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नताशा और देवांगना के लिए एकजुटता, सरकार पर गंभीर आरोप

पिंजरा तोड़ की कार्यकर्ता नताशा नरवाल और देवांगना कलिता पर दिल्ली पुलिस रोज़ नए मुकदमें लादती जा रही है। इस सबके ख़िलाफ़ देशभर में छात्र और समाजिक संगठन के लोग आगे आ रहे हैं। कहा जा रहा है कि देवांगना और नताशा की हालिया गिरफ्तारी कोई एक अलग घटना नहीं है, बल्कि गृह मंत्रालय और दिल्ली पुलिस द्वारा फरवरी 2020 से चलाए गए एक बड़े ऑपरेशन का हिस्सा है।
नताशा और देवांगना के लिए एकजुटता,

पिंजरा तोड़ की कार्यकर्ता नताशा नरवाल और देवांगना कलिता पर पुलिस की कार्रवाई के ख़िलाफ़ बड़े पैमाने पर एकजुटता हो रही है। दिल्ली पुलिस की कार्रवाई के ख़िलाफ़ देशभर में छात्र और समाजिक संगठन के लोग आगे आ रहे हैं। पिंजरा तोड़ ने इस पूरे प्रकरण पर एक विस्तृत बयान जारी करते हुए कहा कि हम इस उत्पीड़न की कार्रवाई के ख़िलाफ़ लड़ेंगे। एसएफआई हरियाणा ने भी इसे लेकर विरोध प्रदर्शन किया है। इसके अलावा कैम्पेनिंग अगेंस्ट स्टेट रेप्रेशन (CASR) ने भी एक बयान जारी कर इस तरह के सभी राजनीतिक कैदियों की रिहाई की मांग की।

क्या है पूरा मामला?

आपको बता दें कि  23 मई 2020 को शाम पिंजरा तोड़ की दो कार्यकर्ता देवांगना कलिता और नताशा नरवाल को दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल द्वारा उनके घर से गिरफ़्तार किया गया था। दोनों को बीती फरवरी में जाफ़राबाद में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के ख़िलाफ़ हुए एक प्रदर्शन के सिलसिले में गिरफ़्तार किया गया। हालांकि आरोप है कि गिरफ़्तारी के समय परिवार वालों को कारण तक नहीं बताया गया। अगले दिन रविवार, 24 मई को दोनों को कोर्ट में पेश किया गया लेकिन कोर्ट ने दोनों को ज़मानत दे दी थी। कोर्ट के आदेश पारित करने के कुछ ही समय बाद दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक अर्जी दायर करके उनसे पूछताछ का अनुरोध किया और हिंसा से जुड़े एक अन्य मामले में उन्हें औपचारिक रूप से गिरफ़्तार कर लिया। इसके बाद क्राइम ब्रांच ने कोर्ट से उनकी 14 दिन की हिरासत मांगी लेकिन अदालत ने दो दिन की हिरासत दी। दो दिन बाद 26 मई को हिरासत फिर दो दिन बढ़ा दी गई। इसके बाद गुरुवार 28 मई को दोनों कार्यकर्ताओं को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।

जिस मामले में उन्हें 23 मई को गिरफ़्तार किया गया था वो भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 147, 186, 188, 283, 109, 341, 353 के तहत दर्ज किया गया था। जबकि जिस मामले में उन्हें 24 मई को गिरफ़्तार दिखाया गया वो IPC की धारा 147, 149, 353, 283, 323, 332, 307, 302, 427, 120-बी, 188 के साथ ही हथियार कानून और सार्वजनिक सम्पत्ति को नुकसान रोकथाम कानून की प्रासंगिक धाराओं के तहत दर्ज किया गया। इसी बीच शुक्रवार 29 मई को, दिल्ली पुलिस ने नताशा के ऊपर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत भी मुकदमा दर्ज कर लिया। जबकि देवांगना पर भी एक नए मामले में केस दर्ज किया गया, उनपर दरियागंज में हुई हिंसा में शामिल होने का भी आरोप लगा है।

देवांगना कलिता सेंटर ऑफ़ वीमेन स्टडियज़ में एमफिल की छात्रा हैं, वहीं नताशा नरवाल सेंटर फॉर हिस्टोरिकल स्टडीज में पीएचडी की छात्रा हैं। वे दोनों  पिंजरा तोड़ की संस्थापक सदस्य हैं। ‘पिंजरा तोड़’ की स्थापना साल 2015 में हॉस्टल और पेइंग गेस्ट में छात्राओं की सुविधा और अधिकारों के मकसद से की गई थी। कालिता और नरवाल ने क्रमशः डीयू के मिरांडा हाउस और हिंदू कॉलेज से ग्रेज्युशन किया है।

