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प्रधानमंत्री का ‘काला जादू’ बयान: 21वीं सदी का सबसे बड़ा ज्ञान!

अगर कोई काला कपड़ा पहनकर आपकी बुराईयां गिनाने लग जाए, तो क्या वह टोटका करने आया है? इस सवाल को तो हमारे प्रधानमंत्री जी ने ही जन्म दिया है..
Modi

किसी को रंगों से क्या परेशानी हो सकती है? शायद मानवता के आधार पर तो कुछ नहीं। लेकिन जब इसका राजनीतिकरण हो जाए तब ये सवाल आज के वक्त में बेहद ज़रूरी हो जाता है, क्योंकि इसे हमारे और आपके वजूद से जोड़ दिया गया है, अब हमारी पहचान कपड़ों के रंग से होती है। हमारा धर्म इसपर निर्भर करता है कि हमने भगवा पहना है या फिर हरा।

इन रंगों का राजनीतिकरण हुए कोई बहुत वक्त नहीं बीता है, बस पिछले कुछ सालों को मुड़कर देखने की ज़रूरत है, समझ आ जाएगा, ये सब क्यों और कैसे हो गया?

इसके लिए बीते 5 अगस्त का उदाहरण सबसे बढ़िया है, जब कांग्रेस पार्टी भारतीय जनता पार्टी की ग़लत नीतियों से बढ़ी महंगाई और बेरोज़गारी के ख़िलाफ प्रदर्शन कर रही थी। अब यहां सत्ता में बैठी भाजपा को प्रदर्शन किस वजह से हो रहा है, इसका निवारण कैसे किया जाए? इसकी चिंता नहीं हुई, लेकिन हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी को प्रदर्शन के वक्त पहने गए काले कपड़े ज़रूर दिख गए। फिर उन्होंने जो बयान दिया वो प्रधानमंत्री का कम बल्कि तांत्रिक का ज्यादा लगता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा "निराशा और हताशा में डूबे कुछ लोग सरकार पर लगातार झूठा आरोप मढ़ने में जुटे हैं, लेकिन ऐसे लोगों पर से जनता का विश्वास पूरी तरह से उठ चुका है। यही वजह है कि अब वे काला जादू फैलाने पर उतर आए हैं।"

अब जनता का विश्वास किसपर है किसपर नहीं, ये तो जनता को ही तय करना है। लेकिन झूठा आरोप मढ़ने वाला बयान यही बताता है कि देश में बेरोज़गारी और मंहगाई तो है ही नहीं, विपक्ष बेकार में अपनी जान दे रहा है। एक के बाद एक सामने आ रही रिपोर्ट्स झूठ बोल रही हैं। ख़ैर ये तो भाजपा और उनके नेताओं के लिए हमेशा का है, लेकिन इसके बाद जो सबसे महत्वपूर्ण बयान कि काला जादू फैलाने पर उतर आए हैं। ...आप कल्पना कर सकते हैं? कि देश के सर्वोच्च पद पर बैठा शख्स ऐसा बोल सकता है। वो भी सिर्फ इसलिए क्योंकि विरोध प्रदर्शन के वक्त काले कपड़े पहने गए थे।

दरअसल ये बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 अगस्त यानी बुधवार को हरियाणा के पानीपत में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से 2जी इथेनॉल संयंत्र का उद्घाटन करते वक्त कही थी।

प्रधानमंत्री मोदी ने और क्या-क्या कहा वो भी बताते हैं.. उन्होंने कहा कि "हम जानते हैं कभी-कभी कोई मरीज़, जब अपनी लंबी बीमारी के इलाज से थक जाता है, निराश हो जाता है, अच्छे-अच्छे डॉक्टरों से सलाह लेने के बावजूद जब उसे लाभ नहीं होता है, तो वाहे जितना ही पढ़ा-लिखा क्यों ना हो अंधविश्वास की ओर बढ़ने लग जाता है। वो झाड़-फूंक कराने लगता है, टोने-टोटके पर, काले जादू पर विश्वास करने लगता है। ऐसे ही हमारे देश में भी कुछ लोग हैं, जो नकारात्मकता के भंवर में फंसे हुए हैं। निराशा में डूबे हुए हैं, सरकार के ख़िलाफ़ झूठ पर झूठ बोलने के बाद भी जनता ऐसे लोगों पर भरोसा करने को तैयार नहीं है। ऐसी हताशा में ये लोग भी एब काले-जादू की तरफ़ मुड़ते नज़र आ रहे हैं।"

