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सोनभद्र : अनवर अली लिंचिंग में परिवार को नहीं मिला न्याय

लिंचिंग के एक साल बाद भी, अनवर अली के परिवार को न्याय नहीं मिला है। वादा किया गया मुआवज़ा भी नहीं मिला है। सिस्टम उन्हें सता रहा है और पुलिस ने उनके परिजनों को धारा 111 के तहत नोटिस देकर पुलिस कार्यालय में हाज़िरी देने को कह दिया है।
सोनभद्र

सोनभद्र : पच्चीस वर्षीय हसनैन अनवर शेख़ अपने पिता अनवर अली को न्याय दिलाने के लिए ख़ासी भाग दौड़ और मशक्कत कर रहे हैं, जिन्हें मार्च 2019 में सोनभद्र ज़िले के परसोई गांव में हिंसक भीड़ ने मार दिया था।

हसनैन ने न्यूज़क्लिक को बताया कि हादसे के बाद से दो होली बीत चुकी है लेकिन अफ़सरान और प्रशासन मामले की जांच करन में एक इंच भी आगे नहीं बढ़ा है, जिसकी वजह से परिवार को काफ़ी परेशानी झेलनी पड़ रही है।

उन्होंने कहा, "हम ग़रीब लोग हैं और हमें विस्थापित होकर परसोई से ओबरा शहर आना पड़ा, केवल इसलिए कि हम गाँव में डर में जी रहे थे और उन हमलावरों का हम पर दबाव था जिन्होंने इमाम चौक को हटाने के लिए मेरे पिता का क़त्ल किया था।” इमाम चौक एक पवित्र इस्लामी संरचना है जहाँ ताज़िया रखा जाता है।

हसनैन ने कहा कि जब से उनके पिता की मृत्यु हुई है, शायद ही परिवार गांव का दौरा कर पाया है। हालाँकि, उनकी माँ अभी भी उसी गाँव के घर में रहती हैं क्योंकि इसे उनके पिता ने बनवाया था।

हसनैन ने बताया, “वह उन्हीं यादों के साथ जीना चाहती है। मेरी माँ डरती है कि किसी दिन एक भीड़ आएगी और इमाम चौक को नुकसान पहुँचाएगी, ठीक उसी तरह जैसे मेरे पिता की हत्या की गई थी।” हसनैन ने कहा कि उन्हें लगता है कि किसी ने उनके गांव को "श्राप" दे दिया है क्योंकि ऐसी घटनाएं पहले कभी नहीं हुई थीं और लोग इलाके में अक्सर शांति से रहते थे। उन्होंने आगे कहा, “लेकिन अब, लोग हमारे ख़िलाफ़ हैं। वे हमें देखना भी नहीं चाहते हैं और ये वही लोग हैं, जिनके साथ मैं बचपन से बड़ा हुआ, साथ खेला था।”

अनवर ने आरोप लगाया कि जो कुछ भी हुआ है, वह उसके पिता की लिंचिंग के मुख्य आरोपी रविन्द्र खरवार के कारण हुआ है, जो राजकीय स्कूल में एक शिक्षक है।

“न तो उसे गिरफ़्तार किया गया और न ही पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया। जब मेरे पिता की मृत्यु हुई थी तो वे गाँव में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) संगठन को चलाते थे। वे एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं जिनके राजनेताओं से अच्छे संबंध हैं।” अनवर ने आगे बताया कि वह ज़िले के एक अलग ब्लॉक में एक प्राथमिक स्कूल में स्थानान्तरण लेने में भी कामयाब रहा, जहाँ वह नियमित रूप से बच्चों को पढ़ाने जा रहा है।

न्यूज़क्लिक ने चोपन ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय का दौरा किया और स्थानीय लोगों ने इस बात की पुष्टि की कि रविंदर खरवार वास्तव में वहां पढ़ा रहे हैं। हालांकि, रविवार के बाद से, स्कूल के प्रधानाध्यापक टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं थे और स्कूल रजिस्टर हमारी पहुंच से परे था।

केस में कार्यवाही में हुई प्रगति के बारे में पूछे जाने पर, ज़िला पुलिस कार्यालय (एस.पी. कार्यालय) ने कहा कि उन्हें अपने रिकोर्ड्स को देखना होगा। उस समय ओबरा पुलिस स्टेशन में 19 लोगों के ख़िलाफ़ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 147, 148, 149, 295 और 302 के तहत केस दर्ज किया गया था। नाबालिगों सहित तेरह लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया था, लेकिन बाद में सबको रिहा कर दिया गया था।

अली की पोस्टमार्टम रिपोर्ट, जिसे न्यूज़क्लिक ने हासिल किया था, उसमें स्पष्ट रूप से लिंचिंग का उल्लेख किया गया था कि अनवर अली पर एक धारदार हथियार से हमला किया गया था और उनके शरीर पर कई चोटों के निशान पाए गए थे। हालांकि, तत्कालीन पुलिस अधीक्षक (एसपी), सालमंतज जयप्रताज पाटिल इस केस को हत्या के मामले के रूप में जांच करने पर अड़े थे, उन्होंने ज़ोर देकर कहा था कि लिंचिंग से पहले दोनों समुदायों के बीच छह महीने से विवाद चल रहा था।

‘पीड़ित’ से एक संभावित ‘ख़तरा’ 

ज़िला पुलिस ने पीड़ित के परिवार को ‘द कोड ऑफ़ क्रिमिनल प्रोसीज़र’ (सीआरपीसी) की धारा 111 के तहत यह कहकर कि “वे परसोई गाँव में शांति के लिए ख़तरा पैदा कर सकते हैं” नोटिस दे दिया है। उपरोक्त नोटिस को उप-ज़िला मजिस्ट्रेट ने जारी किया है और पुलिस ने उसे परिवार को दिया है।

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परिजन बताते हैं, “नोटिस मिलने के बाद, से हम भाइयों को एसडीएम कार्यालय जाना पड़ता है और हाज़िरी लगानी पड़ती है। यह हमारी आजीविका को बहुत अधिक प्रभावित करता है क्योंकि हम बढ़ई हैं और जब भी हमें वहाँ जाना होता है तो हम उस दिल की दिहाड़ी खो देते हैं। हमें नहीं पता कि आख़िर हमने क्या अपराध किया है।”

न कोई राहत और न ही कोई मुआवज़ा 

अनवर ने दावा किया कि उनके पिता की मौत के बाद एसडीएम और ज़िला प्रशासन ने मुआवज़े की घोषणा की थी। हालांकि, जब वह अधिकारी के कार्यालय में जानकारी लेने गया, तो यह कहते हुए उसे भगा दिया गया कि ऐसी कोई घोषणा नहीं की गई थी।

अनवर ने कहा, “एसडीएम साहब ने हमें यह कहते हुए दुत्कार दिया कि उन्होंने ऐसी कोई घोषणा नहीं की है। मेरे पिता के मारे जाने के अगले दिन, उन्होंने वास्तव में हमसे कहा था कि हमें प्रशासन से कुछ मुआवज़ा मिलेगा। हम तो केवल अपने पिता के लिए न्याय चाहते थे, लेकिन प्रशासन ने मुवावज़े के झूठे दावे क्यों किए?”

अनवर ने कहा कि अच्छा होता कि अगर हमें कुछ मुआवज़ा मिल जाता क्योंकि हमारे पिता को न्याय दिलाने में हमारी कड़ी मेहनत का बहुत सारा पैसा वकीलों की झोली में जा रहा है।

अंग्रेजी में लिखा मूल आलेख आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं।

No Justice for Lynched Man’s Family; Kin Slapped with Section 111 CrPC Notice

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