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आज़ाद पत्रकारिता से सत्ता को हमेशा दिक्कत रही

हाल के सालों में भारत में प्रेस की आज़ादी कमज़ोर होती गई हैI इतिहास के पन्ने के इस अंक में लेखक नीलांजन मुखोपाध्याय ने पत्रकार मासूम मुरादाबादी और जयशंकर गुप्ता से खास चर्चा की जिसमें प्रेस की आज़ादी पर बढ़ते हमलों और इसकी शिनाख्त मौलवी मोहम्मद बक़र तक करने की कोशिश कीI मौलवी मोहम्मद बक़र वे पहले पत्रकार थे जिन्हें 1857 के विद्रोह के बाद अंग्रेज़ों ने मौत की सज़ा दीI

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