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पटना: प्रीपेड स्मार्ट मीटर के ख़िलाफ़ एकजुट हो रहे हैं लोग, बताया— लूट का ज़रिया

विद्युत स्मार्ट मीटर को लेकर 'सिटीजन्स फोरम' की ओर से एक दस्तावेज़ पेश किया गया, जिसमें जिक्र किया गया कि कैसे विद्युत स्मार्ट मीटर लगने के बाद आम लोगों को परेशानियां उठानी पड़ रही हैं।
 Citizens Forum

पटना में नागरिक सरोकारों व जनतांत्रिक अधिकारों के लिए प्रतिबद्ध संस्था 'सिटींजन्स फोरम'  की ओर से प्रीपेड स्मार्ट मीटर तथा विद्युत स्मार्ट मीटर को लेकर नागरिक कन्वेंशन आयोजित किया गया। गांधी संग्रहालय पटना में आयोजित इस नागरिक कन्वेंशन में शहर के आम नागरिकों के अलावा विभिन्न जन संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए। कन्वेंशन का संचालन पांच सदस्यों वाले अध्यक्ष मंडल ने किया, जिसमें अध्यक्ष अनिल कुमार राय, प्रीति सिन्हा, मनोज कुमार, संजय श्याम और मणिलाल शामिल थे।

कार्यक्रम की शुरुआत और लोगों के स्वागत के लिए फोरम के संयोजक अनीश अंकुर ने अपनी बात रखी। विद्युत स्मार्ट मीटर को लेकर 'सिटीजन्स फोरम' की ओर से एक दस्तावेज़ पेश किया गया, जिसमें जिक्र किया गया कि कैसे विद्युत स्मार्ट मीटर लगने के बाद आम लोगों को परेशानियां उठानी पड़ रही हैं। इसमें बताया गया कि दूसरे राज्यों की तुलना में बिजली बिल में तीन गुणा से ज्यादा का भुगतान करना पड़ता है। उडीसा, केरल, गोवा आदि राज्यों में विद्युत दर 2.11 रु से लेकर 2.87 रु प्रति यूनिट है, लेकिन बिहार के शहरी क्षेत्र में 6.10 रु, 6.40 रु तथा 8.40 रु लिया जाता है।

एटक के राज्य महासचिव गज़न्फर नवाब के अनुसार 'प्रीपेड स्मार्ट मीटर के बहाने गरीब लोगों से धन वसूल कर निजी कम्पनियों को स्थानांतरित किया जा रहा है।"

प्रदीप मेहता ने नागरिक कन्वेंशन को संबोधित करते हुए कहा कि "प्रीपेड स्मार्ट मीटर उपभोक्ता संरक्षण कानून में नियम है की बिजली बिल महीने के बाद 15 दिनों के बाद तक जमा किया जा सकता है। लेकिन इस नियम को लागू नहीं किया जाता है। किसान आंदोलन की तरह संगठित होकर इसका विरोध करना होगा। मोबाइल कम्पनी की तरह बिजली कम्पनी को बनाया जा रहा है। इस बिल का विरोध होना चाहिये।"

बिहार इलेक्ट्रोक सप्लाई वर्कर्स यूनियन के उपमहासचिव डी पी यादव ने कहा "बिजली उद्योग से जुड़े मज़दूर भी इस लड़ाई में साथ हैँ तथा 23 दिसंबर को संसद के सामने धरना देने जा हैँ। पहले बिजली विभाग में चालीस हजार मज़दूर थे लेकिन आउटसोर्सिंग के बाद सिर्फ 14 हजार मज़दूर रह गए हैँ, किसानों को 12-13 हजार रुपया लगेगा।

पूर्व नगर पार्षद बलराम चौधरी ने कहा "यदि कोई स्वेच्छा से प्रीपेड मीटर लगाएं तो ठीक लेकिन जबरदस्ती नहीं की जानी चाहिए। जब बिहार सरकार ने प्रीपेड स्मार्ट मीटर की शुरुआत की थी तब पटना सिटी से आंदोलन की शुरुआत हुई। प्रीपेड मीटर बड़े पूंजीपतियों के लिए लाया गया। हमारी गाढ़ी कमाई का पैसा सरकार ले रही है। पहले 120 वाट और 200 वाट का चलता था अब तो मात्र 8-10 वाट का बल्ब जलता है, तब भी बिजली विभाग मनमानी कर 8.05 रु के दर से बिजली बिल लिया जा रहा है।"

सीपीआई के पूर्व जिला मंत्री रामलला सिंह ने कहा "2003 में वाजपेई सरकार द्वारा जो कानून लाया गया था उसी में बिजली के निजीकरण का बीज मौजूद था। कोयला से बिजली का निर्माण होता है, लेकिन कोयला का निजीकरण कर बिजली को महंगा किया जा रहा है। हमारी पार्टी ने पहली बार कोयले के राष्ट्रीयकरण की बात की थी। उनकी शर्त है की प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाएंगे तभी बिजली खरीदी जाएगी।"

सामाजिक कार्यकर्ता संजीव श्रीवास्तव ने कहा "स्मार्ट प्रीपड मीटर बिहार की परिघटना है। ये दरअसल भ्रष्टाचार का मामला है। उडीसा, महाराष्ट्र में आजतक स्मार्ट मीटर नहीं लगा है, ज़ब विकसित राज्यों में स्मार्ट मीटर नहीं है तो बिहार में क्यों लगेगा?

सामाजिक कार्यक्रता रामभजन यादव ने अपनी टिप्पणी में कहा "प्रीपेड मीटर के कारण तीस से चालीस प्रतिशत तक ज्यादा बिल आती है। बिहार जैसे गरीब प्रांत में जहां 52 प्रतिशत जनता गरीबी और कुपोषण से जूझ रही है स्मार्ट मीटर लगाना ही नहीं चाहिए। बिहार में 80 प्रतिशत लोग ऐसे हैँ जो एंड्रॉयाड फोन नहीं रखते, ऐसे लोग कैसे स्मार्ट मीटर रिचार्ज कर सकेंगे?

