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पटना : आशा व फैसिलिटेटर का मानदेय समेत अन्य मांगों को लेकर प्रदर्शन

राजधानी पटना में आशा व आशा फैसिलिटेटर ने हज़ारों की संख्या में अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन किया। मांग न पूरी होने पर सामूहिक हड़ताल की उन्होंने चेतावनी दी है।
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बिहार की राजधानी पटना में आशा व आशा फैसिलिटेटर ने हज़ारों की संख्या में अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन किया। उन्होंने केंद्र व राज्य सरकार द्वारा मांग न पूरी करने पर सामूहिक हड़ताल की चेतानवी दी है।

इस प्रदर्शन के दौरान सभा को संबोधित करते हुए नेताओं ने कहा कि ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा की रीढ़ आशाओं की कोरोना काल में सराहनीय भूमिका की चर्चा विश्व स्वास्थ्य संगठन तथा पटना उच्च न्यायालय ने की है। बार बार न्यायोचित मांगें रखी गई लेकिन केंद्र की मोदी सरकार ने आशा कार्यकर्ता व आशा फैसिलिटेटर की मांगे पूरा करने के बजाए बजट 2023 में आशाओं की कोई चर्चा नहीं कर आशा के साथ विश्वासघात किया है। वहीं महागठबंधन के घोषणा पत्र में आशाओं को इंसाफ देने का ऐलान करने वाले युवा नेता तेजस्वी यादव आज खुद उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री हैं, लेकिन राज्य सरकार की ओर से आशाओं के हित में अभी तक कोई कदम नही उठाया गया है। इससे आक्रोशित आशाओं व फैसिलिटेटर की अभिव्यक्ति आज के प्रदर्शन में हुई की राज्य भर से हजारों की संख्या में आशा व आशा फैसिलिटेटर के हाथों में मांगों की तख्ती लिए राजधानी की सड़कों पर मार्च कर रही थीं।

कर्मचारी महासंघ (गोप गुट) और ऐक्टू से संबद्ध बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ के बैनर तले संघ अध्यक्ष शशि यादव, महासचिव विद्यापति पांडे समेत अन्य नेताओं के नेतृत्व में हजारों आशा व आशा फैसिलिटेटर ने आज अपनी मांगों जैसे पारितोषिक नहीं मासिक मानदेय देना होगा, एक हजार में दम नहीं, 21 हजार से मासिक मानदेय कम नहीं, आशा व फैसिलिटेटर को स्वास्थ्य विभाग का कर्मचारी घोषित करो, पेंशन योजना लागू करो, 10 लाख का एकमुश्त रिटायरमेंट लाभ दो, कोरोना काल के बकाया का भुगतान करो की मांग करते हुए पटना के गर्दनीबाग से आक्रोशपूर्ण प्रदर्शन निकाला जो गर्दानीबाग धरना स्थल तक पहुंच आम सभा में तब्दील हो गया।

आम सभा को आशा कार्यकर्ता संघ व उक्त नेताओं के अलावा खासतौर से बिहार विधान सभा में आशाओं के मांगों के समर्थन में आवाज उठाने वाले माले विधायक दल नेता महबूब आलम, उप नेता सत्यदेव राम व विधायक महानंद सिंह ने संबोधित किया। माले के तीनों विधायकों ने संबोधित करते हुए आशाओं से आह्वान किया कि अपनी मांगों के लिए सड़कों पर जोरदार ढंग से संघर्ष करें। उन्होंने कहा कि हम आपकी मांगों पर विधान सभा में सरकार से लड़ेंगे। तीनों विधायकों ने कहा की कोई भी सरकार हो आपको संघर्ष करते रहना होगा तभी कोई सरकार आपकी मांगें पूरा करेगी। उन्होंने आगे कहा कि आपके आंदोलन और मांगों से माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अवगत कराते हुए मांगें पूरी करने की मांग की गई,तब मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद आगामी 23 मार्च को सरकार के स्तर पर संघ के नेताओं के साथ वार्ता तय हुई है। तीनों माले विधायकों ने मोदी सरकार पर हमला करते हुए कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत आशाओं से काम लिया जाता है लेकिन आशाओं के मेहनताना बढ़ाने, सेवा सुरक्षा प्रदान करने को लेकर मोदी सरकार न सिर्फ लापरवाह है बल्कि विश्वासघात कर रही है और अदानी-अंबानी के हित में काम कर रही है। साथ ही देश के आशा सहित मेहनतकश समुदाय के हिस्से में हिंदू- मुस्लिम नफरत का कारोबार कर रही है, माले नेताओं ने केंद्र की मोदी सरकार से अपना हिस्सा लेने के लिए आशाओं से संघर्ष का आह्वान किया।

प्रदर्शन के बाद आयोजित सभा को संबोधित करते हुए संघ की अध्यक्ष और स्कीम वर्कर्स की राष्ट्रीय संयोजक शशि यादव ने कहा कि हमने माननीय उप मुख्यमंत्री सह स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव से मिलकर आशा व आशा फैसिलिटेटर के चिर लंबित मांगों और समस्याओं को उनके समक्ष रखते हुए मांगें पूरा करने का आग्रह बिहार सरकार से बार बार किया है। उन्होंने कहा कि आशा व आशा फैसिलिटेटर दिन रात काम करेंगी और उनका परिवार इस भीषण मंहगाई में तंगहाली में रहेगा,ऐसा नहीं होगा। बिहार सरकार को पारितोषिक नाम को बदल मासिक मानदेय करना होगा और एक हजार के बजाए सम्मानजनक मानदेय देना होगा।

उन्होंने आशाओं को केंद्र सरकार से 21 हजार मानदेय देने की मांग करते हुए कहा कि मोदी सरकार ने आशा सहित देश के सभी स्कीम वर्करों के साथ विश्वासघात किया है और पूरे देश की आशा उनके विश्वासघात के खिलाफ लड़ रही हैं और उन्हें जरूर सबक सिखाएंगे। उन्होंने आगे कहा कि मोदी सरकार के खिलाफ बिहार सरकार को सिर्फ गाल बजाने के बजाए आशाओं के साथ किया वादा पूरा करना होगा। उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों यथा केरल, त्रिपुरा, आंध्र, कर्नाटक, तेलांगना, राजस्थान, बंगाल की तरह नियत मासिक मानदेय बिहार के आशा को देना होगा।

उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि आशा की सेवा और मेहनत पर राज्य के ग्रामीण अस्पताल और स्वास्थ्य अभियान चल रहे हैं। हम यहां ऐलान करने आए हैं कि अगर हमारी मांगों को विधानसभा के बजट सत्र में पूरा नहीं किया गया तो अप्रैल महीने के किसी भी दिन से आशा व आशा फैसिलिटेटर सामूहिक अवकाश-हड़ताल पर चली जायेंगी। ये हङताल संयुक्त होगा अन्य संगठनों से भी बात चल रहीं हैं। उन्होंने कहा कि अच्छी बात है कि आज विधानसभा में इस विषय पर माले सहित कई विधायक चर्चा कर रहे हैं।

प्रदर्शन में शामिल नेताओं विद्यालय रसोइया संघ की महासचिव सह ऐपवा राज्य अध्यक्ष सरोज चौबे, ऐक्टू राज्य सचिव रणविजय कुमार और राज्य उपाध्यक्ष एस के शर्मा समेत अन्य नेताओं ने आशाओं को संबोधित किया और आंदोलन के प्रति एकजुटता जाहिर करते हुए मोदी सरकार को विश्वासघाती बताया और नीतीश सरकार पर वादाखिलाफी करने का आरोप लगाया।

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