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बोलीविया में आम चुनाव स्थगित करने के ख़िलाफ़ राष्ट्रीय हड़ताल जारी

सोशल मूवमेंट और ट्रेड यूनियनों ने ज़ोर देकर कहा कि उनकी मांग अब सिर्फ लोकतांत्रिक चुनावों की ही नहीं है बल्कि पूरी तख्तापलट सरकार का तत्काल इस्तीफ़ा भी है।
बोलीविया

लगातार चौथे दिन 6 अगस्त को हज़ारों नागरिक देश में आम चुनावों को स्थगित करने के फैसले को खारिज करने के लिए बोलीविया की सड़कों पर उतर गए। इस राष्ट्रीय हड़ताल और देश भर में सड़कों को ब्लॉक करने का आह्वान बोलिवियन ट्रेड यूनियन सेंटर सेंट्रल ओबेरा बोलिवियाना (सीओबी) द्वारा किया गया। यह देश के विभिन्न क्षेत्रों और हिस्सों में फैल गया।

इस आम हड़ताल के चौथे दिन बोलिविया का राष्ट्रीय दिवस भी पड़ गया। 6 अगस्त 1825 को बोलीविया ने अपनी स्वतंत्रता की घोषणा पर हस्ताक्षर किया और आधिकारिक तौर पर एक संप्रभु राष्ट्र बन गया। साल 1825 में लिबरेटर सिमोन बोलिवर के नेतृत्व में लोगों ने स्पेनिश उपनिवेशवाद को हरा दिया। 195 साल के बाद बोलीवियावासी लोकतंत्र और राष्ट्रीय संप्रभुता के लिए और देश के प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा के लिए साम्राज्यवाद के ख़िलाफ़ एक नई लड़ाई लड़ रहे हैं।

इस अवसर पर सीओबी के नेताओं ने प्रदर्शनकारियों और सोशल मूवमेंट के सदस्यों को ब्लॉक किए गए सड़कों पर राष्ट्रगान गाने के लिए कहा जहां बोलिवियाई लोग यह मांग करते हुए विरोध कर रहे हैं कि ये चुनाव 6 सितंबर को ही कराए जाएं जिस पर मूल रुप से सहमति बन चुकी है न कि फिर से निर्धारित की गई तारीख 18 अक्टूबर के दिन।

सोशल मूवमेंट और ट्रेड यूनियनों जैसे कि इंडिजिनस पीजैंट वर्कर्स फेडरेशन 'पोंचोस रोजोस’ ने ज़ोर देकर कहा कि उनकी मांग अब सिर्फ लोकतांत्रिक चुनाव नहीं है बल्कि जीनेन एनेज के नेतृत्व वाली पूरी तख्तापलट सरकार का तत्काल इस्तीफ़ा भी है। उन्होंने देश की बदहाल स्वास्थ्य प्रणाली को लेकर तख्तापलट सरकार की निंदा की और इस वर्ष के शैक्षणिक वर्ष को रद्द करने के उसके फैसले को खारिज कर दिया।

अमेरिका में बोलिवियन समुदाय ने भी सामाजिक आंदोलनों के साथ एकजुटता दिखाते हुए वाशिंगटन डीसी में मार्च किया जो बोलीविया में लोकतंत्र की पुनःस्थापना के लिए लड़ रहे हैं।

5 अगस्त की रात को सीओबी ने घोषणा की कि ट्रेड यूनियन और सुप्रीम इलेक्टोरल कोर्ट (टीएसई) के बीच संवाद प्रक्रिया बिना किसी समझौते के समाप्त हो गई। ट्रेड यूनियन सेंटर ने विरोध को अनिश्चित काल तक जारी रखने और सरकार के ख़िलाफ़ अपने संघर्ष को मजबूत करने की घोषणा की।

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