागर करता है। शिवराज सिंह अपने आपको प्रदेश की महिलाओं का भाई बताते हैं लेकिन दुनिया भर में मनाये जाने वाले अंतराष्ट्रीय महिला दिवस को मनाने की भोपाल मे अनुमति नहीं दी गई है।"

माकपा राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने कहा है कि जब विधानसभा का सत्र शुरू हो रहा है, प्रदेश का हर नागरिक चाहता है कि उसकी भावनाओं की अभिव्यक्ति विधानसभा सभा में हो, तब यह गिरफ्तारी और भी निंदनीय है।

माकपा ने अपनी समस्त इकाइयों से तत्काल विरोध कार्यवाहियाँ आयोजित करने का आव्हान किया है।  

मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी ट्वीट करके सरकार से इन कार्यकर्तओं से न्याय करने को कहा। उन्होंने लिखा, "मैं शिवराज सरकार से माँग करता हूँ कि इन बहनों ने कोरोना के भीषण संकट काल में भी अपनी सेवाएँ दी है, इनकी मांगों पर तत्काल सहानुभूतिपूर्ण निर्णय लेकर इनके साथ न्याय किया जाए।"

इसके साथ ही उन्होंने लगातर कई ट्वीट किए और इन कार्यकर्ताओं को प्रदर्शन की अनुमति नहीं दिए जाने पर सरकार की आलोचना की। 

अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति ने मध्य प्रदेश सरकार की इस कार्रवाई को तानाशाही पूर्ण फासीवादी बताया और इन तरीकों की भर्त्सना की।

जनवादी महिला समिति की केंद्रीय कमेटी सदस्य संध्या शैली और प्रदेश अध्यक्ष नीना शर्मा ने प्रदेश सरकार की इस कार्यवाही को असंवैधानिक करार देते हुए इसकी निंदा की। उन्होंने मांग की है कि गिरफ्तार किये गये ए टी पद्मनाभन समेत सभी नेताओं को तुरंत रिहा किया जाये।

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