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"गोली नहीं बोली चाहिए" : निर्मला देशपांडे

इस वर्ष 2019 का निर्मला देशपांडे आग़ाज़-ए-दोस्ती अवार्ड राष्ट्रीय सेवा परियोजना के समन्वयक संजय राय तथा मेहज़बीन भट्ट को दिया गया जो देशभर के युवाओं में विभिन्न जन चेतना अभियानों और सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध आंदोलन और समाज सेवा के विभिन्न कार्य कर रहे हैं।
Gandhian
गांधीवादी सुब्बाराव संजर राय को स्मृति चिंह्न देते हुए 

“निर्मला देशपांडे का व्यक्तित्व बहुआयामी था। उन्होंने अपने विचारों एवं कार्यों से गांधी-विनोबा के जोड़ने के कार्यो को किया। वे अपने शत्रु से भी मैत्री भाव चाहती थीं इसीलिये गांधी विचार के मूल तत्व संवाद को इन्होंने ‘गोली नहीं बोली चाहिए’ का रूप देकर विपरीत परिस्थितियों में भी शांति सद्भाव का काम किया।” 

ये विचार प्रसिद्ध गांधीवादी डॉ. एसएन सुब्बाराव के हैं। वे प्रसिद्ध गांधीसेवक एवं शांति सैनिक निर्मला देशपांडे की 90वीं जयंती के अवसर पर दिल्ली में स्थित गांधी शांति प्रतिष्ठान में  आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे। कार्यक्रम का आयोजन ‘गांधी ग्लोबल फ़ैमिली', 'निर्मला देशपांडे संस्थान’ एवं ‘आग़ाज़ ए दोस्ती’ के संयुक्त तत्वावधान में किया गया था।

इंडिया-पाकिस्तान सोल्जर्स इनिशियेटिव फ़ॉर पीस के मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) एमए नाइक ने विषय को आगे बढ़ाते हुए कहा कि “युद्ध मे बड़ी तकलीफ़ होती है। दीदी निर्मला जी ने सही सोचा कि क्यों न युद्ध प्रशिक्षित व युद्धरत सैनिक ही शांति की बात सोचे। उनकी प्रेरणा से हमने पाकिस्तान के सैन्य अधिकारियों, सैनिकों व उनके बच्चों से बातचीत की और वहां भी हमें अमन की चाहत ही देखने को मिली। मतलब वे वहां ख़ुश रहें और हम यहां।

जो भारी राशि दोनों देश अपनी-अपनी सुरक्षा पर ख़र्च करते हैं यदि उसमें से कुछ बचा कर देश पर ख़र्च करें तो भूख, ग़रीबी और बेरोज़गारी काफ़ी हद तक मिट सकती है। मैंने बन्दूक उठाई, लड़ाई की पर अब शांति के लिये जो कुछ भी कर सकता हूं, वो करूंगा। निर्मला देशपांडे ने इस दिशा में बहुत कुछ किया है। 'गोली नहीं बोली चाहिये' यह एक वाक्य ही पूरे विश्व मे शांति स्थापित कर सकता है।”

चित्रकार हिना चक्रवर्ती ने कहा कि उनकी बाल्यावस्था से युवाकाल की यात्रा निर्मला देशपांडे के सान्निध्य में ही बीती है। उन्होंने उनके अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि इन लोगों की एक-एक बात प्रेरणादायी है जिसे सभी को सीखना चाहिए।

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गांधी शांति प्रतिष्ठान में  कुमार प्रशांत

गांधी शांति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष कुमार प्रशांत ने कहा कि उन्होंने तथा निर्मला दीदी ने अनेक वर्षों तक विभिन्न क्षेत्रों में मिल कर काम किया है। और महसूस किया कि यदि कोई संवेदनशील व्यक्ति जो लेखक, कार्यकर्ता और साथ-साथ विनोबा जी का शिष्य भी है तो यदि वह समाज में काम करता है तो तो बहुत सारी नई प्रतिभाओं को खोज निकालता है। निर्मला जी ने कहा कि गोली नहीं बोली चाहिए। बोली में ताक़त कहां से आई, जब वह निष्पक्ष व निर्लोभ होकर सच के साथ काम करता है तो बोली गोली का मुकाबला करती है। आज ऐसा दौर है जब देश मे बोली बन्द कर दी गयी है। उन्होंने आह्वान किया कि आज बोलने का समय है ताकि अन्याय और असहिष्णुता का मुकाबला किया जा सके।

