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ओडिशाः तीन सूत्रीय मांगों को लेकर प्राथमिक स्कूल के शिक्षकों ने किया प्रदर्शन

शिक्षकों ने अपनी छह साल की सेवा अवधि को नियमित करने, केंद्रीय वेतनमान के बराबर वेतन और पुरानी पेंशन नीति को लागू करने सहित तीन सूत्रीय मांगों को रखा।
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फ़ोटो साभार: सोशल मीडिया

अपनी विभिन्न मांगों को लेकर रविवार को ओडिशा के आंदोलनकारी शिक्षकों ने भुवनेश्वर के महात्मा गांधी मार्ग पर प्रदर्शन किया जिससे इलाके़ में यातायात बाधित हो गया।

शिक्षकों ने अपनी छह साल की सेवा अवधि को नियमित करने, केंद्रीय वेतनमान के बराबर वेतन और पुरानी पेंशन नीति को लागू करने सहित तीन सूत्रीय मांगों को रखा। ज्ञात हो कि साल 2001 में शिक्षण सहायकों की भर्ती की गई थी। भर्ती के समय से उन्हें 1500 रुपये प्रति माह वेतन दी जा रही थी। छह साल की सेवा के बाद इन शिक्षकों को नियमित शिक्षकों का दर्जा दिया गया था।

प्रदर्शनकारी शिक्षकों ने उन शिक्षकों के लिए वार्षिक वेतन वृद्धि की मांग की जिन्हें नियमित करने से पहले छह साल के लिए अनुबंध के तहत भर्ती किया गया था। साथ ही उन्होंने अनुबंध के आधार पर बहाली करने की प्रक्रिया को बंद करने का राज्य सरकार से आह्वान किया है।

इसके अलावा उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त शिक्षकों के बराबर वेतन की मांग की।

उनमें से कुछ शिक्षकों ने कहा कि, हाई स्कूल के शिक्षकों के बराबर योग्यता होने के बावजूद उन्हें कम वेतन दिया जाता है।

क़रीब चार घंटे के विरोध प्रदर्शन के बाद आंदोलनकारी शिक्षकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्य सचिवालय में शिक्षा विभाग के प्रतिनिधियों से मुलाक़ात की।

सचिवालय सूत्र के हवाले से मीडिया रिपोर्ट अनुसार पदमपुर विधानसभा क्षेत्र में आदर्श आचार संहिता लागू होने के कारण सरकार फिलहाल उन्हें कोई आश्वासन नहीं दे पा रही है।

अमर उजाला की रिपोर्ट के मुताबिक़ प्रदर्शन कर शिक्षकों ने आरोप लगाया कि उन्हें उनका बकाया नहीं मिल रहा है। शिक्षकों की पहली मांग अपनी छह साल की सेवा अवधि को नियमित करने की थी। इसके साथ उनको अप्रेजल भी दिया जाए। प्राइमरी शिक्षक एसोसिएशन की दूसरी मांग थी कि उन्हें केंद्र सरकार के वेतनमान के मुताबिक़ वेतन दिया जाए। तीसरी मांग थी कि नई पेंशन नीति की जगह पुरानी पेंशन पॉलिसी बहाल की जाए।

प्रदर्शन कर रहे शिक्षकों ने कहा कि राज्य सरकार ने हाई स्कूल के शिक्षकों को उनके अपॉइंटमेंट लेटर के मुताबिक़ सारी चीज़ें उन्हें समय पर दी गईं, जबकि प्राइमरी स्कूल के शिक्षकों के साथ ऐसा कुछ नहीं हुआ। जबकि उनके पास भी वही शैक्षिक योग्यता है।

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