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भारत की भयंकर बेरोज़गारी का ही सबूत हैं अग्निपथ के तहत हुए लाखों आवेदन
'अग्निपथ' के लाखों आवेदन का मतलब यह नहीं कि नौजवान अग्निपथ को स्वीकार कर रहे हैं बल्कि इसका मतलब यह है कि भारत बेरोज़गारी के बम पर बैठा है।
पुलकित कुमार शर्मा
28 Jun 2022
unemployment

खबर आ रही है कि वायु सेना में अग्निपथ योजना के तहत क़रीब 1 लाख युवाओं के आवेदन आ चुके हैं। जबकि वायु सेना में अग्निपथ योजना के तहत महज 3,000 सीट पर भर्तियां होनी हैं। इसमें आवेदन करने की अंतिम तारीख 5 जुलाई है। यानी जिस रफ्तार से आवेदन आ रहे हैं उससे यह मुमकिन है कि 5 जुलाई तक केवल तीन हजारों सीटों के लिए बहुत बड़ी संख्या में आवेदन आएं। आवेदनों की इन बढ़ती संख्या पर अग्निपथ योजना और भाजपा समर्थकों की लोगों की तरफ से यह कटाक्ष किया जा रहा है कि अगर अग्निपथ योजना की तरफ से इतना आवेदन आ रहा है तो अग्निपथ योजना के विरोध का कोई अर्थ नहीं।

लेकिन हकीकत यह है कि देश में बेरोजगारी का स्तर बहुत अधिक ज्यादा है। इतना ज्यादा है कि किसी पद के लिए चंद सीटों के लिए करोड़ों और लाखों में आवेदन आते हैं। अग्निपथ योजना के तहत भी यही हो रहा है। यह कोई नई बात नहीं है। मतलब यह कि 3 हजारों सीटों के लिए आने वाले लाखों आवेदन को यह न समझा जाए कि युवा अग्निपथ योजना से खुश हैं बल्कि बात यह है कि बेरोजगारी इतनी ज्यादा है कि युवा यहाँ आवेदन कर रहे हैं। कुछ उदाहरणों से आप खुद पूरी बात को समझ लीजिये :

- बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक 30 साल के अंतराल के बाद 2018 में रेलवे में एक लाख नौकरियों निकली थीं, जिसके लिए क़रीब दो करोड़ तीस लाख से ज़्यादा लोगों ने आवेदन किया था।

- मुंबई पुलिस में 1,137 सिपाहियों की भर्ती के लिए 2 लाख लोगों ने अप्लाई किया था। जबकि सिपाही मुंबई पुलिस का सबसे छोटा पद है।

- 2015 में उत्तर प्रदेश के सचिवालय में क्लर्क के 368 पदों के लिए 23 लाख आवेदन आए थे। यानी एक पद के लिए 625 आवेदन। इतने ज़्यादा आवेदन आने से सरकार को भर्ती रोकनी पड़ी थी, क्योंकि सभी लोगों के इंटरव्यू लेने में ही काफी समय लग जाता।

- उत्तर प्रदेश में 2016 में 40 हजार सफाई कर्मचारियों की भर्ती निकली थी। जिसके लिए केवल आठवीं पास की योग्यता रखी गयी थी, लेकिन 40 हजार पदों की भर्तियों के लिए कई लाख लोगों ने आवेदन किया था। आवेदन करने वाले लोगों में बीए, बीएड, इंजीनियर की की डिग्री रखने वाले सब शामिल थे।

- अमर उजाला की रिपोर्ट के मुताबिक SSC द्वारा 2019 में आयोजित CHSL की 4,893 पदों पर भर्ती में 10 लाख से ज़्यादा लोगों ने हिस्सा लिया था। वही 2020 में CHSL की 4,226 पदों की भर्ती में 13 लाख से ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया था।

- दिसंबर 2021 में मध्य प्रदेश की जिला अदालतों में प्यून, माली, स्वीपर और ड्राइवर की 15 पदों के लिए 11 हजार से ज़्यादा लोगों ने आवेदन कर दिया था।
प्यून, माली और स्वीपर में आवेदन करने के लिए योग्यता 8वीं पास रखी गयी थी, जबकि ड्राइवर के लिए योग्यता 10वीं पास रखी गयी थी। लेकिन इन भर्तियों के लिए भी ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन करने वाले इंटरव्यू की लिए लाइन में लगे हुए थे।

अंत में चलते -चलते यह जान लीजिये कि भारत के बराबर चीन जैसे मुल्क का रोजगार दर तकरीबन 65 प्रतिशत के आस पास है। पूरी दुनिया के बारे में इंटरनेशनल लेबर ओर्गनइजेशन का कहना है कि रोजगार दर कम से कम 60 प्रतिशत के आसपास होना चाहिए। लेकिन भारत की रोजगार दर महज 40 प्रतिशत है। यानी भारत में काम करने लायक आबादी में तकरीबन 60 प्रतिशत लोगों के पास किसी तरह का काम नहीं है। यह दुनिया के अन्य हिस्से के मुकाबले काफी कम है। ऐसे में आप खुद सोचिए कि 3 हजार के लाखों के आवेदन का क्या मतलब है?

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