प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि "अभी हमने पांच अगस्त को देखा है कि कैसे काले-जादू को फैलाने का भरपूर प्रयास किया गया। ये लोग सोचते हैं कि काले कपड़े पहनकर, उनकी निराशा-हताशा का काल समाप्त हो जाएगा। लेकिन उन्हें ये पता नहीं है कि वे चाहे जितनी ही झाड़-फूंक कर लें, कितना ही काला जादू कर लें, अंधविश्वास कर लें, जनता का विश्वास अब उन पर दोबारा कभी नहीं बन पाएगा।"

अपने इन ग़ैर संवैधिनक बयानों का जवाब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद ही दे चुके हैं। कुछ दिनों पहले जब प्रधानमंत्री इतिहास को मरोड़कर दहाड़ते हुए शेरों की स्थापना कर रहे थे, तब उनके पास एक पंडित बैठकर पूजा-पाठ करवा रहा था। अब प्रधानमंत्री जी से कोई ये पूछे कि अशोक स्तंभ तो राष्ट्रीय चिह्न है, और राष्ट्र में सिर्फ हिंदू नहीं रहते, मुसलमान, सिख, ईसाई, जैन और बहुत से धर्म के लोग रहते हैं। फिर एक ही धर्म की पद्धति से पूजा पाठ क्यों? और फिर अगर आप अंधविश्वासी नहीं है तो संविधान के तहत चलिए, राष्ट्रीय स्तंभ की स्थापना में पूजा-पाठ करवाने की क्या ज़रूरत पड़ गई। क्या ये ग़ैर संवैधानिक और अंधविश्वास नहीं है?

फिर प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि पांच अगस्त को कैसे काले जादू का प्रयास किया गया... हैरान करने वाली बात ये है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ये बयान सिर्फ प्रदर्शन में पहने गए काले कपड़ों की वजह से है। इसका जवाब आप इन तस्वीरों में देख लीजिए।

imageये प्रधानमंत्री की गंगा में नहाते वक्त की तस्वीर है।

imageयहां भी प्रधानमंत्री गंगा में खड़े होकर सूर्य को नमस्कार कर रहे हैं।

imageइस तस्वीर में प्रधानमंत्री समुद्र किनारे सफाई कर रहे हैं।

ग़ौर करने वाली बात ये है कि इन तीनों ही तस्वीरों में प्रधानमंत्री के बदन पर जो कपड़े हैं वो काले रंग के हैं। यानी ये कहा जा सकता है, कि प्रधानमंत्री विपक्ष के प्रदर्शन से घबरा गए थे, और सरकार की नाकामियों को छुपाने के लिए इस तरह का बयान दे गए। या फिर ये हो सकता है कि हमेशा की तरह एक बार फिर प्रधानमंत्री लोगों को झूठ के सहारे बरगलाने की कोशिश कर रहे हों।

ग़लती से दिया गया बयान इसलिए नहीं कहा जा सकता, क्योंकि एक के बाद एक लगातार भाजपा नेताओं ने इसे शेयर किया। हां ये ज़रूर कहा जा सकता है कि महंगाई और बेरोज़गारी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन से भाजपा डर गई थी। जिसका पुख्ता सुबूत प्रधानमंत्री मोदी से पहले गृह मंत्री अमित शाह ने अपने बयान से दे दिया। उन्होंने एक अलग ही एंगल खोज निकाला.. अमित शाह बोले कि पांच अगस्त को ही प्रधानंमत्री मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर का शिलान्यास किया था, इसी का विरोध करने के लिए कांग्रेस पार्टी सड़क पर उतरी थी।

अब बताइए... गृह मंत्री कह रहे हैं राम जी के खिलाफ साज़िश है, प्रधानमंत्री कह रहे हैं काला जादू है... कौन सही है किसकी बात मानी जाए?

प्रधानमंत्री के इस अजीबो-गरीब के बयान का जवाब कांग्रेस ने अपने आधिकारिक ट्वीटर हैंडल से दिया और एक बार फिर भाजपा को महंगाई, बेरोज़गारी पर घेरा..

कांग्रेस ने लिखा कि--

  • बेलगाम बेरोज़गारी
  • कमरतोड़ महंगाई
  • टूटता रुपया
  • बढ़ता व्यापार घाटा
  • देश छोड़ कर जाते निवेशक

लेकिन प्रधानमंत्री को चिंता काले कपड़ों की है!

लाख कोशिश कीजिए मोदी जी, पर असल मुद्दों पर सवाल से बच नहीं पाइएगा।

राहुल गांधीन ने भी ट्वीट करके प्रधानमंत्री मोदी को जवाब दिया, राहुल ने लिखा कि- प्रधानमंत्री को महंगाई नहीं दिखती है? बेरोज़गारी नहीं दिखती है?

