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महाराष्ट्र: कोरोना मरीज़ों के लिए ज़रूरी ऑक्सीजन की क़ीमत में 40 से 50 प्रतिशत तक की वृद्धि

ऑक्सीजन की बिक्री के लिए अतिरिक्त दरों पर कोई नियंत्रण और निगरानी नहीं होने से आपातकालीन स्थिति में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
कोरोना वायरस
प्रतीकात्मक तस्वीर

पुणे: महाराष्ट्र के खाद्य व औषधि विभाग ने पूरे राज्य में ऑक्सीजन की आपूर्ति को सुलभ बनाने के लिए कई महत्त्वपूर्ण कदम उठाए हैं। लेकिन, ऑक्सीजन की बिक्री के लिए अतिरिक्त दरों पर कोई नियंत्रण और निगरानी नहीं होने से आपातकालीन स्थिति में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। इसी का नतीजा है कि ऑक्सीजन विक्रेताओं ने अस्पतालों में कोरोना मरीजों के लिए आवश्यक ऑक्सीजन की दर 40 से 50 प्रतिशत तक बढ़ा दी है।

ऑक्सीजन उत्पादकों और विक्रेताओं से होने वाली नियमित आपूर्ति में कमी के कारण राज्य की राजधानी मुंबई सहित पूरे राज्य में अपेक्षा के अनुरूप ऑक्सीजन की मांग बनी हुई है। उधर, राज्य के खाद्य व औषधि विभाग ने निर्देश दिए हैं कि परिवहन समस्याओं के कारण ऑक्सीजन की कमी नहीं होनी चाहिए। दूसरी तरफ, विक्रेता व वितरकों का कहना है कि ऑक्सीजन की कमी के कारण पिछली दर पर ऑक्सीजन की आपूर्ति करना संभव नहीं था, इसलिए उन्होंने उसकी कीमत एक चौथाई बढ़ा दी है।

बता दें कि इस वर्ष अगस्त तक 250 लीटर तरल ऑक्सीजन सिलेंडर 6,250 रुपये में उपलब्ध था। लेकिन, पूरे राज्य में मांग बढ़ने के कारण मुंबई में लगातार आपूर्ति घट रही है। घाटकोपर में एक निजी अस्पताल के प्रबंधक का मानना है कि ऑक्सीजन कंपनी ने सितंबर से 250 लीटर तरल ऑक्सीजन सिलेंडर की कीमत 9,000 रुपये तक बढ़ा दी है। इस अस्पताल के प्रबंधक बताते हैं, 'अब तक विक्रेता 12 रुपये प्रति घन मीटर के हिसाब से ऑक्सीजन बेच रहे थे। इसलिए हम 12 से 15 रुपये तक ऑक्सीजन खरीद रहे थे। लेकिन, पिछले सप्ताह से इसकी कीमत 15 रुपये प्रति घन मीटर कर दी गई गई है। इसलिए खरीद का मूल्य भी बढ़ गया है। ऑक्सीजन की आपूर्ति भी कम हुई है।'

ठाणे में एक ऑक्सीजन वितरक बताते हैं कि अब हम अस्पतालों में 25 रुपये प्रति घन मीटर के हिसाब से भी ऑक्सीजन की आपूर्ति कर रहे हैं। हालांकि, राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) ने ऑक्सीजन की दर 17.49 रुपये प्रति घन मीटर तय की है। इसलिए रोगी या अस्पताल को इसी दर पर ऑक्सीजन मिलने की अपेक्षा की जा रही है। लेकिन, हकीकत में यह मंहगी मिल रही है और इस पर न कोई नियंत्रण है और ही निगरानी।

