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लखीमपुर खीरी हत्याकांड का एक साल: आज भी पीड़ितों को इंसाफ़ का इंतज़ार

एसकेएम ने मृतक 4 किसान और एक पत्रकार की याद में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया है। इसी तरह देशभर में किसान जगह-जगह मारे गए किसानों को शहीद के तौर पर याद करते हुए केंद्र सरकार का पुतला फूंककर अपना आक्रोश व्यक्त कर रहे हैं।
Rakesh tikait
फ़ोटो साभार: ट्विटर/भारत समाचार

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी के तिकोनिया में 3 अक्टूबर 2021 को हुए किसान हत्याकांड को 1 वर्ष पूरा हो गया है। लेकिन पीड़ितों को न्याय नहीं मिल सका है। घटना के पहली बरसी पर संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने मृतक 4 किसान और एक पत्रकार की याद में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया है। इसी तरह देशभर में किसान जगह-जगह मारे गए किसानों को शहीद के तौर पर याद करते हुए केंद्र सरकार का पुतला फूंककर अपना आक्रोश व्यक्त कर रहे हैं। पंजाब मे इसे लेकर रेल भी रोकी गई है।

हत्याकांड के पीड़ित परिवार12 महीने बाद भी अपने दर्द को समेटे जी रहे हैं क्योंकि इस दौरान उन्हें कोई भी राहत नहीं मिली। आज भी पीड़ित इंसाफ का इंतजार कर रहे हैं।

आपको मालूम है कि तिकोनिया में 8 लोगों की जान चली गई थी। इस मामले में मंत्री पुत्र सहित 17 आरोपी जेल में हैं। 3 अक्टूबर 2021 को किसानों का एक समूह उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की यात्रा के खिलाफ प्रदर्शन कर रहा था, तभी लखीमपुर खीरी में एक एसयूवी (कार) ने चार किसानों को कुचल दिया। और एक पत्रकार की भी मौत हो गई थी। इससे गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने भाजपा के दो कार्यकर्ताओं और एक चालक की कथित तौर पर पीट-पीट कर हत्या कर दी थी। इस मामले में सामने आए कुछ वीडियो के बाद अब लगभग इस दुखद हत्याकांड को एक साल बीत चुका है, लेकिन सरकार ने जो वादे किए थे, वह अभी अधूरे हैं।

पहले पत्रकार की मौत का दोष किसानों पर मढ़ने की कोशिश की गई, लेकिन बाद में यह भी साफ हो गया है कि पत्रकार की मौत भी गाड़ी से कुचलकर ही हुई थी। लेकिन सबकुछ के बावजूद इस हत्याकांड के जिम्मेदार कहे गए केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी को उनके पद से नहीं हटाया गया।

इस घटना के बाद भी सरकार ने शुरुआत मे अपने मंत्री और कार्यकर्ताओं को बचाने का प्रयास किया लेकिन किसान आंदोलन के दबाव में वह ऐसा नहीं कर पाई और आखिरकार जांच मे भी ये पुख्ता हो गया की मंत्री पुत्र ने सत्ता के नशे मे किसानों को रौंदा था।

घटना के एक साल बाद आज एसकेएम के नेता राकेश टिकैत लखीमपुर खीरी पहुँचे और उन्होंने भी कहा इस दुखद हत्याकांड को एक साल बीत चुका है, लेकिन सरकार ने जो वादे किए थे, वह भी पूरे नहीं हुए हैं। सरकार ने किसान परिवारों के सदस्यों को नौकरी देने का वादा किया था। साथ ही इस कांड में घायल लोगों को मुआवजे का वादा भी सरकार की ओर से किया गया था, लेकिन एक भी वादा पूरा नहीं किया गया। इसके जिम्मेदार केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी को उसके पद से नहीं हटाया गया।

क्या था पूरा मामला

साल 2021 में देशभर में किसान आंदोलन अपने चरम पर था। किसान विवादित तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे थे और इस दौरान उन्होंने बीजेपी नेताओं के कार्यक्रमों का बहिष्कार करने का ऐलान कर रखा था। इसी बीच 3 अक्टूबर को डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य लखीमपुर खीरी दौरे पर थे। इसमें खीरी से सांसद और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी भी डिप्टी सीएम के साथ मौजूद थे। दोपहर के वक्त केशव प्रसाद मौर्य, गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के साथ उनके पैतृक गांव जाने वाले थे। हर साल कि तरह मंत्री अजय मिश्र टेनी ने अपने गांव में दंगल का आयोजन करवाया था।

दूसरी ओर किसान आंदोलन के मद्देनजर संयुक्त किसान मोर्चा ने डिप्टी सीएम और गृह राज्य मंत्री टेनी के खिलाफ विरोध की कॉल दी थी। इसी के तहत सुबह-सुबह सैकड़ों किसान तिकुनिया के महाराजा अग्रसेन इंटर कॉलेज पहुंच गए। स्कूल में बने हेलीपैड का घेराव कर किसानों ने नारेबाजी की और काले झंडे दिखाए जब खबर हुई की मंत्री सड़क के रास्ते गांव पहुंच रहे हैं तो किसान तिकुनिया से बनवीरपुर की सरहद पर रास्ता रोककर बैठ गए।

तकरीबन 3 बजे के करीब तीन गाड़ियों का काफिला तिकुनिया पहुंचा। काफिले में शामिल थार जीप ने धरना-प्रदर्शन से लौट रहे एक के बाद एक कई किसानों को रौंद दिया। इस घटना में चार किसानों की मौत हो गई, जबकि 10 से ज्यादा लोग घायल हो गए। इस दौरान मरने वालों में रमन कश्यप नाम के पत्रकार भी शामिल थे।

