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सीटीओ की भर्ती को लेकर नेशनल इंश्योरेंस कंपनी बोर्ड और यूनियन आमने-सामने  

नेशनल इंश्योरेंस कंपनी में सीटीओ को आउटसोर्स करने के प्रस्ताव का यूनियन कड़ा विरोध कर रहा है। इसके ख़िलाफ़ उसने एक राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू करने की बात कही है।
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कोलकाता स्थित सरकारी गैर-जीवन बीमा कंपनी नेशनल इंश्योरेंस कंपनी (एनआईसी) ने मुख्य तकनीकी अधिकारी (सीटीओ) की आउटसोर्स नियुक्ति प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसका जनरल इंश्योरेंस एम्प्लॉइज ऑल इंडिया एसोसिएशन (जीआईईएआईए) ने विरोध भी शुरू कर दिया है। राष्ट्रीय बीमा कंपनी लिमिटेड में मुख्य तकनीकी अधिकारी के पद के लिए जब से विज्ञापन दैनिक समाचार पत्र में प्रकाशित हुआ है तभी से कर्मचारीयों ने विरोध शुरू कर दिया है। जीआईईएआईए के नेताओं का कहना है "यह गंभीर चिंता का विषय है कि पात्रता मानदंड या योग्यता और अनुभव की मांग और खासकर 50-52 वर्ष से आवेदक की आयु का निर्धारण मानदंडों के खिलाफ है।  

जीआईईएआईए के लगातार विरोध के बाद राष्ट्रीय बीमा प्रबंधन को मुख्य तकनीकी अधिकारी की नियुक्ति के संबंध में विज्ञापन के लिए एक शुद्धिपत्र जारी करने के लिए मजबूर होना पड़ा। जीआईईएआईए ने समाचार पत्र में जारी शुद्धिपत्र के माध्यम से 01.04.2022 को आयु सीमा को 52 वर्ष तक बदलते हुए विज्ञापन के सुधार को स्वीकार किया। दिलचस्प बात यह है कि उक्त विज्ञापन में चयनित उम्मीदवारों को वेतनमान का कोई जिक्र नहीं किया गया है। हालांकि, नेशनल इंश्योरेंस कंपनी के आधिकारिक पोर्टल में ऐसे चयनित उम्मीदवार को वेतन के संदर्भ में न्यूनतम वेतन के रूप में 1 करोड़ रुपये का उल्लेख किया गया है। जबकि वेतन अधिकतम राशि पर कैप नहीं लगया गया है जो सामान्य प्रथा के खिलाफ है। उन्होंने आरोप लगाया कि ऐसा लगता है कि सीटीओ पद किसी विशेष व्यक्ति को समायोजित करने के लिए बनाया गया है। वेतनमान इसके नीति निर्माताओं की इच्छा पर तय किया जाएगा।  

जीआईईएआईए ने अपने बयान मे कहा कि दूसरी ओर विश्वसनीय स्रोतों के माध्यम से, हमें पता चला है कि अधिकारी जानबूझकर कंपनी द्वारा उसके सामने रखे गए विभिन्न बजटों को मंजूरी नहीं दे रहा है और कंपनी के सुचारू कामकाज को प्रभावित करने के लिए बाधा पैदा कर रहा है। इसके साथ ही उसकी स्वायत्तता को भंग कर रहा है। यह देश और सरकार प्रधानमंत्री की भावना और घोषणा के खिलाफ है। जो भारत के ईमानदारी, पारदर्शिता, अच्छे व्यवहार और जवाबदेही सुनिश्चित करने कि बात करते है। 

हालांकि, इस विरोधाभासी आउटसोर्सिंग में प्रतिष्ठित सार्वजनिक क्षेत्र का संगठन कंपनी, डीएफएस, सरकार की छवि और सुशासन की भावना को नुकसान पहुंचाएगा। जीआईईएआईए ने राष्ट्रीय बीमा कंपनी के सर्वोत्तम हित में इस निर्णय को तुरंत रद्द करने का अनुरोध किया है। क्योंकि इससे कंपनी के वफादार कर्मचारियों/अधिकारियों का मनोबल गिरेगा और उनके साथ गलत व्यवहार भी होगा। प्रबंधन अगर ऐसा नहीं करता है तो जीआईईएआईए इस तरह की बेईमान प्रथा के खिलाफ एक राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू करेगा और विरोध प्रदर्शन करेगा। 

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