एसएफआई हरियाणा का विरोध प्रदर्शन

स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) हरियाणा राज्य कमिटी ने दिल्ली पुलिस द्वारा देवांगना और नताशा व अन्य विद्यार्थियों को तुरंत रिहा करने की मांग लेकर रविवार को प्रदेशव्यापी विरोध प्रदर्शन किये।

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एसएफआई ने इस प्रदर्शन के बाद प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि दिल्ली में दंगे भड़काने वाले तो आजाद पक्षी की तरह हवाओं में उड़ रहे हैं। जिन्हें जेल की सलाखों के पीछे होना चाहिए था, वो पुलिस के पहरे में खुले घूम रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) का विरोध करने वाली 2 लड़कियों नताशा और देवांगना को दिल्ली पुलिस ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगा मामले में गिरफ़्तार किया है।

आगे उन्होंने कहा कि "एक तरफ तो सरकार बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के नारे लगा रही है। दूसरी तरफ मौजूदा सरकार तानाशाही रवैया अपनाते हुए उन्हें जेलों में बन्द कर रही है। ऐसे समय में जब पूरा देश कोरोना महामारी के प्रकोप से जूझ रहा है,केंद्र सरकार से यह अपेक्षा की जाती है कि वह अपनी पूरी ऊर्जा महामारी से लड़ने में लगाए।”

दिल्ली के कोर्ट के द्वारा जमानत दिए जाने के तुरंत बाद दिल्ली क्राइम ब्रांच के द्वारा फिर से पिंजड़ा तोड़ की कार्यकर्ताओं की गिरफ़्तारी और उन पर हत्या एवं हत्या की कोशिश, दंगा भड़काने आदि जैसे गंभीर आरोप लगाकर रिमांड पर लिए जाने की कड़ी निंदा करते हुए  एसएफआई की हरियाणा राज्य कमेटी ने इसे सरकार की छात्रों के प्रति बदनीयती बताई।

एसएफआई हरियाणा ने दिल्ली पुलिस और गृहमंत्री अमित शाह पर गंभीर आरोप लगते हुए कहा कि वो सीएए और एनआरसी आंदोलन को पूरी तरह कुचल देना चाहते हैं। इसलिए सीएए विरोधी आंदोलनकारियों पर दिल्ली में दंगा भड़काने का आरोप लगा कर उन्हें धड़ाधड़ गिरफ़्तार किया जा रहा है. वहीं दंगे के असली आरोपी आज़ादी से घूम रहे हैं।

राज्य उपाध्यक्ष विनोद गिल ने कहा कि सरकार ने जिस तरह आपदा में अवसर की बात की थी, उसी तरह इसका इस्तेमाल किया। उन्होंने कहा, “सरकार ने न केवल कार्यकर्ताओं को गिरफ़्तार करने के लिए इसका इस्तेमाल किया बल्कि श्रम कानूनों को ध्वस्त कर दिया। सरकार निजीकरण कर रही है और हवाई अड्डों की नीलाम कर रही है।” उन्होंने कहा कि अगर केन्द्र सरकार छात्राओं पर झूठे मुकदमे वापस लेकर उन्हें रिहा कराने का फैसले नहीं लेती है तो एसएफआई देश भर में आन्दोलन का आगाज़ करेगी।

इसे भी पढ़ें :“कोरोना की बजाय छात्रों से लड़ रही है सरकार” : नताशा, देवांगना, सफूरा, हैदर की गिरफ़्तारी के ख़िलाफ़ एकजुटता

पिंजरा तोड़ ने कहा- लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्ष देश के लिए लड़ना आपको आतंकवादी नहीं बनाता

दिल्ली हिंसा को लेकर शुरुआत से ही दिल्ली पुलिस पिंजरा तोड़ की भूमिका को लेकर सवाल उठा रही थी, इसी कड़ी में पुलिस ने इनके दो कार्यकर्ताओं को गिरफ़्तार भी किया है। इस पूरी घटना को लेकर पिंजरा तोड़ ने अपने फेसबुक पेज़ पर 31 मई को एक विस्तृत बयान जारी किया। पिंजरा तोड़ ने अपने दोनों कार्यकर्ताओं के ख़िलाफ़ हुई पुलिस कार्रवाई की निंदा की और कहा कि लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्ष देश के लिए लड़ना आपको आतंकवादी नहीं बनाता। पुलिस एंटी CAA प्रदर्शन कर रहे लोगों को निशान बना रही है, हम इससे लड़ेंगे।

आगे उन्होंने लिखा, "तुम ज़मीं पर ज़ुल्म लिख दो, आसमां पर इंकलाब लिखा जाएगा, सब याद रखा जाएगा..."