इसके बाद भड़की हिंसा में भाजपा के दो कार्यकर्ताओं और एक कार चालक की भी मौत हो गई। गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने दो एसयूवी, एक थार और एक फॉर्च्यूनर में आग लगा दी।

घटना के वीडियो लगातार वायरल हुए, जिसमें एक-दो किसानों का शव सड़क किनारे रखा दिखाई दिया। किसान नेताओं ने आरोप लगाया कि रौंदने वाली गाड़ी में मंत्री का बेटा आशीष मिश्र भी मौजूद था। चश्मदीद पिंडर सिंह सिद्धू ने बताया- मंत्री का बेटा गुंडो के साथ आया था, हाथ में डंडे भी थे। वीडियो वायरल होते ही सियासत गर्मा गई और राजनीतिक दलों के नेता लखीमपुर खीर की ओर कूच कर गए।

इसके बाद किसानों ने मृतकों के परिजनों के लिए मुआवजे और सरकारी नौकरी की मांग की।
टिकैत का बयान आया- मृतकों को 45 लाख रुपये, एक सरकारी नौकरी और आरोपियों की गिरफ्तारी पर समझौता हो गया।

सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार

सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को लताड़ लगाई, और पूछा कि किस तरह मामले की जांच हो रही है। सुप्रीम कोर्ट ने अब तक हुई यूपी पुलिस की कार्रवाई पर 8 अक्टूबर तक रिपोर्ट मांगी। सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद शाम होते होते दो लोग गिरफ्तार कर लिए गए। मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा के खिलाफ नोटिस जारी कर 8 अक्टूबर को पेश होने के लिए कहा गया।

मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा 8 अक्टूबर को तय समय पर नहीं पेश हुआ। आरोपी के नहीं पेश होने पर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को फिर फटकार लगाई।

अदालत ने कहा- 302 के आरोपी को कस्टडी में लिया जाता है न कि उसे आने का न्योता दिया जाता है। अदालत की फटकार के बाद क्राइम ब्रांच ने दूसरा नोटिस चस्पा किया और 9 अक्टूबर की सुबह 11 बजे पेश होने के निर्देश दिए। जिसके बाद आशीष मिश्रा सुबह 11 बजे मुंह पर रुमाल बांधकर सरेंडर करने पहुंचा। आरोपी आशीष मिश्रा से 12 घंटे की पूछताछ के बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया। शुरुआती पूछताछ के बाद यूपी की लोकल कोर्ट ने आशीष मिश्रा को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया।

मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट चिंताराम ने आशीष मिश्रा और आशीष पांडे की जमानत याचिका खारिज कर दी।सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार की आलोचना की, कहा- 44 में सिर्फ 4 गवाहों के बयान दर्ज हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य को न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने मामले के शेष गवाहों के बयान दर्ज करने के निर्देश दिए।

सुप्रीम कोर्ट में 8 नवंबर को फिर सुनवाई हुई, कोर्ट ने कहा- मामले की जांच उम्मीद के मुताबिक नहीं हुई। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच में निगरानी के लिए दूसरे राज्य के उच्च न्यायलय से रिटायर न्यायाधीश की नियुक्ति का प्रस्ताव रखा।

पत्रकार की भी मौत का हुआ खुलासा। राज्य की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कहा गया कि पत्रकार रमन कश्यप की मौत किसानों के साथ कुचले जाने से हुई, न कि लिचिंग से।

मारे गए बीजेपी कार्यकर्ता की पत्नी के वकील अरुण भारद्वाज ने सीबीआई जांच की मांग की, हालांकि कोर्ट ने इंकार कर दिया। इस बीच लगातार मुख्य आरोपी आशीष की जमानत के लिए अपील करते रहे है और उन्हे खारिज़ होते रहे है। आशीष मिश्रा, आशीष पांडे और लवकुश राणा की जमानत याचिका खारिज कर दी। 17 नवंंबर को पुलिस की जांच से नाराज सुप्रीम कोर्ट ने जांच की निगरानी के लिए पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय से रिटायर्ड न्यायाधीश राकेश कुमार जैन को नियुक्त किया।सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी का पुनर्गठन किया। लखीमपुर खीरी कांड की जांच के लिए पुलिस और एसआईटी में तीन आईपीएस अधिकारियों को शामिल किया गया।

इस एसआईटी ने 14 दिसंबर को एक रिपोर्ट जारी की। एसआईटी ने कहा- तिकुनिया कांड कोई हादसा नहीं था, बल्कि सोची समझी साजिश थी। सोच-समझकर किसानों पर गाड़ी चढ़ाई गई और उनकी हत्या करने की कोशिश की गई। इसके साथ ही उन्होंने सूझाव दिया कि केस में बदलाव करते हुए हत्या, हत्या के प्रयास और अंग भंग करने की धाराएं लगाई जानी चाहिए। इसी रिपोर्ट के साथ ही मंत्री अजय मिश्रा के इस्तीफे की मांग ने और जोर पकड़ा।

मामला अदालत में विचाराधीन है। खीरी कांड अभी भी चर्चा में बना हुआ है। हालांकि मंत्री ने आजतक इस्तीफा तो नहीं दिया लेकिन उनके पुत्र हत्या, हत्या के प्रयास और अंग भंग करने की धाराएं लगा दी गई हैं। वह अभी जेल में है लेकिन बार-बार प्रशासन के जांच और रवैया सवालों के घेरे मे आता रहा है। संयुक्त किसान मोर्चा इस कांड को लेकर लखीमपुर में तीन दिन का महापड़ाव आयोजित कर चुका है। परंतु सरकार अभी भी अपने किए वादों को पूरा करती हुई नहीं दिख रही है।

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