Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

अब किसानों की आत्महत्या का पूरा ब्योरा भी सरकार के पास नहीं!

केंद्र सरकार ने सोमवार को कहा कि कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने किसान आत्महत्याओं का ब्योरा नहीं दिया है और इसलिए, कृषि क्षेत्र में आत्महत्या के कारणों संबंधी राष्ट्रीय आंकड़ा ‘अपुष्ट’ है और इसे प्रकाशित नहीं किया जा सकता है।
अब किसानों की आत्महत्या का पूरा ब्योरा भी सरकार के पास नहीं!

नयी दिल्ली: लॉकडाउन के दौरान विभिन्न घटनाओं-दुर्घटनाओं में मारे गए मज़दूरों और कोरोना के चलते जान गंवाने वाले ‘कोरोना वॉरियरस’ डॉक्टरों व अन्य कर्मचारियों का आंकड़ा न होने बाद केंद्र ने कहा है कि किसान आत्महत्याओं का पूरा ब्योरा भी उसके पास नहीं है।

केंद्र सरकार ने सोमवार को कहा कि कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने किसान आत्महत्याओं का ब्योरा नहीं दिया है और इसलिए, कृषि क्षेत्र में आत्महत्या के कारणों संबंधी राष्ट्रीय आंकड़ा ‘अपुष्ट’ है और इसे प्रकाशित नहीं किया जा सकता है।

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों का जिक्र करते हुए सदन को सूचित किया कि कई राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने विभिन्न प्रकार से पुष्टि किये जाने के बाद किसानों, उत्पादकों एवं खेतिहर मजदूरों द्वारा आत्महत्या का ‘शून्य’ आंकड़ा होने की बात कही है जबकि अन्य पेशों में कार्यरत लोगों द्वारा आत्महत्या की घटनाओं की सूचना मिली है।

उन्होंने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि इस कमी के कारण, कृषि क्षेत्र में आत्महत्या के कारणों के बारे में कोई राष्ट्रीय आंकड़ा पुष्ट नहीं है और इसे अलग से प्रकाशित नहीं किया गया।’’ आकस्मिक मृत्यु और आत्महत्याओं के नवीनतम राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2019 में 10,281 किसानों ने आत्महत्या की जबकि वर्ष 2018 में अपनी जान देने वाले किसानों की संख्या 10,357 थी।

इससे पहले सरकार ने संसद में कहा था कि उसके पास लॉकडाउन के दौरान मारे गए मज़दूरों का आंकड़ा नहीं है। साथ ही कोरोना के चलते जान गंवाने वालों या इस वायरस से संक्रमित होने वाले डॉक्टरों व अन्य मेडिकल स्टाफ का डाटा भी नहीं है। हालांकि लोकसभा में एक लिखित जवाब में सरकार ने माना कि उस दौरान एक करोड़ से ज्यादा मज़दूर देश के अलग-अलग हिस्सों से बदहवासी के आलम में अपने अपने गांवों की ओर चल पड़े थे।

विस्तार से पढ़ें :क्यों मज़दूरों और डॉक्टरों के मौत संबंधी आंकड़े छिपाना लोकतांत्रिक देश के लिए शर्मनाक है?

इसी तरह राज्यसभा में 15 सितंबर को केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि उनके पास कोरोना के चलते जान गंवाने वालों या इस वायरस से संक्रमित होने वाले डॉक्टरों व अन्य मेडिकल स्टाफ का डाटा नहीं है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने केंद्र सरकार के इस बयान पर नाराजगी जताई है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने उन 382 डॉक्टर की लिस्ट जारी की जिनकी जान कोरोना के चलते गई। जबकि इस बीमारी से अब तक 2,238 डॉक्टर संक्रमित हो चुके हैं।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest