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पेगासस स्पाइवेयर को लेकर संसद में गतिरोध, स्वतंत्र जांच के लिए वरिष्ठ पत्रकारों ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया  

प्रतिष्ठित पत्रकारों एन राम और शशि कुमार ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर करके अनुरोध किया है कि इजराइली स्पाइवेयर पेगासस का इस्तेमाल करके सरकारी एजेंसियों द्वारा प्रतिष्ठित नागरिकों, नेताओं और पत्रकारों की कथित जासूसी किए जाने संबंधी खबरों की शीर्ष अदालत के किसी मौजूदा या सेवानिवृत्त न्यायाशीध से स्वतंत्र जांच कराई जाए।
संसद

नयी दिल्ली: कांग्रेस और कई अन्य विपक्षी दलों ने मंगलवार को केंद्र सरकार पर पेगासस जासूसी मामले को लेकर चर्चा से भागने का आरोप लगाया और कहा कि जब तक सरकार इस विषय पर चर्चा के लिए तैयार नहीं हो जाती, तब तक संसद में गतिरोध खत्म नहीं होगा। वही प्रतिष्ठित पत्रकारों एन राम और शशि कुमार ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर करके अनुरोध किया है कि इजराइली स्पाइवेयर पेगासस का इस्तेमाल करके सरकारी एजेंसियों द्वारा प्रतिष्ठित नागरिकों, नेताओं और पत्रकारों की कथित जासूसी किए जाने संबंधी खबरों की शीर्ष अदालत के किसी मौजूदा या सेवानिवृत्त न्यायाशीध से स्वतंत्र जांच कराई जाए।
पेगासस जासूसी मामले को लेकर संसद में गतिरोध जारी
 
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कई विपक्षी दलों के नेताओं की मौजूदगी में संवाददाताओं से कहा कि सरकार को सभी दलों की बैठक बुलानी चाहिए और पेगासस जासूसी प्रकरण पर चर्चा के लिए तैयार होकर इस गतिरोध को खत्म करने का प्रयास करना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘हमने पेगासस और किसानों का मुद्दा उठाया। सरकार चर्चा के लिए तैयार नहीं है। हम चाहते हैं कि उच्चतम न्यायालय की निगरानी में पेगासस मामले की जांच हो और जो कुछ हो, वो सामने आए।’’

खड़गे ने सवाल किया, ‘‘फ्रांस, हंगरी, जर्मनी और कई अन्य देशों में इस मामले में जांच चल रही है। लेकिन समझ नहीं आता कि हमारी सरकार जांच के लिए क्यों तैयार नहीं हो रही है? क्या यह सरकार खुद जासूसी कर रही है या फिर कोई और है? ’’

उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘मोदी जी किसी मुद्दे का लोकतांत्रिक ढंग से समाधान करने को तैयार नहीं है। यह तानाशाही है।’’

खड़गे ने कहा, ‘‘सरकार सब पार्टियों को बुलाए और मिलकर बात करे। हम मिलकर लड़ने वाले हैं।’’

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने कहा, ‘‘एक चीज बहुत स्पष्ट है कि संसद में गतिरोध खत्म करना अब सरकार की जिम्मेदारी है। यह सरकार विपक्ष को सुनने को तैयार नहीं है। इस सरकार ने ऐसा काम किया है जिससे लोकतंत्र और संसद की गरिमा गिरी है।’’

उन्होंने दावा किया, ‘‘संसद सिर्फ विधायी एजेंडा के लिए नहीं है। सरकार यह बोलकर देश को गुमराह कर रही है कि वह विपक्ष से बात करना चाहती है। विपक्ष को सदन के भीतर ‘ब्लैकआउट’ किया जा रहा है।’’

शर्मा ने कहा, ‘‘अगर सरकार के पास कुछ छिपाने के लिए नहीं है तो आज ही चर्चा कराइए।’’

तृणमूल कांग्रेस के सुखेंदु शेखर रॉय ने कहा, ‘‘किसने पेगासस की खरीद का आदेश दिया, इसका खुलासा होना चाहिए। हम इसलिए व्यवस्थित चर्चा की मांग कर रहे हैं। सरकार चर्चा से भाग रही है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री और गृह मंत्री सदन में क्यों नहीं आ रहे हैं। इस मुद्दे पर चर्चा के बिना हम कोई दूसरा कामकाज नहीं होने देंगे।’’

समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव, द्रमुक के तिरुची शिवा, भाकपा के विनय विश्वम और आम आदमी पार्टी के संजय सिंह ने भी पेगासस मामले पर तत्काल चर्चा कराए जाने की मांग की।

पेगासस स्पाइवेयर: स्वतंत्र जांच के लिए वरिष्ठ पत्रकारों ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की

 प्रतिष्ठित पत्रकारों एन राम और शशि कुमार ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर करके अनुरोध किया है । इस याचिका पर आगामी कुछ दिन में सुनवाई हो सकती है। याचिका में इस बात की जांच करने का अनुरोध किया गया है कि क्या पेगासस स्पाइवेयर के जरिए फोन को अवैध तरीके से हैक करके एजेंसियों और संगठनों ने भारत में स्वतंत्र भाषण और असहमति को अभिव्यक्त करने को रोकने का प्रयास किया गया।

याचिका में केंद्र को यह बताने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि क्या सरकार या उसकी किसी एजेंसी ने पेगासस स्पाइवेयर के लिए लाइसेंस प्राप्त किया है और क्या उन्होंने इसका इस्तेमाल प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से निगरानी करने के लिए किया है।

याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि दुनिया भर के कई प्रमुख मीडिया संस्थानों की जांच में पत्रकारों, वकीलों, सरकारी मंत्रियों, विपक्षी नेताओं, संवैधानिक पदाधिकारियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं समेत 142 से अधिक भारतीयों को पेगासस सॉफ्टवेयर के जरिए निगरानी के संभावित लक्ष्यों के रूप में पहचाना गया है।

याचिका में दावा किया गया है कि ‘सिक्योरिटी लैब ऑफ एमनेस्टी इंटरनेशनल’ ने निगरानी के लिए लक्ष्य बनाए गए व्यक्तियों के कई मोबाइल फोन के फोरेंसिक विश्लेषण के बाद पेगासस के जरिए सुरक्षा उल्लंघन किए जाने की पुष्टि की है।

याचिका में कहा गया है, ‘‘सैन्य श्रेणी के स्पाइवेयर का उपयोग करके लक्षित निगरानी निजता के उस अधिकार का अस्वीकार्य उल्लंघन है जिसे उच्चतम न्यायालय ने संविधान के अनुच्छेदों 14 (कानून के समक्ष समानता), 19 (भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) और 21 (जीवन की सुरक्षा एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता) के तहत मौलिक अधिकार माना है।’’

इसमें कहा गया है कि पत्रकारों, चिकित्सकों, वकीलों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, सरकार के मंत्रियों और विपक्षी नेताओं के फोन को हैक करना संविधान के अनुच्छेद 19 (एक) (ए) के तहत भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार के प्रभावी क्रियान्वयन से ‘‘गंभीर समझौता’’है।

याचिका में दावा किया गया है कि पेगासस स्पाइवेयर के जरिए फोन हैक करना आईटी कानून की धारा 66 (कंप्यूटर से संबंधित अपराध), 66बी (बेईमानी से चुराए गए कंप्यूटर संसाधन या संचार उपकरण प्राप्त करने के लिए सजा), 66ई (निजता के उल्लंघन के लिए सजा) और 66एफ (साइबर आतंकवाद के लिए सजा) के तहत एक दंडनीय अपराध है।

इसमें कहा गया है, ‘‘यह हमला प्रथम दृष्टया साइबर-आतंकवाद का मामला है, जिसके राजनीति और सुरक्षा पर विशेष रूप से यह देखते हुए गंभीर परिणाम होंगे कि सरकारी मंत्रियों, वरिष्ठ राजनीतिक हस्तियों और संवैधानिक पदाधिकारियों के उपकरणों को निशाना बनाया गया है, जिनमें संवेदनशील जानकारी हो सकती है।’’

इससे पहले, एम एल शर्मा नाम के एक वकील ने शीर्ष अदालत में एक याचिका दायर कर न्यायालय की निगरानी में जासूसी मामले की विशेष जांच दल (एसआईटी) से जांच कराने की मांग की थी।

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