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पिंजरा तोड़ ने कहा कि सरकार इस महामारी के दौरान जब लाखों मज़दूर सड़क पर भूखे पैदल जा रहे हैं उस समय वो छात्रों और एक्टिविस्टों को गिरफ़्तार कर रही है। उन्होंने इसे लोगों की स्वतंत्रता पर हमला बताया और कहा कि सरकार के इन हमलों से हम और भी मज़बूत हुए हैं।

नरवाल के पिता ने कहा कि मुझे मेरी बेटी पर गर्व, पर पुलिस कर रही है नाइंसाफ़ी

नताशा नरवाल के पिता महावीर नरवाल सीनियर साइंटिस्ट है, उन्होंने एक निजी स्थानीय मीडिया चैनल न्यूज़ 18 हरियाणा से इस पूरे घटनाक्रम पर बात करते हुए कहा कि मेरी बेटी निर्दोष है। दिल्ली पुलिस उसके साथ ज़्यादती कर रही है।

उन्होंने कहा कि नताशा ने तो आजकल किसी भी सिटिंग में भाषण नहीं दिया बल्कि वो यहाँ एक कार्यकर्ता की तरह जाती थी। जो एक लोकतंत्र में में सभी लोगों को करना चाहिए। पिंजरा तोड़ सिर्फ़ महिला अधिकारों के लिए काम करती है इसका किसी भी विचारधारा से जुड़ाव नहीं है।

उन्होंने कहा कि मेरी बेटी जिस दिन हिंसा हुई उस दिन वहां कहीं नहीं मौजूद थी, एफआईआर में उनका नाम नहीं है। पुलिस गलत कर रही है मुझे मेरी बेटी पर गर्व है।

इस घटना को लेकर CASR ने बयान जारी किया

फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली हिंसा के सिलसिले में दिल्ली पुलिस द्वारा देवांगना कलिता, नताशा नरवाल, गुलफिशा फातिमा, इशरत जहां, सफूर ज़रगर, मीरन हैदर, खालिद सैफी, शिफू-उर-रहमान, आसिफ़ इकबाल तन्हा और कई अन्य कार्यकर्ताओं को गिरफ़्तार किया है। उनकी तत्काल रिहाई और ऐसे सभी राजनीतिक कैदियों की रिहाई की मांग करते हुए, कैम्पेनिंग अगेंस्ट स्टेट रेप्रेशन (CASR) ने एक बयान जारी किया है।

बयान के अनुसार, दो कार्यकर्ता- देवांगना और नताशा की हालिया गिरफ्तारी कोई एक अलग घटना नहीं है, बल्कि गृह मंत्रालय और दिल्ली पुलिस द्वारा फरवरी 2020 से चलाए गए एक बड़े ऑपरेशन का हिस्सा है।

बयान में कहा गया है कि “यह सांप्रदायिक रूप से किया जा रहा है, जनविरोधी नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA), नागरिकों की राष्ट्रीय रजिस्ट्री (NRC) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) के जवाब में उभरे लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए जीवंत संघर्ष को कुचलने और तोड़ने के लिए किया गया है। यहां तक कि कोविड-19 वायरस के आगमन और देश-व्यापी लॉकडाउन लगाए जाने के बाद भी सरकार का जनविरोधी अभियान जारी है।”

सरकार शिक्षाविदों, कार्यकर्ताओं, पत्रकारों, वकीलों, ट्रेड यूनियनों लोकतंत्र के ऐसे सभी स्वर को निशाना बना रही है। जो उसकी आलोचना कर रही है। इसी से संघर्ष के लिए CASR बना है, जिसमें 36 से अधिक संगठनों के साझा मंच है, जिसमें लोकतांत्रिक अधिकार संगठन, छात्र संगठन, शिक्षक संगठन, ट्रेड यूनियन और महिला संगठन शामिल हैं, जो राज्य दमन बढ़ाने के ख़िलाफ़ एक साथ आए हैं।

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