गांधी स्मारक निधि के अध्यक्ष रामचन्द्र राही ने निर्मला जी के साथ अपने द्वारा किये गए कार्यो की जानकारी दी व बताया कि उन्होंने भारत-चीन हमले के बाद से ही लगातार मिल कर काम किया है। उन्होंने संत विनोबा भावे को उद्धरित करते हुए कहा कि “यह विचार पर हमला है और इसलिये विचार का बदला विचार से लिया जाना चाहिए।” हम शांति स्थापना के लिये उसके सैनिक बन कर स्थान-स्थान पर गए और भूदान और ग्रामदान का काम किया परन्तु इसके बावजूद हमारी स्पष्ट सोच थी कि हम विचार की सत्ता स्थापित करना चाहते है।

इसके लिये यह ज़रूरी नहीं कि हम एक ही तरह से सोचें मगर हमारी बुनियाद सत्य और अहिंसा की रही और इसी आधार पर विचार की सत्ता स्थापित करने के प्रयास रहे। तभी निर्मला जी जैसे लोग हिम्मत से कहते हैं कि लड़ने के लिये नही बल्कि मैत्री करने आये है और इसी बलबूते सत्ता और धन की ताक़त का मुकाबला विचार से किया।

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गांधी शांति प्रतिष्ठान में दर्शक

साउथ एशिया फ़र्टेर्निटी के अध्यक्ष सत्यपाल ग्रोवर ने अपने वक्तव्य में कहा कि निर्मला जी एक कुशल वक्ता ही नहीं अपितु प्रबुद्ध लेखिका भी थीं। हम लोगों ने विनोबा जी के आह्वान पर अपना सम्पूर्ण जीवन समाज के लिये अर्पित कर दिया तथा गोली नही बोली चाहिये के विचार के लिये काम किया।

इस अवसर पर हरिजन सेवक संघ के उपाध्यक्ष लक्ष्मीदास ने कहा कि निर्मला जी गांधी-विनोबा विचार से परिपूर्ण थी और वे इसलिए महान बनी कि उन्होंने इस विचार को जन-जन तक पहुंचाने का काम किया। शब्द अमर है इसलिए पता नही कौन सी बात कब किसी के जीवन को परिवर्तित कर दे। उन्होंने छात्रों को मुखातिब होते हुए कहा कि “हम सब आज़ाद है परंतु हमारी आज़ादी वहां खत्म हो जाती है जहां दूसरे की नाक शुरू होती है। और यही सब हमे गांधी, विनोबा, निर्मला जी व सुब्बाराव जी सीखा रहे हैं और इसी को बढ़ाने की हम सब की जिम्मेवारी है।”

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गांधी शांति प्रतिष्ठान में  राम मोहन राय

कार्यक्रम को प्रारंभ करते हुए ‘गांधी ग्लोबल फैमिली-निर्मला देशपांडे संस्थान’ के महासचिव राम मोहन राय ने दीदी निर्मला देशपांडे के जीवन यात्रा का परिचय दिया। और कहा कि वे एक सच्ची गांधीसेवक थीं इसलिये वे निर्भयता से हिंसा व आतंक के विरूद्ध शांति सद्भावना का काम करती थीं। यदि आज वे होतीं तो वे कश्मीर के लोगों की नागरिक आज़ादी के लिये कश्मीर में सत्याग्रह कर रही होतीं।

कार्यक्रम संयोजक रवि नितेश ने सभी अतिथियों का परिचय देते हुए स्वागत किया। उन्होंने वर्तमान परिस्थितियों में आम नागरिक की भूमिका को इंगित किया तथा वर्तमान सन्दर्भ में निर्मला देशपांडे की प्रासंगिकता को बताया।

 इस वर्ष 2019 का निर्मला देशपांडे आग़ाज़ ए दोस्ती अवार्ड राष्ट्रीय सेवा परियोजना के समन्वयक संजय राय तथा मेहज़बीन भट्ट को दिया गया जो देशभर के युवाओं में विभिन्न जन चेतना अभियानों और सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध आंदोलन और समाज सेवा के विभिन्न कार्य कर रहे हैं। कार्यक्रम के अंत में प्रवेश त्यागी व उनकी नाट्य टीम ने राष्ट्रीय एकता के अनेक सामूहिक गीत प्रस्तुत किये।  

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