महाराष्ट्र का सांगली कोरोना संक्रमण का नया हॉट स्पॉट बना है। यहां हर दिन कोरोना संक्रमण के कारण 30 से 40 मरीजों की मौत हो रही है। शहर में पंद्रह दिन पहले तक 600 लीटर ऑक्सीजन का एक सिलेंडर 12,000 रुपये तक में मिल रहा था। लेकिन, अभी इसके लिए 18,000 का शुल्क लिया जा रहा है। एक ओर, सरकार ने निजी अस्पतालों में ऑक्सीजन की दर पर निर्देश जारी किए है, पर यह मरीजों को सस्ती दर पर नहीं मिल सकती है, क्योंकि निजी अस्पतालों को खुद ही बढ़ी हुई कीमतों पर ऑक्सीजन खरीदनी पड़ रही हैं।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. अविनाश भोंडवे ने इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग से कार्रवाई की मांग की है। वहीं, इस बारे में खाद्य व औषधि विभाग का कहना है कि उसे इस संबंध में अभी तक कोई शिकायत हासिल नहीं हुई है जिसमें कहा गया हो कि ऑक्सीजन को निर्धारित कीमत से अधिक पर बेचा जा रहा है। यदि कोई अस्पताल विभाग को इस संबंध में शिकायत करेगा तो कार्रवाई की जाएगी।

बता दें कि राज्य में अस्सी प्रतिशत ऑक्सीजन उत्पादक और विक्रेता कोंकण और पुणे डिवीजन से हैं। हालांकि, यह भी कहा जा रहा है कि राज्य भर में ऑक्सीजन की मांग में अचानक वृद्धि के बावजूद उत्पादकों के पास पर्याप्त ऑक्सीजन भंडार है, पर सीमित परिवहन प्रणाली से ऑक्सीजन की डिलीवरी में कठिनाई हो रही है। दूसरी तरफ, राज्य के कई जिलों में रोगियों की संख्या में अत्याधिक वृद्धि होने के कारण ऑक्सीजन की मांग भी बढ़ी है।

बता दें कि राज्य में 24 ऑक्सीजन उत्पादक और 66 विक्रेता हैं। कुल 90 वितरकों द्वारा राज्य भर में ऑक्सीजन की आपूर्ति की जाती है। कुल ऑक्सीजन उत्पादकों में से 80% कोंकण और पुणे डिवीजन से हैं। राज्य भर के विक्रेता इन उत्पादकों से ऑक्सीजन खरीदते हैं और उसका वितरण करते हैं। हालांकि, पूरे राज्य में ऑक्सीजन की मांग बढ़ी है, पर परिवहन व्यवस्था की समस्या और ऑक्सीजन उत्पादकों की  सीमितता इस दिशा में बड़ी चुनौती बन गई है। यही वजह है जो कुछ उत्पादकों का कहना है कि भले ही उनके पास ऑक्सीजन का भंडार है, लेकिन मांग को पूरा करने में मुश्किलें हैं।

वाडा, भिवंडी और पालघर जैसी जगहों पर प्रतिदिन लगभग पांच से छह हजार क्यूबिक मीटर ऑक्सीजन की आपूर्ति हो रही है। लेकिन, यहां भी अस्पताल प्रबंधकों द्वारा पिछले कुछ दिनों से ऑक्सीजन की भारी कमी बताई जा रही है। दूसरी ओर, खाद्य और औषधि विभाग ने कहा है कि अगले दो से तीन दिनों के लिए राज्य में ऑक्सीजन का पर्याप्त भंडार है।

वहीं, महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे का कहना है कि राज्य में ऑक्सीजन की मांग बढ़ गई है, पर यदि जरूरत पड़ी तो औद्योगिक उपयोग के लिए ऑक्सीजन की आपूर्ति शून्य हो जाएगी। राज्य में ऑक्सीजन का भंडार पर्याप्त है। हमारे पास ऑक्सीजन के 17 हजार 753 जंबो सिलेंडर, 15 हजार 473 बी-टाइप सिलेंडर और 230 ड्यूरा सिलेंडर हैं। 14 स्थानों पर तरल ऑक्सीजन टैंक हैं और 16 स्थानों पर काम चल रहा है। निकट भविष्य में पुणे में एक नई कंपनी शुरू करने के लिए तेजी से काम चल रहा है और सरकार के पास ऑक्सीजन आपूर्तिकर्ताओं की सूची है।

(शिरीष खरे स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

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