खसरा वायरस से बर्बाद हो सकता हो सकता है विकसित हुआ इम्यून सिस्टम : अध्ययन
खसरा संक्रामक रोग है और कभी-कभी निमोनिया और मस्तिष्क सूजन जैसी जानलेवा समस्याओं के चलते ख़तरनाक हो सकता है। लेकिन खसरा केवल बचपन की तकलीफदेह बीमारी नहीं है। साइंस में प्रकाशित दो नए अध्ययनों से पता चलता है कि यह वास्तव में अन्य प्रकार के संक्रमणों के लिए शरीर की प्रतिरक्षा को नष्ट कर सकता है।
2017-2018 के दौरान खसरे में 30% से अधिक की वैश्विक वृद्धि हुई है। जिसका मुख्य कारण टीकाकरण की संख्या में कमी या पथभ्रष्ट टीका सुरक्षा (मिसगाइडेड वैक्सिन सेफ्टी) मामले हैं। केवल अमेरिका में 1994 के बाद से इस वर्ष सबसे ज़्यादा खसरा का मामला सामने आया है और 3 अक्टूबर तक 1,250 मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें से अधिकांश मामलों में उन परिवारों को ज़िम्मेदार ठहराया जा सकता है जो बच्चों को टीका नहीं लगवाएं।
ये दो विस्तृत अध्ययन हॉलैंडवासी बच्चों से इकट्ठा किए गए रक्त के नमूनों पर किए गए थे, जिन्हें टीका नहीं लगा था और खसरा के चपेट में आ गए। यह बताता है कि अतीत में अन्य रोगजनकों के लिए विकसित की गई प्रतिरक्षा स्मृति को दूर कर संक्रमण प्रतिरक्षा प्रणाली को महीनों या वर्षों बाद भी प्रतिरक्षा स्मृति को नष्ट कर सकता है। वैज्ञानिकों ने इसे इम्यून एमनेसिया नाम दिया है और यह किस हद तक अन्य बीमारियों की तुलना में बीमारी और मौतों की संख्या को बढ़ाता है वह स्पष्ट नहीं है।
अध्ययन के लेखकों और अन्य संक्रामक रोग विशेषज्ञों का मानना है कि ये परिणाम इस वायरस के प्रतिकूल बच्चों को टीकाकरण करने के लिए अच्छे कारण प्रदान करते हैं। यूके के हिंक्सटन स्थित वेलकम संगर इंस्टीट्यूट के वेलिस्लावा पेट्रोवा जो इन दोनों अध्ययनों में से एक अध्ययन के साइंटिस्ट हैं उन्होंने कहा, "अगर हम [खसरा] फैलने देते हैं तो हम जान-बूझकर ऐसे लोगों की जेब तैयार कर रहे हैं जो अन्य बीमारियों के लिए भी अतिसंवेदनशील हैं।"
इसके निष्कर्ष कई आंकड़ों पर आधारित थे जो दिखाते है कि खसरे के प्रकोप के बाद अन्य रोगजनकों से मृत्यु दर बढ़ जाती है। दोनों टीमों ने नीदरलैंड के एक रूढ़िवादी समुदाय से संबंधित बच्चों के एक जाने माने जनसंख्या वर्ग को चुना जिनके माता-पिता ने अपने बच्चों का टीकाकरण नहीं कराया। इस इलाक़े में 2013 के खसरे के प्रकोप के दौरान संक्रमण से पहले और बाद में 77 बच्चों से ख़ून के नमूने इकट्ठा किए गए थे। खसरे के संपर्क में आने से पहले बच्चों के रक्त में कई सामान्य रोगजनकों के एंटीबॉडी थे। और इस बीमारी के बाद पाया गया कि बच्चों ने औसतन 20% अपना एंटीबॉडी खो दिया।
कुछ मामलों में तो यह और भी बदतर था जो वायरल रोगजनकों के लिए उनकी प्रतिरक्षा का 70% नुकसान हुआ। इन शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में पाया कि जिन लोगों को खसरा नहीं था उनके प्रतिरक्षा का नुकसान नहीं हुआ था। साथ ही उन्होंने पाया कि जिन बच्चों को खसरा का टीका लगाया गया था उनमें एंटीबॉडी का कोई नुकसान नहीं था।
शक्तिहीन एंटीबॉडी ने संकेत दिया कि खसरे के एक मामले के बाद जिन बच्चों का टीकाकरण नहीं हुआ एक बार फिर उन विषाणुओं की चपेट में आ गए जो पहले सामने आए थे। उदाहरण के लिए अगर किसी बच्चे को खसरा होने से पहले गलसुआ (मम्प्स)की समस्या थी तो वह बच्चा फिर से गलसुआ के लिए अतिसंवेदनशील हो जाता है।
खसरा वायरस बी कोशिकाओं को संक्रमित करने के लिए जाना जाता है। ये बी कोशिका प्रतिरक्षा प्रणाली के कोशिका का प्रकार है, जो रोगजनकों के संपर्क में आने के बाद शरीर में "प्रतिरक्षा स्मृति" (इम्यून मेमोरी) तैयार करता है। इन रोगजनकों के हमले के बाद इस स्मृति को सक्रिय करेंगे और प्रतिरक्षा प्रणाली आसानी से रोगजनकों को नष्ट कर सकती है। खसरा संक्रमण स्मृति बी कोशिकाओं की विविधता को कम करने में पाया गया था। ये वायरस अन्य रोगजनकों के लिए विशिष्ट बी कोशिकाओं को मारता है और नए खसरा विशिष्ट स्मृति बी कोशिकाओं को उन्हें बदलने की अनुमति देता है।
खसरा बी कोशिकाओं के अन्य प्रकार की विविधता को भी कम कर देता है, जो अस्थि मज्जा में गैर-विशिष्ट सरल बी कोशिकाएं होती है। ये कोशिकाएं अनजान संक्रमणों से लड़ने के लिए तैयार रहती हैं। खसरा संक्रमण भ्रूण के समान इस तरह की कोशिका को अपरिपक्व छोड़ देता है।
ये निष्कर्ष खसरा को रोकने और सबसे प्रभावी तरीके से टीकाकरण के महत्व को बताते हैं।
अंग्रेजी में लिखा मूल आलेख आपने नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं।
Measles Virus Can Cause Immune Amnesia and Increase Risk of Other Infections: Studies
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