इसके बाद फिर कांग्रेस के तमाम बड़े नेताओं ने प्रधानमंत्री के खिलाफ ट्वीट कर हमला बोला, जिसमें दिग्विजय सिंह, इमरान प्रतापगढ़ी, जय राम रमेश जैसे लोग शामिल थे।

वहीं गुजरात कांग्रेस के चेयरमैन हितेंद्र पिथादिया ने भी एक ट्वीट किया और इसमें प्रधानमंत्री के साथ केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की तस्वीर भी काले कपड़ों में शेयर की। उन्होंने लिखा कि-- यह देश का दुर्भाग्य है कि 21वीं सदी में देश का प्रधानमंत्री शिक्षा, चिकित्सा एवं विज्ञान की जगह काले जादू टोना में विश्वास रखता है..!!

प्रधानमंत्री के इस काले जादू वाले बयान पर सिर्फ राजनीतिक पार्टियों के नेताओं ने नहीं बल्कि आम जनता ने भी खूब तंज कसा.. और मीम्स बना-बनाकर शेयर किए।

वहीं लोगों ने अलग-अलग तंज के साथ ट्वीट भी किए---

सुधीर पंवर ने प्रधानमंत्री मोदी के बयान की अख़बार में छपी एक कटिंग को ट्वीट करते हुए लिखा है- 'काला जादू' को खोई प्रतिष्ठा वापस मिली और ब्रांड एम्बेसडर भी।

संतोष गुप्ता नाम के यूज़र ने लिखा है, "काला कपड़ा अगर काला जादू का प्रतीक है, तो सफ़ेद दाढ़ी सफेद झूठ का सिंबल है।"

कुछ सालों पहले राजनीति में काले रंग की चर्चा नाम से बीबीसी ने एक लेख छापा था, इसमें कहा गया था कि प्रधानमंत्री मोदी के भाषणों के दौरान काले रंग पर 2016 से ही अघोषित पाबंदी है।

नरेंद्र मोदी काले कपड़ों से भी परहेज़ करते हैं, इसका जिक्र पत्रकार नीलांजन मुखोपाध्याय ने 'नरेंद्र मोदी: द मैन, द टाइम्स' में किया है।

इस किताब के एक चैप्टर के अनुसार मोदी कुर्ता बनाने वाले चौहान ब्रदर्स में से एक बिपिन चौहान ने कहा है कि मोदी आम तौर पर काले कपड़ों से दूर ही रहते हैं और सौ फ़ीसद काला रंग तो बिल्कुल नहीं पहनते। उनकी कलाई पर एक काला धागा ज़रूर बंधा होता है, लेकिन उसका मकसद शायद बुरी नज़र से बचाना है। बिपिन चौहान के दावों के मुताबिक रंग-बिरंगे परिधान पहनने वाले मोदी हरे रंग से भी दूरी बरतते हैं।

इन रिपोर्ट्स और प्रधानमंत्री के बयानों से साफ नज़र आता है, कि ये कारनामें सिर्फ राजनीतिक लाभ उठाने के लिए होते हैं। क्योंकि किताब कह रही है, कि मोदी काले कपड़ों से परहेज करते हैं, लेकिन काला धागा बांधते हैं, कि कहीं बुरी नज़र न लग जाए। फिर दूसरी ओर काले कपड़े पहनकर गंगा में नहाते हैं और कूड़ा भी बटोरते हैं। एक लाइन में कहा जाए तो झूठ का प्रचार-प्रसार बहुत ज़ोरों से हो रहा है।

वहीं दूसरी ओर अगर ढोंग और टोटका जैसी चीज़ों की बात करें तो हर बार भारतीय जनता पार्टी इसमें अव्वल आ जाती है। पिछले दिनों की ही बात है, जब उत्तर प्रदेश के महाराजगंज में बारिश के लिए भाजपा के विधायक कीचड़ से नहा रहे थे। कभी कोरोना भगाने के लिए गाय के गोबर को शरीर में मलने लग जाते हैं। तो कभी गाय से ऑक्सीजन निकाल देते हैं। ऐसी-ऐसी तरकीबें निकालकर भाजपा हर बार अव्वल आ जाती है। फिर छोटे नेताओं का क्या ही कहें, जब मुखिया ही ज्ञान से लबरेज़ हों।

वैसे प्रधानमंत्री का ये बयान ज्यादा खास इसलिए हो जाता है, क्योंकि अक्सर प्रधानमंत्री मोदी ऐसे मुद्दों पर बयानबाजी करते नहीं है, चाहे अग्निवीर स्कीम के विरोध में देश जल रहा हो, या फिर सांप्रादायिक हिंसा के कारण लोग एक दूसरे को मार रहे हों। लेकिन जब प्रधानमंत्री को लगा कि टीवी चैनलों पर उनसे ज्यादा विपक्ष की तस्वीरें आ रही हैं, और लोगों को महंगाई और बेरोज़गारी दिखने लगी है। तो उन्होंने बोलना ज़रूरी समझा, और ऐसा बोले कि जनता मीम्स बना रही है।

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