सामाजिक कार्यकर्ता सिस्टर दोरोथी ने कहा "हमलोगों को कोयले के बजाए सौर ऊर्जा ओर ध्यान देना चाहिए।"

सर्वहारा जनमोर्चा के राधेश्याम ने कहा "बिजली अधिनियम के माध्यम से निजी हाथों में सौंपने के पीछे का कुचक्र चल रहा है, बैंक, बीमा, कोयला, सब क्षेत्र काम निजीकरण किया जा रहा है, इस निजीकरण पर कुठराघात करने की जरूरत है, दलित लोगों के लिए प्रीपेड मीटर बेहद घातक है।"

प्रीपेड मीटर के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान चलाने वाले अखिलेश कुमार ने नागरिक कन्वेंशन में अपनी राय प्रकट करते हुए कहा "हमने दो हजार लोगों का हस्ताक्षर भेजा था। यदि हर गली मुहल्ले में लोगों को जागरूक कर दिया जाए तो हम लोगों का काम हो जाएगा। यदि लाइन काटने आये तो उसका वीडियो बना लें इससे हमलोगों का काम हो सकता है, एक प्रीपेड मीटर लगाने पर मिस्त्री को पांच सौ रूपये का लाभ मिलता है यदि हम एम. आर. पी का कागज़ मांगे तो मीटर लगाने वाला भागेगा। जो लोग विरोध करते है वहां प्रीपेड मीटर नहीं लगता है।"

बिजली अभियंता संघ के नेता कारू प्रसाद "सूचना के अधिकार के तहत मांगे गए आंकड़े के अनुसार बिजली की दर 2.44 रुपये पड़ती है, ट्रांसमिशन का खर्च वगैरह काम खर्च जोड़कर 5 रुपये पड़ता है। विदेशी मुद्रा भण्डार खींचने के लिए यह प्रीपेड  मीटर  लागू किया जा रहा है. "

सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता अरविन्द सिन्हा ने कहा " अभी हाईकोर्ट के कारण मामला थोड़ा रुका हुआ है हाईकोर्ट के बाद जबरन स्मार्ट प्रीपेड़ मीटर थोपा जाएगा। निजीकरण का दौर पूरे राज्य विकास के लिए बेहद खतरनाक है. किसान ऐसे ही कर्ज में डुबा हुआ है उसमे ये प्रीपड मीटर और ऊपर से बोझ रहेगा.  लड़ाई को हाईकोर्ट में और आगे बढ़कर लड़ा जाये।"

उदयन राय  ने अनुसार " सरकारों की आदत होती है की जनता से छुपा क्र काम किया जाए "

ओमप्रकाश वर्मा ने कन्वेंशन को संबोधित करते हुए कहा "स्टेट पावर काम दो हिस्सा है एक्सीक्यूटिव और जुड़िसीयरी, और न्यायलय कोई भी काम कार्यपालिका से बिना पूछे जजमेंट नहीं दिया करती है. जिस दिन हमलोग पटना में एक लाख  लोग उतार दें तो प्रीपड स्मार्ट मीटर को वापस लेना होगा. हमारे द्वारा जमा किये गए राशि काम पचास प्रतिशत काम गबन हो जाता है सबसे बड़ा हमला बिजली बोर्ड पर ही होता है. बिजली काम काम करने के कारण प्रतिदिन एक आदमी की मृत्यु होती है।"

वरिष्ठ सामाजिक कार्यक्रता मोहन प्रसाद ने कहा " मैंने ज़ब सूचना के अधिकार के तहत सूचना मांगा तो बताया की सरकारी संस्थान में बिजली बिल वर्षो - वर्षो तक नहीं कटेगा लेकिन आम लोगों काम कट जाएगा। यह होता है प्रीवेल्जड मोड। विभाग खुद गलत कामों में संलग्न है.  जन आंदोलन की बदौलत ही इसे  पीछे धकेला जा सकता है "

'सार्थक संवाद' के सर्वेश कुमार के अनुसार इन दो मसले पर महागठबंधन की सरकार को फैसला लेने के लिए तैयार है? पिछले दो तीन महीनों में दिन भर में छह-आठ घंटे तक बिजली गुम रहती है। गिने चुने राजनीतिक दल ही इसमें सड़क पर उतर कर काम करें। "

पुष्पेंद्र शुक्ला ने बताया "प्रीपड मीटर के कारण साइबर  अपराध  में बढ़ोतरी हुई है. इस आंदोलन को वार्ड के स्तर पर ले जाना पड़ेगा।"

देवरतन प्रसाद ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा " ज़ब तक आम लोग आंदोलन में नहीं आएगी, नागरिकों की भागीदारी नहीं होगी तब तक आगे नहीं बढ सकेंगे. सिटींजन्स फोरम को यह चुनौती सवेकार करनी चाहिए।"

अध्यक्ष मंडल की ओर अनिल कुमार राय ने बतलाया "सड़कों के संघर्ष का कोई विकल्प नहीं है. सड़कों पर विरोध नहीं होता तो सत्ता बेलगाम हो जाती है. हमारी सरकार पूंजीवाद के मैनेजर के बतौर काम करती है"

सभा को रासबिहारी चौधरी, चन्द्रनाथ मिश्रा, पुकार,  आदि ने भी संबोधित किया।

अब देखना होगा कि इस सभा में प्रीपेड मीटर के ख़िलाफ चलाए अभियान लोगों को कितना प्रभावित करता है।

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